शनिवार, 1 जून 2024

Chhattisgarh Tarkash 2024: लौटेंगे कई आईएएस

 तरकश, 2 जून 2024

संजय के. दीक्षित

कौवा कान ले गया 

ये सही है कि लगभग सभी एग्जिट पोलों में छत्तीसगढ़ में भाजपा को एकतरफा सीटें मिलती दिख रही हैं। बावजूद इसके रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़ जैसी सीटों के प्रत्याशियों को छोड़ दें तो बाकी के चेहरों पर वो कांफिडेंस नहीं दिखाई पड़ रहा। दरअसल, ये परसेप्शन का खौफ है। पिछले दो महीनों में पूरे देश में सोशल मीडिया के जरिये ये परसेप्शन निर्मित हुआ कि एनडीए अबकी पिछड रहा है। जाहिर है, उससे छत्तीसगढ़ भी अछूता नहीं रहा। सोशल मीडिया की हवा इतनी तगड़ी थी कि लोग यह मानने और सुनने के लिए तैयार नहीं थे कि फरवरी तक बीजेपी एकतरफा जीत रही थी तो दो महीने में आखिर इंडिया गठबंधन ने क्या गुल खिला दिया या नेतृत्व का कौन सा ऐसा मॉडल पेश कर दिया कि वोटर मंत्रमुग्ध हो गया। हर आदमी सिर्फ यही...बीजेपी की सीटें कम हो रही हैं। अगर नतीजों का पूर्वानुमान सही उतरता है तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि बड़े-बड़े सियासी पंडितों की कलई खुल जाएगी कि वे अपना दिमाग नहीं लगाते...परसेप्शन के आधार पर अपना विचार बनाते हैं। और यह भी कि कोई बोल दिया... कौवा कान ले गया तो लोग अपना कान चेक नहीं करते. वो भी शुरू हो जाते हैं... कौवा कान ले गया. 

लौटेंगे कई आईएएस

भारत सरकार ने अगर एक्सटेंशन नहीं दिया तो इस साल दो-तीन आईएएस अफसरों को छत्तीसगढ़ लौटना पड़ेगा। इनमें पहला नाम 2004 बैच के आईएएस अमित कटारिया का है। जून 2022 में उन्हें भारत सरकार ने दो साल का एक्सटेंशन दिया था। अगले महीने ये पूरा हो जाएगा। केंद्र में सात साल के बाद बेहद खास केस हो...पीएम लेवल पर कुछ पहुंच हो, तभी एक्सटेंशन मिलता है। उनके बाद डॉ0 रोहित यादव का भी टेन्योर पूरा हो जाएगा। हालांकि, वे प्रधानमंत्री कार्यालय में हैं, सो हो सकता है कि कंटीन्यू कर जाएं। मगर छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी में दबी जुबान से यह चर्चाएं सुनाई पड़ रही है कि दिल्ली में पोस्टेड आईएएस अमित अग्रवाल वापिस छत्तीसगढ़ लौट सकते हैं। अमित एडिशनल सिकरेट्री हैं। इस रैंक के अफसरों पर टाईम बांड लागू नहीं होता। नार्मल केस में न भारत सरकार उन्हें यहां भेज सकती और न राज्य सरकार उन्हें बुला सकती...जब तक कि वे खुद इसके लिए तैयार न हो। जैसे सुनिल कुमार लौटे थे। यद्यपि, अमित अग्रवाल दिल्ली में पूरी तरह सेट हो गए हैं। छत्तीसगढ़ में जब थे, तब भी उनकी अलग पहचान थी, अब तो उनकी भारत सरकार वाली वर्किंग हो गई है। ऐसे में, पहला सवाल यह कि क्या वे छत्तीसगढ़ में एडजस्ट हो पाएंगे? और दूसरा सवाल...अमित वाकई छत्तीसगढ़ लौटेंगे या सिर्फ चर्चाएं हैं?

कलेक्टर, एसपी की लिस्ट

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद छत्तीसगंढ़ में प्रशासनिक और पुलिस महकमे में अहम बदलाव की खबरें तेज है। खासकर, कलेक्टर, एसपी लेवल पर। सरकार के करीबी लोगों की मानें तो सूबे में कई जिलों के कलेक्टर बदलेंगे तो आधा दर्जन से अधिक पुलिस अधीक्षक भी चेंज होंगे। पिछली सरकार में पोस्टेड जिन कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों का पिछली सूची में नंबर नहीं लग पाया था, उनमें से अधिकांश को सरकार इस बार बदल सकती है। कुछ कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों के खिलाफ संगठन के नेताओं की भी शिकायतें हैं, उनमें से भी कुछ को खो किया जाएगा। कुल मिलाकर लिस्ट अच्छी-खासी हो जाएगी। एक आईजी, और वहां के एसपी भी बदल सकते हैं। नगरीय निकाय चुनाव को ध्यान में रखते हुए कुछ नगर निगमों के आयुक्त भी बदले जाएंगे तो जिला पंचायत के दो-चार सीईओ के भी नंबर लग सकते हैं। बिलासपुर में नए कमिश्नर की पोस्टिंग भी की जाएगी।

महिलाओं का दबदबा

एक जमाना था...जब छत्तीसगढ़ के सचिवालय में महिला सिकरेट्री के नाम पर सिर्फ इंदिरा मिश्रा होती थीं। उनके रिटायर होने के बाद रेणु पिल्ले कई साल तक अकेली सचिव रहीं। मगर सचिवालय में अब महिला सचिवों का दबदबा बढ़ रहा है। इस समय कुल आठ विभागों को महिलाएं संभाल रही हैं। इनमें छत्तीसगढ़ की दूसरी सबसे सीनियर आईएएस अफसर रेणु पिल्ले के साथ ही ऋचा शर्मा, निहारिका बारिक, शहला निगार, अलरमेल मंगई डी, आर. संगीता, शम्मी आबिदी शामिल हैं। जबकि, इस समय डॉ0 मनिंदर कौर द्विवेदी, निधि छिब्बर और ऋतु सेन सेंट्रल डेपुटेशन पर हैं। रीना बाबा कंगाले राज्य निर्वाचन पदाधिकारी हैं। मनिंदर, निधि और ऋतु का तो पता नहीं मगर लोकसभा चुनाव का प्रॉसेज कंप्लीट होने के बाद रीना मंत्रालय लौटेंगी। 2009 बैच अभी सिकरेट्री नहीं बना है। मगर इस बैच की किरण कौशल पंजीयन विभाग की स्वतंत्र प्रभार में हैं। जनवरी में यह बैच सिकरेट्री प्रमोट हो जाएगा तो अगले साल तक डॉ0 प्रियंका शुक्ला भी सचिव बन जाएंगी। हो सकता है कि तब तक ऋतु सेन की भी छत्तीसगढ़ वापसी हो जाए। बहरहाल, तकनीकी शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, फॉरेस्ट, पंचायत, एग्रीकल्चर, लेबर, आवास और पर्यावरण, महिला और बाल विकास का दायित्व महिला सचिव निभा रही हैं। इनमें कुछ मलाइदार भी हैं...जाहिर है, बरसों से इन विभागों में मौज काट रहे पुरूषों को परेशान तो हो ही रही होगी।

जीपी सिंह की वापसी

कैट के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने आईपीएस जीपी सिंह की बहाली की अपनी तरफ से हरी झंडी दे दी है। राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता से इस बारे में उनकी राय मांगी थी। बताते हैं, महाधिवक्ता ने अपनी टीप में लिखा है कि इस केस में कैट के फैसले के खिलाफ अपील करने का कोई तुक नहीं है। महाधिवक्ता की टिप्पणी के साथ राज्य सरकार ने फाइल पिछले सप्ताह भारत सरकार को भेज दिया। चूकि, आईपीएस का मसला मिनिस्ट्री ऑफ होम में आता है और इसी ने फोर्सली रिटायमेंट की कार्रवाई की थी। सो, पोस्टिंग का आदेश भी यही विभाग निकालेगा। राज्य सरकार नियमानुसार उसका पालन करेगी। हालांकि, भारत सरकार में इस पर थोड़ा वक्त लग सकता है कि केंद्र के लिए यह समय अति व्यस्तता वाला है। 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद 15 दिन चीजें व्यवस्थित होने में लगेगी। फिर भी यह माना जा रहा कि जून में जीपी सिंह की पुलिस महकमे में वापसी हो जाएगी। हालांकि, पुलिस महकमे में लोग एक कदम आगे जाकर जीपी की पोस्टिंग पर अटकलें शुरू हो गई हैं।

चेयरमैन की वैकेंसी

राज्य सरकार की राजपत्रित से लेकर कनिष्ठ अधिकारियों की भर्ती करने वाला छत्तीसगढ़ का लोक सेवा आयोग खुद ही अपने चेयरमैन की भर्ती का इंतजार कर रहा है। पिछले साल सितंबर में टामन सिंह सोनवानी रिटायर हुए थे। पिछली सरकार ने तब नई नियुक्ति की जगह वहीं के सीनियर को प्रभारी चेयरमैन बना दिया था। उसके बाद सरकार बदल गई। बीजेपी सरकार का हनीमून खतम नहीं हुआ था कि लोकसभा चुनाव आ गया। इस चक्कर में पिछले नौ महीने से पीएससी चेयरमैन की संवैधानिक कुर्सी खाली है। ऐसे में, सरकार की यह

कमिश्नर के दो पद खाली

आईएएस डॉ0 संजय अलंग दो महीने बाद 31 जुलाई को रिटायर हो जाएंगे। इस समय वे दो संभागों के कमिश्नर हैं। रायपुर के कमिश्नर तो वे थे ही, लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें बिलासपुर संभाग का प्रभार भी मिल गया। इसके अलावा वे वानिकी और उद्यानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति का भी दायित्व संभाल रहे हैं। अलंग के रिटायर होने के बाद इन तीनों पदों पर की नियुक्ति या प्रभार किसी और को देना पड़ेगा। बता दें, संजय अलंग कमिश्नर के एक्सपर्ट हो गए हैं। सबसे पहले वे बिलासपुर कलेक्टर से प्रमोट होकर कमिश्नर बने थे। सरकार बदली तो उन्हें रायपुर का कमिश्नर बनाया गया। अब वे बिलासपुर भी संभाल रहे हैं। जब बिलासपुर कमिश्नर थे, तो उस दौरान कई महीने तक सरगुजा के भी कमिश्नर रहे।

अंत में दो सवाल आपसे

1. मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे के बाद फिलहाल स्कूल शिक्षा विभाग का प्रभार किस मंत्री को मिल सकता है?

2. किस मंत्री के लोग ट्रांसफर को लेकर मार्केट में अभी से सक्रिय हो गए हैं?



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