तरकश, 11 अगस्त
एक दिन का सीएस-2
नेताओं की तरह एक दिन के सीएस की जुबां फिसल गई और दिल्ली में हुई योजना आयोग की बैठक में अपने ही पोस्ट में गोल करते हुए बोल गए, किसानों को 24 घंटे बिजली देने से राज्य की स्थिति गड़बड़ा रही है। हालांकि, राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष शिवराज सिंह ने उन्हें यह कहकर टोका कि उस समय आप ही सिकरेट्री थे। मगर साब कहां रुकने वाले थे। उन्होंने खुद को रसूखदार अफसर साबित करने के लिए अपनी पोस्टिंग गिनाते लगे। मैं फलां, तो मैं फलां….। राज्य के प्राब्लम बताने के बजाए जब उन्होंने केंद्रीय योजनाओं की खामियां गिनानी शुरू कर दी तो योजना अयोग के मेम्बर मिहिर शाह को टोकना पड़ गया, बस, बंद कीजिए। जुबां फिसलना इस एक दिन के आला अफसर को भारी पड़ गया। सेकेंड एवं फायनल सेशन, जिसमें सीएम के साथ मोंटेक सिंह अहलूवालिया थे, सीएम ने एक दिन के सीनियर अफसर के बजाए उनके बाद नम्बर वाले अफसर से प्रेजेंटेशन कराना मुनासिब समझा।भ्रष्टाचार की शिक्षा
कंप्यूटर के एक मानिटर की सप्लाई पर 69 लाख रुपए की कमाई, इस टाईप का खेल स्कूल शिक्षा विभाग मे ही संभव है। और इस स्पेसिफिक खेल को शिक्षा विभाग के खटराल अफसरों ने राजधानी के एक सप्लायर दंपति के साथ मिलकर अंजाम दिया है। खेल दिलचस्प है, जरा गौर कीजिए। एक युवा जनरल सप्लायर ने वन टू का फोर करने के लिए अपनी पत्नी के नाम पर एचपी का डीलरशीप ले रखा है। पत्नी के फार्म के नाम से ही उसने विभाग से एचपी का 3000 पीस एलईडी सप्लाई करने का कंट्रेक्ट किया। मगर उसने एचपी के बदले सेमसंग का एलडीसी टिका दिया। टैक्स बचाने और वाणिज्य कर विभाग को झांसा देने के लिए उसने सेमसंग से अपनी कंपनी के नाम पर 57,950 रुपए में एलडीसी मानिटर खरीदा। फिर, उसे पत्नी के फार्म को 69,500 में बेचा। और उसकी पत्नी ने शिक्षा विभाग को 1,26500 रुपए में सप्लाई कर दिया। याने एक मानिटर पर 68 से 69 लाख का खेल। मानिटर भी 32 इंच का। इस एक काम में सप्लायर ने ढाई करोड़ से अधिक अंदर किया। अब जरा इसको समझिए कि सप्लायर ने खुद खरीदा फिर पत्नी के फार्म को क्यों बेचा। दरअसल, टैक्स एक ही बार लगता है। सप्लायर ने अपनी पत्नी को 69500 में मानिटर बेचा और इसी हिसाब से सेल टैक्स जमा कर दिया। और इसी को उसकी पत्नी ने भी बाद में शो कर दिया। वरना, 1,26500 रुपए के हिसाब से टैक्स भारी हो जाता। सो, दोगुने से अधिक कीमत पर मानिटर बेचकर भी उसने टैक्स भी काफी बचा ली। लेकिन टैक्स का कैलकुलेशन करते वक्त कमर्सियल टैक्स विभाग ने पकड़ लिया और मामले का भंडाफोड़ हो गया।नारियों से भिड़ंत
जिस तरह के हालात बन रहे हैं, मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह समेत उनके मंत्रिमंडल में पहले और दूसरे नम्बर के दोनों मंत्री, बृजमोहन अग्रवाल और अमर अग्रवाल को अबकी विधानसभा चुनाव में नारियों से दो-दो हाथ करना पड़ेगा। राजनांदगांव में रमन के खिलाफ उदय मुदलियार की पत्नी अलका उदलियार को टिकिट मिलना तय है। तो रायपुर दक्षिण में बृजमोहन के सामने किरणमयी नायक का नाम सबसे उपर है। इसी तरह, बिलासपुर में अमर अग्रवाल के खिलाफ वहां की महापौर वाणी राव की दावेदारी मजबूत है। हालांकि, संगठन खेमे ने गुटीय समीकरण के तहत बलराम सिंह की बहू रश्मि सिंह का नाम भी आगे बढ़ा दिया है। याने महिला प्रत्याशी से अमर बचने वाले नहीं हैं। ये अलग बात है कि कांटे की लड़ाई के आसार बृजमोहन और किरणमयी में ही नजर आ रहे हैं। राजनांदगांव में तो डाक्टर साब की मार्जिन बढ़ाने के लिए कांग्रेसियों ने ही प्रयास शुरू कर दिया है। वरना, शहीद नेता की पत्नी के साथ अपनी दावेदारी थोड़े ही करते। कुछ इसी तरह के हालात बिलासपुर में भी हैं। टिकिट वितरण के पहले ही शह-मात का खेल शुरू हो गया है।ताकत की नुमाइश
इस हफ्ते कांग्र्रेस के दो युवा नेताओं ने अपनी ताकत की जमकर नुमाइश की। अमित जोगी को कांग्रेस में भले ही कोई पद नहीं दिया गया मगर उनके समर्थकों ने अमित के जन्म दिन के बहाने राजधानी में अपनी ताकत दिखाई। पूरा शहर बैनर, पोस्टर और होर्डिंग्स से अट गया था। तो उसके दूसरे दिन ही रायपुर शहर कांग्र्रेस अध्यक्ष विकास उपाध्याय ने कांग्रेस भवन में धुम-धड़ाके के साथ पदभार ग्रहण किया। ताजपोशी के मौके पर अजीत जोगी को छोड़ बाकी सभी सीनियर नेता मौजूद थे। यह पहला अवसर होगा, जब किसी शहर अध्यक्ष की ताजपोशी तामझाम के साथ हुई हो। फौज-फटाके के मामले में विकास भी पीछे नहीं हैं। जाहिर है, आने वाले समय में विकास और अमित में शक्ति की नुमाइश बढ़ेगी।जूनेजा बनेंगे एडीजी
सब कुछ ठीक रहा तो दुर्ग आईजी अशोक जूनेजा जल्द ही एडिशनल डीजी बन सकते हैं। जूनेजा 89 बैच के आईपीएस हैं और उनके बैच के कुछ आईपीएस दूसरे राज्यों में एडीजी बन गए हैं। मिनिस्ट्री आफ होम अफेयर के नियमों के अनुसार 25 साल पूरा हो जाने पर आईपीएस एडीजी के पात्र हो जाते हैं। जूनेजा का एक अगस्त को 25 साल पूरा हो गया। पीएचक्यू के सूत्रों का कहना है, डीजीपी रामनिवास ने जूनेजा की फाइल को ओके करके गृह विभाग को भेज दिया है। अब गृह विभाग को बस, हरी झंडी देनी है।ईद की टोपी
विधानसभा चुनाव के चलते अबकी ईद में टोपियां खुब बिकी। मुंबई से टोपियां मंगाने वाले रायपुर के एक थोक व्यवसायी ने बताया, टोपियों की डिमांड इतनी थी कि दोबारा माल मंगाना पड़ा। टोपियां खरीदने वालों में ज्यादतर नेता थे। एक सीट पर टिकिट के 10 दावेदार हैं, तो दोनों पार्टियों को मिलाकर 20 हो गए। ईद मुबारकबाद देने में भी नेताओं ने अबकी समय का बड़ा ध्यान रखा। 10 बजे के बाद सोकर उठने वाले कई नेता सुबह आठ बजे टोपी पहनकर मस्जिदों मंे पहुंच गए थे। ठीक भी है, नेता पहले टोपी पहनते हैं, बाद में पहनाते हैं।अंत में दो सवाल आपसे
1. रायपुर एसपी ओपी पाल को आखिर, मैदान छोड़ने की नौबत क्यों आन पड़ी?2. तीन साल से अधिक कार्यकाल पूरा कर लेने वाले 32 डिप्टी कलेक्टरों को ट्रांसफर करने में सरकार क्यों आगे-पीछे हो रही है?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें