चूक
पोलिंग पार्टियों को कई स्तर पर ट्रेनिंग देने के बाद भी कई जगह चूक हो गई। राजधानी के वीवीआईपी पोलिंग बूथ याने सिविल लाईन के 179 नम्बर बूथ पर बाये हाथ के बजाए दाये हाथ की उंगली पर स्याही लगती रही। दोपहर 2 बजे वोट डालने पहुंचे प्रींसिपल सिकरेट्री लेवल के एक आईएएस ने जब इस गड़बड़ी को पकड़ा, तब तक राज्यपाल शेखर दत्त समेत 400 से अधिक लोग वोट डाल चुके थे। आईएएस ने फौरन चीफ इलेक्शन आफिसर सुनिल कुजूर को एसएमएस किया। इसके बाद हड़कंप मचा। आला अफसर भागते-भागते बूथ पर पहुंचे और पीठासीन आफिसर को जमकर लताड़ा। इसके बाद फिर बाये हाथ की उंगली पर स्याही लगानी शुरू हुई।
प्राउड
वोट डालने की जागरुकता अब तक सिर्फ अपढ़ और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों में ही देखी जाती थी। पढ़ा-लिखा, उच्च तबका इसे फिजूल का काम मानता था। मगर इस चुनाव में बड़ा चेंज दिखा। विधानसभा चुनाव से भी ज्यादा। खास कर अपर क्लास में होड़ की स्थिति रही। वह भी अकेले नहीं, पूरे परिवार के साथ। क्या इंड्रस्ट्रीलिस्ट, क्या नौकरशाह, क्या सीनियर एक्जीक्यूटिव, सभी उंगली दिखाकर गर्व जाहिर करते रहे। फेसबुक पर भी खूब फोटो लोड की गई। चलिए, लोकतंत्र के लिए अच्छे संकेत हैं।
मोदी लहर या….
40 डिग्री टेम्परेचर में भी वोट डालने के लिए जिस अंदाज में लोग घरों से निकले, उससे सियासी प्रेक्षक हैरान हैं। पार्लियामेंट्री इलेक्शन में आमतौर पर इतनी वोटिंग होती नहीं। मध्यप्रदेश में इस बार भी नहीं हुई। सो, राजनीति को समझने वाले लोग भी अंडर करेंट से इंकार नहीं कर रहे हैं। अब करेंट मोदी का है या एंटी इंकाबेंसी, यह सवाल लोगों को मथ रहा है। वैसे लोकसभा चुनाव में राज्य सरकार के खिलाफ एंटी इंकांबेसी का मामला कम होता है। एंटी इंकांबेंसी आमतौर पर संबंधित सरकार के खिलाफ होती हंै। याने लोकसभा में केंद्र और विधानसभा चुनाव में राज्य सरकार के खिलाफ। ऐसे में, मोदी लहर की बात लोगों को ज्यादा समझ में आ रही है। बाकी तो, 16 मई तक का इंतजार करना होगा।
दुर्ग की चिंता
महासमुंद में भले ही अजीत जोगी जैसे दिग्गज नेता सामने हों मगर भाजपा खेमे में दुर्ग को लेकर काफी चिंता है। असल में, पोलिंग के हफ्ते भर पहले पूरी ताकत झोंक दिए जाने के बाद भी बीजेपी वहां का गड्ढा पाटने में नाकाम रही। हालांकि, विधानसभा चुनाव में दुर्ग लोकसभा सीट में एक लाख 68 हजार की सर्वाधिक लीड मिली थी। इसके बाद भी कुछ ऐसी निगेटिव चीजें रहीं, जिसके कारण भाजपा दावा कर पाने की स्थिति में नहीं है। पार्टी ने दिल्ली जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें सर्वाधिक खतरे वाली सीट में दुर्ग का एकमात्र नाम है। और, एकमात्र भरोसा अब मोदी लहर पर है।
अच्छे दिन आने……
टीवी पर बीजेपी के एड, अच्छे दिन आने वाले हैं, को लेकर इन दिनों फेसबुक और व्हाट्अप पर दिलचस्प मैसेज चल रहे हैं। जरा देखिए, अब एक डालर में 60 रुपए नहीं, एक रुपए में 60 डालर मिलेंगे। 16 मई से गोभी हो या भिंडी, सभी 4 रुपए किलो होंगे। होटलों में वेज हो नान वेज, 10 रुपए प्लेट। पेट्रोल 20 रुपए लीटर। एक और देखिए, दिसंबर 2015…..सोच रहा हूं नया साल मनाने कहां जाउं। वाराणसी से जबलपुर तक गंगा और नर्मदा नदी लिंक हो गई है…..उसमें स्टार सुविधाओं वाला कू्रज चल रहा है…..रेट 500 रुपए, फूूड के साथ। प्लेन का किराया भी 750 रुपए…..एडवाइस दीजिए, मैं क्या करूं…..प्लेन से जाउ या कू्रज से….अब, अच्छे दिन आने वाले हैं…।
अच्छी कोशिश
चीफ सिकरेट्री विवेक ढांड ने अपनी पहली मीटिंग में ही संकेत दिए थे कि नक्सल प्रभावित बस्तर पर उनका खास फोकस रहेगा। और, इस पर उन्होेने अमल भी शुरू कर दिया है। हफ्ते भर के भीतर वे दो बार बस्तर जा चुके हैं। पहले दंतेवाड़ा और फिर मंगलवार को सुकमा गए। सीनियर सिकरेट्रीज भी उनके साथ थे। ताकि, मौके पर ही कुछ मामलों का निबटारा किया जा सकें। सीएस ने जमीनी अफसरों से मिलकर वहां की कठिनाइयों को भी जाना। हालांकि, तीन साल पहले सरकार ने सभी विभागों के सचिवों से बस्तर में महीने में एक रात बिताने कहा था, मगर इसका पालन नहीं हुआ। बस्तर को सिर्फ पुलिस के भरोसे छोड़ दिया गया था। सीएस के इस कदम से एक उम्मीद तो दिखती है।
महंगी हुई शराब कि…..
शराब पीने में तीसरे नम्बर पर रहने वाले छत्तीसगढ़ के लिए एक अच्छी खबर है कि प्रदेश में शराब की खपत में आश्चर्यजनक तौर पर कमी आई है। 2012-13 वित्तीय वर्ष में जहां लोगों ने 3 करोड़ 40 लाख लीटर शराब गटकी थी, वहीं 2013-14 में 3 करोड़ 38 लाख 50 हजार लीटर। याने डेढ़ लाख लीटर कम। जबकि, इसे बढ़ना था। बीयर में भी मामूली वृद्धि हुई है। 2012-13 में प्रदेश में एक करोड़ 89 लाख 53 हजार लीटर की तुलना में अबकी एक करोड़ 89 लाख 82 हजार लीटर बीयर की खपत हुई। ये तब हुआ है, जब नवंबर में विधानसभा चुनाव हुआ। और, दोनों पार्टियों ने जमकर इसका वितरण किया। खतप कम होने के पीछे रेट बढ़ना भी एक कारण बताया जा रहा है। रेट बढ़ने का ही नतीजा हुआ कि खपत कम होने के बाद भी आबकारी विभाग का राजस्व बढ़ गया।
अंत में दो सवाल आपसे
1. अगले फेरबदल में प्रींसिपल सिकरेट्री अमिताभ जैन को कौन सा बड़ा विभाग मिलने वाला है?
2. लोकसभा के नतीजे आने के बाद प्रदेश कांग्रेस के समीकरण कुछ बदलेंगे?
2. लोकसभा के नतीजे आने के बाद प्रदेश कांग्रेस के समीकरण कुछ बदलेंगे?
very nice pandit ji
जवाब देंहटाएंThanks for sharing, nice post! Post really provice useful information!
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