संजय दीक्षित
पिछले बार टीम रमन जब चाइना गई थी तो हवाई जहाज में ट्रांसफर के फैसले हो गए थे। रायपुर से फ्लाइट टेकऑफ करने के करीब आधा घंटा बाद जब इंडिगो का प्लेन 20 हजार फीट की उंचाई पर पहुंचा तो सीएम ने अपने बगल में बैठे राइट हैंड से चर्चा की और लिस्ट तैयार हो गई। दिल्ली एयरपोर्ट से सीएम का काफिला छत्तीसगढ़ सदन के लिए रवाना हुआ और उधर आर्डर निकालने के लिए सूची जीएडी को व्हाट्सएप कर दी गई। अबकी 26 नवंबर को सीएम अमेरिका जा रहे हैं। अफसरों को डर सताने लगा है कि इस बार कहीं हवा में उनका नम्बर न लग जाए।
पिछले बार टीम रमन जब चाइना गई थी तो हवाई जहाज में ट्रांसफर के फैसले हो गए थे। रायपुर से फ्लाइट टेकऑफ करने के करीब आधा घंटा बाद जब इंडिगो का प्लेन 20 हजार फीट की उंचाई पर पहुंचा तो सीएम ने अपने बगल में बैठे राइट हैंड से चर्चा की और लिस्ट तैयार हो गई। दिल्ली एयरपोर्ट से सीएम का काफिला छत्तीसगढ़ सदन के लिए रवाना हुआ और उधर आर्डर निकालने के लिए सूची जीएडी को व्हाट्सएप कर दी गई। अबकी 26 नवंबर को सीएम अमेरिका जा रहे हैं। अफसरों को डर सताने लगा है कि इस बार कहीं हवा में उनका नम्बर न लग जाए।
कुजूर का प्रमोशन
सीएम के अमेरिका जाने से पहिले 86 बैच के आईएएस सुनील कुजूर को सरकार एडिशनल चीफ सिकरेट्री बना सकती है या फिर वहां से लौटने के फौरन बाद। कैडर रिव्यू में सीएस का एक पोस्ट बढ़ गया है। सो, तकनीकी तौर पर भी कोई दिक्कत नहीं है। कुजूर का प्रमोशन जनवरी से ड्यू है। कुजूर छत्तीसगढ़ के पहले आईएएस होंगे, जिनका प्रमोरशन ड्यू डेट से 11 महीने बाद भी लटका हुआ है। 86 बैच में कुजूर के अलावे दो आईएएस और हैं। डा0 आलोक शुक्ला और अजयपाल सिंह। एसीबी केस के चलते शुक्ला का प्रमोशन संभव नहीं है। और, अजयपाल सिंह का सीआर ठीक नहीं है। इसलिए, सिंगल पोस्ट के लिए ही डीपीसी होगी। इसलिए, कुजूर का नाम तय मानिये।
सरकार से पंगा नहीं
डेढ़ महीने बाद जनवरी में आईएएस का 87 बैच भी एडिशनल चीफ सिकरेट्री के लिए एलिजिबल हो जाएगा। इस बैच में छत्तीसगढ़ कैडर में तीन आईएएस हैं। बीबीआर सुब्रमण्यिम, सीके खेतान और आरपी मंडल। इनमें से खेतान सेंट्रल डेपुटेशन पर दिल्ली में हैं। 2011 में तीनों आईएएस ड्यू डेट से छह महीने पहिले सिकरेट्री से प्रिंसिपल सिकरेट्री प्रमोट हुए थे। मगर वो वक्त दूसरा था। सुब्रमण्यिम दिल्ली में थे और खेतान यहां। एक नवंबर को पीएम विजिट और पांच नवंबर को यूनियन होम मिनिस्टर विजिट में हुए विवादों के बाद सुब्रमण्यिम सरकार के निशाने पर हैं। लिहाजा, 87 बैच को प्रमोशन की उम्मीद ना करें तो बेहतर होगा। क्योंकि, इस बैच में सुब्रमण्यिम पहले नम्बर पर है। उनके बाद खेतान और फिर मंडल। ऐसे में पूरा खतरा है कि सुब्रमण्यिम के चलते खेतान और मंडल का प्रमोशन लटकेगा। आखिर, सुनील कुजूर का उदाहरण सामने है। सरकार ने नहीं किया, तो नहीं किया। अलबत्ता, सुब्रमण्यिम का मामला न निबटा तो हो सकता है कि अगले साल भी तीनों का प्रमोशन ना हो पाए। क्योंकि, अगले साल एसीएस एनके असवाल के रिटायर होने पर हो सकता है, सरकार अजयपाल सिंह को प्रमोशन देकर 87 बैच का बता दें कि सरकार, सरकार होती है….सरकार से होशियारी नहीं।
तब भी कल्लूरी, अब भी कल्लूरी
छत्तीसगढ़ बनने के बाद 16 साल में विधानसभा में विपक्ष के सर्वाधिक निशाने पर कोई अफसर रहा है तो वे हैं आईपीएस एसआरपी कल्लूरी। दो मौका तो कोई भूल नहीं सकता। पहला, याद कीजिए अक्टूबर 2003 के शीतकालीन सत्र को। नवंबर में चुनाव था, इसलिए जोगी सरकार ने कोरम पूरा करने के लिए अक्टूबर में तीन दिन का सत्र बुलाया था। बीजेपी ने पहले दिन सेकेंड हाफ में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। ढाई दिन की चर्चा में डेढ़ दिन कल्लूरी के नाम रहा। कल्लूरी उस समय बिलासपुर एसपी थे। तब बीजेपी नेता कल्लूरी के बारे में बोलते-बोलते मर्यादाओं को लांघ गए थे। और दूसरा, यही काम इस बार कांग्रेस ने किया। पीसीसी चीफ भूपेश बघेल ने शीतकालीन सत्र में 19 नवंबर को कल्लूरी पर ऐसे-ऐसे जहर बूझे तीर छोड़े कि लोगों को 2003 की याद आ गई। फर्क इतना रहा कि उस समय कांग्रेस ने कल्लूरी का जमकर बचाव किया था। इस बाद कल्लूरी के फेवर में सिर्फ गृह मंत्री रामसेवक पैकरा खड़े हुए। सार यह कि कल्लूरी की वर्किंग ऐसी है कि वे स्वाभाविक तौर पर विपक्ष के निशाने पर आ जाते हैं। अब, विपक्ष में कांग्रेस हो या भाजपा।
असवाल होंगे प्रभारी सीएस?
चीफ सिकरेट्री विवेक ढांड 26 नवंबर से आठ दिसंबर तक सीएम के साथ अमेरिका के दौरे पर रहेंगे। ढांड के बाद सीनियरिटी में 83 बैच के अजय सिंह हैं। मगर तीन नवंबर को उनकी बेटी की शादी है। जाहिर है, वे भी छुट्टी पर जाएंगे। उनके बाद 83 बैच के ही एनके असवाल एसीएस हैं। असवाल भले ही सीएस न बन पाएं मगर 13 दिन के लिए प्रभारी सीएस जरूर बनेंगे।
मुसीबत में दैवेभो
नोटबंदी के बाद सूबे में सबसे अधिक कोई परेशान हैं तो दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी। आफिस से लेकर अफिसरों के बंगलों में बड़ी संख्या में दैवोभो काम करते हैं। उनके एकाउंट में पैसा डलवाना अफसर सर्वाधिक सेफ और सुविधाजनक मान रहे हैं। दैवोभो के सामने दिक्कत यह है कि पैसा जमा न कराएं तो नौकरी जाने में मिनटों नहीं लगेंगे। और, पैसा जमा करा दिया तो 30 दिसंबर के बाद इंकम टैक्स आफिस में पेशी होने की खतरा। इंकम टैक्स महकमा दैवेभो के एकाउंट चेक कर लें तो बड़ी संख्या में आफिसर बेनकाब होंगे।
ऐसे-ऐसे खेल
काली कमाई वाले अफसर किस तरह उसे व्हाइट कर रहे हैं, एक बानगी आपको बताते हैं। रायपुर रजिस्ट्री आफिस का अक्टूबर का बिजली बिल आया था 72,620 रुपए। बिल सीधे चेक से भुगतान हो सकता है। मगर अफसर ने 19 नवंबर को कलेक्ट्रेट परिसर स्थित ओरियेंटल बैंक से चपरासी से चेक के जरिये पैसा निकलवाया। और, नए नोट को लेकर घर से लेकर आए पुराने नोट चपरासी को देकर बिजली दफ्तर भेज दिया। हालांकि, ये छोटा एमाउंट है। लेकिन, सरकारी आफिसों में इस टाईप के खेल खूब चल रहे है।
रिकार्ड एनकाउंटर
बस्तर पुलिस के लिए नवंबर गुड रहा। नवंबर में नक्सली एनकाउंटर का पिछले सात साल का रिकार्ड टूट गया। 2009 में बस्तर में 109 नक्सली मारे गए थे। और, इस साल नवंबर में यह संख्या 225 पर पहुंच गया। पिछले तीन दिन में ही फोर्स ने 15 नक्सलियों को मार गिराएं हैं। हालांकि, पिछले साल भी नवंबर में सर्वाधिक 18 माओवादी मारे गए थे। फिर भी 109 का रिकार्ड नहीं टूटा था। लेकिन, इस साल हर महीने नक्सली ढेर होते रहे। इसलिए, एनकाउंटर का रिकार्ड बन गया।
95 फीसदी लॉकर खाली
लॉकर जब्ती की अफवाह से काली कमाई करने वाले खासे डरे हुए हैं। आलम यह है कि पिछले एक हफ्ते में बड़़े लोगों ने 95 फीसदी लॉकर खाली कर दिए। एक राष्ट्र्रीकृत बैंक के मैनेजर की मानें तो 9 नवंबर से पहिले दिन में चार-से-पांच लोग लॉकर आपरेट करने आते थे। नोटबंदी क बाद रोज 30 से 35 लोग आ रहे हैं। हालांकि, लॉकर का माल घर में रखने से लोगों की रात की नींद भी उड़ चली है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. अजीत जोगी की पार्टी का रजिस्ट्रेशन कराने से बचने के पीछे क्या कोई रणनीति हैं?
2. किस संभाग के कलेक्टर-एसपी काम-धाम छोड़कर इन दिनों दीपावली मिलन कार्यक्रम आयोजित करने में व्यस्त हैं।
2. किस संभाग के कलेक्टर-एसपी काम-धाम छोड़कर इन दिनों दीपावली मिलन कार्यक्रम आयोजित करने में व्यस्त हैं।
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