18 सितंबर
संजय दीक्षित
बिलासपुर के तुरकाडीह ब्रिज केस में पीडब्लूडी के तीन इंजीनियर समेत संुदरानी बिल्डर के मालिक को जेल की हवा खानी पड़ सकती है। उनके खिलाफ केस तो पहले से दर्ज है, एसीबी ने जांच में चारों को दोषी करार देते हुए कोर्ट में चालान पेश करने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग से अनुमति मांगी है। एसीबी ने चारों के खिलाफ गंभीर धाराएं लगाई है। इनमें सरकारी संपति को नुकसान पहंुचाना भी शामिल है। जाहिर है, करोड़ों रुपए से बना तुरकाडीह पुल दो साल में ही धसकने लगा था। इस पर बड़ा बवाल मचा था। सरकार पर भी सवाल उठे थे। बहरहाल, इंजीनियर्स और ठेकेदार के खिलाफ एक्शन से आम आदमी में विश्वास बढ़ेगा कि बड़े लोगों के खिलाफ भी कार्रवाइयां होती हैं। सो, सरकार ने अनुमति दे दी तो पीडब्लूडी के तीन इंजीनियर जेल जाएंगे ही। सुंदरानी बिल्डर्स का नाम देश के बड़े बिल्डरों में शुमार होता है, सरकारी संपति के नुकसान में लंबे समय तक उसकी भी जमानत नहीं होगी।
बिलासपुर के तुरकाडीह ब्रिज केस में पीडब्लूडी के तीन इंजीनियर समेत संुदरानी बिल्डर के मालिक को जेल की हवा खानी पड़ सकती है। उनके खिलाफ केस तो पहले से दर्ज है, एसीबी ने जांच में चारों को दोषी करार देते हुए कोर्ट में चालान पेश करने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग से अनुमति मांगी है। एसीबी ने चारों के खिलाफ गंभीर धाराएं लगाई है। इनमें सरकारी संपति को नुकसान पहंुचाना भी शामिल है। जाहिर है, करोड़ों रुपए से बना तुरकाडीह पुल दो साल में ही धसकने लगा था। इस पर बड़ा बवाल मचा था। सरकार पर भी सवाल उठे थे। बहरहाल, इंजीनियर्स और ठेकेदार के खिलाफ एक्शन से आम आदमी में विश्वास बढ़ेगा कि बड़े लोगों के खिलाफ भी कार्रवाइयां होती हैं। सो, सरकार ने अनुमति दे दी तो पीडब्लूडी के तीन इंजीनियर जेल जाएंगे ही। सुंदरानी बिल्डर्स का नाम देश के बड़े बिल्डरों में शुमार होता है, सरकारी संपति के नुकसान में लंबे समय तक उसकी भी जमानत नहीं होगी।
डीएफओ और जीएडी का गठजोड़
सुकमा के डीएफओ राजेश चंदेले के खिलाफ चालान पेश करने के लिए एसीबी ने साल भर पहिले जीएडी को लेटर लिखा था। लेकिन, जीएडी न केवल कुंडली मार कर बैठ गया बल्कि बाद में चुपके से फाइल क्लोज कर दिया। वो तो डीएफओ बंगले में स्वीमिंग पुल का मामला आ गया वरना डीएफओ की फाइल पर किसी का ध्यान ही नहीं गया होता। स्वीमिंग पुल की खबर मीडिया में उछलने के बाद चंदेले की फाइल ढंूढी गई तो पता चला कि जीएडी ने उसे क्लोज कर दिया है। याने डीएफओ और जीएडी का नायाब गठजोड़। लेकिन, बहुत कम लोगों को पता होगा कि सीएम को इसकी जानकारी मिलने पर जमकर बिगड़े। उन्होंने डीएफओ की फाइल को रिओपन करके अनुमति के लिए भारत सरकार को भिजवाया। इसलिए, पीडब्लूडी केस में भरोसा नहीं कि चालान पेश करने की अनुमति आसानी से मिल जाएगी। क्योंकि, जो दोषी पाए गए हैं, उनके हाथ बड़े लंबे हैं। और, ये भी सही है कि सरकार ने अगर कार्रवाई की हरी झंडी दे दी तो राज्य का भला हो जाएगा। इसके बाद कोई इंजीनियर और ठेकेदार सड़क और पुल में गड़बड़ी करने से पहिले 10 बार सोचेगा। आखिर, भर्राशाही की लिमिट होती है। विधानसभा रोड का बजट भी 16 करोड़ से बढ़ाकर 32 करोड़ कर दिया पीडब्लूडी ने। और, बताते हैं, 10 करोड़ सीधे अंदर कर लिया। उस रोड में, जिस पर सत्र के दौरान पूरी सरकार चलती है। ऐसे में, भ्रष्ट अफसरों के हौसले का अंदाजा आप लगा सकते हैं। ऐसे में, सरकार को कौवा मारकर टांगना होगा।
जुबां पर दर्द भरी दास्तां…..
कहा जाता है, हर पुरूष की सफलता में किसी नारी का हाथ होेता है। बस्तर आईजी शिवराम प्रसाद कल्लुरी को भी कल्लुरी बनाने में एक महिला का ही हाथ रहा है। आपकी कौतूकता बढ़ी होगी, महिला कौन? तो उनकी जुबां से ही सुन लीजिए। सोमवार को जगदलपुर में समर्पित माओवादियों के एक कार्यक्रम में बोलते हुए कल्लुरी जरा भावुक हो गए। बोले, कांग्रेस शासन काल में मैं बड़े-बड़े जिलों मेें एसपी रहा। बीजेपी का गवर्नमेंट आने के बाद मुझे बलरामपुर जिले की कमान मिली। वहां पत्नी से रोज किच-किच होती थी….पत्नी बोलती थी, कहां लेकर आ गए मुझे…..जब भी मेरी पत्नी से झगड़ा होता, मैं फोर्स लेकर जंगल की ओर निकल जाता….दो-दो, तीन-तीन दिन मैं जंगल में रह जाता था। इससे मेरा खुफिया नेटवर्क मजबूत हो गया….। अब, एसपी जंगल में ही डेरा डाल दें, तो इसका मतलब आप समझ सकते हैं। देखते-देखते बलरामपुर से नक्सलियों के पांव उखडने लगे। इससे पहले कल्लुरी बिलासपुर और कोरबा जैसे बड़े जिले के जलवेदार एसपी रह चुके थे। एमपी के समय में भी, जशपुर जिला किया था। मगर बलरामपुर तो राजस्व जिला भी नहीं था। पुलिस जिला था। तब वहां रहने के लिए ठीक से कोई घर था और ना ही आफिस। याने पोस्टिंग कम पनिशमेंट। वो भी एक्स डीजीपी स्व0 ओपी राठौर की बदौलत। याद होगा, राठौर ने जिम्मेदारी ली थी…. इस लड़के से मैं काम लूंगा। इसीलिए, कल्लुरी की जुबां पर दर्द भरी दास्तां चली आई….।
सरकार की नजरे इनायत
93 बैच के आईएएस सुब्रत साहू को टाईम से तीन महीने पहिले प्रमोशन मिल गया। वे प्रिंसिपल सिकरेट्री हो गए हैं। नियमानुसार, जनवरी में वे पीएस बनते। मगर सरकार की नजरे इनायत हो गई। हालांकि, यह पहली दफा नहीं हुआ है। छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी में यह परंपरा पुरानी है। सुनील कुजूर जरूर एक अपवाद हैं। उनकी बदकिस्मती कहें कि जनवरी 2016 में एडिशनल चीफ सिकरेट्री के लिए एलिजिबल होने के बाद भी वे नजरे इनायत खातिर टुकटुकी लगाए बैठे हैं। बहरहाल, सुब्रत को पीएस बनाने के साथ ही, सरकार ने उन्हें कमिश्नर हेल्थ एन मेडिकल एजुकेशन बनाया है। याने सुब्रत का कद अब बढ़ गया है।
ध्रुव भी चले दिल्ली
गरियाबंद एसपी अमित कांबले अभी एसपीजी के लिए रिलीव हुए नहीं कि आईपीएस ध्रुव गुप्ता भी डेपुटेशन पर दिल्ली जाने के लिए बोरिया-बिस्तर बांधना शुरू कर दिए हैं। ध्रुव आईबी में जा रहे हैं। फिलहाल, वे एआईजी एसआईबी हैं। हालांकि, डेपुटेशन के लिए एडीजी राजेश मिश्रा और कमांडेंट सेकेंड बटालियन रतनलाल डांगी भी प्रयासरत हैं। बहरहाल, कांबले और ध्रुव के जाने के बाद एसपी लेवल पर एक छोटा से रिसफल होना तय माना जा रहा है।
खेतान भी नहीं लौटेंगे?
भारत सरकार में डेपुटेशन पर पोस्टेड आईएएस गौरव द्विवेदी दंपति को दो साल का एक्सटेंशन मिल गया है। इधर, पता चला है 87 बैच के चितरंजन कुमार खेतान भी फिलहाल, छत्तीसगढ़ लौटने के मूड में नहीं हैं। खेतान ने राज्य सरकार को दो साल डेपुटेशन बढ़ाने के लिए अनुमति चाही है। फाइल सीएम के पास गई है। देखना है, सरकार अब उनके मसले पर क्या निर्णय लेती है।
आनलाइन पद्यमश्री
भारत सरकार ने पद्यमश्री के लिए आनलाइन आवेदन मंगाकर दावेदारों के साथ ही अपनी मुसीबत बढ़ा ली। छत्तीसगढ़ से ही करीब 200 से अधिक लोगों ने अबकी पद्यमश्री के लिए अप्लाई किया है। आलम यह था कि 14 सितंबर लास्ट डेट था और ट्रैफिक इतनी बढ़ गई कि इंटरनेट का सर्वर काम करना बंद कर दिया। वरना, संख्या और अधिक पहुंच जाती।
अंत में दो सवाल आपसे
1. कोंडागांव के बाद किस जिले के कलेक्टर और एसपी में छत्तीस के रिश्ते बन गए हैं?
2. किस रिटायर आईएएस के खिलाफ तीसरी विभागीय जांच करने के लिए सरकार ने डीओपीटी से अनुमति मांगी है?
2. किस रिटायर आईएएस के खिलाफ तीसरी विभागीय जांच करने के लिए सरकार ने डीओपीटी से अनुमति मांगी है?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें