संजय दीक्षित
कोंडागांव कलेक्टर को एक साल में हटाना, बाकी कलेक्टरों के लिए एक मैसेज हो सकता है। कोंडागांव में चौतरफा शिकायतें थी। पता चला है, वहां के ठेकेदार सरकार से मिलने रायपुर धमक गए थे। तब कलेक्टर को वहां आठ महीने ही हुए थे। यही कोई मई की बात होगी। इसलिए, कुछ सीनियर आईएएस ने सरकार को सलाह दी, कम-से-कम एक साल बाद ही चेंज करना ठीक होगा। सरकार इस पर सहमत हो गई। जिला पंचायत के सीईओ से कलेक्टर के कैसे रिश्ते थे, किसी से छिपे नहीं हैं। बताते हैं, कलेक्टर ने जिला पंचायत के स्वीकृत कामों की फाइल भी रिव्यू के लिए अपने पास बुला लिया था। एसपी संतोष सिंह ने बस्तर के आईजी समेत डीजीपी से शिकायतें की थीं। पीएस होम की नोटिस में कुछ बातें लाई गईं। एसपी की पीड़ा चीफ सिकरेट्री तक पहुंची। जाहिर है, तालाब में कीचड़ की सफाई को भी सीएम सचिवालय ने सस्ती लोकप्रियता करार दिया था। एसीएस बैजेंद्र कुमार ने तो सीएम की मीटिंग में इस पर कड़ी टिप्पणी की थी। और, आखिर में 15 अगस्त का सलामी के दौरान कलेक्टर द्वारा चप्पल पहनने का विवादित मामला आ गया। जिस कांग्रेस नेता ने इसकी वीडियो वायरल की, जिला प्रशासन ने बेजा कब्जा बताकर उसका घर तोड़ दिया। तो सरकार ने कृष्ण की तरह उंगली उठा दिया। कहा, अब बस! दीगर कलेक्टरों के लिए इसलिए यह एक मैसेज है कि चुनाव में अब बहुत कम समय बच गया है। सरकार अब 20-20 के मोड में आ रही है। सो, जरा-सा भी इधर-उधर उन्हें भारी पड़ सकता है।
कोंडागांव कलेक्टर को एक साल में हटाना, बाकी कलेक्टरों के लिए एक मैसेज हो सकता है। कोंडागांव में चौतरफा शिकायतें थी। पता चला है, वहां के ठेकेदार सरकार से मिलने रायपुर धमक गए थे। तब कलेक्टर को वहां आठ महीने ही हुए थे। यही कोई मई की बात होगी। इसलिए, कुछ सीनियर आईएएस ने सरकार को सलाह दी, कम-से-कम एक साल बाद ही चेंज करना ठीक होगा। सरकार इस पर सहमत हो गई। जिला पंचायत के सीईओ से कलेक्टर के कैसे रिश्ते थे, किसी से छिपे नहीं हैं। बताते हैं, कलेक्टर ने जिला पंचायत के स्वीकृत कामों की फाइल भी रिव्यू के लिए अपने पास बुला लिया था। एसपी संतोष सिंह ने बस्तर के आईजी समेत डीजीपी से शिकायतें की थीं। पीएस होम की नोटिस में कुछ बातें लाई गईं। एसपी की पीड़ा चीफ सिकरेट्री तक पहुंची। जाहिर है, तालाब में कीचड़ की सफाई को भी सीएम सचिवालय ने सस्ती लोकप्रियता करार दिया था। एसीएस बैजेंद्र कुमार ने तो सीएम की मीटिंग में इस पर कड़ी टिप्पणी की थी। और, आखिर में 15 अगस्त का सलामी के दौरान कलेक्टर द्वारा चप्पल पहनने का विवादित मामला आ गया। जिस कांग्रेस नेता ने इसकी वीडियो वायरल की, जिला प्रशासन ने बेजा कब्जा बताकर उसका घर तोड़ दिया। तो सरकार ने कृष्ण की तरह उंगली उठा दिया। कहा, अब बस! दीगर कलेक्टरों के लिए इसलिए यह एक मैसेज है कि चुनाव में अब बहुत कम समय बच गया है। सरकार अब 20-20 के मोड में आ रही है। सो, जरा-सा भी इधर-उधर उन्हें भारी पड़ सकता है।
चौंकाने वाले ट्रांसफर
आठ आठ अफसरों की नई पोस्टिंग चौंकाने वाली रही। पहले से न कोई सुगबुगाहट और ना ही कोई चर्चा। बीएल तिवारी और बीएस अनंत के रिटायर के बाद लग रहा था कि किसी को एडिशनल प्रभार दे दिया जाएगा। तभी तो लिस्ट निकली तो लोग नौकरशाही भी आवाक रह गई। हालांकि, ट्रांसफर को हरी झंडी 31 अगस्त की शाम मिल गई थी। मंत्रालय में पीडब्लूडी की समीक्षा बैठक शाम साढे सात बजे तक चली। इसके बाद सभी चले गए। रह गए सीएम और सीएस विवेक ढांड, एडवाइजर टू सीएम शिवराज सिंह, बैजेंद्र कुमार, अमन सिंह, सुबोध सिंह। इसलिए लगा कि कुछ खास होने वाला है। और, ऐसा ही हुआ। सीएम को नाम बताएं गए। हल्का डिस्कशन हुआ और ओके हो गया। आर्डर जरूर अगले दिन निकाला गया।
तू गेहूं चोर, तू चावल चोर
सरकार के सबसे ड्रीम प्रोजेक्ट फूड डिपार्टमेंट में क्या खेल चल रहा है, व्हाट्सएप ग्रुप में अफसरों के बीच हुए झगड़े में इसकी पोल खुल गई। एक अफसर ने यहां तक लिख डाला कि रायपुर के व्यापारियों से मिलकर तूने किस तरह सीलबंद गोदाम से गेंहू चोरी करवा दी….दाल-भात केंद्र के चावल का तू अफरातफरी करवाता है….पकड़ा गया तो बीवी बच्चे के साथ आलोक शुक्ला सर के घर माफी मांगने चला गया। पत्रकारों को पैसा खिलाकर उन्हें सेट करता है। इसके बाद तो मत पूछिए, अफसर पर्सनल मामलों पर उतर आए। तेरी बेटी की शादी तो तेरा……। दरअसल, झगड़ा शुरू हुआ, आईएएस अवार्ड हुए अनुराग पाण्डेय को बधाई देने पर। फूड डिपार्टमेंट में दो गुट है। विरोधी गुट के अफसर ने टांट मारने के लिए जरा जोर से अनुराग को बधाई दे दिया….अनुराग सर, आप दूसरों की जिंदगी बिगाड़ने वालों के लिए उदाहरण बनें। जाहिर है, आईएएस के लिए फूड से भी एक दावेदार थे। सो, फूड आफिसर का निशाना सही लगा। और, दोनों गुटो में व्हाट्सएप पर ही तलवारें निकल गईं। जमकर तलवारें भांजने के बाद अनुराग को बधाई देने वाले अफसर को ग्रुप से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। बहरहाल, इस झगड़े में अफसरों के साथ डिपार्टमेंट भी बेनकाब हो गया।
पूत सपूत तो का धन….
एक बड़े परिवार वाले मंत्रीजी ने अपने बेटों को स्थापित करने के लिए कोई जतन नहीं छोड़ा। बिजनेस चालू कराया तो बच्चों ने लंबा घाटा लगवा दिया। पेट्रोल पंप में लोग लाखों पिट रहे हैं, लेकिन मंत्रीजी का पेट्रोल पंप बंद पड़ा है। क्योंकि, बेटे को पंप चलाने से ज्यादा इस बात में रुचि रहती थी कि कितना पैसा आया। एक बेटा जेब में पैसा भरकर गया कि दूसरा आया, फिर तीसरा…..। मंत्रीजी के घर में हर महीने इधर-उधर से जो पैसे आते हैं, उस पर भी बेटे हाथ साफ कर खा पी जाते हैं। अब, मंत्रीजी ने मान लिया है, बेटों का कुछ नहीं हो सकता। सो, अब इधर-उधर से आने वाले पैसे अब खुद सहेज रहे हैं। ठीक ही कहा गया है, पूत सपूत को का धन संचय और पूत…..।
आईएएस का काडर रिव्यू
साल भर से लटके आईएएस के कैडर रिव्यू पर डीओपीटी ने मुहर लगा दिया है। फाइल प्रधानमंत्री कार्यायल पहुंच गई है। पीएम के हस्ताक्षर के बाद इसे हरी झंडी मिल जाएगी। पता चला है, डीओपीटी ने सरकार के 10 फीसदी वृद्धि को मंजूरी दे दी है। फिलहाल, 178 का कैडर है। 10 फीसदी के हिसाब से 18 आईएएस बढ़ेंगे। पिछले साल जीएडी ने 263 का प्रस्ताव भेजा था। इसकी वजह से डीओपीटी ने फाइल आगे नहीं बढ़ाई। जीएडी ने अबकी पोस्ट कम कर संशोधित प्रस्ताव भेजा था। तब जाकर फाइल मूव हुई है। इससे पहले 2010 में आईएएस का कैडर रिव्यू हुआ था। उसमें 156 से बढ़कर 178 का कैडर किया गया था।
नारी सशक्तिकरण
सात जिलों में कलेक्टर की कुर्सी ऑकीपाई करने के बाद महिला आईएएस ने मंत्रालय में भी अबकी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है। एम गीता को सरकार ने सिकरेट्री महिला बाल विकास बनाया है। राज्य बनने के बाद यह पहला मौका होगा, जब किसी नारी को इस विभाग का जिम्मा दिया गया है। शहला निगार को भी लंबे समय तक फायनेंस में काम करने का सरकार ने पुरस्कृत किया है। वे स्पेशल सिकरेट्री पीएचई होंगी। उनका यह स्वतंत्र प्रभार होगा। रेणु पिल्ले पीएस तकनीकी शिक्षा, निधि छिब्बर सामान्य प्रशासन और रीचा शर्मा पहले से फूड संभाल ही रही हैं। यह भी पहली दफा ही होगा कि मंत्रालय में पांच महिला सिकरेट्री होंगी।
बीवीयों की ब्रांडिंग
बस्तर के एक कलेक्टर एवं एसपी ने वंदे मातरत की धुन पर बस्तर की ब्रांडिंग के लिए वीडियो बनवाया है। वीडियो ठीक-ठाक है। कलेक्टर की फोटो और मैसेज से यह शुरू होता है। मगर लोचा यह आ गया है कि उसमें प्रोड्यूसर के तौर पर कलेक्टर, एसपी और प्रोबेशनर आईएएस का नाम तो है ही, उनकी पत्नियों के नाम भी लिखे हैं। अलबत्ता, कोशिश की गई, वीडियों को सरकार एडाप्ट करके इलेक्ट्रानिक चैनलों में इसका प्रचार-प्रसार कराएं। मगर पहली बात, इसमें राज्य के राजा का कहीं जिक्र नहीं है। उस पर, पत्नियों के नाम। जाहिर है, इसमें बस्तर से अधिक कलेक्टर, एसपी और उनकी पत्नियांं की ब्राडिंग हो रही है। सो, सीएम सचिवालय ने टका सा जवाब दे दिया। कहा, पहले बीवियों की ब्रांडिंग बंद करों। फिर, देखेंगे।
जवाहर के नाम की चर्चा
मुख्य सूचना आयुक्त के लिए जवाहर श्रीवास्तव के नाम की चर्चा तेज है। जवाहर अभी सूचना आयुक्त है। और, सत्ता के गलियारों में चल रही बातां पर यकीन करें तो उन्हें वही अपग्रेड कर दिया जाएगां। वैसे, जवाहर के सीआईसी बनने से नौकरशाही को फायदा यह होगा कि वे पांच साल तक सीट छेंक कर नहीं बैठेंगे। वे 63 के हो गए हैं। और, सूचना आयोग में 65 में रिटायरमेंट है। याने दो साल बाद अगस्त 2018 में रिटायर हो जाएंगे। सो, 2017 के बाद रिटायर होने वाले अफसरों के लिए सूचना आयोग में वैकेंसी खाली मिलेगी।
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अंत में दो सवाल आपसे
1. एक आईएएस एमडी और एक एसपी का नाम बताइये, जो परिवार के साथ 14 दिन के यूरोप की सैर पर निकले हैं?
2. अबकी फेरदल में किस आईएएस को सिर्फ इस बेस पर पोस्टिंग मिली है कि मेहनत करके आईएएस बना है, कुछ अर्न कर लें?
2. अबकी फेरदल में किस आईएएस को सिर्फ इस बेस पर पोस्टिंग मिली है कि मेहनत करके आईएएस बना है, कुछ अर्न कर लें?
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