रविवार, 23 जुलाई 2023

Chhattisgarh Tarkash: रिटायरमेंट से पहले खेला!

 तरकश, 23 जुलाई 2023

संजय के. दीक्षित

रिटायरमेंट से पहले खेला!

लेबर कमिश्नर और सिकरेट्री दोनों के दायित्व संभाल रहे आईएएस अमृत खलको इस महीने 31 जुलाई को रिटायर होने जा रहे हैं। उनके पास इन दोनों के अलावा रजिस्टर्ड मजदूरों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने वाला ईएसआई डायरेक्टर का भी प्रभार है। इसी ईएसआई में एक बड़ा खेला की इन दिनों खूब चर्चा है। दरअसल, खलको के रिटायरमेंट से 10 दिन पहले 45 करोड़ की दवा खरीदी के लिए विभाग में राकेट की गति से फाइल दौड़ रही है। गड़बड़झाले को भांपकर परचेज कमेटी के 10 में से दो सीनियर डॉक्टरों समेत चार सदस्यों ने बीमारी का बहाना बनाकर हाथ खड़ा कर दिया...यह कहते हुए कि साब चले जाएंगे, हमें फंसना नहीं। आनन-फानन में फिर नए सदस्यों को कमेटी में शामिल किया गया है। कमेटी ने दवाइयों की अनुशंसा कर दी है। किसी भी दिन कंपनियों को खरीदी का आर्डर दे दिया जाएगा। बता दें, खलको ईएसआई डायरेक्टर का पद अपने पास रखे हैं, उस पद पर विभाग के सीनियर डॉक्टर की पोस्टिंग की जाती है। मगर 2021 में डायरेक्टर डॉ0 भसीन के रिटायर होने के बाद इस पद पर किसी की नियुक्ति नहीं की गई। पिछले कुछ महीनों में 34 करोड़ की दवाइयां खरीदी गई, उसमें 11 करोड़ का विटामिन और 10 करोड़ का पेन किलर स्प्रे खरीद लिया। वो भी सभी प्रायवेट कंपनियों से। प्रायवेट कंपनियों से क्यों और बी कांप्लेक्स और पेन किलर स्प्रे क्यों...? इसे समझा जा सकता है। और अब जाते-जाते 34 करोड़ की और खरीदी। बताते हैं, सीएस से इसका कांप्लेन किया गया है। देखना है, सरकार इस पर क्या एक्शन लेती है। क्योंकि चुनाव सामने हैं। ऐसे में, यह बड़ा इश्यू बन सकता है।

नंगई, सियासात और कार्रवाई!

रायपुर में एससी, एसटी युवाओं द्वारा विधानसभा रोड पर नग्न प्रदर्शन के बाद छत्तीसगढ़ शर्मसार है। इस घटना के बाद जाहिर तौर पर राष्ट्रीय फलक पर सूबे की छबि को काफी नुकसान पहुंचा है। अभी तक विदेशों में हमलोग इस तरह की यदा-कदा घटनाएं सुना करते थे। अपने देश में ये कल्पना से बाहर की बात थी। यही वजह है कि वीडियो जब वायरल हुआ तो एकबारगी यकीं नहीं हुआ...लोग हतप्रभ थे...अपने रायपुर में ऐसी शर्मनाक घटना। जाहिर है, चुनाव सामने है तो इस पर सियासत भी होनी ही थी। एक नेताजी नंगे युवाओं से भी आगे निकल गए। विधानसभा में उन्होंने मांग कर डाली...नग्न प्रदर्शन करने वाले युवाओं को निःशर्त रिहा किया जाए। आईएएस और आईपीएस लॉबी के बीच भी इस नग्न प्रदर्शन पर सबकुछ अच्छा नहीं चल रहा। ब्यूरोक्रेसी में इस घटना के लिए पुलिस को जिम्मेदार बताया जा रहा है। पुलिस पर सवाल किए जा रहे...पहले से सूचना होने के बाद भी राजधानी पुलिस कुछ नहीं कर पाई। इसके लिए कुछ पुलिस अधिकारियों को हटाने की चर्चाएं भी हो रहीं। तो आईपीएस लॉबी का कहना है कि घटना के बाद मीटिंग करने की बजाए पहले ही मीटिंग कर प्राब्लम को शार्टआउट क्यों नहीं किया गया। बहरहाल, अब बातें जो भी, जितनी भी हो...छत्तीसगढ़ के माथे पर इस नग्न प्रदर्शन का कलंक तो लग ही गया।

तीसरी कार्रवाई 

छत्तीसगढ़ ब्यूरोक्रेसी के लिए यह किसी झटके से कम नहीं है...9 महीने के भीतर दो आईएएस अधिकारियों को जेल जाना पड़ा। पिछले साल अक्टूबर में 2009 बैच के आईएएस समीर विश्नोई को मनी लॉड्रिंग केस में ईडी ने गिरफ्तार किया था। समीर अभी भी जेल में हैं। हालांकि, उनके साथ आईएएस रानू साहू और उनके आईएएस पति जेपी मौर्या के यहां भी ईडी ने छापा मारा था। मगर तब पूछताछ करके उन्हें छोड़ दिया था। कल 9 महीने बाद ईडी फिर से रानू साहू के देवेंद्र नगर स्थित सरकारी बंगले पहुंची तभी से ब्यूरोक्रेसी गलियारों में दबी जुबां से बड़ी कार्रवाई की चर्चाएं शुरू हो गई थी। और आखिरकार आज ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद आईएएस की यह तीसरी गिरफ्तारी है। इन दोनों से पहले पिछली सरकार में आईएएस बीएल अग्रवाल को इंकम टैक्स और फिर सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। बीएल को बाद में राज्य की सर्विस रिव्यू कमेटी की सिफारिश पर भारत सरकार ने कंप्लसरी रिटायर कर दिया था।

गिरफ्तारी और आईएएस कांक्लेव

डायरेक्टर एग्रीक्लचर रानू साहू की गिरफ्तारी आईएएस बिरादरी के लिए यकीनन किसी झटके से कम नहीं है। सिर्फ रानू ही नहीं, साल भर के भीतर दो साथी सलाखों के पीछे। इस बीच कल से राजधानी में आईएएस कांक्लेव प्रारंभ होने जा रहा है। रानू की ये घटना नहीं हुई होती तो आईएएस अधिकारियों में कांक्लेव को लेकर उत्साह कुछ और होता। मगर चूकि प्रोग्राम फायनल हो चुका है। 24 जुलाई शाम सीएम भूपेश बघेल भी इसमें हिस्सा लेंगे। अफसरों के मन में रानू की गिरफ्तारी को लेकर कसक तो रहेगी...वे अब प्रोग्राम स्थगित भी नहीं कर सकते। पिछले साल नवंबर में भी कांक्लेव होना था। मगर आईएएस अधिकारियों के यहां ताबडतोड़ छापे और समीर विश्नोई की गिरफ्तारी की वजह से उस समय कांक्लेव को स्थगित कर दिया गया था।

कलेक्टरों की लिस्ट कभी भी

विधानसभा का मानसून सत्र खतम हो जाने के बाद अब कलेक्टरों की लिस्ट निकलने की अटकलें शुरू हो गई है। अटकलों को हकीकत में बदलने में कोई संशय इसलिए नहीं है कि 2 अगस्त से मतदाता सूची का काम प्रारंभ होने जा रहा है। लिहाजा, उसके बाद कलेक्टरों का ट्रांसफर नहीं हो सकता। क्योंकि, कलेक्टर पदेन जिला निर्वाचन अधिकारी होते हैं। स्पेशल केस में अगर उनका ट्रांसफर करना भी होगा, तो भारत निर्वाचन आयोग से अनुमति लेनी पड़ेगी। ऐसे में, 2 अगस्त से पहले कलेक्टरों की एक लिस्ट निकलना निश्चित समझा जा रहा है। सत्र के बाद इस पर मंत्रणा भी प्रारंभ हो गई है। अभी तक छह-से-सात कलेक्टर बदले जाने की चर्चा है। मुंगेली कलेक्टर राहुल देव का किसी अन्य जिले के लिए नाम चल रहा है। उनके अलावा चार बड़े जिलों के कलेक्टर भी बदले जाएंगे। तीन कलेक्टरों को इधर-से-उधर किया जाएगा। सो, कुछ तीन-चार को रायपुर बुलाया जाएगा। 2017 बैच के पांच आईएएस में से आकाश छिकारा कलेक्टर बन गए हैं। सरकार अगर चाहे तो इस बैच के दो-एक आईएएस का नंबर कलेक्टर बनने के लिए लग सकता है।

एसपी भी बदलेंगे

कलेक्टरों के साथ तीन-चार जिलों के पुलिस अधीक्षकों के भी बदले जाने की चर्चा है। इनमें एक बड़े जिले के एसपी भी प्रभावित हो सकते हैं। बाकी पांच जिलों में डीआईजी जिले की कमान संभाल रहे हैं। इनमें रायपुर, गरियाबंद, बलौदा बाजार, गरियाबंद और जगदलपुर शामिल है। सरकार में इस पर विचार किया जा रहा कि इलेक्शन तक इन सीनियर अफसरों को जिले में रखा जाए या पुलिस मुख्यालय बुलाया जाए। यद्यपि, डीआईजी की जिले में पोस्टिंग से निर्वाचन आयोग को कोई आपत्ति नहीं होगी। ये सरकार का आउटलुक है कि किसे जिले में एसपी तैनात करती है।

अटकी पोस्टिंग

निर्वाचन आयोग में दो आईएएस की नियुक्ति होनी है। एक एडिशनल सीईओ और दूसरा ज्वाइंट सीईओ। 2018 के विधानसभा चुनाव के समय जून में इन दोनों पदों पर निर्वाचन आयोग ने पोस्टिंग कर दी थी। मगर इस बार रहस्मय कारणों से दोनों पोस्टिंग लटकी हुई है। बता दें, एडिशनल सीईओ किसी सिकरेट्री रैंक के आईएएस को बनाया जाएगा...हो सकता है वह 2007 बैच का हो। वहीं ज्वाइंट सीईओ के लिए 2011 या 2012 बैच के किसी आईएएस का नंबर लग सकता है। जब तक ये पोस्टिंग नहीं होगी, इन बैचों के अफसरों की धड़कनें बढ़ी रहेंगी। क्योंकि, निर्वाचन में कोई जाना चाहता नहीं। सो, अधिकारियों में बेचैनी है कि पेनल में नाम किसका गया है या भेजा जा रहा है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष फूलोदेवी नेताम ने इस्तीफा दे दिया है, मगर उनका इस्तीफा स्वीकार कर नए अध्यक्ष की नियुक्ति क्यों नहीं हो रही?

2. दीपक बैज के पीसीसी अध्यक्ष बनने के बाद मोहन मरकाम के समय के चर्चित महामंत्रियों का क्या होगा?



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