शनिवार, 5 मार्च 2016

ट्रेनिंग की दरकार


तरकश, 6 मार्च
संजय दीक्षित
दुर्ग संभाग के एक यंग कलेक्टर ने तो कमाल कर दिया। कांग्रेस विधायकों के आचरण के खिलाफ सीधे नेता प्रतिपक्ष़्ा टीएस सिंहदेव से गुहार लगा डाली। उन्होंने सिंहदेव को लेटर लिखा है कि वे विधायकों को निर्देशित करें कि प्रशासनिक कामों में वे दखलअंदाजी ना करें और अपना आचरण ठीक ठाक रखें। बताते हैं, कलेक्टर की गुस्ताखी से नेता प्रतिपक्ष काफी गुस्से में हैं। मंगलवार को वे विशेषाधिकार हनन की नोटिस देंगे। जाहिर है, मंगलवार को सत्र प्रारंभ होने पर इसको लेकर हंगामा होगा। इससे पहले, बस्तर इलाके के एक कलेक्टर ने एक केस में जमानत न देने के लिए सीजेएम को सीधे फोन लगा डाला था। बस्तर संभाग के ही एक कलेक्टर पर इन दिनों लेखक बनने का धुन सवार हो गया है। वह भी नक्सल और सोनी सोढ़ी जैसे संवेदनशील इश्यू पर। लगता है, इन कलेक्टरों की ट्रेनिंग ठीक नहीं हुई है। सरकार को पता लगाना चाहिए कि ये अफसर किनके प्रोबेशनर रहे हैं।

मानिटरिंग नहीं

वैसे, सूबे में डिफेक्टेड कलेक्टरों की तादात थोड़े ही है। बल्कि, कह सकते हैं कि कंपीटेंट कलेक्टरों की संख्या पहले से कहीं ज्यादा है। खासकर, बिलासपुर इस मामले में सबसे आगे हैं। बिलासपुर संभाग के 90 फीसदी कलेक्टरों की गिनती अच्छे अफसरों में होती है। वहां के कमिश्नर भी तो डायरेक्ट आईएएस हैं। रायपुर, दुर्ग संभाग में भी कुछ कलेक्टर्स काफी अच्छे हैं। सरगुजा और बस्तर में भी। बावजूद इसके रिजल्ट नहीं आ रहे हैं, तो इसके लिए सिस्टम जिम्मेदार हो सकता है। रिजल्ट के लिए मैटर करता है कि उनकी मानिटरिंग किस तरह से हो रही है। किस तरह उनसे काम लिया जा रहा है। अब, राजधानी में आईएएस, आईपीएस, आईएफएस आपस में लड़ने में बिजी रहेंगे तो मानिटरिंग कैसे होगी?

पहली बार

बजट सत्र में शुक्रवार को राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा इसलिए शुरू नहीं हो सकी क्योंकि, कांग्रेस सदन में नहीं थी। आसंदी ने इसके कारण चर्चा मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी। राज्य बनने के बाद यह पहला मौका होगा, जब राज्यपाल के अभिभाषण के समय विपक्ष नदारत रहा। अब, इसमें कांग्रेस का भी क्या कसूर। आपस में ही लड़-भिड़कर बेचारे थक जा रहे हैं। उपर से कोई इश्यू उठाने की कोशिश करते भी हैं तो प्रेमप्रकाश पाण्डेय, अजय चंद्राकर और राजेश मूणत अमित जोगी का राग छेड़कर दुखती रग पर हाथ रख देते हैं। जाहिर है, ऐसे में विधानसभा की परंपराओं का भी कहां ध्यान रह पाएगा।

धमाकेदार वापसी

आईजी दिपांशु काबरा महीने भर में सरगुजा से रायपुर लौटने में कामयाब हो गए। पुलिस मुख्यालय के इंटरनल पालिटिक्स में उनका सरगुजा ट्रांसफर हो गया था। वे यहां से जाने के लिए तैयार नहीं थे। मगर मन मारकर उन्हें वहां ज्वाईन करना पड़ा था। लेकिन, मान गए दिपांशु को। ट्रांसफर के बाद महीने भर में वापसी करने वाले वे पहले आईपीएस बन गए। वो भी आरके विज के साथ ही। जब वे यहां से गए थे, विज के साथ एसआईबी में आईजी थे। और, लौटे तो विज के साथ ही योजना एवं प्रबंध में आईजी बनकर। कौन कहता है, आसमां मे सुराख नहीं हो सकता…। आईएएस केडीपी राव ने तबियत से पत्थर नहीं उछाली। उनके लिए किसने सिफारिश नहीं की। कैट से लेकर हाईकोर्ट तक गए। मगर सरकार यही है। आर्डर टस-से-मस नहीं हुआ। और, अब?

लाइन से रिटायरमेंट

राज्य बनने के बाद इस बरस सबसे ज्यादा आईएएस रिटायर होंगे। पूरे सात। इस महीने से लाइन लग जाएगी। 31 मार्च को दिनेश श्रीवास्तव। 30 अप्रैल को डीएस मिश्रा। 31 मई को ठाकुर राम सिंह। फिर बीएल तिवारी, बीएस अनंत, एसएल रात्रे, राधाकृष्णन। इनमें से डीएस मिश्रा और ठाकुर राम सिंह की पोस्ट रिटारयमेंट पोस्टिंग तय समझिए। दिनेश श्रीवास्तव भी मानवाधिकार आयोग में मेम्बर बन सकते हैं। बट, उन्हें थोड़ा परिश्रम करना होगा।

राम-राम….

सूबे के सबसे हाईप्रोफाइल कलेक्टर ठाकुर राम सिंह के साथ भी अजीब विडंबना है। ओहदा है, सिकरेट्री का और दो महीने बाद रिटायर होंगे कलेक्टर से। रिटायरमेंट के बाद लिखना पड़ेगा सेवानिव्त कलेक्टर। या फिर सिकरेट्री के समकक्ष रिटायर कलेक्टर। ये जरा अटपटा लगेगा। सो, बजट सत्र के बाद अप्रैल फस्र्ट वीक में होने वाले फेरबदल में सरकार का इस ओर कहीं ध्यान चला जाए, तो हो सकता है कि डेढ़-दो महीने के लिए उन्हें कमिश्नर या सिकरेट्री पोस्ट कर दे। कमिशनर के लिए कोई दिक्कत भी नहीं है। अशोक अग्रवाल के पास दो-दो कमिश्नरी है। रायपुर और दुर्ग। सरकार चाहे तो इनमें से काई एक राम सिंह को दे सकती है। इससे सरकार को भी फायदा होगा। अप्रैल में इकठ्ठे सभी कलेक्टरों का आर्डर निकल जाएगा। रायपुर के लिए मई का लफड़ा नहीं रहेगा।

एक थे विश्वरंजन, अब सुब्रमण्यिम

आपको याद होगा, विश्वरंजन जब डीजीपी बनकर आए थे तो उन्होंने माओवादियों को ललकारा था, हम उनके घरों में घुस कर मारेंगे। तब वे नक्सलियों का कुछ बिगाड़ नहीं पाए। उल्टे, लाल लड़ाकों ने खूनी खेल से दंतेवाड़ा की धरती को लाल कर दिया। देश की अब तक की सबसे बड़ी नक्सली वारदात उनके समय ही हुई। ताड़मेटला में सीआरपीएफ के 76 जवान मारे गए। तब, बढ़-चढ़ कर की गई बातों के लिए विश्वरंजन की आलोचना हुई थी। और अब देखिए। पीएस होम सुब्रमण्यिम ने 3 मार्च को आनन-फानन में प्रेस कांफ्रेंस बुलाई। बस्तर में उपलब्ध्यिां गिनाने में एक घंटा निकाल दिए। दावा किया, अबूझमाड़ को छोड़कर पूरे बस्तर में पुलिस का नियंत्रण स्थापित हो रहा है। यही नहीं, उन्होंने यह भी ठोक दिया, आधं्र्रप्रदेश के ग्रेहाउंड ने हमारे घर में घुसकर आठ नक्सलियों को ऐसे ही थोड़े मार दिया। उन्हें इनपुट्स तो हमने ही उपलब्ध कराए थे। जिस समय पीएस होम की पीसी चल रही थी, उस समय किस्टाराम में मुठभेड़ चल रही थी। पीसी के बाद नक्सलियों ने एक के बाद एक छह एंबुश लगाकर फोर्स को चारों ओर से घेर लिया। तीन जवान शहीद हो गए। विश्वरंजन दिल्ली से आए थे। अब तक के सबसे शक्तिशाली डीजीपी रहे। सुब्रमण्यिम भी दिल्ली से आए हैं। अब तक के सबसे पावरफुल होम सिकरेट्री हैं। अब, बड़े-बड़े लोग, तो बड़ी-बड़ी बातें होंगी ना। इसके आगे नो कमेंट्स।

गुड न्यूज

इंवेस्टमेंट के मामले में छत्तीसगढ़ देश का दूसरे नम्बर का स्टेट बन गया है। अपने से सिर्फ गुजरात उपर है। महाराष्ट्र और कर्नाटक भी पीछे छूट गए हैं। इंडस्ट्रीज डिपार्टमेंट ने पांच सूत्रीय एजेंडा बनाया है। पारदर्शिता के लिए सिस्टम आनलाइन हो गया है। लागत कास्ट कम किया गया है। जिलों तक में कैम्प लगाकर पूछा जा रहा है, आप क्या हेल्प चाहते हैं। सरकार खुद इंडस्ट्रीलीज के पास जा रही है। लगता है, यह उसका असर है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. मार्च के किस एजेंडे के तहत आईएफएस जेएससी राव को कांकेर के साथ ही जगदलपुर सीएफ का चार्ज दिया गया है?
2. किन दो आईएफएस अफसरों के यहां छापे की एसीबी को हरी झंडी नहीं मिल रही है?

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