शनिवार, 12 अक्टूबर 2013

तरकश, 13 अक्टूबर


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सीएस के लिए अनुष्ठान

टिकिट के लिए यज्ञ, हवन और अनुष्ठान सिर्फ पालीटिशियन नहीं कर रहे। बल्कि, बड़ा ओहदा पाने के लिए आला नौकरशाह भी इसमें पीछे नहीं हैं। खबर है, चीफ सिकरेट्री बनने के लिए एक एडिशनल चीफ सिकरेट्री ने भिलाई में विशेष अनुष्ठान कराया है। उन्हें किसी तांत्रिक ने नवरात्रि में अनुष्ठान कराने की सलाह दी थी। असल में, जब से सीएस के दावेदारों में अजय सिंह और एनके असवाल शामिल हुए हैं, दावेदारों की मुश्किलें बढ़ गई है। विवेक ढांड और डीएस मिश्रा सीनियर तो हैं ही, अजय सिंह भी एप्रोच में कम नहीं हैं। फिर, असवाल भी साढ़े छह साल से होम संभाल रहे हैं। जाहिर है, सरकार का भरोसा तो उन पर है ही। सो, असवाल को भी लोग कमजोर नहीं मान रहे। ऐसे में अनुष्ठान से ही शायद कोई रास्ता निकल आए।

नहीं चली मठ्ठाधीशों की

राहुल गांधी के फार्मूले की वजह से कांग्रेस के कई छत्रप पहले चरण की सीटों पर अपने लोगों को टिकिट नही ंदिला पाए। फूलोदेवी नेताम, शंकर सोढ़ी और शिव नेताम जैसे नेताओं के लिस्ट में नाम न देखकर कांग्रेस नेता भी चकित हैं। अगर मठ्ठाधीशों की चली होती तो राजधानी के एक नेता को जगदलपुर से टिकिट मिल गई होती। राहुल गांधी के बस्तर दौरे का पूरा खर्चा उन्होंने इसी भरोसे पर उठाया था कि जगदलपुर की टिकिट अबकी पक्की है। मगर सब गड़बड़ हो गया। मापदंड सिर्फ यह था कि जीतने वाला होना चाहिए। इसी लिए महेंद्र कर्मा के बेटों के बजाए उनकी पत्नी को टिकिट दी गई। कहा तो यह भी जा रहा है कि सर्वे के साथ ही राहुल ने खुफिया तंत्र से भी प्रत्याशी चयन में मदद ली।

खतरे की घंटी

मोहला मानपुर के विधायक की टिकिट कटने के बाद खराब परफारमेंस वाले कई विधायको की रात की नींद उड़ गई है, तो कांग्रेस की लिस्ट के बाद बस्तर के कई भाजपा विधायकों की खतरे की घंटी बज रही है। कोंडागांव में महिला बाल विकास मंत्री लता उसेंडी के खिलाफ कांग्रेस ने मोहन मरकाम को उतारा है। मरकाम एलआईसी एजेंट हैं, और पिछले दो साल से सायकिल पर घूमकर क्षेत्र में काम कर रहे हैं। सो, भाजपा में यह मानने वालों की कमी नहीं कि कोंडागांव सीट अगर जीतनी है तो भाजपा को कुछ करना पड़ेगा। जगदलपुर से कांग्रेस के प्रत्याशी बनाए गए शामू कश्यप महार जाति से ताल्लुकात रखते हैं। महार जाति के 45 हजार वोट हैं। और आदिवासी वर्ग में शामिल न करने को लेकर महार जाति के लोग सरकार से खफा हैं। भानुप्रतापपुर से मनोज मंडावी की जीत अभी से तय बताई जाने लगी है। कुल मिलाकर भाजपा को अब रणनीति बदलनी पड़ेगी।

रास्ता साफ

मनोज मंडावी को भानुप्रतातपुर से टिकिट मिलने के बाद अब, अकलतरा से सौरभ सिंह और चंद्रपुर से नोबेल वर्मा को टिकिट मिलना तय हो गया है। सौरभ बसपा से और नोबेल राकंपा से कांग्रेस में आए हैं। राहुल फार्मूले की आड़ में दोनों को टिकिट देने का अजीत जोगी विरोध कर रहे थे। मगर उन्हीं के खेमे के मंडावी को टिकिट देने से सौरभ और नोबेल का रास्ता साफ हो गया है। मंडावी भी कुछ दिन पहले ही कांग्रेस में लौटे हैं। संगठन खेमे के नेताओं ने भी केशकाल नगर पंचायत के खट्टे अनुभवों को देखते मंडावी के रास्ते में रोड़ा अटकाने की कोशिश नहीं की।

सोढ़ी को झटका

चुनाव लड़ने के लिए आईएएस अफसर एसएस सोढ़ी ने वीआरएस लिया था। कांकेर से वे कांग्रेस की टिकिट के लिए आशान्वित थे। उन्होंने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी थी। मगर पार्टी ने उन्हें झटका दे दिया। बताते हैं, कांग्रेस ने सर्वे कराया था। उसमें सोढ़ी की रिपोटर््स अनुकूल नहीं थी। अब, सोढ़ी के सामने पछताने के अलावा और कोई चारा नहीं है। हालांकि, चुनाव लड़ने वाले रिटायर नौकरशाहों में सरजियस मिंज और एसके तिवारी के नाम की भी चर्चा है। मिंज का कुनकुरी से और तिवारी का बेमेतरा से।

युद्धवीर की जिद

चंद्रपुर के विधायक युद्धवीर सिंह जूदेव ने इस बार भी वहीं से किस्मत आजमाने का फैसला किया है। अधिकारिक तौर पर यद्यपि अभी टिकिट का ऐलान नहीं हुआ है लेकिन उपर से इशारा ओके होने के बाद उन्होंने प्रचार भी प्रारंभ कर दिया है। युद्धवीर इस आधार पर लोगों से दोबारा मौका देने की मांग कर रहे हैं कि पिता के इलाज के सिलसिले में लंबे समय तक बाहर रहे। इसके कारण वे चंद्रपुर पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाए। हालांकि, युद्धवीर सिंह को चंद्रपुर से न लड़ने की सलाह दी गई थी। खुद मुख्यमंत्री ने उन्हें सीएम हाउस बुलाकर उन्हें रायगढ़ से लडने के फायदे गिनाए थे। रायगढ़ में टिकिट को लेकर दो नेताओं में जंग छिड़ी हुई है। युद्धवीर के वहां जाने से भाजपा को भी राहत मिलती। मगर, युद्धवीर नहीं माने।

अंत में दो सवाल आपसे

1.    अमिताभ जैन को प्रींसिपल सिकरेट्री के लिए डीपीसी हो जाने के बाद भी उनका आर्डर क्यों नहंी निकाला जा रहा?
2. एक मंत्री का नाम बताइये, जो राजनांदगांव की अलका मुदलियार के संपर्क में हैं?

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