तरकश, 23 जून 2024
संजय के. दीक्षित
कलेक्टर संज्ञान लें
तरकश स्तंभ के टॉप पर अगर एसडीएम और पटवारी की खबर लग रही है तो आप इसकी गंभीरता को समझ सकते हैं। दरअसल, पूरे प्रदेश में एसडीएम और पटवारियों के गठजोड़ से एक बड़ा खेला चल रहा है...कागज से नाम गोल कर दो, और उसके बाद एसडीएम का चक्कर लगाकर नाम जुड़वाने की एवज में धनदोहन करो। दरअसल, जमीन के पेपर से अगर त्रुटिवश नाम हट गया हो तो सरकार ने उसके लिए एसडीएम को अधिकार दिया है कि दस्तावेजों को चेककर नाम जोड़ें। मगर इस अधिकार की आड़ में पटवारी और एसडीएम ऐसा गदर मचा डाले हैं कि आम आदमी ़त्राहि माम कर रहा है। जानकारों को इसमें साजिश की बू आ रही। क्योंकि, इतने बड़े स्तर पर नाम कैसे गायब हो सकते हैं। अधिकांश एसडीएम कार्यालयों में रोज भीड़ लग रही है...सैकड़ों की संख्या में नाम दुरूस्त करने के आवदेन जमा हो रहे हैं। प्रार्थी की हुलिया देखकर एसडीएम आफिस के बाबू रेट तय कर रहे। अगर सामान्य आदमी है तो 10 से 15 हजार और ठीकठाक तो फिर 20 हजार से लेकर 30 हजार। कलेक्टरों को इसे देखना चाहिए क्योंकि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी कई मौकों पर कह चुके हैं कि राजस्व महकमे में बहुत गड़बड़ियां है। कलेक्टर अगर हर महीने इसका रिव्यू कर लें, उतने में ही एसडीएम आफिसों का गोलमाल काफी कुछ कंट्रोल हो जाएगा। वरना, सरकार अभी एक्शन मोड में है। सीधे छुट्टी या सस्पेंड किया जा रहा है।
आईएएस की पोस्टिंग
छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव सरकार ने कल तीन अफसरों की पोस्टिंग का आदेश निकाला, उसमें नम्रता जैन को सुकमा जिला पंचायत का सीईओ बनाया गया है। नम्रता की पोस्टिंग हसबैंड की पोस्टिंग के बेस पर हुई है। उनके आईपीएस पति सुकमा में एएसपी हैं। इसलिए, नम्रता सुकमा के लिए प्रयासरत थीं। और उनकी किस्मत से वहां एक आईएएस की वैकेंसी हो भी गई। दरअसल, सुकमा जिपं के सीईओ लक्ष्मण तिवारी कैडर चेंज कराकर बिहार शिफ्थ हो रहे हैं। उधर, रजत बंसल को मनरेगा आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। उनके पास पहले से जीएसटी कमिश्नर, डायरेक्टर प्रधानमंत्री आवास योजना का चार्ज है। उपर से मनरेगा भी। रजत मनरेगा से ही जीसएटी में आए थे। पता चला है, दीपक सोनी के बलौदाबाजार का कलेक्टर बनकर जाने की वजह से मनरेगा आयुक्त की कुर्सी खाली हो गई थी। और ग्रामीण और पंचायत मंत्री विजय शर्मा ने बार-बार आग्रह कर रहे थे कि किसी की पोस्टिंग हो जाए। समझा जाता है, रजत की यह टेम्पोरेरी पोस्टिंग होगी। क्योंकि, जीएसटी और पीएम आवास में काफी काम है। ऐसे में हो सकता है, अगले प्रशासनिक फेरबदल में पूर्णकालिक मनरेगा आयुक्त मिल जाएगा। रही बात तीसरे आईएएस कुलदीप शर्मा को रजिस्ट्रार को-आपरेटिव सोसाइटी बनाने की तो दीपक सोनी के पास ये भी चार्ज था। सो, उनके हटने के बाद कुलदीप को रजिस्ट्रार का प्रभार मिल गया। इस पोस्टिंग से कुलदीप अपने समकक्षों में सबसे उपर हो गए हैं। उनके पास पहले से कंट्रोलर फूड एंड ड्रग्स और एमडी पाठ्य पुस्तक निगम की जिम्मेदारी है। उस पर अब रजिस्ट्रार। रजिस्ट्रार काफी रिसोर्सफुल पोस्ट माना जाता है। मध्यप्रदेश में अभी भी 15 साल से कम सर्विस वाले आईएएस को रजिस्ट्रार नहीं बनाया जाता।
कलेक्टरों की लिस्ट
लोकसभा चुनाव के बाद दो कलेक्टर हिट विकेट होकर पेवेलियन लौट चुके हैं। पहले कांकेर कलेक्टर अभिजीत सिंह हटाए गए और उनके बाद बलौदा बाजार कलेक्टर केएल चौहान की सरकार ने छुट्टी कर दी। लोकसभा चुनाव के बाद करीब दर्जन भर कलेक्टरों को बदला जाना था। इनमें से दो अपने आप बाहर हो गए। सो, लगता है पांच-सात जिलों के कलेक्टर और बदले जा सकते हैं। इनमें सरकार का पहला पैरामीटर दो साल का टेन्योरा कंप्लीट और पारफर्मेस बताया जा रहा है। खासकर, कांग्रेस सरकार में पोस्टेड कलेक्टर्स, जो जनवरी में हुए फेरबदल में बच गए, उनमें से कई को चेंज किया जाएगा या फिर किसी अन्य जिले में शिफ्थ किए जाएंगे। इनमें विजय दयाराम जगदलपुर, जन्मजय मोहबे कवर्धा, राहुल देव मुंगेली, डॉ0 रवि मित्तल जशपुर, आर एक्का बलरामपुर, विनय लंगेह कोरिया, एस0 जयवर्द्धने मानपुर-मोहला जयवर्द्धने और हरिस एस0 सुकमा शामिल हैं। इनमें से रवि मिततल खुद हटने के इच्छुक बताए जा रहे और दयाराम को अगर बीजेपी प्रेसिडेंट किरण सिंहदेव वीटो नहीं लगाए तो उन्हें हटना पड़ जाएगा। मगर ये कब तक होगा? ये अभी फायनल नहीं...मगर सीएम हाउस में नामों पर चर्चा शुरू हो गई हैं।
अजय सिंह की लाटरी
रिटायर चीफ सिकरेट्री अजय सिंह को सरकार ने नीति आयोग से हटाकर राज्य निर्वाचन आयुक्त पोस्ट कर दिया है। अब ये सवाल बाद में आएगा कि किसके लिए नीति आयोग में वैकेंसी बनाई गई है। अभी बात सिर्फ अजय सिंह की। दरअसल, इस पोस्टिंग से अजय का प्रोफाइल और प्रतिष्ठा उंची हो गई है।़ राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद हाई कोर्ट के सीटिंग जज के समकक्ष होता है। फिर यह संवैधानिक पद है....एक बार पोस्ट करने के बाद सरकार हटा भी नहीं सकती। इसके लिए महाभियोग लाना पड़ेगा। अजय सिंह के छोटे भाई पटना हाई कोर्ट के जज हैं और अब अजय सिंह भी रैंक में उनके बराबर हो गए हैं। बहरहाल, अजय सिंह शुरू से पोस्टिंग के मामले में किस्मती रहे हैं। कांग्रेस सरकार में चीफ सिकरेट्री के पद से अचानक हटा दिए जाने के एक मामले को छोड़ दें तो 37 साल की आईएएस की सर्विस में उन्हें हमेशा अच्छी पोस्टिंग मिलती रही। रमन सरकार में वे एक समय सिकरेट्री इनर्जी के साथ बिजली कंपनी के चेयरमैन रहे। वे लंबे समय तक एक्साइज सिकरेट्री और इसी विभाग के कमिश्नर रहे। फायनेंस सिकरेट्री से लेकर अरबन एडमिनिस्ट्रेशन, हेल्थ और एपीसी का भी चार्ज उनके पास रहा। हालांकि, उनकी पोस्टिंग से राज्य निर्वाचन आयुक्त पद की गरिमा और बढ़ गई है। क्योंकि, छत्तीसगढ़ बनने के बाद सिर्फ दो ही चीफ सिकरेट्री लेवल के अफसर इस आयोग में पोस्ट हुए हैं। पहला शिवराज सिंह और दूसरे अजय सिंह। असल में, है भी ये चीफ सिकरेट्री रैंक का पद। स्केल भी सीएस का।
मंत्रिमंडल विस्तार
सत्ता के गलियारों से जैसी कि खबरें आ रही है...विष्णुदेव मंत्रिमंडल का विस्तार जुलाई फर्स्ट वीक तक हो जाएगा। इसकी वजह भी है। 12 मंत्रियों वाले स्टेट में दो-दो मंत्रियों की जगह खाली हो गई है। एक सीट पहले से खाली थी, दूसरी बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे के बाद रिक्त हो गई। ऐसे में, सबसे अधिक लोड मुख्यमंत्री पर आ गया है। उनके पास पहले से ही जीएडी, माईनिंग, आबकारी, ट्रांसपोर्ट विभाग थे ही, अब बृजमोहन का शिक्षा, संस्कृति, पर्यटन और संसदीय कार्य भी आ गया है। दरअसल, 21 दिसंबर को मंत्रियों के शपथ के बाद विभागों का बंटवारा हुआ था, उस आदेश में लिखा था कि जो विभाग किसी मंत्री के पास नहीं होगा, उसे मुख्यमंत्री के पास माना जाएगा। इसी आदेश के तहत बृजमोहन के विभाग सीएम के पास आ गए। जाहिर है, नए मंत्रियों को सीएम के कुछ विभाग दिए जाएंगे तो कुछ विभागों को इधर-से-उधर किए जाएंगे।
दो सीट, आधे दर्जन दावेदार
पहली बार निर्वाचित दर्जन भर से अधिक विधायकों को आए दिन मंत्री बनने के सपने आ रहे हैं...कुछ को तो सुबह के सपने...भगवा रंग के जैकेट पहने...राजभवन में शपथ ले रहा हूं। सुबह के सपने कहा जाता है सच होते हैं...सो दो-तीन विधायकजी इतने अश्वस्त हैं कि मंत्रालय जाकर अपने बैठने की जगह-वगह भी देख आए हैं। बहरहाल, धरातल की बात करें तो...विष्णुदेव मंत्रिमंडल के दो पदों के लिए आधा दर्जन नामों की चर्चा बड़ी तेज है। इनमें रायपुर से राजेश मूणत, कुरुद के अजय चंद्राकर, दुर्ग से गजेंद्र यादव, कोंडागांव से लता उसेंडी, बिलासपुर से अमर अग्रवाल और पंडरिया से भावना बोहरा। सियासी पंडितों का दावा है कि इन छह में से दो को मंत्री बनाया जाएगा। हालांकि, इन दोनों मंत्रियों का नाम केंद्रीय नेतृत्व फायनल करेगा मगर सीएम विष्णुदेव की राय अहम रहेगी। क्योंकि, मंत्रियों से काम लेकर रिजल्ट उन्हें देना है।
मंत्रिमंडल और जातीय संतुलन
छत्तीसगढ़ के मंत्रिपरिषद में इस समय छह मंत्री ओबीसी से हैं। दो ट्राईबल से और सामान्य तथा दलित वर्ग से एक-एक। ओबीसी से अरुण साव, ओपी चौधरी, लखनलाल देवांगन, श्यामबिहारी जायसवाल, लक्ष्मी राजवाड़े और टंकराम वर्मा। इसी तरह ट्राईबल से रामविचार नेताम, केदार कश्यप। सामान्य वर्ग से विजय शर्मा और दलित समुदाय से दयालदास बघेल। सामान्य से बृजमोहन अग्रवाल भी थे, मगर उनका इस्तीफा हो गया है। जाहिर है, विष्णुदेव मंत्रिमंडल में इस समय ओबीसी का पलड़ा भारी है। अगर दो रिक्त पदों में से किसी ओबीसी को मंत्री बनाना होगा तो एक से इस्तीफा लेना होगा। क्योंकि 12 में सात मंत्री ओबीसी से तो नहीं हो सकते। फिर यह भी कि बस्तर से हमेशा दो मंत्री रहे हैं। पहला ऐसा मौका कि सरगुजा से तीन मंत्री और बस्तर से सिर्फ एक। ऐसे में, लता उसेंडी की संभावना बढ़ी है। क्योंकि, वे आदिवासी के साथ महिला वर्ग का प्रतिनिधित्व करेंगी। अब सामान्य वर्ग की बात। अजीत जोगी सरकार में सामान्य वर्ग से चार मंत्री रहे। उसके बाद रमन सिंह की सरकार 15 साल रही। उसमें भी तीन मंत्री इस वर्ग से रहे। मगर इस समय बृजमोहन के इस्तीफे के बाद सिर्फ एक मंत्री हैं। जाहिर सी बात है कि सरकार सामान्य वर्ग से एक मंत्री तो लेगी ही। इनमें राजेश मूणत से लेकर अमर अग्रवाल, भावना बोहरा जैसे कोई भी एक नाम हो सकता है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. छत्तीसगढ़ के नीति आयोग का उपाध्यक्ष किसी रिटायर और अनुभवी नौकरशाह को बनाया जाएगा या किसी विषय विशेषज्ञ को?
2. क्या ये खबर सही है कि मंत्रिमंडल के आगामी फेरबदल में सरगुजा से तीन में से एक मंत्री को ड्रॉप किया जाएगा?
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