संजय के. दीक्षित
तरकश, 14 फरवरी 2022
छत्तीसगढ़ के आईएएस अवनीश शरण सोशल मीडिया में काफी एक्टिव रहते हैं। उनके फेसबुक पोस्ट और ट्वीट लोगों के ध्यान खींचते हैं। वेलेंटाईन डे के मौके पर उन्होंने एक दिलचस्प ट्वीट किया....इस जन्म में नौकरी, अगले जन्म में प्यार। अब ट्वीट ऐसा है कि इस पर कमेंट्स की बाढ़ आनी ही थी। लोग लिख रहे हैं....नौकरी और प्यार दोनों एक साथ क्यों नहीं....नौकरी मिलने के बाद भी प्यार किया जा सकता है। रिटायर आईपीएस आरके विज भी इस पर मौज लेने से नहीं चूके। विज ने लिखा, पहले प्यार बाद में नौकरी....नौकरी तो मिल जाती है प्यार आसानी से नहीं मिलता...। वैसे....वो एक गाना भी है...हर किसी को नहीं मिलता...यहां प्यार जिंदगी में। बहरहाल, अवनीश को प्यार नहीं मिला या मिला तो क्या हुआ...ये पर्सनल मामला है....पूछना भी नहीं चाहिए। मगर उन्हें पता तो होगा, छत्तीसगढ़ में उन्हीं के अफसर बिरादरी के कई लोग सफलतापूर्वक सब शौक पूरे कर रहे हैं...नौकरी भी, शादी भी और प्यार भी।
कलेक्टर्स जिम्मेदार?
पिछले 'तरकश' में आत्मानंद अंग्रेजी स्कूलों के भर्ती घोटाले संबंधित खबर पर संज्ञान लेते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने जांच के आदेश दे दिए हैं। मगर जांच के बाद कार्रवाई क्या होगी, यह सवाल अनुत्तरित है। क्योंकि, विभाग के जिन खटराल अधिकारियों ने गेम किया है, उन सबके तार कहीं-न-कहीं से जुड़े हुए हैं। सवाल ये भी उठते हैं, सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी कलेक्टरों को दी गई थी...सीएम ने वीडियोकांफ्रेंसिंग करके कलेक्टरों से कहा था, इस स्कूल को देश के लिए मिसाल बनानी है...वहां मैं भी सिफारिश करूं तो नहीं सुनना...प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला ने भी इन स्कूलों के लिए दिन-रात एक कर दिया था...बावजूद इसके कलेक्टरों ने आंखें क्यों मूंद ली। पता चला है, पोस्टिंग और डेपुटेशन के खेल में कुछ जिलों के कलेक्टर्स भी इनवाल्व हो गए। बस्तर, सरगुजा जैसे दूरस्थ इलाकों के हिंदी मीडियम वालों को डेढ़ से ढाई पेटी लेकर अंग्रेजी स्कूलों में प्रतिनियुक्ति दे दी गई। जबकि, प्रतिनियुक्ति के लिए विभाग ने नियम बनाया था कि संबंधित जिलो के शिक्षकों को ही लेना है। दरअसल, मंत्री समझे कि आत्मानंद स्कूल को अफसर देख रहे हैं और प्रमुख सचिव समझे कि सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग सीधे कलेक्टर कर रहे हैं, ऐसे में किसकी मजाल...मगर यहीं पर चूक हो गई...। खटराल अधिकारियों ने लहर गिन कर पैसा कमाने वाला काम कर डाला। अंग्रेजी स्कूलों में पैसे लेकर हिन्दी मीडियम वालों की भर्ती की ही, जिन हिंदी स्कूलों को अंग्रेजी स्कूल में तब्दील किया था, वहां के हिन्दी मीडियम के शिक्षकों को दूसरे स्कूलों में ट्रांसफर करना था, उसमें भी खेल कर दिया। इन स्कूलों के लिए खरीदी तो ऐसी हुई है कि पूछिए मत! बाजार से चार गुना, पांच गुना रेट पर। आत्मानंद स्कूल चूकि गरीबों के बच्चों के लिए है, सरकार की मंशा भी यही थी कि गरीबों के लिए भी सूब में हाई स्टैंडर्ड का पब्लिक स्कूल हो। लेकिन कुछ जिलों के कलेक्टर और डीईओ इस योजना को पलीता लगाने पर अमादा है। हालांकि, आलोक शुक्ला ने कड़े तेवर दिखाते हुए 24 घंटे में रिपोर्ट तलब की है मगर सिर्फ इससे नहीं होगा...सरकार को कौवां मारकर टांगना चाहिए...।
नए जिले, खट्टे अनुभव
सरकार ने चार नए जिले बना दिए हैं...मोहला-मानपुर, सारंगढ़, सक्ती और मनेंद्रगढ़ का नोटिफिकेशन भी जारी हो गया है। सरकार वहां किसी भी दिन ओएसडी अपाइंट कर जिलों को प्रारंभ करने का डेट ऐलान कर सकती है। मगर ये भी सही है कि नए जिलों के संदर्भ में पिछली सरकार के अनुभव अच्छे नहीं रहे। 2012 में रमन सरकार ने आधा दर्जन नए जिले बनाए थे, 2013 के विधानसभा चुनाव में उनमें से सिर्फ मुंगेली बीजेपी जीत पाई। वो भी बीजेपी से ज्यादा वह पुन्नूराम मोहिले की जीत थी। हालांकि, नए जिले की इस मिथक से चरणदास महंत को घबराना नहीं चाहिए। सक्ती में उनका प्रभाव बढ़ियां है। सियासात में उनके सूरज के उगने पर कोई संशय तो नहीं दिखता।
दो और पीसीसीएफ
मंत्रालय में हुई डीपीसी में आईएफएस सुधीर अग्रवाल और एसएस बजाज को पीसीसीएफ बनाने हरी झंडी मिल गई है। फाइल अब अनुमोदन के लिए सीएम हाउस गई है। मुख्यमंत्री के दस्तखत के बाद किसी भी दिन दोनों अफसरों की पदोन्नति का आदेश जारी हो जाएगा। एसएस बजाज अभी लघु वनोपज संघ में हैं और उनके लिए पिछले कैबिनेट में पीसीसीएफ का स्पेशल पोस्ट क्रियेट किया गया। यह पद जून में बजाज के रिटायर होते ही स्वयमेव खतम हो जाएगा। चलिये, गुरू में शनि के प्रवेश की वजह से बजाज को पिछले साल कठिन दिनों का सामना करना पड़ा था। मगर अब उनके ग्रह-नक्षत्र ठीक ठाक हो गए हैं। विदाई अब सम्मानजनक होगी।
चतुर्वेदी के बाद शुक्ला
पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी इस साल सितंबर में रिटायर हो जाएंगे। उनके बाद सीनियरिटी में अतुल शुक्ला हैं और उनके बाद संजय शुक्ला। याने दोनों पंडितजी, दोनों शुक्ला। और संयोग ये भी...दोनों का रिटायरमेंट भी एक ही दिन...अगले साल अगस्त में...31 को। अतुल फिलहाल राज्य वन अनुसंधान संस्थान की जिम्मेदारी संभाल रहे तो संजय लधु वनोपज संघ की। जो भी हो, ये तय है कि राकेश के बाद पीसीसीएफ की गद्दी किसी शुक्ला को मिलेगी।
डीडी का पलड़ा वजनी
राज्य निर्वाचन आयुक्त ठाकुर राम सिंह तीन महीने बाद जून में रिटायर हो जाएंगे। इस संवैधानिक पोस्ट के लिए अभी से गुणा-भाग शुरू हो गया है। भीतर-ही-भीतर कई लोग इस पद की दावेदारी कर रहे हैं। मगर जीएडी सिकरेट्री डीडी सिंह का पलड़ा इस पद के लिए भारी दिख रहा है। डीडी रिटायरेंट के बाद संविदा में पोस्टेड हैं। वे राज्य निर्वाचन आयुक्त कार्यालय में सिकरेट्री रह चुके हैं। उसके बाद निर्वाचन आयोग में ज्वाइंट सीईओ भी। 2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान सुनील कुजूर चीफ इलेक्शन आफिसर थे और डीडी ज्वाइंट सीईओ। जाहिर है, उनके पास चुनाव का तजुर्बा भी है। हालांकि, ये पद चीफ सिकरेट्री लेवल का है। लेवल का आशय यह कि चीफ सिकरेट्री के समकक्ष या इस पद से रिटायर हुए अफसरों को इस पर बिठाया जाता है। मगर छत्तीसगढ़ में सिर्फ शिवराज सिंह ऐसे निर्वाचन आयुक्त रहे, जो मुख्य सचिव से सेवानिवृत्त होने के बाद निर्वाचन आयुक्त बने थे। वरना, सदैव सिकरेट्री के समकक्ष अधिकारियों को ही मौका मिला है। पीसी दलेई जरूर प्रमुख सचिव से रिटायर हुए थे।
छोटा सत्र
7 मार्च से विधानसभा का बजट सत्र प्रारंभ होने जा रहा है। 13 कार्यदिवस के सत्र में पहले दिन राज्यपाल का अभिभाषण होगा। एक दिन सीएम बजट पेश करेंगे। दूसरे हफ्ते में होली की तीन दिन छुट्टी है। पुराने अनुभव बताते हैं कि बजट सत्र कभी भी पूरे समय तक नहीं चला। लगभग हमेशा बजट सत्र निर्धारित तिथि से हफ्ता भर पहले विधटित हुआ है। इस बार भी होली के पहले ही सत्र निबट जाए, तो आश्चर्य नहीं। बीजेपी इस बार भी हंगामा करने की तैयारी कर रही है। जाहिर है, सदन की कार्यवाही बाधित होगी। ऐसे में, एक दिन में तीन-तीन, चार-चार मंत्रियों का बजट पारित कराके होली तक सत्र समाप्त किया जा सकता है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक जि
लों की कलेक्टरी करने का रिकार्ड डोमन सिंह के नाम दर्ज है मगर सर्वाधिक 9 साल तक तक कलेक्टरी करने का रिकार्ड किसने नाम है?
2. पूर्व मंत्री राजेश मूणत का आरोप है कि उन्हें पिटा गया और राजधानी पुलिस मारपीट से इंकार कर रही...इनमें से सच कौन बोल रहा है?
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