संजय के दीक्षित
तरकश, 24 अक्टूबर 2021
कलेक्टर कांफ्रेंस में अबकी किसी को डांट-फटकार नहीं मिली। लेकिन, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इषारे-इषाारे में कलेक्टरों को आगाह जरूर कर दिया वे कहां पर चूक रहे हैं और उन्हें क्या करना चाहिए। बैठक में सबसे अधिक किसी सब्जेक्ट पर चर्चा हुई तो वो कवर्धा का मामला था। कलेक्टर कांफ्रेंस हो या एसपी कांफ्रेंस, दोनों में डेढ़-से-दो घंटा इसी पर विमर्श हुआ। इस दौरान मुख्यमंत्री दो-से-तीन बार बोले...कलेक्टर जिले का सबसे बड़ा नेता होता है...फिर उसे चीजों की जानकारी क्यों नहीं। आईएएस दसेक साल की सर्विस के बाद कलेक्टर बनता है...उसके पास लोगों का चेहरा पढ़कर मजमूं भापने की कला होती है। उन्होंने अपने जमाने की याद करते हुए बताया कि कलेक्टरों से विभिन्न वगों के लोग मिलने आतेे हैं, उन्हें जिले के बारे में सब कुछ पता होता था....कहां क्या चल रहा है और क्या होने वाला है। इसलिए वे तुरंत हैंडिल कर लेते थे। सीएम ने कलेक्टरों से कहा कि वे जिलों में सूचना तंत्र को मजबूत करें।
दंगा से निबटने गुर नहीं
कलेक्टर-एसपी कांफ्रेंस में कवर्धा पर फोकस रहने की वजह है। वहां दो समुदायों में हुई हिंसा के बाद पिछले 17 दिन से पूरा शहर कर्फ्यू के साये में है। जिला प्रशासन ने अब 12 घंटे की ढील दी है। फिर भी रात आठ बजे से सुबह आठ बजे तक कर्फ्यू प्रभावषील है। मुठ्ठी भर आबादी वाले षहर को एसपी के अलावे आधा दर्जन आईपीएस भी नहीं संभाल पाए। आसपास के जिलों से आईपीएस को वहां तैनात किया गया था। सीनियर अफसर भी वहां कैंप कर रहे थे। पुलिस अधिकारियों की चूक तो इसमें साफ झलकती है। तभी एसपी कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री ने एसपी से दो टूक पूछ दिया, आपसे क्या चूक हुई? दरअसल, पते की बात यह है कि छत्तीसगढ़ में दो-एक आईपीएस को छोड़कर, जो मध्यप्रदेश के दंगा प्रभावित इलाकों में तैनात रहे हैं, किसी को भी दंगा से निबटने का अनुभव नहीं है। 6 अक्टूबर की घटना के बाद भी पुलिस अगर बिना किसी भेदभाव के दोनों पक्षों की अंधाधुंध गिरफ्तारियां की होती...डंडे चलाई होती तो तीन-से-चार दिन में सब ठंडा हो जाता। पुलिस की अक्षमता और जिला प्रषासन की अदूरदर्षिता की वजह से छत्तीसगढ़ के दामन पर संप्रदायिक हिंसा का दाग लग गया। आज तक छत्तीसगढ़ के किसी शहर में कभी भी इतना लंबा कर्फ्यू नहीं लगा।
लिस्ट की चर्चा
कवर्धा में जो कुछ हुआ, उसके बाद वहां के जिम्मेदार अधिकारियों को बदला जाना तय माना जा रहा है। इसके साथ कुछ और आईएएस, आईपीएस की लिस्ट निकल सकती है। इसकी चर्चा कल एसपी कांफ्रेंस के बाद से ही शुरू हो गई थी। सुनने में आया, अंबिकापुर कलेक्टर संजीव झा रायगढ़ जा रहे। और रायगढ़ कलेक्टर भीम सिंह दुर्ग। मगर कुछ लोगों का कहना है, दुर्ग वाले कहीं नहीं जा रहे। खबर कोंडागांव कलेक्टर कोे लेकर भी है। गरियाबंद कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर को किसी दूसरे जिले में शिफ्थ किया जा सकता है। खैर ये चर्चा है...जब तक आदेश नहीं निकलेगा तब तक अटकलों का दौर जारी रहेगा।
राडार पर तीन एसपी
एसपी कांफ्रेंस में तीन एसपी मुख्यमंत्री के राडार पर रहे। पहला कवर्धा। दूसरा कोंडागांव और तीसरा सुकमा। कवर्धा की वजह तो पता ही है। कोंडागांव वाले धर्मांतरण को लेकर निशाने पर रहे तो सुकमा वाले पत्र लिखने को लेकर। हालांकि, इन तीनों पुलिस अधिकारियों की कोई शिकायत नहीं है। मगर इनमें से कुछ समय का चक्र और कुछ अनुभव की कमी का शिकार हो गए।
मंत्री की रेटिंग
कलेक्टर और एसपी कांफ्रेंस में पहली बार मंत्रियों को वेटेज मिला। खासकर, एग्रीकल्चरल मिनिस्टटर रविंद्र चौबे कलेक्टर कांफ्रेंस में पूरे समय रहे तो एसपी कांफ्रेेंस में भी। हालांकि, एसपी कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री ने गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू को भी साथ रखा। लेकिन, रविंद्र चौबे दोनों दिन कांफ्रेंस में सिर्फ मौजूद ही नहीं रहे बल्कि उन्होंने कलेक्टर, एसपी को संबोधित भी किया। ये जाहिर करता है, मध्यप्रदेष में भी मंत्री रहे रविंद्र चौबे का सियासी रेटिंग बढ़ा हुआ है।
आईएएस का डिनर
कलेक्टर कांफ्रेंस समाप्त होने के बाद होटल सयाजी में आईएएस एसोशियेशन का डिनर था। कोविड के चलते पिछले दो साल से आईएएस एसोसियेषन का कोई कार्यक्रम नहीं हुआ था। लास्ट कार्यक्रम अक्टूबर 2019 मे हुआ था। चीफ सिकरेट्री सुनील कुजूर के रिटायरमेंट के दौरान। इसके बाद सीनियर अफसरों का कलेक्टरों या नए अफसरों के साथ कोई इंटरेक्शन नहीं हुआ। इस बार नए से लेकर पुराने आईएएस ने खूब इन्जॉय किया। देर रात तक महफिल गुलजार रही....ठहाकों का दौर चलता रहा। कुल मिलाकर राज्य बनने के बाद पहली बार आईएएस अधिकारियों ने एक साथ बैचलर टाईप पार्टी सेलिब्रेट किया। मनोज पिंगुआ के लिए भी अच्छा रहा। प्रेसिडेंट बनते ही बड़ा सेलिब्रेशन हो गया।
आईएएस का व्हाट्सएप ग्रुप
एक वो भी दौर था, जब आईएएस के व्हाट्सएप ग्रुप में क्रांतिकारी विचार व्यक्त किए जाते थे। लेकिन, अभी आईएएस का व्हाट्सएप ग्रुप शांत है। सिर्फ जन्मदिन का विश। इसके अलावा कुछ नहीं। लेकिन, अभी हाल ही में एक रिटायर आईएएस ने सियासत के बारे में कोई खबर डाल दी, तो अफसर चौंके। हालांकि, इस पर कोई प्रतिक्रिया किसी ने नहीं दी....देनी भी नहीं थी, लेकिन, सवाल तो उठते ही हैं। दरअसल, आईएएस के ग्रुप में वर्तमान के साथ ही पुराने याने रिटायर अफसर भी शामिल हैं। रिटायर अफसरों को अब काहे का डर। लेकिन, ऐसे पोस्टों की संख्या बढ़ेगी तो ग्रुप एडमिनों की चिंता भी बढेगी।
दम भी, दिमाग भी
छत्तीसगढ़ पुलिस में सहवाग टाईप फ्री होकर खेलने वाला एक तो बैट्समैन है पर वो भी ग्रह-दषा का शिकार हो गया है। हम बात कर रहे हैं, आईपीएस उदयकिरण की। उन्हें ड्राईवर की पिटाई के बाद नारायणपुर एसपी के पद से हटाया गया है। उदयकिरण किस अंदाज में बैटिंग करते हैं, महासमुंद के पूर्व विधायक मोहन चोपड़ा से बेहतर कौन बता सकता है। बिलासपुर और कोरबा में भी उदयकिरण ने धुंआधार ठुकाई की। बिलासपुर में तो आलम यह रहा कि भूमाफिया शहर छोड़कर भागने लगे थे। लेकिन, अच्छा बैट्समैन वो माना जाता है जो पिच पर ठहरे भी। सहवाग हमेषा आउट ही नहीं होते थे। उन्होने दोहरा षतक भी जमाया है। उदय किरण के पास दम तो है मगर इसके साथ दिमाग भी होना चाहिए।
गिरिजाशंकर ट्रेक पर
उदय किरण के सस्ते में विकेट गंवाने के बाद सरकार ने गिरिजाशंकर को नारायणपुर का एसपी बनाकर भेजा है। चलिये, गिरिजाशंकर का किस्मत का ताला तो खुला। लंबे समय से उन्हें एसपी बनाने की बात चल रही थी। जब भी कोई लिस्ट निकलने वाली होती थी तो चर्चाओें में गिरिजाशंकर का नाम जरूर होता था। प्रषांत अग्रवाल के पहले उनका बिलासपुर का एसपी बनना पक्का बताया जा रहा था। मगर हुआ नहीं। एक बार उन्हें कोंडागांव का एसपी बनाने के लिए मैसेज किया गया था। मगर दो जिले करने के बाद कोंडागांव जैसे छोटे जिले में जाने से उन्होंने मना कर दिया था। बहरहाल, गिरिजाशंकर अब एसपी के ट्रेक पर आ गए हैं। आईएएस, आईपीएस की पोस्टिंग में सबसे आवश्यक होता है ट्रेक पर बने रहना। इससे आगे का रास्ता बना रहता है।
सीएम का होम वर्क
अंत में दो सवाल आपसे
1. इसमें कितनी सच्चाई है कि पुलिस देह व्यापार करने वाले उन्हीं मसाज सेंटरों में दबिश देती है, जो हर महीने उन्हें खुशामद नहीं पहुंचाते?
2.. वो कौन से कलेक्टर हैं, जिन्हें नए जिले मोहला-मानपुर का भी कलेक्टर बना दिया जाए, तो वे हंसते-कूदते चले जाएंगे?
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