5 जनवरी 2020
आदिवासी नृत्य महोत्सव के बारे में सरकार ने जितना सोचा नहीं था, उससे अधिक वह सफल हो गया। छह देश…25 राज्य….1800 कलाकार….और, उनकी अद्भूत प्रस्तुति। तीन दिन का आयोजन बिना किसी बाधा, विवाद के निबट गया। उपर से राहुल गांधी इसी एक कार्यक्रम के लिए दिल्ली से रायपुर आए। ऐसे में, सीएम भूपेश बघेल की प्रसन्नता समझी जा सकती है। उन्होंने समापन समारोह के अगले दिन आयोजन को सफल बनाने वालों के लिए हाउस में हाई टी रखा। इसमें चीफ सिकरेट्री, पीसीसीएफ, सिकरेट्री कल्चर से लेकर डीएसपी, नायब तहसीलदार तक को बुलाया गया। मुख्यमंत्री सभी से एक-एक कर मिले…उनसे बात की….पीठ थपथपायी। ये अलग बात है कि महोत्सव की तैयारियों पर सीएम खुद भी नजर रखे रहे। कई मर्तबा साइंस कालेज ग्राउंड गए। फेस्टिवल में भी तीनों दिन पहुंचे। कार्यक्रम ग्रेंड सक्सेस होने का यह भी एक कारण था….सीएम को जब इतना चाव रहेगा तो अफसर चौकस रहेंगे ही। बहरहाल, टीम मोटिवेशन के लिए सीएम की हाई टी को सबने एप्रेसियेट किया। क्योंकि, बड़े आयोजन का क्रेडिट आमतौर पर बड़े अफसर बटोर ले जाते हैं। नीचे वालों को आखिर कोई कहां पूछता है।
आदिवासी नृत्य महोत्सव के बारे में सरकार ने जितना सोचा नहीं था, उससे अधिक वह सफल हो गया। छह देश…25 राज्य….1800 कलाकार….और, उनकी अद्भूत प्रस्तुति। तीन दिन का आयोजन बिना किसी बाधा, विवाद के निबट गया। उपर से राहुल गांधी इसी एक कार्यक्रम के लिए दिल्ली से रायपुर आए। ऐसे में, सीएम भूपेश बघेल की प्रसन्नता समझी जा सकती है। उन्होंने समापन समारोह के अगले दिन आयोजन को सफल बनाने वालों के लिए हाउस में हाई टी रखा। इसमें चीफ सिकरेट्री, पीसीसीएफ, सिकरेट्री कल्चर से लेकर डीएसपी, नायब तहसीलदार तक को बुलाया गया। मुख्यमंत्री सभी से एक-एक कर मिले…उनसे बात की….पीठ थपथपायी। ये अलग बात है कि महोत्सव की तैयारियों पर सीएम खुद भी नजर रखे रहे। कई मर्तबा साइंस कालेज ग्राउंड गए। फेस्टिवल में भी तीनों दिन पहुंचे। कार्यक्रम ग्रेंड सक्सेस होने का यह भी एक कारण था….सीएम को जब इतना चाव रहेगा तो अफसर चौकस रहेंगे ही। बहरहाल, टीम मोटिवेशन के लिए सीएम की हाई टी को सबने एप्रेसियेट किया। क्योंकि, बड़े आयोजन का क्रेडिट आमतौर पर बड़े अफसर बटोर ले जाते हैं। नीचे वालों को आखिर कोई कहां पूछता है।
सीएस की नो टी
मंत्रालय में कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजरता जब चीफ सिकरेट्री की मिनिमम चार-पांच बैठकें नहीं होतीं। इन बैठकों में चाय-बिस्किट भी सर्व होती थी। सीएस का चूकि अपना पेंट्री कार है, इसलिए इसमें कोई दिक्कत नहीं थी….अफसरों को भाप निकलती चाय मिल जाती थी। मगर जब से आरपी मंडल मुख्य सचिव बने हैं, मीटिंगों से चाय-बिस्किट गायब हो गई है। सीएस ने दो टूक कह दिया है, नो टी…मीटिंग मतलब सिर्फ मीटिंग।
ईश्वरीय चमत्कार या….
वायु को शुद्ध रखने वाले मलाईदार विभाग के रीजनल अफसर का सरकार ने रायपुर से रायगढ़ ट्रांसफर किया था और रायगढ़ वाले का रायपुर। रायपुर वाले अफसर का रिटायरमेंट में तीन महीने से कम समय बचा था, इसका हवाला देकर वे रायगढ़ गए नहीं और रायगढ़ वाले रिलीव होकर रायपुर आ गए। रायगढ़ वाले अफसर वहां से रिलीव हो गए थे इसलिए फिर से उनकी पोस्टिंग हो नहीं सकती थी और सरकार के आदेश के बाद भी रायपुर वाले हटने के लिए तैयार नहीं हुए। लिहाजा, रायगढ़ से आए अफसर पेंडुलम बनकर मुख्यालय में अटैच हो गए। अब इसमें क्लास यह हुआ कि जिस अफसर को रायपुर से रायगढ़ भेजा जा रहा था और उसने सरकार के आदेश को मानने से इंकार कर दिया, उसे रिटायरमेंट के रोज 31 दिसंबर को उसी पद पर संविदा पोस्टिंग दे दी गई। जाहिर है, कोई नाराजगी होगी तभी रिटायरमेंट के समय उनका ट्रांसफर किया गया। लेकिन, उपर से कुछ ऐसा प्रेशर बना कि शाम को पांच बजे के बाद मंत्रालय खोलकर अफसर का संविदा आर्डर निकाला गया। अफसर के बारे में बताया जाता है, ईश्वर में उनकी अगाध आस्था है….आफिस के आधे हिस्सों को मंदिर में कंवर्ट कर दिया है…नारियल, फूल, अगरबत्ती से लेकर पूजन की हर सामग्री मिल जाएगी। एक बात और….अफसर में मैनेजमेंट की अद्भूत कला है। उस आफिस में आरटीआई लगाने वालों के घर मिठाई का डिब्बा पहुंच जाता है। ऐसे में, अफसर की संविदा पोस्टिंग के पीछे ईश्वरीय चमत्कार है या मैनेजमेंट का कौशल, यह रहस्य बना हुआ है।
सीएस का नया बंगला
चीफ सिकरेट्री की गरिमा के अनुरुप 2011 में शंकर नगर में एक बंगला इयरमार्क किया गया था। लेकिन, विडंबना यह कि उसमें सिर्फ चार मुख्य सचिवों को ही रहने का मौका मिल पाया। पी जाय उम्मेन, सुनिल कुमार, विवेक ढांड और अजय सिंह। नई सरकार ने इस बंगले को आईएएस पुल से लेकर मंत्री जय सिंह अग्रवाल को अलॉट कर दिया। राजधानी में सीएस का बंगला न होने की दिक्कत आरपी मंडल को हो रही है। देवेंद्र नगर में उनका उस समय का बंगला है, जब 2003 में वे बिलासपुर कलेक्टर से सिकरेट्री बनकर रायपुर आए थे। सी टाईप बंगले में इतनी जगह नहीं होती कि उसमें आफिस और निवास बनाया जा सकें। या कोई मिलने आए तो उसे प्रॉपर बिठाया जाए। इसको देखते सीएस अब बंगला बदल रहे हैं। वे नया रायपुर जा रहे हैं। पीएचक्यू के पीछे सेक्टर 17 में सीएस बंगला तैयार किया जा रहा है। बहुत जल्द वे वहां शिफ्थ हो जाएंगे। सीएस इसके जरिये एक मैसेज भी देना चाहते हैं, बाकी अफसरों को…वे भी नया रायपुर शिफ्थ हों। अभी तक इसको लेकर बातें होती है कि नया रायपुर को बसाना है तो मंत्रियों और अफसरों को वहां रहना चाहिए। अफसरों में अभी सिकरेट्री रीना बाबा कंगाले, डीआईजी संजीव शुक्ला और ईओडब्लू एसपी सदानंद नया रायपुर में रहते है। सीएस लेवल का अफसर पहली बार नया रायपुर जा रहा है।
अहम पोस्टिंग
दिल्ली डेपुटेशन पर पोस्टेड छत्तीसगढ़ की 2003 बैच की आईएएस रीतु सेन इस समय सबसे महत्वपूर्ण पोस्टिंग होल्ड कर रही हैं। वे शहरी आवास विभाग की डायरेक्टर हैं। अभी वे आवास शाखा देख रही हैं। दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों से लेकर सांसदों, नौकरशाहों को अगर घर चाहिए तो उनकी फाइल रीतु के टेबल पर जाएगी ही। दिल्ली में सरकारी मकानों की वैसे भी भारी मारामारी रहती है। ऐसे में, उनकी पोस्टिंग का मतलब आप समझ सकते हैं। इस पद पर बैठने वाले अफसरों का नेटवर्क बेहद मजबूत हो जाता है। क्योंकि, घर सबको चाहिए, चाहे वो रुलिंग पार्टी के हां या विरोधी पार्टी के। रीतु छत्तीसगढ़ में सरगुजा कलेक्टर रहने के दौरान कई महत्वपूर्ण काम की थी। खासकर स्वच्छता के क्षेत्र में।
बीजेपी में उलटफेर
भाजपा संगठन में जल्द ही बड़ा फेरबदल होगा। प्रदेश भापजा का निजाम बदलेगा, तो संगठन मंत्री के पद पर पवन साय की जगह कोई नया चेहरा आ सकता है। भाजपा के भीतर वैसे पूर्व मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह के केंद्र में जाने की अटकलें भी चल रही है। बहरहाल, नए अध्यक्ष के लिए वैसे तो दो-तीन नाम प्रमुख हैं। लेकिन, सबसे प्रबल दावेदारी दुर्ग सांसद विजय बघेल की बताई जा रही है। वे पौने चार लाख से लोकसभा चुनाव जीते हैं और ओबीसी भी हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रिश्ते में भी लगते हैं। इसलिए, कई नेता विजय को पार्टी के लिए मुफीद मान रही है। लेकिन, विजय की ताजपोशी इतना आसान नहीं होगा। भाजपा के भीतर ही उनके नाम पर विरोध करने वालों की कमी नहीं है।
न्यू ईयर पोस्टिंग
पुलिस मुख्यालय में पोस्टेड एडीजी एसआरपी कल्लूरी और आईजी दीपांशु काबरा के पास अभी कोई काम नहीं है। सरकार ने दीपांशु को रायपुर रेंज आईजी से हटाकर पीएचक्यू भेजा था। और, कल्लूरी को ट्रांसपोर्ट से शिफ्ट तो किया मगर कोई जिम्मेदारी नहीं दी है। जाहिर है, कल्लूरी और दीपांशु को नए साल से बड़ी उम्मीदें होंगी….शायद कोई विभाग मिल जाए। अंदर की खबर है, दोनों के लिए नया साल गुड हो सकता है। जल्द ही एडीजी से डीजी प्रमोशन के लिए डीपीसी होने वाली है। इसमें पीएचक्यू में अहम सर्जरी होगी। इसमें कल्लूरी और दीपांशु दोनों को पोस्टिंग मिल सकती है।
पोस्टिंग का वेट
मंत्रालय में सचिव लेवल पर संभावित उलटफेर को लेकर अफसरों की उत्सुकता बढ़ती जा रही है। सबकी एक ही जिज्ञासा है, सरकार के एक बरस पूरे होने के बाद होने वाले फेरबदल में किसे क्या मिलेगा। चर्चा है कि कुछ दिनों में जिन अफसरों ने बढ़ियां प्रदर्शन किया है, उन्हें सरकार ठीक-ठाक पोस्ट देगी। हो सकता है, सीएम सचिवालय में भी एक आईएएस पोस्ट किया जाए। सीएम के सचिवालय में अफसरों की कमी तो है। डा0 आलोक शुक्ला और प्रसन्ना आर को भी नई जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद है। सिद्धार्थ परदेशी के परफारमेंस से सीएम बेहद खुश हैं। हो सकता है, सिद्धार्थ के लिए भी कुछ नया हो जाए।
अंत में दो सवाल आपसे
1. एसपी बनने के लिए इन दिनों आईपीएस किस सीनियर पुलिस अधिकारी की परिक्रमा कर रहे हैं?
2. वन विभाग रेंजर से प्रमोट होकर एसीएफ बनें अफसरों को डीएफओ क्यों बना रहा है?
2. वन विभाग रेंजर से प्रमोट होकर एसीएफ बनें अफसरों को डीएफओ क्यों बना रहा है?
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