4 अगस्त 2019
छत्तीसगढ़ से भले ही कोई आईएएस भारत सरकार में अभी तक सिकरेट्री नहीं बन सका है। लेकिन, सुकून की बात ये है कि इस समय दिल्ली में पोस्टेड छत्तीसगढ़ के अधिकांश अफसर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। प्रभावशाली पोस्टिंग में आईपीएस अमित कुमार का नाम सबसे उपर लिया जा सकता है। सीबीआई में वे ज्वाइंट डायरेक्टर पॉलिसी हैं। राज्यों में डीजीपी के बाद जो रुआब इंटेलिजेंस चीफ का होता है, सीबीआई में वही स्थिति ज्वाइंट डायरेक्टर पॉलिसी की होती है…..उन्हें नेक्स्ट टू डायरेक्टर माना जाता है। जेडी पॉलिसी का पीएमओ में दिन में कम-से-कम एक चक्कर जरूर लगता है। हाईप्रोफाइल मामलों में पीएमओ को ब्रीफ करना हो या वहां से इंस्ट्रक्शन….जेडी पॉलिसी की ये ड्यूटी होती है। अमित का क्लीन ट्रेक रिकार्ड देखकर लोग दावा कर रहे हैं, सीबीआई में वे लंबे रेस के घोड़ा बनेंगे। आईएएस में अमित अग्रवाल ज्वाइंट सिकरेट्री फायनेंसियल सर्विसेज हैं। देश के समूचे बैंक इसी विभाग में आते हैं। विकासशील हेल्थ, निधि छिब्बर डिफेंस, रीचा शर्मा फॉरेस्ट एवं एनवायरमेंट में ज्वाइंट सिकरेट्री हैं। उधर, डा0 रोहित यादव डायरेक्टर स्टील बन गए हैं। उनकी पत्नी रीतू सेन डायरेक्टर अरबन हैं। अमित कटारिया भी डायरेक्टर अरबन की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। आईपीएस स्वागत दास, बद्री मीणा और धु्रव गुप्ता आईबी में हैं। आईपीएस राहुल भगत पिछले हफ्ते डायरेक्टर लेबर एवं रोजगार अपाइंट हुए हैं। इसे भी केंद्र की अच्छी पोस्टिंग मानी जाती है। आईपीएस अंकित आनंद एनआईए में और अमित कांबले एसपीजी में हैं। कुल मिलाकर सीबीआई से लेकर फायनेंस सर्विसेज, हेल्थ, डिफेंस, फॉरेस्ट, स्टील, लेबर, रोजगार, अरबन एडमिनिस्ट्रेशन जैसे विभागों में छत्तीसगढ़ के नौकरशाह बैठ गए हैं। वो भी इस समय, जब भारत सरकार में पोस्टिंग पाना कठिनतम कार्य हो गया है। चलिये, अपने अफसर दिल्ली में अच्छी जगहों पर बैठ गए हैं, तो निश्चित तौर पर सूबे को इसका लाभ ही मिलेगा।
छत्तीसगढ़ से भले ही कोई आईएएस भारत सरकार में अभी तक सिकरेट्री नहीं बन सका है। लेकिन, सुकून की बात ये है कि इस समय दिल्ली में पोस्टेड छत्तीसगढ़ के अधिकांश अफसर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। प्रभावशाली पोस्टिंग में आईपीएस अमित कुमार का नाम सबसे उपर लिया जा सकता है। सीबीआई में वे ज्वाइंट डायरेक्टर पॉलिसी हैं। राज्यों में डीजीपी के बाद जो रुआब इंटेलिजेंस चीफ का होता है, सीबीआई में वही स्थिति ज्वाइंट डायरेक्टर पॉलिसी की होती है…..उन्हें नेक्स्ट टू डायरेक्टर माना जाता है। जेडी पॉलिसी का पीएमओ में दिन में कम-से-कम एक चक्कर जरूर लगता है। हाईप्रोफाइल मामलों में पीएमओ को ब्रीफ करना हो या वहां से इंस्ट्रक्शन….जेडी पॉलिसी की ये ड्यूटी होती है। अमित का क्लीन ट्रेक रिकार्ड देखकर लोग दावा कर रहे हैं, सीबीआई में वे लंबे रेस के घोड़ा बनेंगे। आईएएस में अमित अग्रवाल ज्वाइंट सिकरेट्री फायनेंसियल सर्विसेज हैं। देश के समूचे बैंक इसी विभाग में आते हैं। विकासशील हेल्थ, निधि छिब्बर डिफेंस, रीचा शर्मा फॉरेस्ट एवं एनवायरमेंट में ज्वाइंट सिकरेट्री हैं। उधर, डा0 रोहित यादव डायरेक्टर स्टील बन गए हैं। उनकी पत्नी रीतू सेन डायरेक्टर अरबन हैं। अमित कटारिया भी डायरेक्टर अरबन की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। आईपीएस स्वागत दास, बद्री मीणा और धु्रव गुप्ता आईबी में हैं। आईपीएस राहुल भगत पिछले हफ्ते डायरेक्टर लेबर एवं रोजगार अपाइंट हुए हैं। इसे भी केंद्र की अच्छी पोस्टिंग मानी जाती है। आईपीएस अंकित आनंद एनआईए में और अमित कांबले एसपीजी में हैं। कुल मिलाकर सीबीआई से लेकर फायनेंस सर्विसेज, हेल्थ, डिफेंस, फॉरेस्ट, स्टील, लेबर, रोजगार, अरबन एडमिनिस्ट्रेशन जैसे विभागों में छत्तीसगढ़ के नौकरशाह बैठ गए हैं। वो भी इस समय, जब भारत सरकार में पोस्टिंग पाना कठिनतम कार्य हो गया है। चलिये, अपने अफसर दिल्ली में अच्छी जगहों पर बैठ गए हैं, तो निश्चित तौर पर सूबे को इसका लाभ ही मिलेगा।
सोनमणि पर निगाहें
सिकरेट्री रैंक के आईएएस सोनमणि बोरा एक साल के स्टडी लीव से छत्तीसगढ़ लौट आए हैं। संकेत हैं, 5 अगस्त को वे मंत्रालय में ज्वाईनिंग देंगे। सोनमणि के यूएस जाने से पहिले उनके पास इरीगेशन का चार्ज था। स्टडी लीव से लौटने पर अब सरकार उन्हें अब कौन सा विभाग देती है, इस पर ब्यूरोक्रेसी में सबकी नजर है। मंत्रालय में लगभग सभी सचिवों के पास दो-से-तीन विभागों के चार्ज हैं। इनमें से किसी से भी एक लेकर सोनमणि को दिया जा सकता है। लेकिन, यक्ष प्रश्न यही है कि मिलेगा क्या। वैसे, मुकेश बंसल भी पिछले महीने स्टडी लीव से लौटे थे। उन्हें पहली लिस्ट में संतोषजनक दायित्व नहीं मिला था। लेकिन, पखवाड़े भर में ही उनका सब ठीक हो गया। वैसे, सोनमणि के लिए परिस्थितियां ज्यादा अनुकूल है। वे करीब दो साल कांग्रेस गवनर्मेंट में काम किए हैं। सो, कांग्रेस सरकार की वर्किंग और टेस्ट से वाकिफ हैं। फिर, पिछली सरकार की दो पारियों में जरूर वे अच्छी स्थिति में रहे। लेकिन, लास्ट इनिंग का पांच साल उनका बहुत बढियां नहीं कहा जा सकता। आखिरी समय में उन्हें इरीगेशन जरूर मिल गया था लेकिन, स्थिति ये थी कि स्टडी लीव की अनुमति के लिए भी उन्हें काफी पापड़ बेलने पड़े थे। बहरहाल, अब देखना है नई सरकार उनके बारे में क्या नजरिया रखती है।
रिटायरमेंट एज 62?
इन दिनों ऑल इंडिया सर्विस की नौकरियों में रिटायरमेंट एज 60 से बढ़ाकर 62 बरस करने की बड़ी चर्चा है। दिल्ली में तो हर तीसरा अफसर आपको इसी बारे में बात करता मिलेगा। दरअसल, भारत सरकार में एक वर्ग चाहता है कि पुराने अफसरों के तजुर्बे के लाभ लेने के लिए रिटायरमेंट एज दो साल बढ़ा देना चाहिए। लेकिन, इसका विरोध करने वालों की भी कमी नहीं है। रिटायरमेंट एज अगर बढ़ गया तो छत्तीसगढ़ में चीफ सिकरेट्री के लिए छिड़ा द्वंद्व दो साल के लिए खतम हो जाएगा। सीएस सुनील कुजूर का अक्टूबर में रिटायरमेंट है। उनके बाद सीके खेतान, आरपी मंडल और बीवीआर सुब्रमण्यिम ब्यूरोक्रेसी के इस शीर्ष पद के दावेदार हैं। लेकिन, दो साल बढ़ने पर कुजूर अक्टूबर 2021 में सेवानिवृत्त होंगे। वहीं, आरपी मंडल नवंबर 2022 और सीके खेतान जुलाई 2023 में। मगर सबसे बड़ा सवाल है कि पहले हो तो जाए। क्योंकि, दो साल पहिले भी एक बार इस पर बात उठ चुकी है। लेकिन, तब पीएम मोदी ने इसे खारिज कर दिया था।
ऑपरेशन गणेश शंकर
सहकारी निवार्चन आयुक्त गणेश शंकर मिश्रा ने हटाए जाने के बाद दोनों सरकारों का शुक्रिया अदा किया। कमिश्नर बनाने वाली बीजेपी सरकार को और हटाने वाली कांग्रेस को भी। नई सरकार का आभार तो उनका बनता भी है। विपरीत ध्रुव के होने के बाद भी सरकार ने उनको सात महीने कुर्सी पर रहने का मौका दिया। वरना, उनके सरकार से जिस तरह के रिश्ते थे, बहुत पहले हट गए होते। बहरहाल, उन्हें हटाने में सरकार को भी काफी मशक्कत करनी पड़ी। पहले पांच साल कार्यकाल को कम करके दो साल किया गया। मगर इस दायरे में भी जीएस नहीं आ रहे थे। अभी तो उनका एक साल भी नहीं हुआ है। फिर, सहकारिता अधिनियम में बदलाव करके लिखा गया सरकार चाहे तब तक इस पोस्ट पर काम करने का अवसर मिलेगा। अफसरों ने बड़ी चतुराई के साथ इस आपरेशन गणेश शंकर को अंजाम तक पहुंचाया। राजपत्र की सिर्फ एक प्रति प्रकाशित कराई गई। सहकारिता विभाग के कई अफसरों को भी नहीं मालूम था कि नियमों में इस तरह संशोधन किया जा रहा है। वरना, मिश्राजी हाईकोर्ट पहुंच जाते तो पूरा खेल खराब हो जाता। बहरहाल, मिश्राजी भी अश्वस्त थे कि पांच साल का कार्यकाल है, किसी तरह निकल ही जाएगा। जब हटाने का आदेश वायरल हुआ तब लोगों को वस्तुस्थिति का पता चला। ये अलग बात है कि मिश्राजी ने नई सरकार को धन्यवाद देकर अपनी प्रतिष्ठा बढ़ा ली, वरना……।
और भी मिश्राजी
ऑपरेशन गणेश शंकर के बाद पिछली सरकार में पोस्टिंग पाए रिटायर नौकरशाहों की रात की नींद उड़ गई है। रमन सरकार ने आधा दर्जन से अधिक नौकरशाहों को पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग दी थी। सबलोग इसी मंशा से जय-जुगाड़ करके पोस्टिंग ले ली थी कि पांच साल के लिए कुर्सी सुरक्षित हो गई। लेकिन, अब उनकी कुर्सी हिलती प्रतीत हो रही है। हालांकि, खुद को ढ़ाढ़स बंघाने के लिए ये जरूर है कि फलां संवैधानिक पोस्ट है….फलां नियमों के तहत बना है। मगर सरकार, सरकार होती है। कहीं भी पेंच फंसाकर उन्हें नमस्ते किया जा सकता है। सर्विस के दौरान की फाइल खोलकर पुलिस कार्रवाई करने के अधिकार भी सरकार को होते हैं। आखिर, ईओडब्लू ने बिल्डर के यहां छापा तो मारा ही। सो, उनका डरना लाजिमी है।
एक खर्चे मे दो फेयरवेल
आईपीएस एसोसियेशन ने 2 अगस्त की शाम राजधानी के पुलिस आफिसर मेस में रिटायर डीजी गिरधारी नायक को फेयरवेल दिया। नायक 30 जून को रिटायर हुए थे। याने नायक को फेयरवेल के इंतजार में 33 दिन निकल गए। तभी तो आफिसर मेस में लोग चुटकी ले रहे थे, थोड़े दिन और रुक जाते तो एक ही खर्चे में दो फेयरवेल निबट जाता। इस महीने 30 को पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन के प्रमुख एएन उपध्याय भी रिटायर होने वाले हैं। नायक के साथ उपध्याय का भी फेयरवेल हो जाता। बात सही भी है। पुलिस अधिकारियों का टाईम भी बचता। बहरहाल, अब देखना है 26 दिन बाद रिटायर होने वाले एएन उपध्याय की विदाई पुलिस महकमा कितने दिन बाद देता है।
कलेक्टर की छत्तीसगढ़ी
कुछ दिन पहिले एक खबर आई थी, दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव लोगों के नजदीक जाने के लिए गोंडी सीख रहे हैं। लेकिन, हरेली पर छत्तीसगढ़ में भाषण देकर मुंगेली कलेक्टर डा0 सर्वेश भूरे दो कदम आगे निकल गए। मुंगेली के मुख्य समारोह में जब उन्होंने छत्तीसगढी में बोलना शुरू किया तो लोग हैरान रह गए। याद होगा, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एकाधिक मौके पर कह चुके हैं, अफसरों को लोकल लैंग्वेज सीखना चाहिए। चलिये, सर्वेश का नम्बर बढ़ गया। सर्वेश खांटी मराठी हैं। उन्होंने मुंगेली जाकर छत्तीसगढ़ी सीख ली। हालांकि, सरकार ने उनको मौका भी भरपूर दिया है। काबिल अफसर को दो ब्लॉक वाले जिला में भेज दिया है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. पाटन से अंबिकापुर जिला मुख्यालय की दूरी कितनी होगी?
2. निगम, मंडलों के दावेदारों से सीएम नाराज क्यों हुए?
2. निगम, मंडलों के दावेदारों से सीएम नाराज क्यों हुए?
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