खींचतान
राज्योत्सव में कलाकारों को बुलाने को लेकर इस बार खींचतान कुछ ज्यादा बढ़ गई है। मंत्री कुछ चाहते हैं और सिकरेट्री कुछ और। इसकी एक झलक सीएम हाउस में समीक्षा के लिए बुलाई गई मीटिंग में भी दिखी। संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल चाह रहे थे कि वालीवूड के कलाकारों को बुलाया जाए। इसके पीछे उनका तर्क था कि इसमें भीड़ ज्यादा जुटती है। और विभाग के प्रमुख सचिव केडीपी राव का जोर था, लोगों को विभिन्न राज्यों के लोक संस्कृतियों की झलक दिखाने के लिए वहां के कलाकारों को बुलाया जाए। एक मौका ऐसा आया, जब दोनों एक-दूसरे की बात काटने लगे। इसे देखकर सीएम को बोलना पड़ गया, किन्हें बुलाना है, इसके लिए पहले आप दोनों बैठकर तय कर लें, फिर बताएं। अब भरी बैठक में इतना बड़ा वाकया हो जाए, तो खुसुर-पुसुर कैसे नहीं होगी। तमाम सिकरेट्री जानने की कोशिश कर रहे थे कि केडीपी ने इतनी साहस कैसे दिखा दी।
गुर्राहट
राज्योत्सव का आयोजन सीएसआईडीसी करता है। और संस्कृति विभाग की भूमिका सिर्फ सांस्कृतिक कार्यक्रमों तक सीमित रहती है। मगर अबकी पीडब्लूडी की बढ़ती घुसपैठ ने उद्योग मंत्री राजेश मूणत को परेशान कर दिया है। गुरूवार को तैयारियों का जायजा लेने के दौरान अफसरों पर वे ऐसे ही नहीं बरस पड़े। बताते हैं, राज्योत्सव स्थल के लिए उन्होंने कुछ टिप्स दिए थे, वह नहीं हो पाया। और जब पीडब्लूडी मिनिस्टर बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, तो अफसरों ने उसे फटाक से कर दिया। अब ऐसे में किसे गुस्सा नहीं आएगा। उधर, पूछपाछ न होने से सीएसआईडीसी चेयरमैन बद्रीधर दीवान अलग खफा हैं। कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू को नागवार गुजर रहा कि उनके अभनपुर में राज्योत्सव हो रहा है और उनका कोई नामलेवा नहीं है। शुक्रवार को न्यू रायपुर में टे्रड सेंटर के शिलान्यास स्थल पर इसकी खूब चर्चा थी और लोग चुटकी ले रहे थे, जंगल सफारी का शिलान्यास नहीं हुआ कि शेर गुर्राने लगे हैं।
चर्चा
सैफ-करीना की शादी से रमन कैबिनेट के एक सदस्य भी उत्साहित हैं और जल्दी ही कोई अच्छी खबर आ जाए, तो आश्चर्य नहीं। जोड़ीदार भी हमपेशा है और लाल बत्तीधारी है। दोनों रायपुर में रहते हैं और अलग-अलग कारणों से तन्हाइयों में हैं। नवरात्रि में राजधानी के लोगों ने दोनों को सार्वजनिक रूप से माता के मंदिरों में दर्शन करते देखा। हालांकि, उन्हंे सलाह दी जा रही है कि चुनाव के पहले ऐसा करना हितकर नहीं होगा। सो, देखना यह होगा कि शहनाई चुनाव के पहले बजती है या बाद में।
आशंका
स्पेशल डीजी बनने के बाद रामनिवास को अगला डीजीपी बनना लगभग तय माना जा रहा है। मगर रामनिवास कैंप आशंकाओं से उबर नहीं पा रहा है। असल में, कुछ घटनाएं ऐसी हुई भी है। याद कीजिए, मध्यप्रदेश के डंगवाल-जुगरान एपिसोड। राज्य बनने से दो साल पहले 98 में दिग्गी सरकार ने एसपी डंगवाल को डीजीपी बनाना तय कर लिया था। दिग्गी ने फोन पर बधाई भी दे डाली थी। तत्कालीन सीएस केएस शर्मा ने डंगवाल को अपने चेम्बर में बुलाकर मुंह भी मीठा करा दिया था। शनिवार को उनका आदेश निकलना था। इसके एक रोज पहले, डंगवाल ने पीएस होम से मिलकर अनुरोध किया, शनिवार उनके लिए ठीक नहीं रहता, सोमवार को आदेश निकाला जाए। और सोमवार को सुबह दिल्ली से कोई फोन आया और डंगवाल के बजाए दिनेश जुगरान का आर्डर निकल गया। बताते हैं, दिग्गी ने डंगवाल को दिल्ली के फोन का हवाला देकर सारी कह दिया था। और इससे आहत होकर डंगवाल ने तत्काल रेजिगनेशन दे दिया था। सो, रामनिवास कैंप की आशंका गलत नहीं है। अभी तो 40 दिन बचे हैं। उन्हें लगता है, संतों की पार्टी में संतकुमार ने जुगरान सरीखा कोई कमाल दिखा दिया तो पासा पलट भी सकता है।
बेरुखी
जो काम अच्छे-भले खिलाड़ी नहीं कर पा रहे हैं, वो निःशक्त खिलाडि़यों ने कर दिखाया...सिर उंचा कर दिया। महाराष्ट्र के सतारा में निःशक्तों की राष्ट्रीय तिरंदाजी में अपनी टीम ने तीन सिल्वर और तीन ब्रांज मैडल जीता। इनमें से तीन खिलाड़ी अगले साल अप्रैल में स्पेन में आयोजित इंटरनेशनल चैम्यिनशीप में पार्टिशिपेट करेंगे। ऐसे खिलाडि़यों को कंधे पर उठाना चाहिए था। मगर बेरुखी की पराकाष्ठा हो गई। गुरूवार को टीम जब समरसत्ता एक्सप्रेस से लौटी तो उनके स्वागत के लिए मुठ्ठी भर लोग थे। न खेल मंत्री ने उनसे मिलने की जहमत उठाई और ना ही खेल अधिकारियों ने। खिलाडि़यों का मन ना टूटे, इसलिए आर्चरी एसोसियेशन के लोग उन्हें लेकर खेल आयुक्त राजकुमार देवांगन से मिलाने यूनिवसिर्टी कैंपस गया। एक घंटा इंतजार के बाद देवांगन ने टाईम दिया और खिलाडि़यों ने जो माला पहना था, उसे ही उतार कर, फिर पहनाते हुए फोटो खिंचवाई गई। चाय-पानी का तो सवाल ही नहीं था। मीडिया का भी यही हाल रहा। एक-दो को छोड़कर बाकी ने तो सिंगल कालम की खबर देने की जरूरत नहीं समझी। और निःशक्त, इलेक्ट्रानिक चैनलों के दायरे में नहीं आते। सो, उन्होंने अपना टीआरपी खराब नहीं किया। इस तरह बेरुखी का दर्द लिए खिलाड़ी अपने घर लौट गए।बिग बी
सरकार की कोशिश थी, एक नवंबर को अमिताभ बच्चन से राज्योत्सव का आगाज कराया जाए। मगर उनकी बहू ऐश्वर्या का इसी दिन जन्मदिन होने के चलते कोशिश परवान नहीं चढ़ पाई। बिग बी ने एक नवंबर को आने से इंकार कर दिया है। बावजूद इसके, आयोजकों ने उम्मीद नहीं छोड़ी है। कई सोर्सों से अब भी प्रयास हो रहा, आधा घंटा के लिए ही आ जाएं। ऐसा न होने पर, बिग बी को सात नवंबर के कवि सम्मेलन का आप्सन दिया जाएगा। इधर, एक को अजय देवगन की आने की अटकलें है। मुंबई इंवेस्टर्स मीट में देवगन ने प्रामिस किया था कि वे राज्योत्सव में आएंगे।अच्छी खबर
बस्तर में बनी बेल मेटल की कलाकृतियां मेट्रो सिटी के फाइव स्टार होटलों की शोभा बढ़ा रही हैं। मुंबई इंवेस्टर्स मीट में हिस्सा लेने गए अफसरों ने होटल में ताज में इसे देखा तो वे चकित रह गए.....बस्तर के अमर प्रेम के प्रतीक झिटकू-मिटकू की प्रतिमाएं तो अमूमन सभी कमरे में थीं। अफसर इसलिए हैरान थे कि ग्रामोद्योग विभाग की मार्केटिंग इतनी तगड़ी कैसे हो गई। बाद में भ्रम टूटा। होटल के अफसरों ने बताया, हम खुद ही आदमी भेजकर बस्तर से इन्हें मंगवाएं हैं। चलिए, है तो यह अच्छी खबर। बस्तर के शिल्प की धमक अब मेट्रो शहरों तक पहंुच रही है।अंत में दो सवाल आपसे
1. रमन सरकार के एक मंत्री का नाम बताइये, जो पेट्रोल पंप लेने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री श्यामचरण शुक्ल परिवार से आगे निकलने की होड़ में है?2. किस सिकरेट्री की आजकल अपने मंत्री से ज्यादा उनके विरोधी मंत्री से पट रही है?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें