संजय दीक्षित
तरकश के तीर, 18 अप्रैल 2021
छत्तीसगढ़ में लाॅकडाउन लगाने के लिए कलेक्टरों को अधिकृत किया गया है। उसी हिसाब से कलेक्टर अपने-अपने जिलों को लाॅक करने का आदेश दिए। लाॅकडाउन के संदर्भ में कलेक्टरों द्वारा जो गाइडलाइंस तय किया जा रहा है, उसका प्रारुप रायपुर में तैयार किया गया। एसीएस होम सुब्रत साहू के निर्देशन में गाइडलाइंस के प्वाइंट्स तैयार किए गए। ये अलग बात है कि रायपुर से बना बुनाया आदेश मिलने के बाद भी कई कलेक्टरों ने उस पर चिड़िया बिठाने में विलंब कर दिया।
कोरोना और बड़ी शख्यिसतें…
कोरोना के सेकेंड वेब की चपेट में आम आदमी के साथ खास लोग भी आते जा रहे हैं। रायपुर में अविनाश गु्रप के अशोेक सिंघानिया की दो दिन पहले मौत हो गई। हेल्थ विभाग के इनसाइक्लोपीडिया कहे जाने वाले डाॅ0 सुभाष पाण्डेय की खबर ने तो पूरा महकमे को हिला दिया। राजधानी के पावरफुल लोगों की कालोनी देवेंद्र नगर में भी एक दर्जन से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। मुख्यमंत्री के सलाहकार, महिला सिकरेट्री, एक आईपीएस कोरोना से संक्रमित हो गए हैं। राजस्व विभाग के चेयरमैन सीके खेतान जीएडी सिकरेट्री कमलप्रीत सिंह, डीपीआई जीतेंद्र शुक्ला जाहिर रूप से कोरोना से पीड़ित हैं। इसके उलट आफिसर्स कालोनी में चार ब्यूरोक्रेट्स और हैं, जो खुलासा करने से फिलहाल हिचकिचा रहे हैं। उधर, बिलासपुर में पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल के बेटे को पहले कोरोना हुआ और उसके बाद अमर दंपति भी पाॅजिटिव हो गए। निहितार्थ यह है कि इस बार का कोरोना किसी को बख्श नहीं रहा। लिहाजा, अत्यधिक सतर्कता की जरूरत है।
कमलप्रीत का प्रेशर…
आईएएस डाॅ0 कमलप्रीत सिंह कई महत्वपूर्ण विभागों वाले सिकरेट्री हैं। उनके पास फूड, ट्रांसपोर्ट और जीएडी है। कोरोना के समय तीनों विभागों की भूमिका बेहद अहम होती है। पिछले लाॅकडाउन में कमलप्रीत बड़े एक्टिव रहे। लेबर समेत गरीबों को राशन पहुंचाना, रोड ट्रांसपोर्ट पर नजर रखना, जीएडी सिकरेट्री के रूप में आए दिन आदेश निकालना। इस बार वे कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। कमलप्रीत के पाॅजिटिव आने से उनका प्रेशर अब एसीएस टू सीएम सुब्रत साहू और सिकरेट्री टू सीएम सिद्धार्थ परदेशी पर आ गया है। डिप्टी सिकरेट्री टू सीएम तारन सिनहा के ट्रेनिंग में मसूरी जाने से सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं का दायित्व भी सिद्धार्थ पर है। बहरहाल, ये तो हुई जिम्मेदारी वाली बात। सेकेंड…जो ब्यूरोक्रेसी के बीच मैटर कर रहा है या यों कहें कि उन्हें सहमा रहा कि कमलप्रीत जैसे मजबूत कद-काठी और ढाई किलो के हाथ वाले आईएएस जब कोरोना से नहीं बच सकते तो फिर…।
आईएएस एसोसियेशन आगे….
पिछली बार कोरोना में सीएम रिलीफ फंड में एक दिन का वेतन देने में आईएफएस एसोसियेशन आगे रहा था। आईएएस एसोसियेशन ने बाद मेें फैसला किया। इस बार कोविड पाॅजिटिव होने के बाद भी प्रेसिडेंट सीके खेतान ने इसमें देर नहीं लगाई। आईएएस ग्रुप में मैसेज सुबह पोस्ट किया और शाम तक फायनल हो गया। आईएएस एसोसियेशन के अलावा दूसरे किसी सर्विस से अभी सीएम रिलीफ फंड में वेतन देने का ऐलान नहीं किया है।
60 मौतें या…
कोरोना का रोज जारी होने वाला सरकारी डेटा रायपुर के लोगों को डरा रहा है। यहां हर दिन 60 के करीब मौतें हो रही हैं। अलबत्ता, लोगों को यह फिगर समझ में नहीं आ रहा… वो इसलिए क्योंकि तहसील आफिस से उपर के अफसरों को रायपुर के श्मशान में अंत्येष्टि की डेली रिपोर्ट भेजी जा रही, वह तो काफी ज्यादा है। फिर भी, 60 मौतें कम नहीं होतीं। दरअसल, रायपुर में रायपुर के अलावा भिलाई, दुर्ग, राजनांगांव, बेमेतरा, बालोद, बलौदा बाजार, धमतरी, कांकेर, महासमुंद जिलों से भी केसेज पहुंच रहे हैं। जाहिर है, केस बिगड़ने के बाद ही लोग पेशेंट को रायपुर लेकर आते हैं। डाक्टरों का कहना है, रायपुर का फिगर इसलिए भी ज्यादा दिख रहा है।
बिलासपुर भी फुल…
रायपुर का बाद दूसरा बड़ा शहर बिलासपुर है। बिलासपुर में अपोलो अस्पताल के साथ ही मंझोले केटेगरी के करीब दर्जन भर अस्पताल हैं। हफ्ते भर पहिले तक इन अस्पतालों में 25 से 30 परसेंट बेड खाली थे। अब वहां भी स्थिति चरमरा गई है। दरअसल, रायपुर के आसपास के जिलों का जिक्र उपर किया गया है, उन्हें रायपुर में जगह नहीं मिलने पर वे बिलासपुर का रुख कर लिए। यही कारण है कि बिलासपुर में भी बेड फुल है। गनीमत है, वहां अभी केजुअल्टी कम है।
विद्युत शवदाह गृह…
कोरोना से हो रही मौतों में शवों के लग रहे अंबार को देखते सरकार अब हर जिले में विद्युुत शवदाह गृह बनाने पर विचार कर रही है। इस संबंध में कलेक्टरों को भी निर्देशित किया जा चुका है। विधायकों की बैठक में भी इस ओर इशारा किया गया था। बिजली शव दाह गृह का मतलब है कि कोरोना का सेकेंड वेब तगड़ा रहेगा और लंबा चलेगा।
10 पीढ़ी ठाठ से….
रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर में ऐसे लोग लाॅकडाउन का विरोध कर रहे हैं, जिन्होंने इतना धन अर्जित कर लिया है कि आने वाली उनकी 10 पीढ़ियां मौज से जीवन यापन कर सकती है। उसके बाद भी वही व्यापार ठप होने का रोना। संकट के इस समय में व्यापारिक संगठनों के लोग राजनीति भी शुरू कर दिए हैं। हैरत है कि चेम्बर का एक गुट कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने पहंुच गया।
फ्रंट वारियर्स क्यों नहीं?…
कसडोल की 32 वर्ष की महिला विधायक शकुंतला साहू के कोरोना वैक्सीन लेने की खबर इस हफ्ते सुर्खियों में रही। शकुंतला के वैक्सीन लगाने के सवाल पर विधायकों की नाराजगी इस बात को लेकर है कि कोरोना के समय जनप्रतिनिधि लगातार लोगों को अस्पताल में भरती के साथ ही उनके उपचार की व्यवस्था में जुटे हैं। इसके बाद भी उन्हें फ्रंट वारियर्स नहीं माना गया। जबकि, जनपद सीईओ आफिस तक के लोगों को वैक्सीन लगा दिया गया।
अंत में दो सवाल आपसे….
1. कांग्रेस के किस नेता के यहां विशेष अनुष्ठान कराया जा रहा है?
2. जनप्रतिनिधियों को कोरोना किस तरह हलाकान कर रहा है?
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