14 अक्टूबर
नौकरशाही के लिए वैसे तो डा0 रमन सिंह से बेहतर कोई सीएम नहीं हो सकता। डाक्टर साब से 15 साल में अफसरों को कोई दिक्कत नहीं हुई। उन्होंने किसी का कोई नुकसान नहीं किया। वरना, अजीत जोगी का कार्यकाल अफसरों को अभी भी याद है। वे मीटिंग से अफसरों को उठा देते थे। बहरहाल, चुनाव के बाद इन केस स्थिति बदली तो स्वाभाविक सा प्रश्न है, नौकरशाह सीएम के रूप में किसे देखना पसंद करेंगे? रमन सिंह के विकल्प के रूप में अफसर टीएस सिंहदेव को देख रहे हैं। टीएस रमन सिंह से विनम्रता और सौम्यता में इक्कीस नहीं है तो उन्नीस भी नहीं बोल सकते। ब्यूरोक्रेट्स को सबसे अधिक भय भूपेश बघेल से था। भूपेश के नाम से ही अफसरों में बेचैनी थी। लेकिन, सीडी कांड के बाद अफसर बेहद राहत महसूस कर रहे हैं।
नौकरशाही के लिए वैसे तो डा0 रमन सिंह से बेहतर कोई सीएम नहीं हो सकता। डाक्टर साब से 15 साल में अफसरों को कोई दिक्कत नहीं हुई। उन्होंने किसी का कोई नुकसान नहीं किया। वरना, अजीत जोगी का कार्यकाल अफसरों को अभी भी याद है। वे मीटिंग से अफसरों को उठा देते थे। बहरहाल, चुनाव के बाद इन केस स्थिति बदली तो स्वाभाविक सा प्रश्न है, नौकरशाह सीएम के रूप में किसे देखना पसंद करेंगे? रमन सिंह के विकल्प के रूप में अफसर टीएस सिंहदेव को देख रहे हैं। टीएस रमन सिंह से विनम्रता और सौम्यता में इक्कीस नहीं है तो उन्नीस भी नहीं बोल सकते। ब्यूरोक्रेट्स को सबसे अधिक भय भूपेश बघेल से था। भूपेश के नाम से ही अफसरों में बेचैनी थी। लेकिन, सीडी कांड के बाद अफसर बेहद राहत महसूस कर रहे हैं।
आचार संहिता के मजे
आचार संहिता प्रभावशील होने के बाद सबसे अधिक कोई पावरफुल हुआ है तो वह हैं सीईओ सुब्रत साहू। सूबे का सारा सिस्टम सूब्रत साहू के ईर्द-गिर्द घूम रहा है। मामूली सा आदेश या टेंडर निकालना है तो सुब्रत के दरबार में दौड़ लगानी पड़ेगी। और, आचार संहिता से मजे में कोई है, तो वह है अफसरशाही। निर्वाचन से जुड़े अफसरों के पावर बेहिसाब बढ़ जाते हैं। मंत्री, मिनिस्टर, सरकार सब गौण। जो इलेक्शन से नहीं जुड़े हैं, वे भी फुली आराम के मोड में हैं। कुछ भी काम लेकर जाइये, जवाब मिलेगा मालूम नहीं….आचार संहिता लगी है। मंत्रालय के अधिकांश अफसरों की आजकल अघोषित छुट्टियां चल रही हैं। नहीं भी गए तो कौन पूछने वाला है।
वार्म अप-1
आचार संहिता लगने के बाद चुनाव आयोग दो-एक कलेक्टर, एसपी को जरूर नापता है। आयोग इन अफसरांं की छुट्टी इसलिए भी करता है कि चुनाव को लेकर बाकी अफसर गंभीर हो जाएं। छत्तीसगढ़ बनने के बाद हुए तीनों चुनावों में कलेक्टर, एसपी को आयोग ने हटाया है। इस बार आचार संहिता लगने के बाद सात दिन गुजर गए हैं। लेकिन, किसी भी कलेक्टर, एसपी का नम्बर नहीं लगा है। लिहाजा, सताईसां जिले के कलेक्टर, एसपी यह सोचकर सहमे हुए हैं…अबकी आखिर किसका नम्बर लगता है। चुनाव आयोग ने इस बार चार एक्सट्रा प्लेयर भी रखा है। वे भी वार्मअप हो रहे हैं। कलेक्टर, एसपी के हिट विकेट होने पर ही एक्सट्रा प्लेयर को मौका मिलेगा। अब देखते हैं, बेचारों को कब तक अवसर मिलता है।
वार्म अप-2
वार्म अप तो बीजेपी-कांग्रेस ज्वाईन करने वाले अफसर भी हो रहे हैं। जाहिर है, इस बार थोक में रिटायर अफसरों ने दोनों पार्टियों को ज्वाईन किया है। लेकिन, चुनाव में कितनों के नम्बर लगेंगे, उनके राजनीतिक आका भी ठीक से बता पाने की स्थिति में नहीं हैं। यह सोचकर रिटायर अफसरों का मन तड़प रहा है। दोनों ही पार्टियों में अब तक जितने भी अफसर ज्वाईन किए हैं, उनमें टिकिट का फायनल इशारा सिर्फ ओपी चौधरी को हुआ है। बाकी अभी टकटकी लगाए बैठे हैं।
बस्तर से भी एक
रामदयाल उईके के बीजेपी प्रवेश के बाद बस्तर से भी एक कांग्रेस विधायक के भाजपा में शामिल होने की काफी चर्चा है। हालांकि, बस्तर के आदिवासी विधायक के कांग्रेस छोड़ने की बातें उईके से पहले शुरू हुई थी। लेकिन, उईके के पास कार्यकारी अध्यक्ष जैसा अहम पद था। इसलिए, पहले आपरेशन उईको को अंजाम दिया गया। सूत्रों की मानें तो अब बस्तर विधायक का नम्बर लगेगा।
तीन सीटों की चुनौती
कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामदयादल उईके के बीजेपी में शामिल होने से सत्ताधारी पार्टी की एक सीट सुनिश्चित हो गई। पाली तानाखार सीट से उन्हें कोई हरा नहीं सकता। लेकिन, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के कारण बीजेपी की अब तीन सीटों पर चुनौती बढ़ गई है। कांग्रेस अब गोंगपा से हाथ मिलाने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस-गोंगपा का तालमेल होने पर कोटा, कटघोरा और मरवाही में बीजेपी की चुनौती और बढ़ जाएगी। इन तीनों सीटों पर गोंगपा का खासा प्रभाव है। 15 से 20 हजार वोट गोंगपा को मिलते हैं। हालांकि, तीन में दो सीटें अभी कांग्रेस के पास है। कोटा से रेणु जोगी, कटघोरा से बीजेपी से लखनलाल देवांगन और मरवाही से अमित जोगी भी कांग्रेस की टिकिट पर चुनाव जीते थे।
अंत में दो सवाल आपसे
1. रामदयाल उईके की घर वापसी में सरकार के किस मंत्री ने मध्यस्थता अहम रही?
2 अबकी विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कितने मंत्रियों की टिकिट कटने वाली है?
2 अबकी विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कितने मंत्रियों की टिकिट कटने वाली है?
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