8 दिसंबर 2019
नौकरशाहों के लिए सबसे प्रिय कोई चीज होती है तो वह है गाड़ी और बंगला। अफसर बिरादरी में इसी से उनकी हैसियत आंकी जाती है। उनके बंगले में कम-से-कम तीन गाड़ियां तो खड़ी होनी ही चाहिए। लेकिन, छत्तीसगढ़ में पता नहीं अफसरों को किसकी नजर लग गई, पहले पीली बत्ती उतर गई। और अब चीफ सिकरेट्री ने ऐसा कर दिया है कि सरकारी गाड़ियों का मोह छोड़ कलेक्टरों, निगम कमिश्नरों को अब मोटरसायकिलों पर घूमना पड़ रहा है। उनमें भी नम्बर बढ़ाने के लिए स्कूटर में बैठे फोटो वायरल करने की मजबूरी। सुबह की ठंड में टू व्हीलर वाली फोटो शेयर करने वाले अफसरों का दर्द आप समझ सकते हैं।
नौकरशाहों के लिए सबसे प्रिय कोई चीज होती है तो वह है गाड़ी और बंगला। अफसर बिरादरी में इसी से उनकी हैसियत आंकी जाती है। उनके बंगले में कम-से-कम तीन गाड़ियां तो खड़ी होनी ही चाहिए। लेकिन, छत्तीसगढ़ में पता नहीं अफसरों को किसकी नजर लग गई, पहले पीली बत्ती उतर गई। और अब चीफ सिकरेट्री ने ऐसा कर दिया है कि सरकारी गाड़ियों का मोह छोड़ कलेक्टरों, निगम कमिश्नरों को अब मोटरसायकिलों पर घूमना पड़ रहा है। उनमें भी नम्बर बढ़ाने के लिए स्कूटर में बैठे फोटो वायरल करने की मजबूरी। सुबह की ठंड में टू व्हीलर वाली फोटो शेयर करने वाले अफसरों का दर्द आप समझ सकते हैं।
आईपीएस में उलटफेर
पुलिस मुख्यालय में सरकार जल्द ही बड़ी उलटफेर कर सकती है। संकेत हैं, डीजी के लिए होने जा रही डीपीसी के बाद सरकार अहम आदेश निकालेगी। इसमें पीएचक्यू समेत जेल, होमगार्ड, नक्सल आपरेशन, लोक अभियोजन, सबमें बदलाव किया जा सकता है। नए फेरबदल में आईपीएस अशोक जुनेजा को अहम पोस्टिंग मिल सकती है तो एडीजी पवनदेव को पीएचक्यू में और जिम्मेदारी मिलेगी। अशोक जुनेजा रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर तीनों बड़े जिलों के एसपी रह चुके हैं। बिलासपुर और दुर्ग के आईजी भी। ट्रांसपोर्ट में भी रहे हैं और युवा और खेल में भी। मंत्रालय में सिकरेट्री होम भी। पीएचक्यू में प्रशासन और छत्तीसगढ़ आर्म्स फोर्स, पुलिस ट्रेनिंग, पुलिस भरती अभी हैं ही। याने पूरा तजुर्बा है उनके पास। नए फेरबदल में एसआरपी कल्लूरी को भी कोई विभाग दिया जाएगा। ट्रांसपोर्ट से हटने के बाद कल्लूरी के पास अभी कोई विभाग नहीं है।
डीजी के लिए डीपीसी
संजय पिल्ले और आरके विज को एडीजी से डीजी बनाने राज्य सरकार ने भारत सरकार को लेटर लिखा था, उसका अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। और, महीना भर हो भी गया है। नियम यह है कि भारत सरकार महीने भर के भीतर कोई आपत्ति नहीं करती या कोई रिप्लाई नहीं आता तो राज्य सरकार प्रमोशन कर सकती है। हाल ही में 2004 बैच के आईएएस को सिकरेट्री बनाया गया, उसमें भी ऐसा ही हुआ। आदेश के नीचे में जीएडी ने इसका हवाला देते हुए बताया था कि भारत सरकार को एक महीने पहले अनुमति के लिए पत्र भेजा गया और एक महीने की अवधि पूरी हो गई, इसलिए प्रमोशन किया जाता है। ऐसे में, पिल्ले और विज की किसी भी दिन डीपीसी हो सकती है। साथ में, एडीजी अशोक जुनेजा की भी डीपीसी होने की खबर है। क्योंकि, डीजी जेल बीके सिंह के रिटायर होने के बाद डीजी के तीन पद खाली हो गए हैं। और, मुकेश गुप्ता सस्पेंड हैं, लिहाजा उनका प्रमोशन अब हो नहीं सकता। मुकेश के बाद सीनियरिटी में जुनेजा आते हैं। और, जनवरी 2019 से उनका प्रमोशन ड्यू भी हो गया है।
मंत्रालय में भी चेंज
हालांकि, 31 अक्टूबर को नए चीफ सिकरेट्री की पोस्टिंग के साथ ही कुछ सचिवों के प्रभार में बदलाव किया गया था। बावजूद इसके संकेत मिल रहे हैं, मंत्रालय में सिकरेट्री की एक और लिस्ट निकल सकती है। इसमें कुछ अहम विभागों के सचिवों को इधर-से-उधर किया जाएगा। प्रिंसिपल सिकरेट्री होम एंड जेल सुब्रत साहू को एकाध विभाग और मिल सकता है।
कलेक्टरों की बढ़ी धड़कनें
धान खरीदी प्रारंभ होने के बाद सूबे के सीमाई जिलों के कलेक्टरों की धड़कनें तेज हो गई है….पता नहीं किस दिन आर्डर निकल जाए। दरअसल, सरकार की नोटिस में है कि हर साल छत्तीसगढ़ में लगभग पांच लाख मीट्रिक टन अवैध धान दूसरे प्रदेशों से आता है। लगभग 12 सौ करोड़ का। इस साल बिचौलियों के लिए तो लाटरी निकलने जैसा था…भूपेश बघेल सरकार 25 सौ में धान खरीद रही है। लिहाजा, अवैध धान को नहीं रोका गया तो सरकारी खजाने पर चपत बैठनी तय है। इसे रोकना सरकार के लिए चुनौती से कम नहीं है। चीफ सिकरेट्री आरपी मंडल ने इसके लिए कलेक्टर, एसपी का अलग से व्हाट्सएप ग्रुप बना दिया है। वे सुबह से पूछना चालू कर देते हैं, किसने, कितना धान पकड़ा। इसके बाद फूड सिकरेट्री कमलप्रीत और मार्कफेड एमडी शम्मी आबिदी का दिन भर कलेक्टरों को फोन। हालांकि, कलेक्टरों ने अभी तक पिछले साल की तुलना में सिर्फ सात दिन में चार गुना अधिक अवैध धान पकड़ लिया है। फिर भी, कोरिया, बलरामपुर, धमतरी, राजनांदगांव, कवर्धा, गरियाबंद समेत दस सीमाई जिलों के कलेक्टरों के लिए मुसीबत तो है, पता नहीं कब क्या हो जाए।
खेतान, सुब्रत भी लपेटे में
आईएएस अफसर विधानसभा में सवाल उठाने को लेकर भले ही भड़के हुए हों लेकिन, क्लास ये भी है कि सवाल के जवाब तैयार करने के तरीके से आईएएस एसोसियेशन के प्रेसिडेंट सीके खेतान और पीए होम सुब्रत साहू भी लपेटे में आ गए हैं। मंत्रालय से विधानसभा को भेजे गए जवाब में खेतान को तीन देश और सुब्रत को दो देशों की निजी यात्रा की जानकारी दी गई। जबकि, खेतान का दो दौरा टोटली सरकारी था। एक तो ऑस्ट्रेलिया में वे नरवा, गरवा पर उन्होंने भाषण दिया था। और, दूसरा आक्सफोर्ड में दो हफ्ते का स्टडी टूर। उन्होंने दो-दो दिन की अतिरिक्त छुट्टी ले ली और उन्हीं के बिरादरी वाले अफसरों ने उसे प्रायवेट यात्रा करार देकर विधानसभा को जानकारी भेज दी। ऐसा ही कुछ सुब्रत साहू के साथ हुआ। ऐसे में, आईएएस लॉबी का जज्बाती होकर न्याय की बात करना, कितना लाजिमी है। आईएएस लॉबी का कहना है, निजी यात्राओं के लिए अनुमति लेना आवश्यक नहीं है। तो उनसे पूछना चाहिए…फिर खेतान और सुब्रत के सरकारी दौरे को निजी क्यों बता डाले।
रियल इस्टेट को राहत
रियल इस्टेट को भूपेश बघेल सरकार बड़ी राहत देने जा रही है। अभी तक रियल इस्टेट के लिए कोई विभाग नहीं था। कुछ काम टाउन एंड कंट्री में होता था, तो कुछ नगर निगम से। कलेक्टरों को भी बिल्डरों को परिक्रमा लगानी पड़ती थी। अब रियल इस्टेट के लिए आवास पर्यावरण को नोडल विभाग बना दिया है। उनके कामों के लिए सिंगल विंडों सिस्टम प्रारंभ किया जा रहा है। पहले बिल्डरों को प्रोजेक्ट की सरकारी प्रक्रिया पूरी करने में दो साल तक लग जाते थे। बिल्डरों ने सीएम को बताया था कि इसके चलते प्रोजेक्ट की लागत बढ़ जाती है। सीएम ने इसके बाद अफसरों को निर्देश दिए कि ऐसी व्यवस्था बनाएं कि दो महीने में बिल्डरों का काम निबट जाए। इसी तरह उद्योगों के लिए भी सिंगल विंडो सिस्टम प्रारंभ किया जा रहा। अभी तक सिंगल विंडो तो था मगर सिर्फ नाम के लिए। अब इसे धरातल पर उतारा जा रहा है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. विदेश यात्राओं पर भड़कने वाली आईएएस लॉबी पिछली सरकार में जब आईएएस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई हुई तो चुप्पी क्यों साधे रही?
2. दूसरा सवाल,,,,
2. संजय पिल्ले को एडीजी जेल बनाने के बाद एडीजी आरके विज को भी क्या किसी दूसरी जगह शिफ्ट किया जायेगा?
2. दूसरा सवाल,,,,
2. संजय पिल्ले को एडीजी जेल बनाने के बाद एडीजी आरके विज को भी क्या किसी दूसरी जगह शिफ्ट किया जायेगा?
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