शनिवार, 9 मार्च 2013

तरकश, 10 मार्च

आमने-सामने

टूरिज्म बोर्ड में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। अफसर अलग दिख रहे और सरकार द्वारा बिठाए गए पदाधिकारी अलग। पिछले हफ्ते बोर्ड की बैठक में इसकी एक झलक देखने को मिली। विभाग का प्रचार-प्रसार करने के लिए अफसरों ने आईपीएल मैच में खिलाडि़यों के हेलमेट पर टूरिज्म का मोनो लगाने के लिए बड़े जोश के साथ प्रस्ताव रखा था। कहा गया, डेयर डेविल्स टीम के मालिक जीएमआर से बात हो गई है। दो करोड़ रुपए लगेंगे। मगर बोर्ड ने इसे फालतू की कवायद करार देते हुए खारिज कर दिया। यहीं नहीं, रिटायर आईएएस अफसर केके चक्रवर्ती को राज्य का टूरिज्म सलाहकार बनाने का अफसरों का प्रोपोजल भी बोर्ड ने हवा में उड़ा दिया। अलबत्ता, चक्रवर्ती के मामले पर एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने तीखी टिप्पणी कर डाली। जाहिर है, बोर्ड में आमने-सामने वाली स्थिति बनती जा रही है।

नदियों पर

शहीद वीर नारायण सिंह क्रिकेट स्टेडियम में अगले महीने होेने वाले आईपीएल मैच के लिए दर्शकों के लिए 12 स्टंैड बनाए जा रहे हैं। राज्य की नदियों के नाम पर इनका नामकरण किया जाएगा। मसलन्, महानदी, शिवनाथ, अरपा, लीलागर, इंद्रावती, खारून, ईब। स्टेडियम मेें बैठने पर लोगों को अपनापन का आभास हो, इसलिए पीएस स्पोर्ट्स आरपी मंडल ने नदियों के नाम पर स्टैंड बनाने का सुझाव दिया था और सरकार ने इसे ओके कर दिया। स्टेडियम में कुर्सियां लगाने का काम अगले हफ्ते से प्रारंभ हो जाएगा। इसके सेम्पल पीडब्लूडी के ईएनसी आफिस में रखे हैं। वैसे, बैठने में कुर्सियां काफी आरामदायक हैं। सामान्य कुर्सी 980 रुपए की है और कारपोरेट बाक्स में लगने वाली वीआईपी साढ़े तीन हजार की। 

सीएस की कुर्सी

कुर्सी की बात चली, तो चीफ सिकरेट्री की कुर्सी का मामला जेहन में आ गया। असल में, विधानसभा के आफिसर्स दीर्घा की पहली पंक्ति की पहली कुर्सी चीफ सिकरेट्री के लिए रिजर्व रहती है। सीएस के राजधानी में ना होने पर भी उस पर कोई बैठता नहीं। सीनियर के पहुंचने पर उठना न पड़े, इसलिए कुछ सिकरेट्री तो दूसरे पंक्ति मंे ही बैठना सुरक्षित समझते हैं। मगर बुधवार को पहली बार हुआ, जब ध्यानाकर्षण के समय तकनीकी शिक्षा सचिव निधि छिब्बर सीएस सुनील कुमार की कुर्सी पर बैठ र्गइं। हालांकि, तीसरी पंक्ति में जगह थी। यहीं नहीं, उन्हें लगा कि सीएस विधानसभा नहीं आएंगे, इसलिए प्रश्नकाल के बाद कुर्सियां खाली होने के बाद भी जगह नहीं बदली। लेकिन, अब सकपकाने की बारी निधि की थी। सीएस धड़धड़ाते हुए सदन में पहंुच गए। उनको देखकर निधि ने कुर्सी से उठने की कोशिश की, मगर सीएस ने उन्हें वही बैठे रहने का इशारा किया। इस पर, विधानसभा की लाबी में अफसर चुटकी लेते रहे।   

संशय के बादल

आईपीएल की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई है। इसके बाद भी, संशय के बादल छंटने के नाम नहीं ले रहे हैं। आईपीलएल के लिए 33 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। इसका इस्टीमेट पूर्व कंसलटेंट रूपल सिंघवी ने बनाया था। 2008 में जो उद्घाटन मैच हुआ था, वह तब के हिसाब से था। याने पांच साल पुराना। अफसरों ने उसे ही कैबिनेट में पास करा दिया। और इसके बाद रूपल को हटा दिया। अब, अफसरों को लग रहा है, बजट कम पड़ सकता है। दूसरे, अभी तक आईपीएल के साथ एमओयू भी नहीं हुआ हैं। इसके लिए आईपीएल के अफसर कब रायपुर आएंगे, कोई पता नहीं है। न वेन्यू आफिसर तय हुआ है और ना ही वेन्यू सिक्यूरिटी आफिसर ही डिसाइड हो पाया है। सबकी उम्मीदें खेल सिकरेट्री आरपी मंडल पर टिकी हुई है। सरकार की भी। मंडल है, करा देगा। जाहिर है, मंडल फील्ड में रिलल्ट देने वाले अफसर माने जाते हैं। आईपीएल के लिए उन्होंने सर्वस्व लगा भी दिया है। सूर्योदय से पहले लाव-लश्कर के साथ स्टेडियम पहंुच जा रहे हैं। इस चक्कर में सुबह 8 बजे उठने वाले पीडब्लूडी और खेल विभाग के अधिकारी, कर्मचारियों को 5 बजे का अलार्म लगाना पड़ रहा है। 

रामकली और रामदास

संस्कृति विभाग में किस तरह काम चल रहा है, विधानसभा में विभागीय चर्चा के दौरान कांग्रेस के धर्मजीत सिंह ने एक किस्सा के जरिये खूब बयां किया। उन्होंने विभागीय मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा, एक सेठ ने गांव के रामदास पंडित को बुलाकर पूजा कराया और उन्हें दक्षिणा में एक नारियल और 30 रुपए दिया। उसी दिन रात में गांव में नृत्य का प्रोग्राम था। सेठ ने नर्तकी पर मोहित होते हुए सौ-सौ रुपए के सात नोट उछाल दिए। इस पर पंडित को रहा नहीं गया। और नाराज होते हुए सेठ से कहा, रामकली को 700 और रामदास को 30 रुपए। यही हाल, संस्कृति विभाग का है। करीना कपूर को एक करोड़ 40 लाख और भारती बंधु को 30 हजार। इस पर सदन ठहाकों से गूंज गया।

वकील की सेवा

वैसे तो सूचना आयोग का काम लोगों को सूचना दिलाना है मगर छत्तीसगढ़ का सूचना आयोग, देश का पहला आयोग होगा, जो अपने विभाग की जानकारियों को छिपाने के लिए अब वकीलों की सेवा लेने लगा है। वकीलों को हायर करने के लिए बकायदा आदेश निकाला गया है। हालांकि, गलती इसमें आरटीआई कार्यकर्ताओं की भी है। डायन भी एक घर छोड़कर चलती है। मगर आरटीआई वाले सूचना आयोग में बैठे लोगों को ही लगे निशाना बनाने। साब ने अगर आफिस के लिए एसी खरीदकर घर में लगा लिया है, तो इसमें ऐसा क्या है। जमाना ऐसा है कि मौका मत चूको। आरटीआई वालों को समझना चाहिए।   

पहली बार

ट्रेनों के बाथरुम में किस तरह की इबारतें लिखी होती हंैं, इस बारे में कुछ बताने की जरूरत नहीं। मगर पिछले दिनों आजाद हिन्द एक्सप्रेस से बिलासपुर से रायपुर आते वक्त स्तंभकार को बाथरुम में पहली बार कुछ अलग देखने को मिला। लिक्खा था, शादी से पहले लड़के-लड़की की कुंडली मिलाने के बजाए सास-बहू की कंुडली मिलानी चाहिए। इससे घर में शांति रहेगी। और जैसे सरकारी नोटशीट में काटकर दूसरा, फिर तीसरा अपना टीप लिखता है, उसी तरह काटते हुए नीचे लिखा था, मैं इसका समर्थन करता हूं।

हफ्ते का एसएमएस

ए क्यूश्चन टू आल हसबैंड्स एंड वाइफ्स, विच डे इज नाट वीमेंस डे। सभी पतियों और पत्नियों से एक सवाल, कौन सा दिन महिलाओं का नहीं रहता।

अंत में दो सवाल आपसे

1. सब इंस्पेक्टरों की भरती के लिए पांच बोर्ड बनाने का प्रस्ताव था, मगर गृह विभाग की मंजूरी मिलने के पहले पीएचक्यू का सिंगल बोर्ड ने ही इंटरव्यू लेना क्यों चालू कर दिया?
2. केंद्रीय मंत्री चरणदास महंत के रमन सरकार के खिलाफ आक्रमक होने से सरकार से ज्यादा कांग्रेस में क्यों बेचैनी है?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें