4 फरवरी
संजय दीक्षित
बस्तर आईजी एसआरपी कल्लूरी की बस्तर से बिदाई चौंकाने वाली रही। बाईपास आपरेशन कराने के महीने भर के भीतर उन्होंने बस्तर लौट कर जीवटता का परिचय दिया था…..तब खुद भी नहीं सोचा होगा कि सरकार उन्हें इस तरह रुखसत कर देगी। हालांकि, इत्तेफाक कहें या…..कि कल्लूरी की अधिकांश जगहों से बिदाई कमोवेश एक-सी रही है। 2003 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद किस तरह बिलासपुर एसपी से हटाए गए थे, लोग भूले नहीं हैं। सरगुजा में नक्सलियों का सफाया करने के बाद बलरामपुर से सरकार ने उन्हें रातोंरात हटा कर पीएचक्यू बुला लिया था। दंतेवाड़ा में डीआईजी रहने के दौरान स्वामी अग्निवेश के काफिले पर टमाटर और पथराव का ठीकरा कल्लूरी पर फूटा और सरकार ने उन्हें गुमनामी में भेज दिया। फरवरी 2014 में अमरनाथ उपध्याय के डीजीपी बनने के बाद कल्लूरी के दिन फिरे। जून में बस्तर में ताजपोशी हो गई। कल्लूरी के लिए प्लस यह रहा कि दूसरा कोई आईपीएस बस्तर जाना नहीं चाहता था और सरगुजा के आईजी रहने के दौरान उपध्याय ने उन्हें बलरामपुर में काम करते हुए देखा था। इसलिए, उन्होंने बस्तर में रिलांच करवाया। लेकिन, बिदाई ऐसी कि…..।
संजय दीक्षित
बस्तर आईजी एसआरपी कल्लूरी की बस्तर से बिदाई चौंकाने वाली रही। बाईपास आपरेशन कराने के महीने भर के भीतर उन्होंने बस्तर लौट कर जीवटता का परिचय दिया था…..तब खुद भी नहीं सोचा होगा कि सरकार उन्हें इस तरह रुखसत कर देगी। हालांकि, इत्तेफाक कहें या…..कि कल्लूरी की अधिकांश जगहों से बिदाई कमोवेश एक-सी रही है। 2003 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद किस तरह बिलासपुर एसपी से हटाए गए थे, लोग भूले नहीं हैं। सरगुजा में नक्सलियों का सफाया करने के बाद बलरामपुर से सरकार ने उन्हें रातोंरात हटा कर पीएचक्यू बुला लिया था। दंतेवाड़ा में डीआईजी रहने के दौरान स्वामी अग्निवेश के काफिले पर टमाटर और पथराव का ठीकरा कल्लूरी पर फूटा और सरकार ने उन्हें गुमनामी में भेज दिया। फरवरी 2014 में अमरनाथ उपध्याय के डीजीपी बनने के बाद कल्लूरी के दिन फिरे। जून में बस्तर में ताजपोशी हो गई। कल्लूरी के लिए प्लस यह रहा कि दूसरा कोई आईपीएस बस्तर जाना नहीं चाहता था और सरगुजा के आईजी रहने के दौरान उपध्याय ने उन्हें बलरामपुर में काम करते हुए देखा था। इसलिए, उन्होंने बस्तर में रिलांच करवाया। लेकिन, बिदाई ऐसी कि…..।
बिलासपुर का प्रस्ताव
बस्तर आईजी एसआरपी कल्लूरी को बदलने की कवायद सरकार में कई दिनों से चल रही थी। यकबयक हटाने से वे डिमरलाइज न हों, इसलिए कुछ लोगों ने उन्हें बिलासपुर का आईजी बनाने का प्रस्ताव दिया था। फार्मूला था, विवेकांनद को बिलासपुर से बस्तर और कल्लूरी को बिलासपुर। मगर सरकार को यह प्रस्ताव रास नहीं आया। फिर, डीआईजी के लिए रतनलाल डांगी का नाम आया। डांगी बस्तर जाने के लिए तैयार भी थे। मगर किन्हीं कारणों से सरकार ने डांगी का नाम खारिज करते हुए सुंदरराज पी को बस्तर की कमान सौंप दी। हालांकि, सुंदरराज बस्तर जाने के लिए इच्छुक नहीं थे। मगर मामला इतना हाईप्रोफाइल हो गया था कि उनकी सुनता भी कौन।
स्कोर 3-4 पर
2015-16 में आईएएस लॉबी ने अपने तीन विकेट गंवाए थे। नॉन घोटाले में डा0 आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा। और तीसरा, ट्रेप केस में रणबीर शर्मा। इसके मुकाबिले आईपीएस में आईजी राजकुमार देवांगन नौकरी से ही बाहर हो गए। ऐसा पहली बार हुआ कि बिना डीई शुरू हुए पवनदेव का प्रमोशन रुक गया। जशपुर एसपी गिरिजाशंकर और आईजी बस्तर कल्लूरी का विकेट ऐसा उड़ा कि वे खुद भी नहीं समझ पाए कि गेंद किधर से आई और गिल्ली किधर गई। वो तो राजीव श्रीवास्तव की, हार नहीं मानूंगा….को दाद देनी होगी….रिटायरमेंट के एक रोज पहले वे स्पेशल डीजी बन गए। वरना, स्कोर 3-5 हो गया होता। अब, यह देखना दिलचस्प होगा कि आईपीएस लॉबी की फॉलिंग किस स्कोर पर जाकर रुकती है।
अब खैर नहीं
सीएम के जनदर्शन में मिलने वाले आवेदनों को संबंधित विभागों द्वारा सही ढंग से निराकरण न करने की शिकायत सालों पुरानी है। मगर सरकार अब सख्त हुई है। सीएम ने अफसरों से कहा है कि जनदर्शन के मामलों में कोताही बरतने वाले अफसरों पर कारवाई की जाए। लिहाजा, जिन विभागों के परफारमेंस पुअर है, उनका रिव्यू शुरू हो गया है। एसीएस टू सीएम बैजेंद्र कुमार को इसकी कमान सौंपी गई है। बैजेंद्र ने संबंधित विभागों की क्लास लेना चालू कर दिया है। कल होम, इरीगेशन और एजुकेशन विभाग की बारी थी। चलिये, शायद इससे सीएम के जनदर्शन पर अफसर गंभीर हो जाएं।
दिल बचपन का…..
ऑल इंडिया सर्विसेज के दो सीनियर अफसरों ने हाल ही में शादी रचाई है। इनमें से एक का इस साल रिटायरमेंट है और दूसरे का दो साल बाद। इस साल रिटायर होने वाले अफसर की नई पत्नी 32 बरस की है। याने साब 60 के और बीवी…..। अफसर का सरकारी मकान का तर्जुबा कड़वा रहा है। गृहस्थी तो चौपट हुई ही, कैरियर भी खतम हो गया। लिहाजा, पहले उन्होंने घर बनवाया। फिर, सरकारी बंगला छोड़ वे नए मकान में शिफ्थ हुए हैं। अब, बात दूसरे वाले की। तो उनका गिनना पड़ेगा ये वाली कौन सी नम्बर वाली है।
विस में भी जोगी कांग्रेस
संख्या बल न होने के कारण बजट सत्र में जोगी कांग्रेस सत्ताधारी पार्टी को घेरने में कामयाब हो या ना हो मगर विधानसभा में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराने के लिए जरूर इंतजाम कर लिए हैं। पार्टी से जुड़े तीनों विधायक 80-80 सवाल लगाएंगे। विधानसभा में एक एमएलए अधिकतम 80 सवाल लगा सकता है। लेकिन, ऐसा होता नहीं। आमतौर पर सवाल 40 से नीचे ही लगते हैं। कुछ विधायक तो दस-पांच में ही सिमट जाते हैं। जोगी कांग्रेस की रणनीति यह है कि प्रत्येक दिन प्रश्नकाल में तीन-से-चार सवाल उनके रहे। इससे उनकी मौजूदगी झलकेगी ही, मीडिया में कवरेज भी मिलेगा।
याद आ रहे जूदेव
उत्तराखंड और झारखंड जैसे छोटे राज्यों में दो-दो पीएफ आफिस हो गए। मगर छत्तीसगढ़ में अभी रायपुर में ही सिमटा हुआ है। लिहाजा, कोरबा, अंबिकापुर, रायगढ़ तरफ के लोगों को छोटे-छोटे काम के लिए रायपुर का चक्कर लगाना पड़ता है। ऐसे में, प्रायवेट सेक्टर के लोगों को दिलीप सिंह जूदेव याद आ रहे हैं। जूदेव बिलासपुर में पीएफ आफिस खुलवाने के लिए प्रयास कर रहे थे। बल्कि, निधन से पहले लोकसभा में उनका आखिरी सवाल बिलासुपर में पीएफ आफिस का ही था।
गुड न्यूज
नया रायपुर भी मार्च में स्मार्ट सिटी की लिस्ट में शुमार हो जाएगा। हालांकि, नाम कई और हैं। कांपिटिशन भी टॉफ है। मगर नया रायपुर को देखकर माना जा रहा है कि लिस्ट में वह सबसे उपर आ जाए, तो अचरज नहीं। इस तरह रायपुर देश का पहला शहर हो जाएगा, जहां दो-दो स्मार्ट सिटी होगी।
अंत में दो सवाल आपसे
1. एक नौकरशाह का नाम बताइये, जो सुप्रीम कोर्ट या मानवाधिकार आयोग में पेशी से पहले ईएल ले लेते हैं?
2. यह अफवाह कौन फैला रहा है कि अजीत जोगी की कांग्रेस में वापसी का फार्मूला तैयार किया जा रहा है….उन्हें पीसीसी अध्यक्ष बनाया जाएगा और भूपेश बघेल को नेता प्रतिपक्ष?
2. यह अफवाह कौन फैला रहा है कि अजीत जोगी की कांग्रेस में वापसी का फार्मूला तैयार किया जा रहा है….उन्हें पीसीसी अध्यक्ष बनाया जाएगा और भूपेश बघेल को नेता प्रतिपक्ष?
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