समझौते की चर्चा
कांग्रेस के भीतरखाने में अजीत जोगी और चरणदास महंत के समझौते की चर्चा सरगर्म है। याद होगा, जीरम हमले के बाद जोगी को जिस तरह हांसिये पर धकेला गया, उससे नाराज होकर उन्होंने बगावत की राह पकड़ ली थी। मगर कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन सीपी जोशी ने महंत और जोगी के लिए फामर्ूला तैयार किया। उसमें कांग्रेस के आने पर चरणदास सीएम, रेणू जोगी डिप्टी सीएम बनेंगे। इसके बाद मरवाही से अमित जोगी की टिकिट पार्टी ने किलयर कर दी। जाहिर है, ऐसी खबरों की पुषिट होती नहीं। मगर महंत और जोगी जिस तरह साथ मिलकर लड़ने की बात कर रहे हैं, उससे प्रतीत होता है कोर्इ खिचड़ी जरूर पकी है।
अंगूर की बेटी पर नजर
चुनाव आयोग की सख्ती से अबकी चुनाव में पहले जैसी शराब नहीं बंट सकेंगी। आयोग ने इसके लिए पहली बार बकायदा एक स्पेशल आब्जर्बर को तैनात किया है। इसके अलावा सूबे की तीनों शराब फैकिट्रयों में कैमरा लगा दिया गए हैं। आबकारी विभाग ने वहां एक-एक डीओ को बिठा दिया है। यहीं नहीं, इस बार सीमार्इ राज्यों से भी जुगाड़ नहंी हो सकेगा। छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे छह राज्यों के 29 जिलों में भी शराबबंदी के लिए उन राज्यों के राज्य निर्वाचन अधिकारियों को लेटर भेजा जा चुका है। याने आंध्रप्रदेश, उडीसा, झारखंड, यूपी, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के 29 जिलों में भी चुनाव के 48 घंटे पहले शराब की बिक्री बंद हो जाएगी।
जोगी इज जोगी
अजीत जोगी ने दिखा दिया कि मुषिकल हालात में भी वक्त को कैसे अपने पक्ष में किया जा सकता है। वरना, अक्टूबर के पहले सप्ताह तक यह दावा करने वालों की कमी नहीं थी कि जोगी के दिन अब लद गए………वे पार्टी से बाहर हो रहे हैं…….राहुल गांधी उन्हें नापसंद कर रहे हैं। मगर जोगी की पत्नी और बेटे, दोनों को टिकिट मिल गर्इ। यहीं नहीं, उनके कर्इ समर्थक भी टिकिट पाने में कामयाब हो गए। यह अलग बात है कि अमित को बेलतरा से मौका नहीं मिला। मगर चुनाव अभियान समिति का संयोजक बनाकर कांग्रेस आलाकमान ने जोगी की कसक पूरी कर दी। अब, साजा और पाटन में जोगी की सभा का विरोध करने वाले रविंद्र चौबे और भूपेष बघेल को बयान देना पड़ रहा है, जोगी वरिश्ठ नेता हैं और सभी सीटों पर प्रचार करेंगे। दरअसल, राजनीति की बिसात पर जोगी ने सूझ-बूझ से गोटियां चली। प्रेषर बनाने के लिए बीके हरिप्रसाद को मंच पर सुना दिया तो, राहुल गांधी के बारे में यह कहने से नहीं चूकि कि उम्र के फासले की वजह से राहुल उनकी बातों को नहीं समझ रहे हैं। जोगी ने जुलार्इ और अगस्त में जातीय सम्मेलन और धुंआधार दौरे कर कांग्रेस को न केवल हिला दिया बलिक यह मानने पर मजबूर कर दिया कि छत्तीसगढ़ में उन्हें नजरअंदाज करना आसान नहीं है। इससे पहले, 2003 में विधायकों की खरीद-फरोख्त के केस में जोगी जब सस्पेंड हुए थे, तब भी उन्हें खतम समझा गया था। मगर उन्होंने महासमुंद लोकसभा चुनाव जीतकर वापसी की थी। तभी उनके कटटर विरोधी भी मानते हैं, जोगी के विल पावर का कोर्इ जवाब नहीं है।
लीड का टक्कर
अमित को मारवाही से टिकिट मिलने के बाद जोगी खेमा चुनाव बाद की रणनीति बनाने में जुट गया है। जोगी गुट की कोषिष है, मारवाही में लीड का नया कीर्तिमान बनें। ताकि, अमित को स्थापित करने में आसानी हो। अभी अजीत जोगी नम्बर वन हैं। उन्होंने 42 हजार से अधिक मतों से पिछला चुनाव जीता था। जोगी कैैम्प चाहता है अमित को इससे भी अधिक लीड मिले। लीड के मामले में मारवाही के बाद खरसिया से नंदकुमार पटेल दूसरे और राजनांदगांव से डा0 रमन सिंह तीसरे नम्बर पर थे। पटेल को 32428 और रमन को 32389 वोट मिले थे। याने दूसरे और तीसरे में 39 वोट का अंतर था। बहरहाल, पटेल के निधन के बाद इस सीट पर उनके बेट उमेश पटेल चुनाव लड़ रहे हैं। जाहिर है, सहानुभूति वोटों की वजह से उनकी लीड इस बार बढ़गी। यह देखना दिलचस्प होगा कि लीड में अमित आगे निकलते हैं या उमेश।
पदश्री की प्रतीक्षा
पिछले साल मंत्रालय के अफसर पदश्री और पदमविभूषण के लिए नाम भेजना भूल गए थे, इस बार चुनावी व्यस्तता के चलते नाम नहंी जा सका। जबकि, चीफ सिकरेट्री सुनिल कुमार की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने सूबे से चार नामों को ओके कर दिया था। मगर उसके बाद फाइल आगे नहीं बढ़ सकी। 25 अक्टूबर तक भारत सरकार के पास नाम चला जाना था। सो, पदश्री के दावेदारों को अब अगले साल की प्रतीक्षा करनी चाहिए।
अंत में दो सवाल आपसे
1. भाजपा से इस्तीफा देेने वाली करुणा षुक्ला के साथ सूबे में कितने कार्यकर्ता होंगे?
2. कांकेर में बगावत के पीछे किस भाजपा सांसद की भूमिका है?
2. कांकेर में बगावत के पीछे किस भाजपा सांसद की भूमिका है?
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