ये बताने की आवश्यकता नहीं कि सीएम भूपेश बघेल केंद्र पर सबसे ज्यादा हमलावर रहते हैं। मुख्यमंत्रियों में तो सबसे ऊपर। ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल के तेवर ढीले पड़ गए मगर भूपेश केंद्र को आड़े हाथ लेने का कोई मौका नहीं छोड़ते। मगर, नरेंद्र मोदी जैसे प्रधानमंत्री से दो महीने के भीतर अगर उनकी दो मुलाकातें होंगी तो...कुछ तो लोग कहेंगे...चुटकी लेंगे। और वही हो रहा है। दरअसल, दोनों मुलाकातें गर्मजोशी और आत्मीयता भरी रही। इस बार तो टाइम मांगा और तुरंत मिल भी गया। मोदी ने सीएम के फाग गाने का खास तौर पर जिक्र किया। ऐसे में, हेमंत बिस्वा सरमा से लेकर नाना प्रकार की चुटकी ली जा रही है। खैर, ये तो मजाक की बात हुई, वास्तविकता यह है कि सीएम भूपेश बघेल सियासत में ताकतवर तो हुए हैं। मॉस लीडर में गांधी परिवार के बाद दूसरी हैसियत भूपेश की बनती जा रही है। उनके पास उम्र भी है...मेहनत और माद्दा भी। इस साल होने वाले इलेक्शन में सिर्फ छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार रिपीट होने की संभावना जताई जा रही। इसे एक लाइन में आप समझिए जो स्थिति केंद्र में कांग्रेस की है...ठीक वैसी स्थिति छत्तीसगढ़ में बीजेपी की है।
जान-में-जान
भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर के बयान से टिकिट के दावेदारों को आशा की किरण दिखाई देने लगी है। असल में, लोकसभा चुनाव के बाद इस बात को स्थापित कर दिया गया था कि विधानसभा चुनाव में 90 फीसदी चेहरे बदले जाएंगे। इससे कई पूर्व मंत्री अपनी टिकिट को लेकर कई सशंकित हो गए थे। लेकिन, माथुर के इस बयान से कि 30 से 40 परसेंट चेहरे बदलेंगे, पुराने नेताओं की उम्मीदें जगीं हैं। अब देखना यह है कि क्या वाकई ऐसा होगा या फिर पुराने नेताओं को काम पर लगाने माथुर ने यह पत्ता फेंका है।
और 7 आईएएस
राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों को आईएएस अवार्ड करने डीपीसी होनी है। राप्रसे अफसर चाहते हैं कि 2021 और 2022 की वैकेंसी को क्लब कर एक साथ डीपीसी हो जाए। अगर ऐसा हुआ तो छत्तीसगढ़ को सात और आईएएस मिल जाएंगे। इससे पहले एक बार दो बैच की डीपीसी एक साथ हो चुकी है। मतलब उम्मीद जगने का आधार है।
जिधर जाइएगा, उधर पाइएगा
सूबे में डिप्टी कलेक्टरों की संख्या जिस हिसाब से बढ़ रही है, आने वाले समय में उनका आईएएस बनना मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि, उतनी वैकेंसी नहीं होंगी। हालाकि, अभी तो दो-तीन बैच तक दिक्कत नहीं है। मगर 2014 बैच से मामला गड़बड़ाएगा। डिप्टी कलेक्टरों की संख्या बढ़ने के चलते ही जनपद सीईओ से लेकर डिप्टी सेक्रेटरी...यानी जिधर जाइएगा, उधर पाइएगा, वाली स्थिति हो गई है।
सवाल का जवाब!
तरकश स्तंभ में दो हफ्ते पहले, अंत में दो सवाल में से एक सवाल ये भी था.. किस मंत्री का भतीजा बीजेपी से विधानसभा का चुनाव लड़ेगा। इस सियासी प्रश्न पर कई लोगों के जवाब आए। कुछ सही थे, तो कुछ सही के करीब। कुछ लोग इस बात को लेकर जिज्ञासु थे कि क्या वाकई ऐसा हो सकता है। ऐसे लोगों के लिए मंत्री टीएस सिंहदेव का एक बयान मौजूँ हो सकता है। होली मनाने सरगुजा पहुंचे टीएस ने कहा, मेरे विचार बीजेपी से मेल नहीं खाते, इसलिए मैं कभी बीजेपी में नहीं जाऊंगा। मगर मेरे परिवार के लोग अगर जाते हैं तो मैं क्या कर सकता हूं। मंत्री का विचार सामने आने के बाद आगे कुछ कहने के लिए बचता कहां है।
छत्तीसगढ़ की लोकल राजधानी
राज्य बनने के बाद नवंबर 2000 में छत्तीसगढ़ से राजधानी एक्सप्रेस चली थी तो लोगों को गर्व की अनुभूति हुई थी। खुशी होने की वजह थी और मौका भी। उससे पहले लोग राजधानी एक्सप्रेस का नाम सुनते थे, वो छत्तीसगढ़ से शुरू हो गई थी। ऐसी प्रतिष्ठित ट्रेन को रेलवे अफसरों ने लोकल से भी बदतर कर दिया है। पिछले हफ्ते नागपुर जाने के लिए इस ट्रेन का विकल्प आजमाया। पर पछताने और रेलवे को कोसने के अलावा कोई चारा नहीं था। साढ़े तीन घंटे में यह ट्रेन रायपुर से डोंगरगढ़ पहुंची और पांच घंटे में गोंदिया। नागपुर पहुंचे तक लगभग आधी रात। पेंट्री वालों ने बताया, साल भर से यही स्थिति है।
धनवंतरी को नुकसान
यूं तो कुछ जिलों में धनवंतरी योजना में बढ़िया काम हो रहा है, मगर कुछ कलेक्टर खानापूर्ति कर रहे हैं। कुछ जिलों में पता चला है, कलेक्टर अपनी पीठ थपथपवाने के लिए जिला अस्पतालों पर फोर्स कर धनवंतरी से दवाइयां खरीदवा रहे, ताकि, बिक्री ज्यादा दिखा कर सरकार से नंबर बढ़वाया जा सकें। कलेक्टरों पर सरकार ने धनवंतरी का जिम्मा सौंपा है। वे ही अगर ऐसा करेंगे तो फिर क्या होगा?
प्रमोटी कलेक्टर
इस समय सूबे के 33 जिलों में से आठ में प्रमोटी आईएएस कलेक्टर हैं। और 25 में डायरेक्ट। सुना है, चुनाव को देखते प्रमोटी कलेक्टरों की संख्या कुछ और बढ़ सकती है। अभी बस्तर संभाग के सातों जिलों में आरआर याने डायरेक्ट आईएएस कलेक्टर हैं। प्रमोटी कलेक्टर वाले जिलों में राजनांदगांव, बालोद, कबीरधाम, सारंगढ़, जीपीएम, रायगढ़, सूरजपुर और मनेद्रगढ़ शामिल हैं। बहरहाल, सरकार के समक्ष दिक्कत यह होगी कि 2017 बैच के आरआर वाले भी क्यू में हैं। अब देखना है, कितने आरआर और कितने प्रमोटी का नंबर लग पाता है।
अंत में दो सवाल आपसे
- 1. विधानसभा अगले हफ्ते खत्म हो जाएगा, या पूरे 13 दिन चलेगा?
- 2. बिलासपुर जिला पंचायत सीईओ लंबी छुट्टी पर कैसे चली गईं?
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