, 20 मार्च
संजय दीक्षित
गुरूवार को कैबिनेट ने एक ऐसे विधेयक के ड्राफ्ट को हरी झंडी दे दी, जिसके विधानसभा में पारित होने के बाद 250 एकड़ तक की जमीनों को आपसी सहमति से सौदा किया जा सकेगा। याने जिस किसान के पास 250 एकड़ तक जमीन है, उसे लेने के लिए उद्योगपतियों को अब एसडीएम, कलेक्टर का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। ना ही जनसुनवाई होगी। ना ही एक सदस्य को नौकरी देने का झमेला। और ना ही इलाके के विकास का कोई जिम्मेदारी। 100 हेक्टेयर से अधिक जमीन होने पर ही पुनर्वास और व्यवस्थापन के रुल लागू होंगे। इस विधेयक के पास हो जाने पर उद्योगपति सीधे किसानों से चर्चा कर जमीन का सौदा करेंगे। प्रकाश झा के नया जय गंगाजल में आपने देखा ही कि किसानों को जमीन का सौदा करने के लिए झुकाने के लिए किन-किन तरह के हथकंडे अपनाए गए….बेटियों की अस्मत भी लूटी गई। हो सकता है, यहां भी ऐसा ही हो। जैसे भी किसान तैयार हो जाएं। और, इसे आपसी सहमति का नाम दिया जाएगा। कैबिनेट में राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय ने इस बिल का विरोध कर अपना धर्म निभाया। लेकिन, बाकी? आखिर सबके अपने हित हैं। किसानों के लिए चिंता की बात यह है कि मंत्री, विधायक समर्थित माफियाओं को ठीक करने के लिए छत्तीसगढ़ में अजय देवगन या प्रियंका चोपड़ा टाईप के पुलिस आफिसर भी तो नहीं है। 27 में से कम-से-कम 25 एसपी तो प्रकाश झा के इंटरवल के पहले वाले रोल में हैं। ऐसे में, कौन बचाएगा किसानों को? पेड़ भी कटते जा रहे हैं। जय गंगाजल।
गुरूवार को कैबिनेट ने एक ऐसे विधेयक के ड्राफ्ट को हरी झंडी दे दी, जिसके विधानसभा में पारित होने के बाद 250 एकड़ तक की जमीनों को आपसी सहमति से सौदा किया जा सकेगा। याने जिस किसान के पास 250 एकड़ तक जमीन है, उसे लेने के लिए उद्योगपतियों को अब एसडीएम, कलेक्टर का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। ना ही जनसुनवाई होगी। ना ही एक सदस्य को नौकरी देने का झमेला। और ना ही इलाके के विकास का कोई जिम्मेदारी। 100 हेक्टेयर से अधिक जमीन होने पर ही पुनर्वास और व्यवस्थापन के रुल लागू होंगे। इस विधेयक के पास हो जाने पर उद्योगपति सीधे किसानों से चर्चा कर जमीन का सौदा करेंगे। प्रकाश झा के नया जय गंगाजल में आपने देखा ही कि किसानों को जमीन का सौदा करने के लिए झुकाने के लिए किन-किन तरह के हथकंडे अपनाए गए….बेटियों की अस्मत भी लूटी गई। हो सकता है, यहां भी ऐसा ही हो। जैसे भी किसान तैयार हो जाएं। और, इसे आपसी सहमति का नाम दिया जाएगा। कैबिनेट में राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय ने इस बिल का विरोध कर अपना धर्म निभाया। लेकिन, बाकी? आखिर सबके अपने हित हैं। किसानों के लिए चिंता की बात यह है कि मंत्री, विधायक समर्थित माफियाओं को ठीक करने के लिए छत्तीसगढ़ में अजय देवगन या प्रियंका चोपड़ा टाईप के पुलिस आफिसर भी तो नहीं है। 27 में से कम-से-कम 25 एसपी तो प्रकाश झा के इंटरवल के पहले वाले रोल में हैं। ऐसे में, कौन बचाएगा किसानों को? पेड़ भी कटते जा रहे हैं। जय गंगाजल।
सहिष्णुता की मिसाल
इसे सहिष्णुता की मिसाल कह सकते हैं। आखिर, देशद्रोह के आरोपी कन्हैया के समर्थन में पोस्ट करने वाले बलरामपुर कलेक्टर अलेक्स पाल मेनन के खिलाफ कोई कार्रवाई कहां हुई। डंके की चोट पर वे कलेक्टरी कर रहे हैं। इससे, देश में इनटालरेंस की बात करने वालों को बड़ा मैसेज दिया है अपनी सरकार ने। देख लो, कन्हैया भले ही भारत सरकार को गालियां बके…..हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री का भद्दे ढंग से मजाक उड़ाए, संघवाद से आजादी मांगे, उसके समर्थकों के साथ भी हमारी पूरी सहानुभूति है। अलेक्स कलेक्टरी करता रहेगा। उसे तभी हटाएंगे, जब कलेक्टरों का फेरबदल हो। सिंगल आर्डर निकालकर अगर अलेक्स को हटाएंगे तो बेचारे पर क्या गुजरेगी। फेसबुक पर आखिर, छत्तीसगढ़ का कितना नाम रोशन कर रहा है।
असवाल भी चर्चा में
सरजियस मिंज के रिटायर होने के बाद मुख्य सूचना आयुक्त का पद 16 मार्च को खाली हो गया। अभी तक राजस्व बोर्ड के चेयरमैन डीएस मिश्रा को इस पोस्ट का प्रबल दावेदार समझा जा रहा था। मिश्रा 30 अप्रैल को रिटायर होंगे। याद होगा, पिछले साल उन्हें बड़ी बेरहमी के साथ मंत्रालय से बाहर कर दिया गया था। तब लोगों ने हैरानी जताई थी कि 12 साल तक सीएम के साथ काम करने वाले अफसर के साथ यह कैसे हो गया। और, यही प्वाइंट डीएस के लिए प्लस जा रहा था। मगर सरकार में फैसले के पीछे कई सारे फैक्टर काम करते हैं। सो, सीआईसी के लिए एक नया नाम एनके असवाल का भी इन दिनों चर्चा में है। असवाल 83 बैच के आईएएस है। अगले साल मई में उनका रिटायरमेंट है। सवाल यह है कि एक साल पहले वीआरएस लेने के लिए असवाल तैयार होंगे। हालांकि, ऐसे उदाहरण हैं कि अशोक विजयवर्गीय ने सीआईसी बनने के लिए चीफ सिकरेट्री की कुर्सी चार महीने पहिले छोड़ दी थी। असवाल तो एसीएस ही हैं। आखिर, पांच साल तक लाल बत्ती का मामला है। असवाल का नाम के पीछे एक वजह यह भी है कि सीआईसी और राज्य निर्वाचन आयोग, दोनों में रिजर्व वर्ग के अफसर पोस्ट थे या हैं। सीआईसी में मिंज एसटी और निर्वाचन में दलेई एससी। निर्वाचन में संभवतः ठाकुर राम सिंह की पोस्टिंग हो। ऐसे में, जातीय समीकरण के हिसाब से सीआईसी में रिजर्व वर्ग के ब्यूरोक्रेट्स को पोस्ट करना सरकार के लिए फायदेमंद होगा। असवाल का नाम के पीछे यह भी एक वजह बताई जा रही है। मगर अभी यह चर्चा ही है। 30 अप्रैल को डीएस के रिटायर होने के बाद ही तस्वीर साफ हो पाएगी।
एक भालू, 40 गोलियां
एक आदमखोर भालू को मारने के लिए महासमंुद पुलिस ने 40 गोलियां उतार दी। कुछ लोग तो 100 भी कहते हैं। भालू के मारने की जो वीडिया वायरल हुई है, उसे देखकर शर्म आती है कि यही अपनी पुलिस है। ऐसा लग रहा, जैसे किसी आतंकवादी का एनकाउंटर कर रहे हो। आधा दर्जन जवान 100 मीटर दूर से भालू को पोजिशन पर लेकर चिल्ला रहे हैं, अरे! पीछे हटो, आगे मत जाना, अभी मरा नहीं है, नहीं-नहीं गोली लग गई है, चलाओ, चलाओ गोली, फिर धाएं-धाएं। वाह रे, हमारे बहादुर जवान। घटना के दिन बलरामपुर के 15 साल के आदिवासी छात्र संतोष की याद ताजी हो गई। उसने टंगिया से भालू को मार डाला था। डीजीपी साब, ऐसे जवानों और उनके अफसरों को नक्सल मोर्चे पर मत भेजिएगा, वरना मुसीबत आपकी बढ़ेगी।
नहीं बच पाए जितेन
राज्य के लेबर कमिश्नर जितेन कुमार को बचाने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने आखिर क्या-क्या नहीं किया। कितनी दिलचस्पी दिखाई। जीएडी सिकरेट्री खुद हाईकोर्ट पहुंची। लेकिन, जस्टिस संजय अग्रवाल ने सारे तर्काें को खारिज करते हुए जितेन कुमार की पोस्टिंग आर्डर को निरस्त करने का आदेश दे दिया। हाईकोर्ट ने 28 पन्नों के आर्डर में जीएडी की समूची दलीलों को रिजेक्ट कर दिया।
विधायकों का परिवार नियोजन
छत्तीसगढ़ विधानसभा में 34 विधायकों ने परिवार नियोजन का पूरा खयाल किया है। छह को एक और 28 को दो बच्चे हैं। वरना, 48 विधायकों के तीन से लेकर 12 तक बच्चे हैं। सबसे अधिक 12 बच्चे का रिकार्ड बिलासपुर जिले के एक मंत्री के नाम दर्ज है। वैसे, छह बच्चे वाले चार और नौ बच्चे वाले भी एक विधायक हैं। अधिक बच्चे वालों में बीजेपी के विधायक अधिक हैं। इसके पीछे वजह भी है। सरकार में कांग्रेस रही है। बीजेपी वाले 12 साल पहले तक तो आखिर, खाली ही थे।
शिफ्थ होगा पीएचक्यू?
पुराना पुलिस मुख्यालय फिर से गुलजार हो गया है। खुफिया चीफ अशोक जुनेजा के बाद अब स्पेशल डीजी डीएम अवस्थी भी पुराने पीएचक्यू में बैठने लगे हैं। इसकी देखादेखी नया रायपुर स्थित नए पीएचक्यू के आईपीएस भी अब लामबंद होने लगे हैं। पिछले दिनों एक एडीजी की अगुवाई में अफसरों की बैठक हुई। इसमें नए पीएचक्यू को शिफ्थ कराने का जिम्मा एक रसूखदार आईजी को देने का फैसला हुआ। असल में, महीने भर के भीतर अपना ट्रांसफर चेंज कराने के बाद आईजी को रसूखदार अफसरों में गिना जाने लगा है। अब, देखना दिलचस्प होगा कि पीएचक्यू शिफ्थ हो पाता है या नहीं।
हफ्ते का एसएमएस
कांग्रेस अब सीबीआई जांच की मांग करने वाली है कि जीरम नक्सल हमले की सीबीआई जांच का ऐलान के पीछे वजह क्या है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. एक एडीजी का नाम बताइये, जिनकी एक सरकारी कंपनी में चीफ विजिलेंस आफिसर बनने की चर्चा है?
2. रायपुर के एक मंत्रीजी अबकी होली कहां और किसके साथ खेलेंगे?
(नोट-होली के शुरूर में अगर एकाध तीर इधर-से-उधर चले गए हों तो बुरा न मानो……होली है।)
2. रायपुर के एक मंत्रीजी अबकी होली कहां और किसके साथ खेलेंगे?
(नोट-होली के शुरूर में अगर एकाध तीर इधर-से-उधर चले गए हों तो बुरा न मानो……होली है।)
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