रविवार, 12 जून 2022

पूर्व आईएएस पर मुकदमा

 संजय के. दीक्षित

तरकश, 12 जून 2022

पूर्व आईएएस और बीजेपी नेता ओपी चौधरी पर कोरबा पुलिस ने फर्जी वीडियो वायरल करने के आरोप में गैर जमानती मुकदमा दर्ज किया है। इस धारा में तीन साल की सजा का प्रावधान हैं। इस एक ट्विस्ट और है...वह यह कि एफआईआर दर्ज करने वाली कोरबा पुलिस के कप्तान भोजराम पटेल हैं। ओपी और भोज दोनों खरसिया के पास अगल-बगल के गांव से हैं। दोनों अघरिया कुर्मी। पारिवारिक पृष्ठभूमि भी लगभग एक जैसी। दोनों के पिता बचपन में गुजर गए...मां ने पालन-पोशण कर देश की सबसे बड़ी सर्विस के काबिल बनाया। जाहिर है, दोनों में रिश्ते भी परिवार जैसे हैं। मगर रिश्ते पर कर्तव्य भारी पड़ गया। भोज ने कोरबा की माता मड़वा रानी को प्रणाम कर ओपी के खिलाफ अपराध दर्ज करने थानेदार को आदेश दे दिया।

जिम्मेदारी तय हो

जांजगीर के मालखरौदा में राहुल बोरवेल में गिर गया। राहुल को बचाने सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी है। 24 घंटे से पूरा प्रशासन मौके पर डटा हुआ है। एनडीआरएफ से लेकर सेना के एक्सपर्ट कल रात से कैंप कर रहे हैं। प्रदेश के लोग मिशन सेव राहुल के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। लेकिन, इसके साथ कुछ सवाल भी उठते हैं। देश में आपरेशन प्रिंस के बाद बोरवेल में गिरने के 50 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं। लेकिन, कभी किसी की जिम्मेदारी तय नहीं हुई। ऐसा क्यों? क्या उस गांव के सरपंच या किसी सरकारी एजेंसी का फर्ज नहीं बनता था कि बोरवेल खुदाई की गई है तो उसे जाकर एक बार चेक कर लें कि उसे प्रॉपर ढका गया है कि नहीं...लोगों को मोटिवेट करें। अब समय आ गया है कि इस तरह की घटनाओं से बचने जिम्मेदारी तय किया जाए।

हमारा बजाज...

आईएफएएस एसएस बजाज इस महीने 31 को रिटायर हो जाएंगे। बजाज फिलवक्त लघु वनोपज संघ के एडिशनल एमडी हैं। कुछ महीने पहले ही वे पीसीसीएफ प्रमोट हुए थे। मूलतः कुनकुरी के रहने वाले बजाज रायपुर इंजीनियरिंग कालेज से बीई किए और फिर आईएफएस बनें। बजाज को नवा रायपुर का शिल्पी कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। बाहर से आने वाले अपने गेस्ट को हम चौड़ी और स्मूथ सड़कें दिखाने नवा रायपुर ले जाते हैं...वह बजाज की देन है। जमीन अधिग्रहण से लेकर टेंडर और फिर रोड का निर्माण, उनकी देखरेख में हुआ। मंत्रालय और एचओडी बिल्डिंग भी उनका ही बनाया है। करीब 15 सौ करोड़ में 145 किमी फोर लेन सड़क बनी और मंत्रालय, एचओडी बिल्डिंग...लेकिन, बजाज पर कोई आंच नहीं आई। सहज, सरल, ग्रास रुल लेवल के अफसर माने जाने वाले बजाज पर कभी अफसरी हॉवी नहीं हो पाई। ग्रह-नक्षत्र की वजह से वे सस्पेंड हुए मगर बाद में उनके लिए कैबिनेट में पीसीसीएफ का स्पेशल पद क्रियेट कर सरकार ने उन्हें पीसीसीएफ बनाया। वन विभाग में अटकलें लगाई जा रही....बजाज को रिटायरमेंट के बाद लघु वनोपज संघ में संविदा पोस्टिंग मिल सकती है। चर्चा को बल इसलिए मिल रहा कि एमडी संजय शुक्ला देर-सबेर पीसीसीएफ बनकर जाएंगे तो संघ का व्यापक काम चल रहा, उसे कंटिन्यू रखने बजाज जैसा कमिटेड अफसर चाहिए। पर यह पूरा निर्भर करेगा इस बात पर कि सरकार क्या चाह रही।

छह महीने के कलेक्टर

पांच नए जिलों में ओएसडी की नियुक्ति के बाद सभी जगहों पर नए जिला मुख्यालयों की तैयारी जोर-शोर से प्रारंभ हो गई है। इसके साथ कुछ जगहों से शिकायतें भी आनी शुरू हो गई है। एक ओएसडी ने पटवारी राज को मजबूत करने अपने इलाके में जमीनों की रजिस्ट्री से पहले पटवारी से चौहद्दी लिखवाना अनिवार्य कर दिया। जबकि, उन्हें पता है कि ये नियम उनके पुराने जिले में लागू नहीं है और मुख्यमत्री लगातार कोशिश कर रहे हैं कि आम आदमी को पटवारियों का चक्कर लगाने से कैसे बचाया जाए। एक ओएसडी ने कलेक्टर बनने से पहले बैटिंग शुरू कर दी है। तो एक का वर्तमान कलेक्टर के साथ खटर पटर चालू हो गया है। आलम ये, कि दो ओएसडी के बारे में अभी से दावे और सवाल किए जाने लगे हैं...कलेक्टर बनने के बाद वे छह महीने से ज्यादा पिच पर टिक पाएंगे? अब देखना दिलचस्प होग कि ये दावे सही उतरते हैं या गलत।

नए जिलों में काम ठप

ओएसडी कलेक्टर कब बनेंगे ये अलग विषय है मगर यह सही है कि नए जिलों के हिस्से में जो एरिया आया है, वहां कामधाम बहुत अच्छा नहीं है। वजह यह कि ओएसडी अपने को कलेक्टर जैसे आचरण कर रहे....वे नहीं चाहते कि वर्तमान कलेक्टर उनके इलाके में अब दौरा करें। और कलेक्टरों को भी लगता है, आज नहीं तो कल ये कलेक्टर बन ही जाएंगे तो फिर खामोख्वाह पंगा क्यों लिया जाए। सो, ओएसडी को कोई पावर नहीं है और कलेक्टर अपने को अपने इलाके में समेट लिए हैं। इससे नए जिलों के कामकाज पर असर पड़ रहा है।

मरकाम की विदाई?

क्या इस महीने पीसीसी चीफ मोहन मरकाम की विदाई हो जाएगी....यह हम नहीं कह रहे...मरकाम ने कुछ जगहों पर भाषण में खुद ही 29 जून का डेट बताकर कार्यकर्ताओं को वोट फॉर थैंक्स कर रहे हैं। बिलासपुर के दौरे में दो जगहों पर मरकाम ने कहा कि 29 जून को उनका कार्यकाल खतम हो जाएगा। सवाल उठता है बिना चुनाव हुए वे पद छोड़ेंगे कैसे और खुद वे इसे कैसे कर सकते हैं। हो सकता है अगले साल चुनाव को देखते मरकाम जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहते हो। कांग्रेस के लहर में पिछला चुनाव उन्होंने 800 वोटों से निकाला था। इस बार कहीं कोई दिक्कत हुई तो अच्छा भला कैरियर खतरे में पड़ जाएगा।

राडार पर कलेक्टर

सीएम के भेंट मुलाकात कार्यक्रम में एक आईएफएस सस्पेंड हो चुके हैं। सूरजपुर दौरे में वहां के डीएफओ मनीश कश्यप को मुख्यमंत्री ने निलंबित कर दिया। वहीं, आईएएस सीईओ राहुल देव का ट्रांसफर। सुनने में आ रहा...एक कलेक्टर और एसपी की शिकायतें सरकार के पास पहुंच रही। सो, कोई आश्चर्य नहीं कि भेंट-मुलाकात के कार्यक्रम में शिकायत मिलने पर वे सरकार के राडार पर आ जाएं।

कैलकुलेटर वाले एसपी

कुछ अरसा से सूबे के कई एसपी पोलिसिंग का मतलब क्राईम और वीवीआईपी ड्यूटी समझने लगे थे। इसके अलावा और कुछ नहीं। पुलिस से रिलेटेड दीगर कामों की खानापूर्ति के लिए किसी डीएसपी को प्रभारी बना दिया। फिर कैलकुलेटर लेकर...कोयला से कितना आया, डीजल से इतना आया तो मन्नू कबाड़ी इस बार इतना कम क्यों दिया, फलां थाने के टीआई को बोलो, और बढ़ाए...इससे वक्त मिला तो सोशल मीडिया में वाहवाही मिलने वाले काम में व्यस्त। लेकिन, अब पुराने मामलों का निबटारा, गुमशुदा की तलाश, सायबर क्राईम और चिटफंड कंपनियों जैसे जानकारियों से एसपी साहब लोगों को अपडेट रहना पड़ रहा है। इसकी वजह यह है कि अब रेंज को एक्टिवेट किया गया है। रेंज आईजी अब वीसी के जरिये आए दिन एसपी लोगों को बिठाकर न केवल अपराधों का रिव्यू कर रहे बल्कि संजीदा मामलों की सुनवाई कर रहे हैं। कुल मिलाकर रेंज पुलिस की अहमियत बढ़ी है।

यादव दुखी?

छत्तीसगढ़़ मेंं कांग्रेस की सरकार बनने से पहले चंदन यादव प्रभारी सचिव बन गए थे। उन्होंने मेहनत करने में भी कोई कमी नहीं की। चुनाव के समय लंबे समय तक यहां डटे रहे। बिहार के रहने वाले चंदन सरकार बनने के बाद भी संगठन के कार्यो के सिलसिले में रायपुर आते रहते हैं। ऐसे में, बाहुबलि पप्पु यादव की पत्नी रंजीत रंजन का छत्तीसगढ़ से राज्यसभा में जाना अखरेगा ही। पता चला है, चंदन पार्टी के फैसले से खुश नहीं है। बिहार से, यादव भी, छत्तीसगढ़ में काम भी...कांग्रेस नेताओं का कहना है, आखिर वे क्या बुरे थे।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस उर्जावान मंत्रीजी का नाम बताइये, जिन्होंने अपने एक सब इंजीनियर को वसूली मास्टर लिया है?

2. एक कलेक्टर का नाम बताइये, जो लोगों की शिकायतें और ज्ञापनों के लफड़े से बचने इन दिनों ऑफिस आना बंद कर दिए हैं?


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