10 जून
सीबीआई के लिए छत्तीसगढ़ का अनुभव ठीक नहीं रहा है। अभी तक एक भी गुत्थी वह सुलझा नहीं सकी। चाहे वो अटलजी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान ब्लैक सी में अजीत जोगी के खिलाफ सीबीआई में दर्ज मुकदमा हो या जग्गी हत्याकांड। जग्गी हत्याकांड में अमित जोगी को कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया। पत्रकार सुशील पाठक, उमेश राजपूत समेत कुछ मामलों में सीबीआई को निराशा ही हाथ लगी। अलबत्ता, बिलासपुर में सुशील पाठक हत्याकांड की जांच करने आए एक अफसर को रिश्वत लेते सीबीआई ने ही गिरफ्तार किया था। लेकिन, सीडी कांड में लगता है, सीबीआई माथे की दाग धोने के करीब पहंुच गई है। बताते हैं, सीबीआई को इस मामले के ठोस साक्ष्य मिल गए हैं। और, जल्द ही वह इस जांच को अंजाम तक पहंुचाने जा रही है।
सीबीआई के लिए छत्तीसगढ़ का अनुभव ठीक नहीं रहा है। अभी तक एक भी गुत्थी वह सुलझा नहीं सकी। चाहे वो अटलजी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान ब्लैक सी में अजीत जोगी के खिलाफ सीबीआई में दर्ज मुकदमा हो या जग्गी हत्याकांड। जग्गी हत्याकांड में अमित जोगी को कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया। पत्रकार सुशील पाठक, उमेश राजपूत समेत कुछ मामलों में सीबीआई को निराशा ही हाथ लगी। अलबत्ता, बिलासपुर में सुशील पाठक हत्याकांड की जांच करने आए एक अफसर को रिश्वत लेते सीबीआई ने ही गिरफ्तार किया था। लेकिन, सीडी कांड में लगता है, सीबीआई माथे की दाग धोने के करीब पहंुच गई है। बताते हैं, सीबीआई को इस मामले के ठोस साक्ष्य मिल गए हैं। और, जल्द ही वह इस जांच को अंजाम तक पहंुचाने जा रही है।
छत्तीसगढ़ से राज्यपाल?
यह चर्चा बड़ी तेज है कि विधानसभा चुनाव से पहिले छत्तीसगढ़ के पिछड़ा वर्ग से जुड़े किसी बीजेपी नेता को राज्यपाल बनाया जाएगा। और, आदिवासी नेता को पार्टी में कोई अहम पद से नवाजा जाएगा। इसके पीछे लाॅजिक यह है कि बस्तर और सरगुजा की आदिवासी सीटों पर बीजेपी की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। लिहाजा, आदिवासी नेता को पोस्ट देकर पार्टी विधानसभा चुनाव में इसका लाभ उठाने की कोशिश करेगी। अब देखना है, यह चर्चा किसी अंजाम तक पहंुचती है या सिर्फ चर्चा तक ही सीमित रह जाएगी।
पद बड़ा, वेतन बराबर
ये आईएएस में ही संभव है….पद भले ही चीफ सिकरेट्री का हो मगर वेतन मिलेगा एडिशनल चीफ सिकरेट्री के बराबर। सीएस को सवा दो लाख रुपए सेलरी मिलती है और उतने ही एडिशनल चीफ सिकरेट्री को भी। जबकि, सीएस होता है राज्य का प्रशासनिक मुखिया। और, एसीएस एक विभाग का। दोनों का रैंक भले ही बराबर हो लेकिन पद और पावर में कोई तुलना नहीं। सीएस के पास असीमित पावर होते हैं। यद्यपि, फाॅरेस्ट और पुलिस में ऐसा नहीं है। फाॅरेस्ट में पीसीसीएफ मेन का सम्मान रखा गया है। उन्हें 2 लाख 25 हजार रुपए वेतन मिलते हैं तो अन्य पीसीसीएफ को दो लाख 24 हजार 600। याने चार सौ रुपए का अंतर। ऐसा ही पुलिस में डीजीपी और डीजी का है। आईएएस में ऐसा क्यों हैं, इसकी वजह पेंशन बताई जाती है। जाहिर है, सभी एसीएस चीफ सिकरेट्री नहीं बन पाते। बड़े राज्यों में तो दो-दो दर्जन एसीएस होते हैं, लेकिन सीएस एक। लेकिन, दोनों की सेलरी बराबर होने के कारण पेंशन में बेनिफिट मिल जाता है।
विकास यात्रा के बाद
विकास यात्रा के पहले चरण की समाप्ति के बाद कलेक्टरों की एक छोटी लिस्ट निकलने की अटकलें लगाई जा रही हैं। पिछले बार प्रधानमंत्री के बस्तर विजिट के चलते सरकार ने बस्तर के सात में से एक भी कलेक्टर को टच नहीं किया था। तब सिर्फ सरगुजा, बिलासपुर और दुर्ग संभाग के पांच कलेक्टर बदले थे। अबकी बस्तर, बिलासपुर, सरगुजा और रायपुर संभाग से दो-तीन कलेक्टरों के नम्बर लगने की चर्चा है। हालांकि, इस बार जो लिस्ट निकलेगी, वो प्रशासनिक की बजाए राजनीतिक ज्यादा होगी। क्योंकि, आचार संहिता प्रभावशील होने में अब तीन महीने बच गए हैं।
आईजी की अदला-बदली?
आचार संहिता लगने से पहले रायपुर के आईजी प्रदीप गुप्ता का का चेंज होना निश्चित है। दरअसल, प्रदीप रायपुर के हैं। चुनाव आयोग के क्रायटेरिया के अनुसार एसपी, आईजी जैसे लाॅ एन आर्डर से जुड़े अफसर होम डिस्ट्रिक्ट के नहीं होने चाहिए। जाहिर है, प्रदीप गुप्ता को रायपुर से किसी और रेंज में शिफ्थ करना पड़ेगा। संकेत हैं, उन्हें बिलासपुर का आईजी बनाया जाएगा। रायपुर आने से पहले भी बिलासपुर के लिए उनका नाम चला था। लेकिन, कुछ कारणों से सरकार ने उन्हें रायपुर की कमान सौंप दी थी। बहरहाल, प्रदीप बिलासपुर गए तो वहां से दिपांशु काबरा रायपुर आएंगे। याने दुर्ग आईजी, एसपी की पुरानी जोड़ी चुनाव के समय रायपुर में काम करेगी। दुर्ग में दिपांशु आईजी और अमरेश मिश्र एसपी थे। हालांकि, प्रदीप गुप्ता और बिलासपुर एसपी आरिफ शेख भी दो रेंजों में साथ काम कर चुके हैं। प्रदीप जब दुर्ग आईजी थे तो आरिफ बालोद और प्रदीप के रायपुर आईजी बनने पर आरिफ बलौदा बाजार एसपी रहे। इन दोनों में से किसी एक एसपी को अपने भावी आईजी से काम्फर्टनेस का मामला हो तो हो सकता है, सरगुजा आईजी हिमांशु गुप्ता को किसी रेंज में मौका मिल जाए।
पुरस्कार वाला आईपीएस
2005 बैच के आईपीएस आरिफ शेख को इन दिनांे पुलिस महकमे में पुरस्कार वाला अफसर कहा जाने लगा है। आरिफ जिस जिले में जाते हैं, दो-एक पुरस्कार मिल जाता है। बालोद जैसा जिला, जिसे आईपीएस के लिए शुरूआती पोस्टिंग मानी जाती है, वहां भी कम्यूनिटी पोलिसिंग के जरिये दो इंटरनेशनल पुरस्कार ले आए। बिलासपुर ज्वाईन किए पांच महीने भी नही हुए कि वीमेंस सेफ्टी के लिए फिक्की का अवार्ड मिल गया। इस महीने के लास्ट में उनका दिल्ली में कुछ राज्यों के डीजीपी के समक्ष प्रेजेंटेशन होने वाला है।
अंत में दो सवाल आपसे
1, किस जिले के पुलिस कप्तान को ट्रांसफर कराने के लिए भूमाफिया से लेकर तमाम तरह के धतकरमी वाले लोग थैला लिए घूम रहे हैं?
2. रोहित यादव के बाद डेपुटेशन के लिए अगला नम्बर अब किस आईएएस अफसर का है?
2. रोहित यादव के बाद डेपुटेशन के लिए अगला नम्बर अब किस आईएएस अफसर का है?
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