गदहा और घोड़ा
लगता है, मंत्रालय के आला अफसरों के पास कोई काम नहीं बच गया है, सिवाय इसके विश्लेषण के कि कौन गदहा है और कौन घोड़ा। तभी तो एक आला नौकरशाह ने प्रमोटी आईएएस अफसरों के खिलाफ वाट्सअप पर अभ्रद कमेंट्स कर दिया। दरअसल, जन धन योजना में सूबे के जिन 10 जिलों ने उम्दा काम किया है, उनमें उपर के छह जिलों में प्रमोटी आईएएस कलेक्टर हैं। हालांकि, डायरेक्ट अफसरों के मन में प्रमोटी के लिए कितना रेस्पेक्ट होता है, यह किसी से छिपा नहीं है। लेकिन, नौकरशाह से चूक हो गई और उन्होंने कलेक्टरों और मंत्रालय के चुनिंदा ब्यूरोक्रेट्स के डीएम ग्रुप पर अपने उत्तम विचार को पोस्ट कर दिया। उन्होंने लिखा, घोड़ों से काम कराना तो आसान है मगर……ने जन धन योजना में बढि़यां काूम कैसे कर डाला। बताते हैं, अफसर ने किसी डायरेक्ट आईएएस को भेजने के लिए यह मैसेज तैयार किया था मगर रात का समय था, इसलिए वह डीएम ग्रुप में पोस्ट हो गया। प्रमोटी अफसरों ने इसे गंभीरता सेे लेते हुए सीएम से मिलने का समय मांगा है। याने मामला तूल पकड़ेगा।
58 की चिंता
सेंट्रल में रिटायरमेंट एज 60 से घटाकर 58 करने की खबर ने खास कर नौकरशाही को हिला दिया है। पता चला है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएमओ के कुछ अफसरों को रिपोर्ट तैयार करने में लगाया है कि रिटायरमेंट एज कम करने से कितने अफसर एवं कर्मचारी प्रभावित होंगे और उन्हें भुगतान करने के लिए एट ए टाईम कितने पैसे की जरूरत पड़ेगी। पिछले हफ्ते यह खबर बाहर आई और फिर इसे वायरल होने में देर नहीं लगी। हालांकि, स्ट्रेज्डी के तहत सरकार ने लोकसभा में इस पर फिलहाल अनभिज्ञता जता दी है। पर दिल्ली में उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो अंदर मंे इस पर जबर्दस्त एक्सरसाइज चल रहा है। ऐसे में नौकरशाहों का चिंतित होना लाजिमी है। अगर ऐसा हुआ तो छत्तीसगढ़ में आईपीएस में तो कोई नहीं मगर आईएएस, आईएफएस में कइयों की यकबयक कुर्सी चली जाएगी। आईपीएस में 58 से अधिक वाला कोई अफसर नहीं है। एमडब्लू अंसारी का भी अभी 57 चल रहा है। मगर आईएएस में तो उपर के पांच एक साथ बाहर हो जाएंगे।
दूसरा आईएएस
आबकारी एवं वाणिज्यिक कर आयुक्त तथा सिकरेट्री आरएस विश्वकर्मा को रिटायरमेंट से पहले प्रिंसिपल सिकरेट्री बनाने की कवायद शुरू हो गई है। विश्वकर्मा 31 जनवरी को रिटायर होंगे। समझा जाता है कि इसके एकाध हफ्ते पहले उनका आर्डर निकल जाएगा। जवाहर श्रीवास्तव के बाद सूबे के वे दूसरे प्रमोटी आईएएस होंगे, जिन्हें प्रिंसिपल सिकरेट्री बनने का मौका मिलेगा। विश्वकर्मा एलायड सर्विस से आईएएस में चुने गए थे।
दिपांशु बनेंगे आईजी
रायपुर, दुर्ग, रायगढ़ जैसे जिलों के एसपी रह चुके हाई प्रोफाइल आईपीएस दिपांशु काबरा नए साल में आईजी बन जाएंगे। संभवतः इस महीेने के अंत या अगले महीने के पहले सप्ताह में डीपीसी के बाद उनका आर्डर निकल जाएगा। काबरा अभी डीआईजी एसआईबी हैं। इसी तरह, दुर्ग एसपी आनंद छाबड़ा प्रमोट होकर डीआईजी बनेंगे। छाबड़ा लबे समय से फील्ड में हैं। छाबड़ा पुलिस मुख्यालय में दिपांशु की जगह ले सकते हैं।
लिम्का बुक
रायपुर साहित्य महोत्सव लिम्का बुक में दर्ज हो सकता है। न्यू रायपुर में पहली बार आयाजित इस महोत्सव में देश भर से रिकार्ड 208 प्रतिभागी पहुंचे। वहीं, 30 हजार लोग भी आए। साहित्यिक आयोजनों में आमतौर पर पचासेक लोग भी पहुंच जाते हैं तो उसे सफल माना जाता है। देश के सबसे बड़े जयपुर साहित्य महोत्सव में भी 10 हजार से अधिक लोग कभी नहीं आते। तभी लिम्का बुक ने इसे नोटिस में लिया है। रायपुर साहित्य महोत्सव इस मायने में खास रहा कि यहां लोकल साहित्यकारों को भी बराबरी से मंच मिला। इसके उलट, जयपुर महोत्सव में अंग्रेजी साहित्यकार हावी रहते हैं।
कांटे का टक्कर
राज्य के 10 नगर निगमों में सिर्फ रायपुर नगर निगम ऐसा होगा, जहां कांटे की लड़ाई की स्थिति बनती दिख रही है। रायपुर में कांग्रेस का कोई बागी नहीं है। प्रमोद दुबे को लगभग सभी क्षत्रपों का समर्थन है। और, सबसे बड़ा प्लस प्रमोद की अपनी व्यक्तिगत छबि है। हालांकि, छबि के मामले में सच्चिानंद उपासने भी कमजोर नहीं पड़ते। मगर सत्ताधारी पार्टी के रणनीतिकारों ने वस्तुस्थिति को समझते हुए रायपुर के अपने दोनों मंत्रियों को चुनाव में लगा दिया है। बृजमोहन अग्रवाल और राजेश मूणत गुरूवार को देर रात तक बागियों को मनाते रहे।
आठ पर बीजेपी को बढ़त
नसबंदी कांड जैसी हिला देने वाली घटना के बाद भी नगरीय चुनाव में बीजेपी को जबर्दस्त बढ़त मिलती दिख रही है। पार्टी ने एक एजेंसी से सर्वे कराया है और सरकार की अपनी एजेंसियों ने भी इसकी पुष्टि की है कि 10 में से सात-से-आठ सीट पर बीजेपी को बढ़त मिल रही है। भाजपा को नुकसान सिर्फ कोरबा, धमतरी और दुर्ग में हो रहा है। कोरबा में भी उषा तिवारी के निर्दलीय खड़े होने की वजह से वहां बीजेपी की स्थिति मजबूत हो गई है। भाजपा के लिए सबसे खराब हालत दुर्ग में है। अंबिकापुर मे कांग्रेस के डा0 अजय तिर्की को वीनिंग कंडिडेट माना जा रहा था। मगर भाजपा ने लोकल नेताओं के विरोध के बाद भी प्रबोध मिंज को तीसरी बार टिकिट देने की बजाए फ्रेश कंडिडेट को मैदान में उतार कर स्थिति अपने पक्ष में कर ली है।
13 का चक्कर
यू ंतो रमन सरकार पिछले महीने 13 के चक्कर में सबसे ज्यादा परेशान रही। पहले, नसबंदी में 13 महिलाओं की मौत हुई, फिर चिंतागुफा नक्सली हमले में 13 जवान शहीद। लेकिन जिस दिन से पूरी सरकार और संगठन रिचार्ज हुआ, वह तारीख भी 13 ही थी। 12 दिसंबर की देर रात पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने कड़े तेवर दिखाते हुए सारे असंतुष्टों को लाइन से लगाया, तब तारीख 13 हो गई थी। इसके बाद तो सरकार फिर से फार्म में आ गई। आलम यह है कि चुनाव न चाहने वाली सरकार अब दसों सीट जीतने का दावा कर रही है। मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह का कांफिडेंस इतना बढ़ गया कि कांग्रेस का घोषणा पत्र में चुटकी लेते हुए कहा कि घोषणा करना उनका अधिकार है मगर उसका क्रियान्वयन हम करेंगे।
लेडी शाल और कांग्रेस विधायक
नसंबदी और धान खरीदी इश्यू को लेकर कांग्रेस ने अबकी विरोध करने का नायाब नुख्सा निकाला। सारे विधायक काली शाल ओढ़कर सदन में पहुंचे। लेकिन शाल का इंतजाम ऐसे ही नहीं हुआ। बाजार में काली शाल मिल नहीं रही थी। थी भी तो लेडी। बड़े असमंजस के बाद लेडी शाल ही खरीदना तय हुआ। यह सोचकर कि ठंड का समय है…..घरवाली यूज कर लेगी। याने डबल यूज।
चरणदास जब हुए खफा
टिकिट वितरण में कांग्रेस में जो कुछ हुआ, उससे प्रभारी सचिव भक्त चरणदास बेहद नाराज हैं। कांग्रेस भवन में दो पक्षों में जबर्दस्त मारपीट के अगले दिन जब बिलासपुर की टिकिट के लिए कांग्रेस भवन में बैठक शुरू हुई तो भक्त चरणदास ने संगठन खेमे के एक नेता से कहा, आपके लोगों ने कल रात जो किया, अच्छा नहीं किया। इस पर बात इतनी बढ़ गई कि तमतमाए चरणदास मीटिंग छोड़ कर चले गए। वे इतने गुस्से में थे कि पीसीसी की गाड़ी भी नहीं ली। एक कार्यकर्ता की गाड़ी से होटल रवाना हो गए। हालांकि, उन्हें मनाने के लिए भूपेश बघेल दौड़े-दौड़े बाहर आए, तब तक चरणदास जा चुके थे।
अंत में दो सवाल आपसे
1. एक मंत्री का नाम बताइये, जो एक नगर निगम में भाजपा और कांग्रेस के मेयर के दोनों उम्मीदवारों को फाइनेंस कर रहे हैं?
2. राजधानी के एक उद्योगपति के यहां छापे में आखिर क्या मिला कि जांच एजेंसी ने दो आला नौकरशाहों को नोटिस दिया है?
2. राजधानी के एक उद्योगपति के यहां छापे में आखिर क्या मिला कि जांच एजेंसी ने दो आला नौकरशाहों को नोटिस दिया है?
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