तरकश, 11 जनवरी
अय्याशी का तमगा
नेशनल सब जूनियर टेबल टेनिस टूर्नामेंट में हिस्सा लेने गए खिलाडि़यों ने एक बार फिर अपने शर्मनाक हरकतों से छत्तीसगढ़ के खेल जगत को कलंकित कर दिया। होटल के सीसी टीवी के फूटेज से खुलासा हुआ है कि खिलाड़ी रात-रात भर कमरे में रंगरेलियां मनाते रहे। टीम के कोच और दो लड़कियांे ने कमरे में जो किया, सो किया ही, होटल के बरामदे में भी बेहूदगी की हद कर डाली। इसका फूटेज आने के बाद जाहिर है, हड़कंप मचना ही था। छत्तीसगढ़ टेबल टेनिस एसोसियेशन के महासचिव ने इस्तीफा दे दिया है। और, कोच को नेशनल टीम में जाने से रोक दिया गया है। बहरहाल, इस घिनौने खेल से छत्तीसगढ़ टीटी एसोसियेशन सवालों के घेरे में है। आखिर, जिस खिलाड़ी को नेशनल खेलने के लिए 8 जनवरी को पांडिचेरी जाना था, उसे कोच बनाकर हफ्ते भर पहले कैसे राजमंुदरी भेज दिया गया। महिला खिलाडि़यों के साथ कायदे से महिला कोच जाना चाहिए। मगर टीम के साथ एक भी महिला कोच नहीं गई। अभिभावकों को सुनियोजित तौर पर दूसरे होटल में रुकाया गया और कोच ने लड़कियों के कमरे के ठीक सामने वाला कमरा आबंटित करा लिया। और, प्लेयर तथा कोच रात भर रंगरेलियां मनाएंगे, तो अगले दिन खेलेंगे क्या? अपनी टीम सभी मैच गंवा कर लौट आई है। साथ में लाई है, अय्याशी का तमगा।
अच्छी खबर
खेल को कलंकित करने वाली घटना के साथ एक अच्छी खबर आ रही है। भारतीय हाकी टीम की पूर्व कप्तान सबा अंजूम को अबकी पद्श्री मिल सकता है। इस सम्मान के लिए छत्तीसगढ़ से जिन तीन खिलाडि़यों के नाम भारत सरकार को भेजा गया है, उनमें सबा का नाम सबसे आगे और मजबूती से रिकमांड किया गया है। 25 जनवरी को दोपहर पद्श्री का ऐलान होगा।
धमाकेदार वापसी
राजनीति में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, मगर इतना जल्द और वह भी ऐसी धमाकेदार वापसी इसके पहले देखी नहीं गई। बात कर रहे हैं, स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल की। महीने भर में ही सब बदल गया। नसबंदी कांड में सबसे बड़े विलेन करार दिए गए अमर ने बिलासपुर में विपरीत परिस्थितियों में 35 हजार से अधिक वोटों से पार्टी को जीत दिलाई। उस बिलासपुर में, जहां 13 महिलाओं की मौत हुई थी। जो नसबंदी कांड का केंद्र रहा, कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी वहां पहुंचे और वहीं से कांग्रेस ने महतारी यात्रा निकाला था। बावजूद इसके, बिलासपुर के लोगों ने अमर के विधानसभा चुनाव से दोगुना लीड देकर महापौर बनाया।
दिपांशु जाएंगे सीआरपीएफ?
स्पेशल इंटेलिजेंस ब्रांच के डीआईजी दीपांशु काबरा की पोस्टिंग सीआरपीएफ में हो गई है। इसका आर्डर भी आ गया है। उन्हें डीआईजी बनाया गया है। दिपांशु 97 बैच के आईपीएस हैं एवं डीपीसी हो जाती तो एक जनवरी को आईजी बन जाते। चूकि, आईजी लेवल पर अफसरों का टोटा है। इसलिए, नहीं लगता कि सरकार से उन्हें हरी झंडी मिल पाएगी। और, दिपांशु भी रेंज आईजी छोड़कर सीआरपीएफ में भला क्यों जाना चाहेंगे। पिछले साल छत्तीसगढ़ से एडीजी मुकेश गुप्ता और दिपांशु काबरा ने भारत सरकार में डेपुटेशन के लिए अप्लाई किया था। मुकेश की पोस्टिंग अभी वेटेड है।
अब पारुल का नम्बर
सीबीआई में नए डायरेक्टर की नियुक्ति के बाद बेमेतरा एसपी पारुल माथुर का डेपुटेशन पर पोस्टिंग भी अब जल्द हो जाएगी। पारुल का पिछले साल सितंबर में सीबीआई में एसपी के पोस्ट पर सलेक्शन हुआ था। मगर किन्हीं कारणों से ब्यूरो में एसपी के पोस्ट पर किसी भी आईपीएस की नियुक्ति नहीं हो पाई। उसके बाद सीबीआई डायरेक्टर रंजीत सिनहा के रिटायरमेंट का समय आ गया। और, फाइल पेंडिंग हो गई। अब किसी भी समय उनका आदेश आ सकता है। हालांकि, वे छह महीने की मैटरनिटी लीव पर फिलहाल बंगलोर में हैं।
कैसा न्याय?
प्रमोटी और डायरेक्ट आईएएस में कितना फर्क है, आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि पिछले 10 साल में शायद ही कभी ऐसा हुआ हो कि डायरेक्ट आईएएस के प्रमोशन में जरा-सा भी लेट हुआ हो। कोई छह महीने पहले बन गया तो कोई साल भर पहले। और, जरा इसे समझिए, आबकारी और वाणिज्यिक कर आयुक्त एवं सिकरेट्री आरएस विश्वकर्मा इस महीने 31 को रिटायर हो जाएंगे। आज से ठीक 20वें रोज। और, अभी डीपीसी भी नहीं हुई है। कायदे से उन्हें प्रींसिपल सिकरेट्री बन जाना था। मध्यप्रदेश में 91 बैच के आईएएस पीएस बन भी गए हैं। विश्वकर्मा की फाइल मंत्रालय में घूम रही है। विश्वकर्मा एलायड सर्विस से आईएएस में आए हैं। याने प्रमोटी हैं। जवाहर श्रीवास्तव को भी आखिरी दिन प्रमोट किया गया था। पिछले दिनों एक सीनियर आईएएस की गंभीर और अमर्यादित टिप्पणी सामने आई थी। उन्होंने डायरेक्ट और प्रमोटी के बीच घोड़ा और गदहा से तुलना की थी। विश्वकर्मा के प्रमोशन में कहीं यही मानसिकता तो आड़े नहीं आ रही है।
मेजर सर्जरी
नौकरशाही में बहुप्रतीक्षित फेरबदल को अंजाम देने पर विचार शुरू हो गया है। हालांकि, अभी पंचायत चुनाव की आचार संहिता प्रभावशील है। मगर सू़त्रों का कहना है, चुनाव आयोग से परमिशन लेकर 31 जनवरी के आसपास लिस्ट निकल सकती है। 31 जनवरी को आरएस विश्वकर्मा रिटायर होंगे। उनकी जगह वाणिज्यिक कर और आबकारी आयुक्त पद पर किसी सीनियर आईएएस को पोस्ट करना होगा। मंत्रालय की लिस्ट तो छोटी होगी, मगर जिलों में कलेक्टरों की लिस्ट अबकी लंबी होगी। 27 में से मान कर चलिए, दर्जन भर से अधिक जिलों के कलेक्टर बदले जाएंगे। कुछ युवा आईएएस को भी ठीक-ठाक जिले दिए जाएंगे। जिनका समय लंबा हो गया है, उन्हें भी चेंज किया जाएगा।
जीत का जश्न
नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को मिली जीत का जश्न दस जनपथ में मनाया जाएगा। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को 11 साल बाद मुस्कराने का मौका मिला है। सो, पार्टी सुप्रीमो सोनिया गांधी ने कांग्रेस नेताओं को 12 जनवरी को दिल्ली बुलाया है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. प्रमोद दुबे के रायपुर का महापौर बनने से किरणमयी नायक क्यों राहत महसूस कर रही हैं?
2. नगरीय निकाय चुनाव में बीजेपी के पुअर पारफारमेंस से किस मंत्री की हैसियत सर्वाधिक प्रभावित हुई है?
2. नगरीय निकाय चुनाव में बीजेपी के पुअर पारफारमेंस से किस मंत्री की हैसियत सर्वाधिक प्रभावित हुई है?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें