N3 जनवरी
संजय दीक्षित
अगर कोई आस्तिन में सांप पालेगा तो वह कभी-न-कभी डंसेगा ही। क्योंकि, डंसना उसका स्वभाव है। छत्तीसगढ़ की राजनीति को हिला देने वाला टेप कांड भी कुछ इसी तरह का हुआ है। 14-15 साल से हर करम-धतकरम मे साथ रहने वाले चेले ने नेताजी को कहीं का नहंी छोड़ा। बात भी कोई बड़ी नहीं थी। छोटा-सा इश्यू था। काम नहीं होने पर चेले ने लूज टाक कर दी। इससे नाराज होकर नेताजी ने पिछले महीने चेले को न केवल फटकार लगाई बल्कि बंगले में नहीं दिखने की चेतावनी दे डाली थी। और, यही घटना टेप कांड की पृष्ठभूमि बन गई। लंबे समय से आस्तिन में बैठे चेले ने नेताजी से हिसाब बराबर करने में देर नहीं लगाई। पिछले साल सितंबर में अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव के समय उसने अपने मोबाइल से नेताजी की सबसे बात कराई थी और पूरे एपीसोड को टेप कर लिया था। उसे उसने मीडिया को दे दिया। लेकिन, मीडिया वालों ने कहा, टेप में लेन-देन का माजरा क्लियर नहीं हो रहा है। तो दिसंबर के पहले हफते में कांकेर इलाके के एक नेता से मोबाइल पर फिर बात की गई। रिकार्डिंग से अनभिज्ञ नेताजी ने सबको खूब कोसा, मुझे इतना ही मिला…..सबने मुर्ख बना दिया। यद्यपि, इस कांड के खुलासे के चार दिन बाद भी लोग कंफ्यूज्ड हैं कि फोन रिकार्ड किसने किया….कैसे लीक हुआ……आखिर, अपनी निगेटिविटी को भला कोई टेप क्यों करेगा। अब, आपको क्लियर हो गया होगा कि चेले ने अपने मोबाइल से नम्बर डायल कर बात कराई। चेले पर भरोसा था। सो, किसी तरह का शक नहीं हुआ। मगर चेला आस्तिन का सांप निकल गया। उसने पूरा रिकार्ड करके अपने पास रख लिया था।
अगर कोई आस्तिन में सांप पालेगा तो वह कभी-न-कभी डंसेगा ही। क्योंकि, डंसना उसका स्वभाव है। छत्तीसगढ़ की राजनीति को हिला देने वाला टेप कांड भी कुछ इसी तरह का हुआ है। 14-15 साल से हर करम-धतकरम मे साथ रहने वाले चेले ने नेताजी को कहीं का नहंी छोड़ा। बात भी कोई बड़ी नहीं थी। छोटा-सा इश्यू था। काम नहीं होने पर चेले ने लूज टाक कर दी। इससे नाराज होकर नेताजी ने पिछले महीने चेले को न केवल फटकार लगाई बल्कि बंगले में नहीं दिखने की चेतावनी दे डाली थी। और, यही घटना टेप कांड की पृष्ठभूमि बन गई। लंबे समय से आस्तिन में बैठे चेले ने नेताजी से हिसाब बराबर करने में देर नहीं लगाई। पिछले साल सितंबर में अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव के समय उसने अपने मोबाइल से नेताजी की सबसे बात कराई थी और पूरे एपीसोड को टेप कर लिया था। उसे उसने मीडिया को दे दिया। लेकिन, मीडिया वालों ने कहा, टेप में लेन-देन का माजरा क्लियर नहीं हो रहा है। तो दिसंबर के पहले हफते में कांकेर इलाके के एक नेता से मोबाइल पर फिर बात की गई। रिकार्डिंग से अनभिज्ञ नेताजी ने सबको खूब कोसा, मुझे इतना ही मिला…..सबने मुर्ख बना दिया। यद्यपि, इस कांड के खुलासे के चार दिन बाद भी लोग कंफ्यूज्ड हैं कि फोन रिकार्ड किसने किया….कैसे लीक हुआ……आखिर, अपनी निगेटिविटी को भला कोई टेप क्यों करेगा। अब, आपको क्लियर हो गया होगा कि चेले ने अपने मोबाइल से नम्बर डायल कर बात कराई। चेले पर भरोसा था। सो, किसी तरह का शक नहीं हुआ। मगर चेला आस्तिन का सांप निकल गया। उसने पूरा रिकार्ड करके अपने पास रख लिया था।
डर्टी पालीटिक्स
कांग्रेस के टेप कांड के खुलासे के बाद मानकर चलिये, छत्तीसगढ़ में डर्टी पालीटिक्स की शुरूआत हो गई है। संकेत हैं, जल्द ही जवाबी सीडी जारी किए जाएंगे। दरअसल, रायपुर में बहुत कम पालीटिशियन होंगे, जिनकी सीडी नहीं बनी है। अब वो रिश्वत का हो या बेडरुम का। एक कांग्रेस नेता के पूर्व करीबी को तो बड़े लोगों से हर महीने पांच से छह लाख रुपए इसीलिए मिलते हैं कि वो सीडी को सार्वजनिक ना करें। राजधानी के कांग्रेस के एक प्रभावशाली एवं होनहार युवा नेता की ऐसी फिल्म है कि कैरियर के साथ उनका परिवारिक जीवन तबाह हो जाएगा। कांग्रेस के अधिकांश पूर्व मंत्रियों और नेताओं के साथ भी यही स्थिति है। इस मामले में भाजपा भी पीछे नहीं हैं। संगठन के एक नेता की महिला अफसर के साथ सीडी किसी से छिपी नहीं हैं। वहीं, 12 में से कम-से-कम आधा दर्जन मंत्रियों के दामन भी सीडी में कैद हैं। चार के लेन-देन के, तो दो के पर्सनल। अब आप देखते रहिये, किस-किस तरह की सीडी बाहर निकलते हैं।
त्रिदलीय राजनीति
टेप कांड में अमित जोगी पर कार्रवाई लगभग तय मानी जा रही है। वो भी 8 जनवरी के पहले। बर्खास्तगी तक हो सकती है। कांग्रेस आलाकमान में भूपेश बघेल को 6 जनवरी को दिल्ली तलब कर इस मामले में रिपार्ट मांगी है। भूपेश क्या रिपोर्ट देंगे, बताने की जरूरत नहीं है। फिर, अबकी पूरा केस दिल्ली लेवल पर हैंडिल हो रहा है। कार्रवाई में डिले इसलिए किया जा रहा है कि जोगी को सहानुभूति ना मिले। हालांकि, कांग्रेस का एक धड़ा तो अजीत जोगी के खिलाफ भी कार्रवाई की बात कर रहा है। मगर जोगी बच भी गए तो इस घटना के बाद पार्टी में उनके लिए कुछ बचेगा नहीं। संगठन खेमा पहले से ही उन्हें हांसिये पर डाल रखा है। नगरीय निकाय चुनाव में भी उन्हें नहीं पूछा गया। ऐसे में, जोगी समर्थकों के बीच नई पार्टी बनाने पर चर्चा शुरू हो गई है, तो इस पर आप हैरान मत होइयेगा। चर्चा इस पर भी हो रही है कि अलग पार्टी बनाने पर कितने विधायक जोगी के साथ खड़े होंगे। जोगीजी के घर में दो विधायक हैं। इसके अलावा सियाराम कौशिक, कवासी लकमा, अमरजीत भगत, आरके राय, मनोज मंडावी और रामदयाल उइके जोगी कैंप से जुड़े हैं। जोगी खेमे की मानें तो अभी सभी साब के साथ हैं। मगर ये तो वक्त बताएगा। लेकिन, इनमें से दो ने बातचीत मेें माना है कि छत्तीसगढ़ में आधा परसेंट से पिछला चुनाव में फैसला हुआ था। ऐसे में, चार से पांच विधायक भी जीत गए तो सरकार किसी भी पार्टी की बनें, जोगीजी किंग मेकर होंगे। ऐसे में, जोगीजी की छतरी के नीचे खड़े रहने में कोई रिस्क नहीं है। बहरहाल, ऐसा अगर हुआ, तो 2018 के चुनाव में तीसरी पार्टी भी मैदान में नजर आएगी।
रेणू बनी रहेंगी पार्टी में
हालांकि, इसे अभी काल्पनिक कहा जाएगा मगर जोगी खेमे की रणनीति रहेगी कि कोटा विधायक रेणू जोगी कांग्रेस में बनी रहें। यह हम नहीं बल्कि, जोगी खेमे से जुड़े लोग ही कह रहे हैं कि 2018 के इलेक्शन में अगर नई पार्टी को चार-पांच सीट भी आ जाएगी तो जोगी वह कांग्रेस को समर्थन के एवज में रेणू जोगी को सीएम बनाने की मांग करेगी।
बिदाई का साल
2016 छत्तीसगढ़ के दर्जन भर से अधिक नौकरशाहों के लिए बिदाई का साल रहेगा। सबसे अधिक आईएएस से सात अफसर रिटायर होंगे। प्रदेश के सबसे सीनियर आईएएस राधाकृष्णन, राजस्व बोर्ड के चेयरमैन डीएस मिश्रा, सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग दिनेश श्रीवास्तव, सचिव सिंचाई बीएल तिवारी, बीएस अनंत, कलेक्टर रायपुर ठाकुर राम सिंह और एसएल रात्रे। आईपीएस में आईजी रविंद्र भेडि़या की पारी इसी महीने 31 को खतम हो जाएगी। इसके बाद एके खरे और सबसे आखिर में दिसंबर में एडीजी राजीव श्रीवास्तव बिदा लेंगे। इसी तरह आईएफएस में पीसीसीएफ नवीन पंत, एडिशनल पीसीसीएफ दिवाकर मिश्रा और बीके सिनहा भी इस साल रिटायर हो जाएंगे। इनमें से ठाकुर राम सिंह तुला राशि वाले हैं। तुला राशि बोले तो रमन सिंह, राजेश मूणत। तुला राशि का वक्त बढि़यां है। सो, रिटायर होने के बाद भी राम सिंह पावरफुल बने रहेंगे। पावरफुल कैसे? यह मई में पता चल जाएगा।
सौगातें भी
कई नौकरशाहों के लिए 2016 सौगातों का साल भी रहेगा। प्रिसिपल सिकरेट्री सुनील कुजूर का एडिशनल चीफ सिकरेट्री बनना ड्यू हो गया है। उनके लिए सरकार ने केंद्र से एसीएस का एक स्पेशल पोस्ट मांगा है। पोस्ट मिलने के बाद जल्द ही उनकी डीपीसी हो जाएगी। 2009 बैच के लिए 2016 कलेक्टर बनने का साल रहेगा। एक आईएएस का सबसे चार्मिंग कोई पोस्टिंग होती है तो वह है कलेक्टरी। इस बैच के छह आईएएस दूसरे राज्यों के अपने बैच से पीछे रह गए हैं। बिहार, झारखंड में 2010 बैच वाले कलेक्टर बन गए हैं। हालांकि, इस साल सभी का नम्बर लगना संभव नहीं है। फिर, तीन से चार अफसर कलेक्टर बन जाएंगे। आईपीएस में नए साल के पूर्व संघ्या पर ही आधा दर्जन अफसरों की सरकार ने डीपीसी कर दी। बचे हैं सरगुजा के आईजी लांग कुमेर। वे पदोन्नत होकर एडीजी बनेंगे। उनकी डीपीसी भी जल्द ही होगी। आईएफएस में प्रदीप पंत, दिवाकर मिश्रा और बीके सिनहा पीसीसीएफ की डीपीसी हो गई है। लेकिन, विभागीय गुटबाजी में आर्डर अटक गया है। हो सकता है, यह साल तीनों के लिए नया सौगात लेकर आए।
अंत में दो सवाल आपसे
1. सीडी कांड पर अदालत में फैसला जो भी हो, आप इसे क्या मानते हैं, असली या नकली?
2. सीडी कांड के खुलासे से स्व0 दिलीप सिंह जूदेव के परिजन क्यों प्रसन्न हैं?
2. सीडी कांड के खुलासे से स्व0 दिलीप सिंह जूदेव के परिजन क्यों प्रसन्न हैं?
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