शनिवार, 3 दिसंबर 2016

दागी कलेक्टर

4 दिसंबर
संजय दीक्षित
अभी तक आपने दागी अफसर सुने होंगे, दागी कलेक्टर नहीं। मगर छत्तीसगढ़ में एक ऐसा कलेक्टर हैं, जिनके खिलाफ गंभीर मामला है। जीएडी में उनके खिलाफ विभागीय जांच की फाइल तैयार है। मगर उसे हरी झंडी नहीं मिल रही, क्योंकि मैसेज अच्छा नहीं जाएगा….लोग क्या कहेंगे….कलेक्टर के खिलाफ डीई! इसमें हिट यह भी है कि अविभाजित मध्यप्रदेश के समय तत्कालीन बस्तर कमिश्नर विवेक ढांड ने आर्थिक अनियमितता के मामले में इस अफसर को सस्पेंड किया था। तब वे वहां डिप्टी कलेक्टर थे। वही ढांड आज चीफ सिकरेट्री हैं। और, उन्हीं के दस्तखत से उस अफसर को कलेक्टर बनाया गया। जाहिर है, ढांड की आत्मा भी कचोट रही होगी। मगर क्या करें, सरकार की अपनी राजनीतिक मजबूरिया होती हैं। जातीय समीकरण के चलते उन्हें कलेक्टर बनाया गया। और, इसी के चलते उन्हें हटाने में सरकार आगे-पीछे हो रही है।

बस्तर में नए आईजी?

बस्तर आईजी शिवराम प्रसाद कल्लूरी की बाईपास सर्जरी के बाद जाहिर है, उन्हें पूर्ण स्वस्थ्य होने में वक्त लगेगा। उनके हार्ट में मल्टीब्लॉकेज था। रविवार को वे आईसीयू से प्रायवेट रुम में शिफ्थ होंगे। याने वे जल्दी नहीं लौटने वाले। सरकार ने हालांकि, बिलासपुर आईजी विवेकानंद को बस्तर का एडिशनल चार्ज दिया है। लेकिन, बस्तर संवेदनशील रेंज है, इसलिए लंबे समय तक प्रभारी के भरोसे छोड़ा भी नहीं जा सकता। अलबत्ता, टीम रमन के 6 दिसंबर को अमेरिका से लौटने के बाद ही तस्वीर साफ हो पाएगी। अगर बस्तर में नए आईजी की पोस्टिंग होगी तो दो-एक रेंज के आईजी और इधर-से-उधर हो सकते हैं। क्योंकि, आईपीएस अमित कुमार सीबीआई डेपुटेशन से कभी भी छत्तीसगढ़ लौट सकते हैं। उनका पांच साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के केसेज उनके पास हैं। इसलिए, अनुमति के लिए एपेक्स कोर्ट को लिखा गया है। अमित को मानकर चलिये, उन्हें ठीक-ठाक पोस्टिंग मिलेगी। याने बढ़ियां रेंज। सो, आईजी में बड़ी उठापटक हो जाए, तो आश्चर्य नहीं।

एमपी में 48, सीजी में 3 एडीजी

पुलिस मुख्यालय में सीनियर लेवल पर अफसरों का टोटा डीजीपी के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। खासकर एडीजी और आईजी के मामले में। पीएचक्यू में फिलहाल पांच एडीजी हैं। संजय पिल्ले, आरके विज, अशोक जुनेजा, राजीव श्रीवास्तव और लांग कुमेर। राजीव श्रीवास्तव इस महीने रिटायर हो जाएंगे। लांग कुमेर भी नागालैंड जाने के लिए जोर मार रहे हैं। कभी भी उनका आदेश आ सकता है। ऐसे में, बचेंगे तीन। पिल्ले, विज और जुनेजा। इनके बाद 92 बैच में तीन आईपीएस हैं। पवनदेव, अरुणदेव गौतम और राजकुमार देवांगन। जनवरी में ये बैच एडीजी के लिए एलिजिबल हो जाएगा। लेकिन, इसमें लोचा यह है कि देवांगन का सीआर खराब है। वो तो विश्वरंजन ने आईजी बनवा दिया वरना….। पवनदेव के खिलाफ विशाखा कमेटी की जांच अभी पूरी नहीं हो पाई है। इस महीने कमेटी की रिपोर्ट नहीं आई तो सिर्फ गौतम एडीजी बन पाएंगे। लेकिन, इससे पीएचक्यू को कोई लाभ नहीं होगा। क्यांकि, वे मंत्रालय में सिकरेट्री होम हैं। सरकार वहीं उनको प्रमोट कर देगी। याने एडीजी की संख्या तीन पर टिकी रहेगी। जबकि, मध्यप्रदेश में 48 एडीजी हैं। आईजी में तो स्थिति और खराब है। रेंज के लिए भी ढंग के अफसर नहीं हैं। पीएचक्यू में गिन के चार आईजी हैं। पवनदेव, जीपी सिंह, एचके राठौर एवं बीपी पौषार्य। ऐसे में, आप समझ सकते हैं, पुलिस का काम कैसे चल रहा होगा। और, आगे क्या होगा?

बदलेंगे कलेक्टर्स

सीएम के अमेरिका से लौटने के बाद कुछ कलेक्टरों का बदलना तय माना जा रहा है। इनमें प्रमोटी में से पांच में से चार कलेक्टरों की छुट्टी होगी…..भले ही दो फेज में ही क्यों ना हो। तो कुछ जिले के कलेक्टरों को बड़ा जिला मिलेगा। जो कलेक्टर्स अपग्रेड होंगे, उनमें नीरज बंसोड़ सुकमा, उमेश अग्रवाल महासमुंद और शम्मी आबिदी कांकेर प्रमुख हैं। उमेश का दुर्ग के लिए चर्चा है। यशवंत कुमार के लिए भी खूब लॉबिंग हो रही है। सरकार पर जीएडी से लेकर बिहार, यूपी तक से प्रेशर है। प्रमोटी में अबकी टीपी वर्मा, नीलम एक्का, नरेंद्र दुग्गे का नम्बर लग सकतु है।

2010 बैच भी दावेदार

कई राज्यों में 2010 बैच के आईएएस कलेक्टर बन गए हैं। बिहार, यूपी में तो पिछले साल ही उनका नम्बर लग गया था। लेकिन, छत्तीसगढ़ में 2010 बैच पिछड़ गया है। इसमें चार आईएएस हैं। कार्तिकेय गोयल, सारांश मित्तर, जेपी मौर्य और रानू साहू। अगले कुछ महीनों में सरकार को इन सभी को कलेक्टर बनाना होगा। 2009 बैच के छह आईएएस पहिले से छह जिलों को आकोपाई किए हुए हैं। ये सभी बढियां काम कर रहे हैं। सो, लगता नहीं कि सरकार इनमें से किसी को डिस्टर्ब करेगी।

कलेक्टर की पत्नी

एक कलेक्टर की वाइफ का ओडीएफ पर भाषण इस हफ्ते सोशल मीडिया में वायरल हुआ। लोगों को झकझोड़ने वाला ऐसा ओजस्वी और बेलाग बोल कि साध्वी ऋतंभरा भी फेल हो जाए। यकीनन, कम-से-कम छत्तीसगढ़ में वैसा लच्छेदार बोलने वाला कोई पालीटिशियन नहीं है। न कांग्रेस, न भाजपा में। पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर और एसीएस पंचायत एमके राउत को यह भाषण सुनना चाहिए। शायद एक जिले की बजाए पूरे प्रदेश में उनका उपयोग किया जा सकें। वरना, कोई राजनीतिक दल उन्हें अपनी पार्टी में जोड़ने की पेशकश ना कर दे।

सतनामी वोट पर नजर

अजीत जोगी ने विधानसभा में डा0 आंबेडकर की प्रतिमा लगाने की मांग कर दलित कार्ड खेला। अब कांग्रेस भी इसी कार्ड को साधने के लिए राहुल गांधी को सतनामी बहुल इलाके में जंगी सभा कराने की तैयारी कर रही है। याद होगा, राहुल गांधी पिछली बार गिरौदपुरी गए थे। इस बार सतनामी बहुल मुंगेली के अमरटापू में राहुल की सभा कराने की तैयारी की जा रही है। राहुल इस महीने किसी तारीख को छत्तीसगढ़ आ सकते हैं।

प्रतिष्ठा दांव पर

आठ नगरीय निकायों के चुनाव में पीसीसी चीफ भूपेश बघेल की प्रतिष्ठा दांव पर होगी। आमतौर पर उप चुनाव या निकाय चुनाव के नतीजे सरकार के खिलाफ जाते हैं। मगर आठ में से चार निकाय भी अगर कांग्रेस की झोली में आ गए तो ठीक वरना भूपेश की मुश्किलें बढ़ सकती है। क्योंकि, इसके बाद अब सीधे विधानसभा चुनाव होना है। वैसे, चुनाव दोनों ही पार्टियों के लिए लिटमस टेस्ट होगा। क्योंकि, चुनौतियां सरकार के सामने भी हैं। नोटबंदी के बाद हो रहे इस स्थानीय चुनाव के नतीजों पर दिल्ली की भी नजर रहेगी। कि जनता ने नोटबंदी को किस तरह लिया। इसीलिए, भिलाई-चरौदा का प्रभारी बृजमोहन अग्रवाल को और सारंगढ़ का प्रभारी अमर अग्रवाल को बनाया गया है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. नगरीय निकाय कैडर के अफसर किस बात के लिए गर्वान्वित महसूस कर रहे हैं?
2. माइनिंग घोटाले में किस बड़े सीमेंट प्लांट की गर्दन फंस गई है?

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