शनिवार, 16 जनवरी 2016

दो पाटन के बीच

 

तरकश17 जनवरी
 संजय दीक्षित
कांग्रेस की अंदरुनी लड़ाई ने पार्टी नेताओं के सामने धर्मसंकट की स्थिति खड़ी कर दी है। आखिर, वे किस नाव की सवारी करें। जोगीजी की या भूपेश बघेल की। दोनों नाव को साधे रखने के चक्कर में गड़बड़ भी हो रहा है। आपने देखा ही, दो दिन जोगी जी के साथ रहने के बाद भूपेश बघेल की नाव की सवारी करने पीसीसी दफ्तर गए कवासी लकमा कैसे फंस गए। साजा वाले महराज, रविंद्र चैबेजी के समक्ष तो और विकट स्थिति है। एक ओर खाई तो दूसरी ओर…। टेप कांड से पहले उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र जांता में 18 जनवरी को सतनामी समाज का सम्मेलन के लिए जोगीजी का कार्यक्रम ले लिया था। सागौन बंगला से जोगीजी का कार्यक्रम भी रिलीज हो गया है। महराज अगर जोगी के साथ मंच शेयर करते हैं तो उन पर संगठन खेमे की भृकुटी तन जाएगी। और, कार्यक्रम अगर निरस्त करते हैं तो जोगीजी का तीसरा नेत्र खुल जाएगा। साजा में 12 फीसदी सतनामी वोटर हैं। जोगीजी को नाराज करने के वे मतलब आप समझ रहे हैं ना।

वाह जोगीजी!

अंतागढ़़ टेप कांड में अजीत जोगी पर कार्रवाई लगभग टल ही गई है। संगठन खेमे के लोग भी दबी जुबां से इसे स्वीकार करने लगे हैं। बताते हैं, राहुल गांधी ने साफ कह दिया कि एक के खिलाफ एक्शन तो हो ही गया है। एक माने अमित जोगी। राहुल गांधी वैसे भी अब पार्टी के नेताओं को प्यार का पैगाम दे रहे हैं। शुक्रवार को मुंबई में उन्होंने महाराष्ट्र कांग्रेस वर्सेज संजय निरुपम के केस में कहा कि पीसीसी कैसे चलती है, मुझे मालूम हो गया है। आपलोग प्यार से रहिये, पार्टी को मजबूत कीजिए……मैंने अपने स्टाफ से कहा है कि शिकवे-शिकायत ले कर दिल्ली आने वाले नेताओं को तिल का लड्डू खिलाएं और उनसे कहें कि वे एक-दूसरे के साथ प्यार से रहे। तिल का लड्डू खाकर छत्तीसगढ़ कांग्रेस के जय-बीरु कल लौट ही आए हैं। बहरहाल, जोगी ने एक बार फिर साबित किया कि वे ऐसे योद्धा हैं, जो विपरीत परिस्थितियों में भी लड़ाई का रुख बदलने का माद्दा रखते हैं। ऐसे समय में, जब रायपुर से लेकर दिल्ली तक जोगी की घेरेबंदी हो गई थी। छत्तीसगढ़ की राजनीति मे दिलचस्पी रखने वाले कांग्रेस के कुछ दिग्गज नेता भी इसी एपीसोड में अपना पुराना हिसाब चूकता करना चाहते थे। लेकिन, मान गए जोगी को। उन पर कार्रवाई के लिए जय-बीरु दो-दो बार दिल्ली हो आए। जोगी छत्तीसगढ़ से हिले भी नहीं। जिस समय दिल्ली छत्तीसगढ़ की राजनीति का केंद्र बन गया था, जोगी पामगढ़ और अहिरवारा की सभा में दहाड़ रहे थे, छत्तीसगढ़ में मोर ले बड़े कोन नेता हवै। फिरोज सिद्दिी का अपनी आवाज से पलटना और टेप पार्ट-3, ओवर की आखिरी गेंद पर जावेद मियादाद का छक्का हो गया।

टर्निंंग प्वाइंट

टेप कांड एपीसोड में सोनिया गांधी का पीसीसी प्रमुख और नेता प्रतिपक्ष से न मिलना जोगी खेमे के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। दोनों नेताओं ने दो दिन प्रयास किया मगर सोनिया से दस जनपथ से ग्रीन सिग्नल नहीं मिल सका। सियासी प्रेक्षक भी मानते हैं कि भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव को अगर दो मिनट का वक्त भी मिल गया होता….शिकायत तो दूर, सिर्फ दुआ-सलाम हो भी गया होता, तो जोगी खेमे की स्थिति आज कुछ और होती। जोगीजी के साथ आज जो विधायक खड़े हैं, इसमें से शायद आधे भी नहीं टिके रहते। असल में, सोनिया का संगठन नेताओं से नहीं मिलने के बाद जोगी खेमा अपने लोगों में यह मैसेज देने में कामयाब हो गया कि दिल्ली में साब का जादू अभी कायम है। यही वजह है कि दिल्ली में जोगी समर्थकों का जमावड़ा लग गया।

एक और सीडी

कांग्रेस नेताओं की एक और सीडी आने की चर्चा इन दिनों राजधानी में सुनाई पड़ रही है। बताते हैं, टेपकांड पार्ट-4 के बाद कांग्रेस की पालीटिक्स में कयामत आ जाएगी। वैसे, सीएम डा0 रमन सिंह भी संकेत दे चुके हैं कि अभी और सीडी आएंगी। सरकार के खुफिया अफसरों को भी इस सीडी के बारे में जानकारी मिल चुकी है।

प्राइज टाईप कलेक्टर्स

प्राइज टाईप कलेक्टर्स बोले तो सिर्फ प्राइज के लिए काम। सोशल सेक्टर का एक काम पकड़कर आंकड़ों की बाजीगरी करके दिल्ली से पुरस्कार ले आओ। ऐसे कलेक्टरों से अपनी सरकार बेहद नाराज है। सीएम डा0 रमन सिंह ने ऐसे कलेक्टरों को ताकीद की है कि कलेक्टर्स पुरस्कार की बजाए एडमिनिस्ट्रेशन पर फोकस करें। असल में, सरकार के पास रिपार्ट आई है कि 27 में से सात कलेक्टर भी एडमिनिस्ट्रेशन पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। वैसे भी, बस्तर के सात जिलों में एडमिनिस्ट्रेशन करने के कोई गुंजाइश है नहीं। बचे 20। इनमें से सरगुजा संभाग का भी वहीं हाल है। एडमिनिस्ट्रेशन की कमजोरी के चलते सरकार की अच्छी योजनाएं भी लोगों तक नहीं पहुंच पा रही है।

राठौर होंगे सरगुजा आईजी?

26 जनवरी के बाद सरगुजा के नए आईजी का आर्डर निकल जाएगा। वहां के आईजी लांग कुमेर एडीजी बनने जा रहे हैं। उनकी डीपीसी हो गई है। सिर्फ आदेश निकलना बाकी है। सरगुजा आईजी के लिए दो नाम चर्चा में है। दिपांशु काबरा और हेमकृष्ण राठौर। राठौर की भी डीआईजी से आईजी के लिए डीपीसी हो गई है। राठौर के सरगुजा आईजी बनाए जाने को इसलिए बल मिल रहा है क्योंकि, एक तो आईजी लेवल में अफसरों का टोटा है। लांग कुमेर के प्रमोट होने और आरके भेडि़या के इस महीने रिटायर होने से दो आईजी वैसे भी कम हो जाएंगे। दिपांशु हाई प्रोफाइल के आईपीएस हैं। जाहिर है, उनकी कोशिश होगी मैदानी एरिया में ही मैदान मारा जाए। सरगुजा क्यों जाएं? ऐसे में, राठौर का पलड़ा भारी दिख रहा है। राठौर ट्रांसपोर्ट में भी रह चुके हैं। ट्रांसपोर्ट वालों की उपर में ट्यूनिंग भी बढि़यां होती है।

गले पड़ गईं

आउटसोर्सिंग का विरोध करना लगता है, कांग्रेस पार्टी को भारी पड़ जाएगा। कांग्रेस के विरोध के बाद सरकार ने नर्र्साेंं की भरती निरस्त कर दी है। नौकरी से निकाली गईं नर्संे शुक्रवार को संुबह रायपुर आकर कांग्रेस भवन में जम गईं। हालांकि, कांग्रेसियों ने दूसरे रोज नर्साें के रुकने के लिए पास के धर्मशाला में बंदोबस्त कर दिया। मगर नर्सों का कहना है, कांग्रेस के विरोध के चलते उनकी नौकरी गई है, अब कांग्रेस ही उनके लिए कुछ करें। वरना, वे वापिस नहीं जाएंगी।

अंत में दो सवाल आपसे

1. सूबे के एक ताकतवर शख्सियत के सचिवालय के किस नौकरशाह को इन दिनों बाजीराव कहा जा रहा है?
2. सिकरेट्री निधि छिब्बर को आखिर दिल्ली जाने की इजाजत क्यों नहीं मिल पा रही है?

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