तरकशः 11 जून 2023
संजय के. दीक्षित
छत्तीसगढ़ के ऐसे एसपी
निर्वाचन आयोग की ट्रेनिंग में हिस्सा लेने आए सूबे के पुलिस अधीक्षकों की डीजीपी अशोक जुनेजा ने भी लगे हाथ मीटिंग ले लिया। डीजीपी ने इस मौके पर लॉ एंड आर्डर को लेकर कड़े तेवर दिखाए। डीजीपी इस बात से काफी खफा थे कि कुछ एसपी उनका फोन रिसीव नहीं करते। भरी मीटिंग में उन्होंने यह बात कही तो सन्नाटा पसर गया। क्योंकि, ऐसा कहीं होता नहीं। एसपी डीजी का फोन रिसीव नहीं करें...इसका मतलब समझ सकते हैं कि पुलिस का सिस्टम किस हद तक डिरेल्ड हो गया है। हैरानी का विषय यह है कि डीजीपी का फोन रिसीव नहीं करने वाले कोई प्रमोटी नहीं बल्कि दो आरआर हैं और बड़े जिला संभाल रहे हैं। गृह विभाग को इसे सनद रखना चाहिए कि प्रदेश की पोलिसिंग किस दिशा में जा रही है। वैसे, डीजीपी का फोन रिसीव न करने से कुछ बिगड़ने वाला भी तो नहीं है। आपको याद होगा, दुर्ग में डीजीपी ने रिव्यू मीटिंग किया था। उसमें वहां के एडिशनल एसपी की उन्होंने न केवल क्लास ली बल्कि दूसरे दिन उनका ट्रांसफर रायगढ़ कर दिया गया। मगर गृह विभाग ने वीटो लगाते हुए अफसर का ट्रांफसर निरस्त कर दुर्ग में कंटीन्यू कर दिया। वे आज भी दुर्ग में जमे हुए हैं। जुनेजा जैसे हाई प्रोफाइल डीजीपी जब एक एडिशनल एसपी का कुछ नहीं कर सकते तो आगे आप समझ सकते हैं...गृह विभाग में हो क्या रहा।
पति की जगह पत्नी और...
90 सीटों के सर्वे वायरल करवा एक सियासी पार्टी ने अपने नॉन पारफारमेंस विधायकों को अलार्म कर दिया कि वे पार्टी के लिए किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहें। बता दें, छत्तीसगढ़ में दोनों बड़ी पार्टियां अबकी बड़ी संख्या में नए चेहरों को मैदान में उतारने की तैयारी कर रही हैं। जिन विधायकों की जीत में किंचित मात्र भी संदेह होगा, उन्हें किनारे लगाने में कोई गुरेज नहीं किया जाएगा। बताते हैं, कांग्रेस और भाजपा, दोनों पार्टियां टिकिट वितरण के लिए फायनल सर्वे कराने जा रही हैं। सर्वे में खासकर इस प्वाइंट को रेज किया जाएगा कि विधायक के खिलाफ अगर लोगों में नाराजगी है तो उसका विकल्प क्या होगा। इसके लिए तीन नाम सुझाए जाएंगे। इसमें एक और जानकारी आ रही कि एंटी इंकम्बेंसी कम करने के लिए अगर पति विधायक हैं तो उनकी जगह पत्नी को खड़ा कर दिया जाए और पत्नी की जगह पति को...कुछ सीमित सीटों पर यह प्रयोग किया जा सकता है।
नेता प्रतिपक्ष कोरबा से?
छत्तीसगढ़ की जांजगीर-चांपा ऐसी विधानसभा सीट है, जहां से कोई भी विधायक रिपीट नहीं करता। वहां से एक बार मोतीलाल देवांगन चुनाव जीतते हैं तो एक बार नारायण चंदेल। चंदेल वहां से फिलहाल विधायक हैं। संयोग की अगर पुनरावृति हुई तो इस बार मोतीलाल देवांगन की जीत पक्की मानी जा रही है। हालांकि, बीजेपी इस संयोग को दोहराने से रोकने कुछ नया करना चाह रही है। खबर है, पार्टी की तरफ से चंदेल को इशारा किया गया है, वे कोरबा से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए मेंटली तैयार रहे...जांजगीर में इस बार किसी और को मौका दिया जाएगा। अगर ये खबर सही होगी तो फिर अगले साल ज्योत्सना महंत के सामने चंदेल प्रत्याशी होंगे। उधर, जांजगीर में इस बार सत्ताधारी पार्टी को कुछ ज्यादा ताकत लगानी होगी।
बूझो तो जानो
सामान्य प्रशासन विभाग ने 23 आईएएस अधिकारियों को नई पोस्टिंग दी। मगर इनमें आबकारी कमिश्नर कौन और सचिव महिला बाल विकास विभाग की जिम्मेदारी किसके पास रहेगी, आदेश में दोनों को गोल कर दिया। दरअसल, निरंजन दास आबकारी आयुक्त के साथ आबकारी सचिव भी थे। दोनों जिम्मेदारियों को संभालने में असमर्थता जताने के बाद सरकार ने जनकराम पाठक को आबकारी सचिव का प्रभार दिया और यशवंत कुमार को एमडी ब्रेवरेज कारपोरेशन का। मगर पूरे आदेश में आबकारी कमिश्नर का कोई उल्लेख नहीं है। इसी तरह भुवनेश यादव अभी तक महिला बाल विकास, उच्च शिक्षा, समाज कल्याण और वाणिज्य तथा उद्योग विभाग के सचिव थे। मगर नए आदेश में उन्हें पीडब्लूडी सौंपते हुए ये स्पष्ट नहीं किया गया कि महिला बाल विकास उनके पास रहेगा या किसी और को सौंपा जाएगा। आदेश में लिखा गया है...पीडब्लूडी का दायित्व सौंपते हुए उन्हें सचिव समाज कल्याण और वाणिज्य तथा उद्योग का अतिरिक्त प्रभार दिया जाता है। महिला बाल विकास का नाम इसमें से गायब है। याने आबकारी कमिश्नर और महिला बाल विकास सिकरेट्री कौन होगा? बूझो तो जानो।
खाता ओपन
कलेक्टर बनने के लिए लंबे समय से वेट कर रहे 2017 बैच का खाता खुल गया है। राज्य सरकार ने इस बैच के आकाश छिकारा को रायपुर जिला पंचायत सीईओ से हटाकर गरियाबंद का कलेक्टर बनाया है। इस बैच में पांच आईएएस हैं। इनमें से सबसे पहले उपर से तीन अधिकारियों को कलेक्टर बनाए जाने की चर्चा थी। इनमें रायपुर और बिलासपुर नगर निगम कमिश्नर मयंक चतुर्वेदी और कुणाल दुदावत शामिल थे। मगर एक तो दोनों के पास अहम दायित्व है और फिर कलेक्टरों की लिस्ट इतनी छोटी थी कि इससे ज्यादा अधिकारियों का नंबर लग नहीं सका। दो ही जिलों के कलेक्टर बदले गए। गरियाबंद और महासमुंद। जून लास्ट या फिर जुलाई में मानसून सत्र के बाद कलेक्टरों की बड़ी लिस्ट निकलेगी, उसमें हो सकता है कि 2017 बैच को सरकार कंप्लीट कर दें। इस बैच में आकश छिकारा, रोहित व्यास, मयंक चतुर्वेदी, कुणाल दुदावत और चंद्रकांत वर्मा कुल पांच आईएएस हैं। इनमें से तीन सूबे के टॉप तीन नगर निगमों को संभाल रहे हैं। तो एक के पास मेडिकल कारपोरेशन की जिम्मेदारी है।
पोस्टिंग में चूक?
आईएएस के नए फेरबदल में 2007 बैच के आईएएस यशवंत कुमार को ब्रेवरेज कारपोरेशन का एमडी का दायित्व सौंपा गया है। और उन्हीं के बैच के प्रमोटी आईएएस जनकराम पाठक को आबकारी सचिव बनाया गया है। याने यशवंत जनकराम को रिपोर्ट करेंगे। बता दें, यशवंत सिकरेट्री प्रमोट हो चुके हैं। मगर जनकराम दुष्कर्म के केस की वजह से प्रमोशन से वंचित रह गए। वे अभी भी स्पेशल सिकरेट्री हैं। लगता है, नोटशीट तैयार करते समय जीएडी अधिकारियों से कोई चूक हो गई। वरना, यशवंत के साथ ऐसा तो नहीं होता।
2008 बैच कमिश्नर
छत्तीसगढ़ बनने के बाद पहली बार दो डायरेक्ट आईएएस डिवीजनल कमिश्नर बनाए गए हैं। भीम सिंह बिलासपुर और शिखा तिवारी सरगुजा। इससे पहले पांच संभागों में मुश्किल से एकाध ही डायरेक्ट आईएएस होते थे। मसलन, अलग-अलग समय में केडीपी राव, सोनमणि बोरा बिलासपुर के कमिश्नर रहे तो यशवंत कुमार रायपुर के। दिलचस्प ये भी...पांच संभागों में से चार संभागों में इस समय 2008 बैच के आईएएस कमिश्नर हो गए हैं। भीम और शिखा 2008 बैच के आईएएस हैं। इनके अलावा दुर्ग कमिश्नर महादेव कावड़े और बस्तर कमिश्नर श्याम धावड़े भी इसी बैच से हैं।
सबसे ताकतवर
सिकरेट्री लेवल पर दो बैच इस समय काफी प्रभावशाली हो गया है। वो है 2006 और 2010 बैच। 2006 बैच के अंकित आनंद और एस भारतीदासन पहले से सिकरेट्री टू सीएम हैं। अंकित के पास इसके अलावा फायनेंस, बिजली के साथ बिजली कंपनियों के चेयरमैन की भी जिम्मेदारी है। हम पहले भी लिख चुके हैं, अंकित जैसे पोर्टफोलियों वाला देश में कोई और आईएएस नहीं है। उधर, भारतीदासन भी सिकरेट्री टू सीएम के साथ सिकरेट्री स्कूल एजुकेशन और सिकरेट्री पीएचई हैं। 25 हजार करोड़ का जल जीवन मिशन पीएचई में ही आता है। इसी बैच के भुवनेश यादव को सरकार ने पीडब्लूडी जैसे बड़े विभाग भी सौंप दिया है। भुवनेश के पास पहले से वाणिज्य और उद्योग, समाज कल्याण के साथ ही अघोषित तौर पर महिला बाल विकास भी है। अब 2010 बैच। इस बैच में कार्तिकेय गोयल को छोड़ दें तो सभी के पास बढ़ियां पोर्टफोलियो है। खासकर जेपी मौर्या और सारांश मित्तर काफी वजनी हुए हैं। अभी 2008 बैच सिकरेट्री नहीं हुआ है। मगर मौर्या 2010 बैच के होने के बाद भी माईनिंग जैसे विभाग के स्पेशल सिकरेट्री स्वतंत्र प्रभार हो गए हैं। उन्हें डायरेक्टर हेल्थ भी बनाया गया है। इसी तरह सारांश मित्तर के पास पहले सीएसआईडीसी और रोड विकास निगम के एमडी की जिम्मेदारी थी। अब उन्हें नगरीय प्रशासन संचालक का भी प्रभार मिल गया है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. नए-नए पर निकल रहे बीजेपी के एक युवा नेता विधानसभा टिकिट के लिए अपनी गर्लफ्रेंड का बखूबी उपयोग कर रहे हैं, नेताजी का नाम बताइये?
2. हेल्थ डिपार्टमेंट के आईएएस अधिकारियों की तुलना बकरीद के बकरे से क्यों की जा रही है?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें