रविवार, 25 जनवरी 2015

तरकश, 25 जनवरी

तरकश

दमदारी

झारखंड के छत्तीसगढि़यां सीएम ने रांची में ऐसा दम दिखाया कि पूरे देश की ब्यूरोक्रेसी हिल गई है। हम बात कर रहे हैं, रधुवर दास की। सोमवार को रघुवर टाप ब्यूरोक्रेट्स की मीटिंग ले रहे थे। इस दौरान चीफ सिकरेट्री सजन चक्रवर्ती ने किसी बात पर उन्हें टका सा जवाब दे दिया। इससे रघुवर आग-बबूला हो गए। उन्होंने भरी मीटिंग में चक्रवर्ती को गेट आउट कर दिया। यही नहीं, 10 मिनट में नए सीएस का आर्डर भी निकल गया। सबसे ताकतवर समझे जाने वाले आईएएस लाबी को इससे चिंतित होना लाजिमी है।

गिरेगी गाज!

इधर, पंचायत चुनाव का कोड आफ कंडक्ट लागू नहीं होता, तो छत्तीसगढ़ में भी कुछ बड़े अफसरों पर गाज गिर चुकी होती। भू-तल परिवहन मंत्री नीतिन गडकरी ने नक्सल प्रभावित राज्यों के पीडब्लूडी मंत्रियों और अफसरों की मीटिंग ली थी। छत्तीसगढ़ होस्ट स्टेट था, इस लिहाज से उसका पारफारमेंस भी उसी तरह का होना था। फिर, गडकरी, ऐसे-वैसे मंत्री भी नहीं है। नागपुर के हैं, पार्टी के अध्यक्ष रहे हैं। उनके सामने जितना पुअर प्रेजेंटेशन हो सकता था, अपने अफसरों ने दिया। गडकरी इस पर खासे बिगड़े। आखिरकार, सीएम को बात संभालनी पड़ी। पता चला है, सीएम इससे बेहद दुखी हैं। मानकर चलिये, पंचायत चुनाव के बाद होने वाली सर्जरी में सीएम की नाराजगी देखने को मिलेगी।

भगवान मालिक हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर कैबिनेट सिकरेट्री अजीत सेठ ने सोमवार को आदिवासी इलाकों के डेवलपमेंट के लिए राज्यों के अफसरों से वीडियो कांफ्रेंसिंग की। मीटिंग की रिपोर्टिंग सीधे पीएम को होनी थी। सो, इसके इंपोर्टेंस का अंदाजा आप लगा सकते हैं। मगर अपने अफसरों के पास इसकी तैयारी नहीं थी। कैबिनेट सिकरेट्री को फेस करना था। आ बैल मुझे मार वाली गलती क्यों करें, इसलिए, वीडियो कांफ्रेंसिंग में नीचे के अफसरों को भेज दिया गया। कैबिनेट सिकरेट्री से नीचे के अफसर भला क्या बात करते। छत्तीसगढ़ के बारे में कोई चर्चा ही नहीं हुई। ऐसे में पीएमओ में छत्तीसगढ़ की छबि कैसी बनेगी, आप समझ सकते हैं।

तेरे प्यार में पागल…..

पीएचक्यू में तैनात एडिशनल डीजी को एक महिला सब इंस्पेक्टर को मदद करना भारी पड़ गया। महिला एसआई किसी काम से एडीजी के पास गई थी और उन्होंने भले मन से फौरन उसका काम करवा दिया। एडीजी के काम करने की इसी स्टाईल पर महिला इंस्पेक्टर फिदा हो गई और, अब वह शादी करने के लिए हाथ धोकर उनके पीछे पड़ गई है। कभी सिंदूर लेकर पीएचक्यू पहुंच जाती है…..मैं तेरे प्यार में पागल। तो कभी प्यार में जान देने की धमकी देने लगती है। एडीजी को उससे पीछा छुड़ाते नहीं बन रहा। उल्टे, अब उटपटांग आरोप लगाने लगी है। हाल ही की बात है, रायपुर प्रेस क्लब पहुंचकर उसने कई सनसनीखेज आरोप लगा डाले। बताते हैं, महिला की दिमागी दशा ठीक नहीं है। मगर उसके चक्कर में कहीं ऐसा न हो कि एडीजी की मानिसक दशा खराब हो जाए। बहरहाल, आईपीएस लाबी में इस पर खूब चटखारे लिए जा रहे हैं।

वाट एन आइडिया

रातोरात एडीजी बनाए गए एक रिटायर आईपीएस ने संविदा नियुक्ति के लिए अद्भूत आवेदन दिया है। उन्हांेने लिखा है, उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, इसलिए उन्हें सेवा करने का मौका दिया जाए। सरकार में पोस्टिंग का मतलब होगा कि या तो सरकारी खर्चे पर उनका इलाज होगा या पुलिस विभाग के फोकट फंड से। वाट एन आइडिया सर जी।

दो पत्नी का फेर

सरगुजा का एक शिक्षक सफलतापूर्वक दो पत्नी रखने के बाद खुद तो भगवान को प्यारे हो गए मगर जाते-जाते सरकार को फंसा डाला। उसके डबल पत्नी के चक्कर में महालेखाकर आफिस से लेकर मंत्रालय तक के अफसर हलाकान है। असल में, दो पत्नी रखने का मतलब होता है, सरकारी नौकरी से छुट्टी। और, शिक्षक ने सेवा रिकार्ड में दोनों पत्नी का नाम डाल दिया, शांति और कांति। इसके बाद भी नौकरी करता रहा। शिक्षा विभाग ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया और पीएफ, पेंशन आदि में दोनांे पत्नियों का नाम चढ़ा दिया। अब, दोनों पत्नियां पीएफ एवं पेंशन के लिए दावा ठोक दिया है। सरकार को न पेंशन देते बन रहा और ना ही रोकते। एजी आफिस और मंत्रालय के बीच छह महीने से फाइल घूम रही है।

300 करोड़ की चपत

पेट्रोल, डीजल का रेट गिरने से आम आदमी भले ही प्रसन्न हो मगर जरा छत्तीसगढ़ के फायनेंस और टैक्सेशन विभाग से पूछिए कि उन पर क्या गुजर रही है। पेट्रोल, डीजल पर सरकार को 25 फीसदी टैक्स मिलता है। दो रुपए भी कम हुआ, तो सीधे लीटर पर 50 पैसे की चोट। पिछले छह महीने में पेट्रोल का 14 रुपए रेट गिर चुका है। इस हिसाब से राज्य के खजाने को प्रति लीटर लगभग तीन रुपए की मार पड़ रही है। याने साल में तीन से चार सौ करोड़ का झटका लगेगा। एक ओर राज्य की आर्थिक हालत ठीक नहीं है। सीएसआईडीसी, हाउसिंग बोर्ड और पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन जैसे संस्थाओं से पैसे लेकर वित्त विभाग काम चला रहा है। मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार ने दबंगई से पेट्रोल पर टैक्स 31 फीसदी करके घाटे की एक हद तक भरपाई कर ली। लेकिन, छत्तीसगढ़ सरकार का फिलहाल ऐसा कुछ करने का इरादा दिख नहीं रहा। ऐसे में, वित्त विभाग को ही खर्चाें पर अंकुश लगाकर काम चलाना होगा।

आईएएस का वायरल

लगता है, आईएएस का डायरेक्टर और प्रमोटी का वायरल आईएफएस में आ गया है। पिछले दिनों एक सीनियर आईएएस ने डायरेक्ट और प्रमोटी की अभद्र ढंग से तुलना कर दिया था। इसके बाद आईएफएस में भी डायरेक्टर और प्रमोटी का झगड़ा सतह पर आ गया। आईएफएस एसोसियेशन से 55 प्रमोटी अफसरों ने अध्यक्ष संजय शुक्ला को अपना सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया। प्रमोटी अफसर इस बात को लेकर गुस्से में हैं कि एसोसियेशन में डायरेक्ट आईएफएस का बर्चस्व है और उनकी कोई सुनवाई नहीं होती। असल में, प्रमोटी आईएफएस अफसरों का गुस्सा इस बात को लेकर है कि सर्किल में पहले सीएफ बैठते थे, डायरेक्ट अफसरों ने मलाई काटने के लिए उसे सीसीएफ का पोस्ट करा दिया। सीएफ सिर्फ वन मुख्यालय में होंगे। प्रमोटी आईएफएस आमतौर पर सीएफ से उपर पहुंच नहीं पाते। ऐसे में, उन्हें सबको अब हेडक्वार्टर से रिटायर होना पड़ेगा। यही वजह है कि कुछ डीएफओ ने सीएफ प्रमोट होने की बजाए लिख कर दे दिया था उन्हें प्रमोशन नहीं चाहिए। और, प्रमोटी आईएफएस अब प्रेशर बना रहे हैं कि कुछ सर्किलों में सीएफ को भी कमान सौंपी जाए, जिससे वे बेरोजगार न हो सकें।

अंत में दो सवाल आपसे

1. राजधानी की एक ऐसी सड़क का नाम आप बता सकते हैं, जिसे बिल्डरों से दो करोड़ रुपए न मिलने पर सेंक्शन सड़क को डायवर्ट कर दिया गया?
2. आईएएस लाबी वास्तव में इतनी मजबूत हो गई है तो आरएस विश्वकर्मा, सोनमणि बोरा जैसे कई अफसरों का प्रमोशन क्यों नहीं करवा पा रही?

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