15 जनवरी
संजय दीक्षित
आखिरी 15 ओवर में चौका मारने की बात करते-करते सरकार ने लांग ऑन पर छक्का जड़ दिया। शॉट भी ऐसा कि बॉल बाउंड्री से बाहर चली गई। एकबारगी तो किसी को यकीं नहीं हुआ…..आईजी की नौकरी इस तरह जा सकती है….। आईपीएस लॉबी हतप्रभ रह गई…..नायक साब डीई कंप्लीट किए नहीं तो कार्रवाई कैसे हो गई। फिर, अफसरों को याद आया…. एक्स सीएस सुनिल कुमार ने दागी अफसरों की लिस्ट तैयार कराई थी। सबने मान लिया कि उनकी रिपोर्ट पर ही एक्शन हुआ है। लिहाजा, घंटे भर सुनिल कुमार चर्चा के केंद्र बिन्दु रहे। बाद में, एमएचए के आर्डर को ध्यान से पढ़ा गया तो नीचे चीफ सिकरेट्री दफ्तर से गए दो लेटर का हवाला था। इसे जानकर ब्यूरोक्रेसी सन्न रह गई! हालांकि, अभी तक ये रहस्य बना हुआ है कि छक्का तुक्का में पड़ गया या निशाने पर वार किया गया। रहस्य यह भी है कि एमएचए में 5 जनवरी को आर्डर हुआ था और सेम डे उसे फैक्स कर दिया था। फिर, 11 जनवरी तक इसे दबाया किसने? फिर, कलेक्टर, एसपी कांफ्रेंस के अगले दिन को क्यों चुना गया इसका खुलासा करने के लिए? लोगों को इस पर से पर्दा उठने का इंतजार है।
संजय दीक्षित
आखिरी 15 ओवर में चौका मारने की बात करते-करते सरकार ने लांग ऑन पर छक्का जड़ दिया। शॉट भी ऐसा कि बॉल बाउंड्री से बाहर चली गई। एकबारगी तो किसी को यकीं नहीं हुआ…..आईजी की नौकरी इस तरह जा सकती है….। आईपीएस लॉबी हतप्रभ रह गई…..नायक साब डीई कंप्लीट किए नहीं तो कार्रवाई कैसे हो गई। फिर, अफसरों को याद आया…. एक्स सीएस सुनिल कुमार ने दागी अफसरों की लिस्ट तैयार कराई थी। सबने मान लिया कि उनकी रिपोर्ट पर ही एक्शन हुआ है। लिहाजा, घंटे भर सुनिल कुमार चर्चा के केंद्र बिन्दु रहे। बाद में, एमएचए के आर्डर को ध्यान से पढ़ा गया तो नीचे चीफ सिकरेट्री दफ्तर से गए दो लेटर का हवाला था। इसे जानकर ब्यूरोक्रेसी सन्न रह गई! हालांकि, अभी तक ये रहस्य बना हुआ है कि छक्का तुक्का में पड़ गया या निशाने पर वार किया गया। रहस्य यह भी है कि एमएचए में 5 जनवरी को आर्डर हुआ था और सेम डे उसे फैक्स कर दिया था। फिर, 11 जनवरी तक इसे दबाया किसने? फिर, कलेक्टर, एसपी कांफ्रेंस के अगले दिन को क्यों चुना गया इसका खुलासा करने के लिए? लोगों को इस पर से पर्दा उठने का इंतजार है।
माटी पुत्र ही क्यों?
लगता है, माटी पुत्रों के दिन ठीक नहीं चल रहे हैं। पहले आईएएस डा0 आलोक शुक्ला एवं अनिल टुटेजा निबटे। और अब राजकुमार देवांगन। तीनों खांटी छत्तीसगढ़ियां। शुक्ला भिलाई के। टुटेजा बिलसपुरिया और देवांगन जांजगीर से। तीनों के ही कैरियर खतम हो गए। और, क्लास यह कि तीनों को निबटाने वाले भी माटी पुत्र ही हैं। कांग्रेस के जो नेता शुक्ला और टुटेजा के खिलाफ सड़क से लेकर विधानसभा में हल्ला बोले, वे भी माटी पुत्र ही थे। याने माटी पुत्र ही एक दूसरे को निबटा रहे हैं।
खुदा नहीं….
राजकुमार देवांगन के खिलाफ कार्रवाई से आईपीएस ही नहीं आईएएस, आईएफएस समेत ऑल इंडिया सर्विसज के अफसरों को तेज झटका लगा है। अभी तक किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि सीएस के एक पत्र पर आईपीएस की नौकरी जा सकती है। लेकिन, देवांगन एपीसोड के बाद नौकरशाहों को भी लगने लगा है, वे अब खुदा नहीं रहे। भारत सरकार चार लाइन का आर्डर निकाल दें तो अदालत से भी राहत नहीं मिलेगी।
कलेक्टर आगे, सिकरेट्री पीछे
कलेक्टर, एसपी कांफ्रेंस में इस बार फिर सीटिंग व्यवस्था में जीएडी ने फिर चूक कर दी। कलेक्टरों को आगे बिठाया और सिकरेट्रीज को पीछे। एसीएस टू सीएम बैजेंद्र कुमार कांफ्रेंस हॉल में पहुंचे तो देखे कि सिकरेट्रीज मुंह लटकाए हुए बैठे हैं और कलेक्टर पसरकर कर आगे की कुर्सी पर। उन्होंने फौरन इसे ठीक कराया। आगे के रो में सिकरेट्रीज भी एडजस्ट किए गए। बैजेंद्र आईएएस एसोसियेशन के प्रेसिडेंट हैं तो अपने अफसरों के स्वाभिमान के लिए इतना तो बनता ही है।
फिर चूके चौहान
चिप्स सीईओ अलेक्स पाल मेनन दूसरी बार सीएम के साथ प्लेन में सफर करने से छूट गए। दरअसल, बंगलोर में इंवेस्टर्स मीट समाप्त होने के बाद सीएम का काफिला जब रायपुर आने के लिए एयरपोर्ट रवाना हुआ, तो सिक्यूरिटी टाईट होने के कारण अलेक्स की गाड़ी सीएम के कारकेट में शामिल नहीं हो पाई। जबकि, एसीएस टू सीएम बैजेंद्र कुमार, एमडी सीएसआईडीसी सुनील मिश्रा सीएम के साथ एयरपोर्ट पहुंच गए। अलेक्स कूदते-फांदते जब एयरपोर्ट पहुंचे, सीएम रायपुर के लिए उड़ चुके थे। अलेक्स को दूसरे प्लेन से रायपुर लौटना पड़ा। इससे पहिले सीएम के अमेरिका विजिट के दौरान ऐन मौके पर अलेक्स का वीजा क्लियर नहीं हुआ। चार दिन दिल्ली में रहकर वीजा बनवाया। फिर वे अकेले यूएस गए।
छोटे जिले, बड़े काम
कलेक्टरों की रैंकिंग में छोटे जिलों ने अपेक्षाकृत उम्दा प्रदर्शन किया। मुंगेली, धमतरी में तो होड़ लगी रही पहले नम्बर पर आने के लिए। गरियाबंद, कवर्धा, जशपुर, महासमुंद…..सबको किसी ने किसी योजना में शाबासी मिली। बड़े जिलों में अंडर फाइव में राजनांदगांव, दुर्ग और रायगढ़ ही आ पाए। हालांकि, तीन योजनाओं में राजनांदगांव अंडर फाइव रहा। तीन ब्लाक का मुुंगेली ओडीएफ में तो आगे था ही धान उठाव में सभी को पीछे छोड़ दिया।
भीम को झटका
कलेक्टर कांफ्रेंस में सबसे अधिक किसी को झटका लगा तो वे हैं सरगुजा कलेक्टर भीम सिंह। सरगुजा गए उन्हें ज्यादा दिन नहीं हुए हैं इसलिए वहां से उन्हेंं बहुत अधिक उम्मीदें थीं भी नहीं। अलबत्ता, धमतरी जिले में वे सबसे ज्यादा काम किए….उन्हें ब्रेन हैम्ब्रेज हुआ। उसकी वाहवाही कोई और लूट ले गया। जाहिर है, तकलीफ तो होगी ही।
चुनावी ड्यूटी में फंस गए
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव ड्यूटी में अविनाश चंपावत, शिखा राजपूत और सारांश मित्तर की भी ड्यूटी लग गई है। प्रमोटी आईएएस पीएस एलमा, रमेश शर्मा और धर्मेंद साहू के ट्रेनिंग में होने के कारण वे चुनावी ड्यूटी से बच गए। चलिये, प्रमोटी आईएएस का दिल ठंडा हुआ होगा। वरना, जीएडी ने हाईप्रोफाइल वाले दो-एक को छोड़कर सबको चुनाव में झोंक दिया था। अब डायरेक्ट वाले पांच हो गए। भुवनेश यादव और यशवंत कुमार के नाम पहले से शामिल है। भुवनेश के साथ जीएडी वैसे भी ज्यादती कर रहा है। किसी भी राज्य में चुनाव हो, भुवनेश का नाम पेटेंट है।
विषकन्याओं से सावधान
2018 के विधानसभा चुनाव में विषकन्याओं के रोल भी अहम होंगे। टिकिट काटवाने से लेकर टिकिट मिलने के बाद एक्सपोज करने के लिए कुछ नेता विषकन्याआेंं को तैयार कर रहे हैं। विषकन्याएं चारा फेंकेंगी, इसमें जो फंस जाएगा, वो खतम हो जाएगा। भाजपा के एक पदाधिकारी इसी चक्कर में फंसे हैं। वे रियासतदारों को टक्कर देने चले थे। चुनाव से डेढ़ साल पहले ही उनकी दावेदारी खतम कर दी गई।
अंत में दो सवाल आपसे
1. राजकुमार देवांगन के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश करने के बाद भी सरकार उसका क्रेडिट लेने में क्यों हिचकिचाई?
2. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा एपीसोड नहीं होता तो राजकुमार देवांगन जैसे दागी अफसर के खिलाफ कार्रवाई होती?
2. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा एपीसोड नहीं होता तो राजकुमार देवांगन जैसे दागी अफसर के खिलाफ कार्रवाई होती?
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