तरकश, 19 जुलाई 2020
संजय के दीक्षित
संसदीय सचिवों को मंत्रियों के साथ अटैच करने में सरकार ने जोड़ी खूब बनाई है। महिला बाल विकास और समाज कल्याण मंत्री अनिला भेड़िया के साथ रश्मि सिंह को संबद्ध किया गया है। रश्मि छात्र नेत्री रही हैं…छात्र नेताओं का जब जलजला होता था, उस दौरान वे बिलासपुर जीडीसी की प्रेसिडेंट रहीं। उनके हसबैंड आशीष सिंह बिलासपुर युनिवर्सिटी के फस्र्ट प्रेसिडेंट। पिता भी विधायक और ससुर भी विधायक रहे। कठिन हालात में भी तखतपुर सीट निकाल लीं। ऐसे में, भेड़िया के साथ सिंह को अटैच करने पर सियासी गलियारों में लोग चुटकी तो लेंगे ही। इसी तरह विकास उपाध्याय गृह और पीडब्लूडी मिनिस्टर ताम्रध्वज साहू के साथ अटैच किए गए हैं। विकास बिना किसी पद के झंका-मंका बनाने में माहिर माने जाते हैं, अब तो उनके पास गृह और पीडब्लूडी का लेवल होगा। सरकार ने बीजेपी के बड़े नेता गौरीशंकर अग्रवाल को हराने वाली शकुंतला साहू को भी मौका दिया। उन्हें रविंद्र चैबे के साथ संबद्ध किया गया है। ठीक भी है। चैबेजी अदब वाले कूल नेता हैं। शकुंतला ने हाल में किसी आईपीएस अफसर को चमका डाली थी। अब बैलेंस हो जाएगा।
संजय के दीक्षित
संसदीय सचिवों को मंत्रियों के साथ अटैच करने में सरकार ने जोड़ी खूब बनाई है। महिला बाल विकास और समाज कल्याण मंत्री अनिला भेड़िया के साथ रश्मि सिंह को संबद्ध किया गया है। रश्मि छात्र नेत्री रही हैं…छात्र नेताओं का जब जलजला होता था, उस दौरान वे बिलासपुर जीडीसी की प्रेसिडेंट रहीं। उनके हसबैंड आशीष सिंह बिलासपुर युनिवर्सिटी के फस्र्ट प्रेसिडेंट। पिता भी विधायक और ससुर भी विधायक रहे। कठिन हालात में भी तखतपुर सीट निकाल लीं। ऐसे में, भेड़िया के साथ सिंह को अटैच करने पर सियासी गलियारों में लोग चुटकी तो लेंगे ही। इसी तरह विकास उपाध्याय गृह और पीडब्लूडी मिनिस्टर ताम्रध्वज साहू के साथ अटैच किए गए हैं। विकास बिना किसी पद के झंका-मंका बनाने में माहिर माने जाते हैं, अब तो उनके पास गृह और पीडब्लूडी का लेवल होगा। सरकार ने बीजेपी के बड़े नेता गौरीशंकर अग्रवाल को हराने वाली शकुंतला साहू को भी मौका दिया। उन्हें रविंद्र चैबे के साथ संबद्ध किया गया है। ठीक भी है। चैबेजी अदब वाले कूल नेता हैं। शकुंतला ने हाल में किसी आईपीएस अफसर को चमका डाली थी। अब बैलेंस हो जाएगा।
जल्द ही दूसरी लिस्ट
निगम-मंडलों की पहली सूची जारी हो गई। जिन्हें पोस्ट मिल गया, वे खुश हैं और जिन्हें नहीं मिला वे मायूस। लेकिन, निराश होने की जरूरत नहीं। अब भी कई बडे निगम-बोर्ड खाली हैं। सीएसआईडीसी, व्रेबरेज कारपोरेशन, बीज विकास निगम, सनिर्माण, कर्मकार मंडल, टूरिज्म बोर्ड मलाईदार वाली जगह मानी जाती है। हालांकि, सबसे बड़ा मार्कफेड है और लघु वनोपज संघ। मार्कफेड साल में 15 हजार करोड़ का कारोबार करता है। और लघु वनोपज संघ भी कम नहीं है। लेकिन, सहकारी संस्था होने के कारण दोनों में चुनाव होते हैं। पिछली सरकार ने गुप्ता को बिना चुनाव के मार्कफेड का चेयरमैन बना दिया था। अब देखना है, ये सरकार क्या रूख अपनाती है। बहरहाल, इनके अलावे और कई छोटे आयोग भी खाली है। धीरे-धीरे सरकार और भी लिस्ट जारी करेगी।
नियुक्तियां का महीना
निगम-मंडलों के साथ कई आयोगों में नाॅन पालिटिकल नियुक्तियां भी होने वाली है। निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग, राज्य सूचना आयोग, हिन्दी ग्रंथ अकादमी शामिल जैसे कई जगहों पर पद खाली हैं। विवि नियामक आयोग के चेयरमैन समेत सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई है। राज्य सूचना आयोग में मेम्बर के एक पद छह महीने से रिक्त हैं। सरकार बदलने के बाद हिन्दी ग्रंथ अकादमी में अभी किसी की नियुक्ति नहीं हुई है। इसके साथ अंबिकापुर, बिलासपुर, खैरागढ़, हार्टिकल्चर एवं वानिकी विश्वविद्यालय में कुलपति अपाइंट होने हैं। कुछ नए प्राधिकरण में भी पोस्टिंग होगी। कुल मिलाकर 15 अगस्त तक नियुक्तियां चलती रहेंगी।
कलेक्टर और गोबर
सीएम भूपेश बघेल ने कलेक्टरों से दो टूक कहा है कि गोबर खरीदी का संचालन और निगरानी कलेक्टरों को करनी है। उन्होंने कलेक्टरों को आगाह भी किया है कि इस योजना में कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्हें यह कहने की जरूरत क्यों पड़ी, इसे समझा जा सकता है। दरअसल, कुछ कलेक्टरों को लग रहा…वे बड़े-बड़े काम करने के लिए आईएएस बने हैं, गोबर जैसे वेस्ट मैटेरियल के लिए थोड़े ही। शीर्ष पद से रिटायर एक आईएएस भी मानते हैं कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए यह योजना मिल का पत्थर साबित होगी। लेकिन, तभी जब नेतृत्व सख्ती बरते। वरना, अफसर इसमें रूचि कम दिखाएंगे। सही भी है….विरोधी भी मान रहे हैं कि गोधन योजना सही रूप में अगर जमीन पर उतर गई तो गावों की अर्थव्यवस्था बदल जाएगी। इसमें ऐसे लोगों को काम मिलेगा, जिनके पास गांवों में थोड़ी सी खेती के अलावा और कोई काम नहीं था। कांग्रेस को साफ्ट हिन्दुत्व का राजनीतिक माइलेज मिलेगा, सो अलग।
लाॅकडाउन की जरूरत क्यों?
कोरोना के मामले में छत्तीसगढ़ सबसे सुरक्षित राज्यों में था। लेकिन, लोगों की बेपरवाहियों ने बेड़ा गर्क कर दिया…कोरोना के प्रोटोकाॅल को धता बताते हुए लोग पिकनिक, पार्टी करने लगे। इसका नतीजा यह हुआ कि सूबे में कोरोना का ग्रोथ रेट 14 से 15 फीसदी पहुंच गया है। और, अगले दो महीने में जो प्रोजेक्शन है, उसकी संख्या जानकर लोग हिल जाएंगे। आशंका है कहीं अस्पतालों के कोविड वार्डों में बेडों की संख्या न कम पड़ जाए। ऐसे में, सरकार को चिंता तो होगी ही। सरकार का प्रयास है कि सबसे पहिले लाॅकडाउन के जरिये ग्रोथ रेट को कंट्रोल किया जाए। एक से दो हफ्ते के लाॅकडाउन में उम्मीद है ग्रोथ रेट 15 से घटकर 10 फीसदी पर आ जाएगा। मगर इसमें आम आदमी को भी समझना होगा, जान है तो जहां है।
कलेक्टर की गोंडी
दंतेवाड़ा के नए कलेक्टर दीपक सोनी इन दिनों गोंडी सीख रहे हैं। इसके लिए उन्होंने बकायदा एक ट्यूटर रख लिया है। हफ्ते में दो दिन एक-एक घंटे वे गोंडी के शब्दों को सीखने के साथ ही गोंडी में बात करने की प्रैक्टिस करते हैं। दीपक से पहले वहां के एसपी डाॅ0 अभिषेक पल्लव ने भी दंतेवाड़ा में ही गोंडी सीखा था। लोकल लैंग्वेज जानने का नतीजा है कि अभिषेक आज की तारीख में बस्तर में सबसे बेस्ट परफर्म कर रहे हैं। फंडा यह है कि जिस इलाके में आपको काम करना है, वहां की बोली, भाषा और संस्कृति से आप वाकिफ नहीं होंगे, तो टेन्योर तो आप पूरा कर लेंगे मगर लोगों का विश्वास नहीं जीत पाएंगे।
अंत में दो सवाल आपसे
1. दो विधायकों के नाम बताईये, जो निष्ठा बदलकर फायदे वाले खेमे में जाना चाहते हंै?
2. छत्तीसगढ़ में लाॅकडाउन एक हफ्ते का ही होगा या आगे और बढ़ेगा?
2. छत्तीसगढ़ में लाॅकडाउन एक हफ्ते का ही होगा या आगे और बढ़ेगा?
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