शनिवार, 29 जुलाई 2023

Chhattisgarh Tarkash: डिप्टी कलेक्टरों को इम्पॉर्टेंस

तरकश, 30 जुलाई 2023

संजय के. दीक्षित

डिप्टी कलेक्टरों को इम्पॉर्टेंस

विधानसभा चुनाव में अबकी डिप्टी कलेक्टरों को अहम जिम्मेदारी मिलने जा रही है। सरकार ने सभी 90 विधानसभा सीटों पर एसडीएम या डिप्टी कलेक्टरों को रिटनिंग आफिसर अपाइंट करने का नोटिफिकेशन राजपत्र में प्रकाशित कर दिया है। इससे पहले कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ, नगर निगम कमिश्नर और अपर कलेक्टरों को ही आरओ बनने का मौका मिलता था। इक्का-दुक्का डिप्टी कलेक्टर ही आरओ बन पाते थे। मगर अब आरओ में डिप्टी कलेक्टरों का दबदबा रहेगा। बताते हैं, चीफ इलेक्शन आफिस से ऐसा कुछ प्रस्ताव निर्वाचन आयोग को भेजा गया था। और वहां से ओके हो गया। हालांकि, कुछ सूबों में पहले से डिप्टी कलेक्टरों को विस चुनाव का आरओ बनाया जाता था। बहरहाल, इस कंसेप्ट के पीछे तर्क यह है कि कलेक्टर जिले के निर्वाचन अधिकारी होते हैं इसलिए एक विधानसभा क्षेत्र का आरओ बनने के बाद उनका बाकी जिलों में काम प्रभावित होता है। मगर जिला पंचायत सीईओ, ननि कमिश्नर और एडिशनल कलेक्टर को आरओ बनाया जा सकता था। अब दिक्कत यह होगी कि सीनियर अफसरों को अपना औरा होता है...डिप्टी कलेक्टरों को 15 साल सरकार चलाने वाली भाजपा और सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ता कितना महत्व देंगे, इसे आप समझ सकते हैं। दूसरी दिक्कत यह है कि निर्वाचन आयोग से सारे सर्कुलर अंग्रेजी में आते हैं। अधिकांश डिप्टी कलेक्टरों का आंग्ल भाषा से सरोकार नहीं है। अब छत्तीसगढ़ पीएससी और उसमें सलेक्ट हुए डिप्टी कलेक्टरों के बारे में टिप्पणी करना यहां मुनासिब नहीं। मगर यह सही है कि डिप्टी कलेक्टरों के लिए विधानसभा चुनाव कराना बड़ी चुनौती होगी।

कलेक्टरों की लिस्ट पर ब्रेक

कलेक्टरों की बड़ी लिस्ट निकलते-निकलते दो पर आकर सिमट गई। वो भी एक्सचेंज किया गया। बिलासपुर वाले कोरबा और कोरबा वाले बिलासपुर। बताते हैं, लिस्ट लंबी होकर 10 कलेक्टरों से अधिक पहुंच गई थी। कई जिलों के कलेक्टर मेंटली तैयार थे...बोरिया-विस्तर भी समेटना चालू हो गया था। सरगुजा, कोरबा, कांकेर, मुंगेली, कोंडागांव, सक्ती, जांजगीर, जीपीएम का तो लगभग फायनल समझा जा रहा था। मगर किन्हीं विशेष वजहों से सरकार ने सिर्फ कोरबा से संजीव झा को बुलाकर न्यायधानी की कमान सौंप दी और सौरव कुमार को बिलासपुर से कोरबा भेज दिया। हालांकि, सौरव भी कोरबा खुश होकर नहीं गए होंगे। एक जमाना था, जब कोरबा का कलेक्टर बनने के लिए लोग जैक लगाते थे। मगर ईडी के छापों की वजह से आईएएस अब कोरबा जाने से कतरा रहे हैं। संजीव भी पोस्टिंग आदेश देखकर थैंक्स गॉड ही बोले होंगे।

आईजी पोस्टिंग

आईजी के ट्रांसफर में सबसे अधिक बस्तर आईजी सुंदरराज के बदलने की चर्चा थी। सुंदरराज का बस्तर में दो साल से अधिक हो गया है। फिर उन्हें कंटीन्यू करने निर्वाचन आयोग से अनुमति मिलने की भी खबर नहीं है। बहरहाल, चार पुलिस महानिरीक्षकों के ट्रांसफर में रतनलाल डांगी का ठीकठाक कहा जा सकता है। बिलासपुर आईजी के बाद पुलिस ट्रेनिंग अकादमी में डायरेक्टर बनाए गए डांगी अब रायपुर रेंज के आईजी बन गए हैं। डांगी बस्तर से लेकर सरगुजा तक काम कर चुके हैं। मगर रायपुर में उन्हें कभी पोस्टिंग नहीं मिली थी। उधर, डॉ0 आनंद छाबड़ा का दुर्ग से बिलासपुर ट्रांसफर हुआ है। बिलासपुर छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा ही नहीं, मलाईदार पुलिस रेंज माना जाता है। मगर खुफिया चीफ रह चुके छाबड़ा को बिलासपुर की पोस्टिंग कितनी रास आएगी, कहा नहीं जा सकता। बद्री नारायण मीणा जरूर वीवीआईपी रेंज दुर्ग के आईजी बनाए गए हैं। मगर राजनांदगांव रेंज बनने के बाद दुर्ग का दायरा छोटा हो गया है। तीन जिले इस रेंज से निकल गए हैं। झटका तो रायगढ़ के नए आईजी रामगोपाल गर्ग को भी लगा होगा। सरगुजा जैसे रेंज संभालने के बाद उन्हें रायगढ़ जैसा नया रेंज उन्हें मिला है। रायगढ़ में उनके लिए न आफिस होगा और न गाड़ी-घोड़ा। हालांकि, राहत की बात यह होगी कि दिसंबर में नई सरकार फर्म होने के बाद नए सिरे से फिर पोस्टिंग होगी। याने चार महीने बाद एक मौका होगा, पोस्टिंग ठीक कराने का।

आईपीएस को अवसर

राज्य सरकार ने रेंज आईजी की संख्या बढ़ाकर अब आठ कर दिया है। पहले पांच रेंज थे। सरकार ने पहले रायपुर देहात रेंज बनाया। फिर अब राजनांदगांव और रायगढ़। इससे आईजी रैंक के अफसरों को फायदा ये होगा कि फील्ड पोस्टिंग के लिए दो रेंज और बढ़ गए हैं। पहले आईजी लेवल पर अफसरों का बड़ा टोटा था। इसलिए, कई बार डीआईजी को भी प्रभारी आईजी बनाया गया। मगर अब ऐसी स्थिति नहीं है। 2003 बैच में तीन आईपीएस हैं। इसके बाद 2004 और 2005 बैच में संख्या और बढ़ गई है। अगले साल 2006 बैच वाले भी आईजी प्रमोट हो जाएंगे। यद्यपि, इन आठों रेंज में डायरेक्टर आईपीएस को ही मौका मिला है। पीएचक्यू में आईजी रैंक वाले तीन प्रमोटी आईपीएस भी हैं। संजीव शुक्ला, सुशील द्विवेदी और आरपी साय। आठ में से एक में भी प्रमोटी को मौका न मिलना जाहिर तौर पर उन्हें खटका होगा।

सीनियर आईपीएस रिटायर

छत्तीसगढ़ के सबसे सीनियर आईपीएस संजय पिल्ले कल 31 जुलाई को रिटायर हो जाएंगे। संजय 1988 बैच के आईपीएस अफसर हैं और इस समय डीजी जेल का दायित्व संभाल रहे हैं। उनके रिटायर होने के बाद 1 अगस्त से डीजीपी अशोक जुनेजा प्रदेश के सबसे वरिष्ठ आईपीएस हो जाएंगे। संजय पिल्ले के रिटायर होने के साथ सवाल ये है कि जेल का नया मुखिया कौन होगा। हालांकि, मूलतः ये एडिशनल डीजी रैंक का पद है। 2017 के कैडर रिव्यू में इसे सातवें नंबर पर रखा गया है। पहले नंबर पर डीजी पुलिस, दूसरे पर डीजी ट्रेनिंग, तीसरा इंटेलिजेंस, चौथा प्रशासन, पांचवा फायनसेंस, छठा सीएएफ और सातवे नंबर पर जेल तथा होमगार्ड है। दरअसल, अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से ये परंपरा चली आ रही है कि सेम रैंक या जूनियर के डीजी पुलिस बनने के बाद समकक्ष़्ा या सीनियर अफसरों को पुलिस मुख्यालय से हटाकर जेल की कमान सौंप दी जाती है। ताकि, सीनियरिटी का सम्मान बना रहे। चूकि लंबा समय हो गया इसलिए इसे डीजी का पद समझा जाने लगा। अभी अशोक जुनेजा सबसे सीनियर आईपीएस हैं इसलिए जरूरी नहीं कि डीजी रैंक का आईपीएस ही जेल की कमान संभाले। एडीजी को भी जेल और होमगार्ड का दायित्व सौंपा जा सकता है।

भीम को फैसला

पिछले सप्ताह तरकश में रिटायरमेंट से पहले खेला शीर्षक से एक खबर लगी थी, जिसमें जाते-जाते 45 करोड़ की दवा खरीदी की फाइल दौड़ने का जिक्र था। इसमें ऐसी कंपनियों की दवा खरीदी जा रही थी, जिसमें फिफ्टी-फिफ्टी का डील होता है। याने लगभग 20 खोखा का मामला था। मगर तरकश में खबर प्रकाशित होने के बाद सरकार ने आंखें तरेरी और खरीदी होल्ड कर दी गई। अब भीम सिंह लेबर कमिश्नर बन गए हैं। उनके सामने इस खरीदी पर फैसला करना होगा। क्योकि, प्रेशर में आकर परचेज कमिटी ने दवा खरीदी का एप्रूवल दे दिया है। देखना है, नए डायरेक्टर अब इस खरीदी एपिसोड पर क्या फैसला लेते हैं।

छत्तीसगढ़ की पूछपरख

विधानसभा चुनाव निकट आते ही बीजेपी की सियासत में छत्तीसगढ़ की पूछ बढ़ गई है। पार्टी अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा ने आज राष्ट्रीय कार्यकारिणी का ऐलान किया। लिस्ट में पहली बार अबकी छत्तीसगढ़ के तीन नेताओं को उपाध्यक्ष पद दिया गया है। इनमें सबसे उपर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ0 रमन सिंह का नाम है। हालांकि, वे पुरानी कार्यकारिणी में भी उपाध्यक्ष थे। मगर सरोज पाण्डेय और लता उसेंडी को भी इस बार उपाध्यक्ष के तौर पर नया शामिल किया गया है। चलिये, चुनाव के मद्देनजर ही सही छत्तीसगढ़ का इंपार्टेंस बढ़ा है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. कलेक्टर, एसपी के बीच ये मजाक क्यों चल रहा कि अगला चार महीने ठीक से निकालना है तो मनरेगा आयुक्त रजत बंसल को खुश करके रखो?

2. किस मंत्री के पीए ईडी के छापों को देखते विधानसभा रोड के पॉश कालोनी को छोड़कर सरकारी मकान में शिफ्थ हो गए हैं?


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