बड़ी डीलिंग
इंजीनियरिंग शिक्षा के सौदागरों को सीबीआई के पकड़ने के बीच बीएड में भी एक बड़ी डीलिंग की खबर ंहै। स्कूल शिक्षा विभाग और उसके एससीआरटीसी ने आश्चर्यजनक ढं़ग से पिछले साल लेप्स हुई बीएड की 1000 सीटों पर दाखिला देने की अनुमति दे दी है। जबकि, सुप्रीम कोर्ट का नियम है, 30 सितंबर के बाद काउंसलिंग नहंी होनी चाहिए, भले ही सीट लेप्स क्यों न हो जाए। आखिर, आवश्यक मापदंड पूरा न करने की वजह से बीएड कालेजों को पिछले साल काउंसलिंग करने की इजाजत नहीं मिली थी। एसीएस स्कूल शिक्षा, सुनील कुमार के ये शब्द थे, मेरे रहते सवाल ही नहीं उठता। मगर उनके हटते ही कालेज वालों ने दिमाग लगाकर पिछले साल की भरपाई कर ली। एक कालेज में 100 सीटें हंै, इस बार 200 हो जाएंगी। सोचने की बात है, जो कालेज 100 छात्रों लायक नहीं थे, वे दुगुने लायक इंतजाम कैसे करंेगे। जाहिर है, पैसे दो, डिग्री ले जाओ, स्कीम चलेगा। छत्तीसगढ़ के बीएड कालेजों में यही तो हो रहा है। बंगाल, असाम, बिहार, महाराष्ट्र के लोग यूं ही यहां नहीं आ रहे। छत्तीसगढ़ वाला स्कीम वहां नहीं चलता। अनुमान है, सिर्फ बीएड से कालेज वाले हर साल 40 से 50 पेटी अंदर कर लेते हंै। छात्रों को निर्धारित फीस के अलावा फर्जी अटेंडेंस के लिए मोटी राशि पे करनी पड़ती है। और इसमें से पांच-सात परसेंट चढ़ावा चढ़ा दें तो कालेजों को क्या फर्क पड़ता है। तभी तो राजधानी में 50 पेटी में डीलिंग की जबर्दस्त चर्चा है।तमाचा
इंजीनियरिंग कालेजों से थैली लेते हुए एआइसीटीई अफसरों को सीबीआई द्वारा रंगे हाथ पकड़ा जाना, दुर्ग पुलिस के गाल पर तमाचा जैसा ही है। तकनीकी विवि, तकनीकी शिक्षा संचालनालय के अफसरों समेत सूबे के ढाई दर्जन से अधिक कालेज मालिकों के खिलाफ पुख्ता शिकायत के बाद भी पुलिस अधिकारियों ने मानों हाथ बांध लिए थे। दुर्ग सीजेएम के निर्देश पर पुलिस को मजबूरी में पिछले साल सितंबर में अपराध दर्ज करना पड़ा। मगर इसके बाद वही, कार्रवाई में हीलाहवाला। कोर्ट की फटकार के बाद हर बार क्षमा याचना। तीन बार जांच अधिकारी बदल गए। भिलाई के इंस्पेक्टर संजय पुढीर ने दबा कर जांच शुरू कर दी तो एसपी ने उन्हें फौरन हटा दिया। इस साल जनवरी में डीजीपी की प्रेस कांफे्रंस में भी इस पर सवालों की बौछारें हुई थीं। मगर नतीजा जीरो रहा। अब छन-छन कर कुछ खबरें आ रही हैं.......कालेजों के कुछ खटराल संचालकों ने पुलिस के बड़े अधिकारियों से दो खोखा का सौदा कर उसकी सीडी बना ली और स्ट्रेटज्डी के तहत मार्केट में बात भी फैला दी। दावा है, कई लोगों के पास सीडी है। अगर ये खबर सच हैं तो पुलिस फिर कार्रवाई करने का साहस कैसे दिखाएगी।बड़े खिलाड़ी
बिना मान्यता, बिना संबंद्धता और बिना एनओसी के कोर्सेज चला रहे इंजीनियरिंग कालेज संचालकों पर हाथ डालने से पुलिस के बचने की एक वजह राजनीतिक संरक्षण भी है। तकनीकी कालेज चलाने वाले सबके सब बड़े खिलाड़ी हैं। सरकार और विपक्ष, दोनों ओर का पैसा कालेजों में लगा है। कानून-व्यवस्था से जुड़े एक संसदीय सचिव के भाई और साले इस धंधे में वन टू का फोर कर रहे हैं, तो जरा सोचिए, दुर्ग इलाके में कांग्रेस के कई छत्रपों के होने के बाद भी सीबीआइ ट्रेप पर किसी का बयान क्यों नहीं आया। प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रमुख शैलेष नीतिन त्रिवेदी ने भी नपा-तुला जवाब दिया, सामाजिक बुराइयां शिक्षा में भी आती जा रही है, सिस्टम के लिए हम सब जिम्मेदार हैं। जाहिर है, अपनी पुलिस के बूते की बाहर की बात है। जो भी उम्मीदें हैं, वो सीबीआई से है।जुनूनी
वैसे तो आरटीआई कार्यकर्ताओं पर ब्लैकमेलिंग के भी आरोप लगते रहते हैं, मगर छत्तीसगढ़ में विकास सिंह जैसे जुनूनी युवक भी हैं, जो आरटीआई कार्यकर्ताओं और भ्रष्टाचार को लेकर बेचैन लोगों के लिए नजीर बन सकते हैं। उन्होंने प्रायवेट इंजीनियंिरग कालेजों के खिलाफ लड़ने में हार नहीं मानी। शासन, प्रशासन में सुनवाई नहीं हुई तो कोर्ट में परिवाद दायर किया। फिर भी पुलिस ने कार्रवाई नहीं की तो सीबीआई की मदद ली। और खुद उसी होटल में कमरा लेकर ठहर गए, जहां एआइसीटीई टीम थी। विकास को दबाने की कोशिशें कम नहीं हुई। भिलाई में उनके घर के सामने उपद्रव किया गया, गुडों ने रात में एक्सीवेटर से घर का बाउंड्री वाल तोड़ दिया। समझौता करने के लिए पुलिस अधिकारी भी घर पहुंचे। खबर है, उन्हें आधा खोखा तक का आफर दिया गया। मगर टस-से-मस नहीं हुए। उनकी कोशिशों से एआइसीटीई सेंट्रल रेंज के डायरेक्टर पीएम मिश्रा सस्पेंड हुए, टीम के तीन सदस्य और 3 कालेज वाले जेल गए और छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और गुजरात के 126 तकनीकी कालेजों की सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है।एलेक्स का डेपुटेशन
नक्सलियों के चंगुल से रिहा होने के बाद सुकमा कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन के दिल्ली डेपुटेशन पर जाने की खबर है। वे जयराम रमेश के पंचायत विभाग में जा सकते हैं। नक्सलियों की रिहाई के बाद मलकानगिरी के कलेक्टर आर विनील कृष्णा भी रमेश के साथ काम कर रहे हैं। रमेश, एलेक्स को पर्सनली जानते हैं और धमतरी दौरे में एलेक्स के काम को देखकर रमेश ने सुझाया था कि ऐसे अफसरों को बस्तर में तैनात करना चाहिए। हालांकि, इस बीच एक खबर ये भी है, वे मूल प्रदेश तमिलनाडू जा सकते हैं। कैडर चेंज कराना यद्यपि टेढ़ा काम होता है। मगर अपहरण के बाद पीएमओ टांग नहंी अड़ाएगा। इस बारे में तमिलनाडू की सीएम जयललीता के प्रधानमंत्री से बात करने की चर्चा है। तय मानिये, एलेेेेक्स छत्तीसगढ़ में तो नहीं रहेंगे।रेंज में चेंज
88 बैच के तीनों आईपीएस अधिकारियों का समय से पहले प्रमोशन हो सकता है। आखिर, मुकेश गुप्ता, संजय पिल्ले और आरके विज जैसे पावरफुल अफसर हैं, इस बैच में। वैसे, तीनों का जनवरी मे ंप्रमोशन ड्यू है। इससे पहले भी कई बार ऐसा हुआ है और आईएएस में तो समय से पहले प्रमोशन का तो टे्रंड बन गया है। वैसे, एडीजी के 10 में से पांच पोस्ट खाली भी हंै। और रोड़़ा सिर्फ भारत सरकार की अनुमति का है। खबर है, इसके लिए बातचीत शुरू हो गई है। और गुप्ता और विज प्रमोट होंगे, तो रेंज में निश्चित तौर पर कुछ चेंजेज होंगे।जूनेजा रिलीव
89 बैच के आईपीएस अधिकारी अशोक जूनेजा ड्रग एंड नारकोटिक्स विभाग, दिल्ली से 8 मई को रिलीव हो गए। 2009 में वे यहां से डेपुटेशन पर दिल्ली गए थे। वे 15 मई के आसपास रायपुर आएंगे। जूनेजा राज्य के पहले आईपीएस होंगे, जिनके लिए बिलासपुर आईजी का पोस्ट रिजर्व रखा गया है। राहुल शर्मा एपीसोड में जीपी सिंह के हटने के किसी की पोस्टिंग नहंी हुई है। आईजी सीआईडी पीएन तिवारी अस्थायी चार्ज में रायपुर से ही बिलासपुर को देख रहे हैं। छत्तीसगढ़ में अच्छी पोस्टिंग का रिकार्ड भी जूनेजा के ही नाम है। रायपुर, दुर्ग में एसएसपी, बिलासपुर में एसपी, फिर खेल और इसके बाद ट्रांसपोर्ट। और अब बिलासपुर रेंज के आईजी।अंत में दो सवाल आपसे?
1. अपहरण के दौरान नक्सलियों ने कैसा सलूक किया, इस बारे में सुकमा कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन मुंह क्यों नहीं खोल रहे हैं?2. कांग्रेस के किस सांसद ने सड़क के लिए प्रस्तावित जमीन पर रेस्टोरेंट बना दिया है?
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