सूबे के सबसे सीनियर आईपीएस गिरधारी नायक ने जेल विभाग में पोस्टिंग का वर्ल्ड रिकार्ड बना डाला है। जेल डीजी बने उन्हें 6 साल सात महीने हो चुके हैं। इतने लंबे समय तक जेल विभाग का प्रमुख भारत में ही नहीं, वर्ल्ड में भी कोई नहीं रहा है। चलिये, नायक डीजीपी नहीं बन पाए अलबत्ता, लंबी पोस्टिंग का रिकार्ड जरूर बनाने में कामयाब हो गए। हालांकि, प्रभारी डीजीपी रहने के दौरान जिस झीरम घाटी की फाइल तलब कर पिछली सरकार की नजरों में चढ़े थे, इसे भी उपर तक नहीं बता पाए। क्योंकि, झीरम इश्यू पर भूपेश सरकार बेहद संजीदा है। एसआईटी भी बन गई है। और, जो आईपीएस झीरम की फाइल के कारण ही बियाबान में धकेला गया, वह जेल में वर्ल्ड रिकार्ड बना रहा है। आखिर इसे दुर्भाग्य ही तो कहा जाएगा।
सीएस का फैसला
नई सरकार में सबसे अप्रत्याशित रहा चीफ सिकरेट्री अजय सिंह की छुट्टी। ऐसे समय में जब यह माना जाने लगा था कि लोकसभा चुनाव के बाद ही अब सीएस पर सरकार विचार करेगी, भूपेश सरकार ने बुधवार की देर रात बस्तर से लौटते ही उन्हें बदलने का आदेश दे दिया। बुधवार को कोंडागांव के रोड शो में सीएम को लेट हो गया। सूर्यास्त होने के कारण हेलिकाप्टर टेकऑफ नहीं कर पाता। इसलिए, वे कार से राजधानी के लिए रवाना हुए। बताते हैं, रास्ते में ही उन्होंने सीएस बदलने का फैसला किया। और, फोन से सीएम सचिवालय के अफसरों को नोटशीट तैयार करने के लिए ब्रीफ किया गया। सीएम रात करीब 11 बजे पहुना पहुंचे। इसके बाद उनके सामने नोटशीट प्रस्तुत की गई और उन्होंने उसे ओके कर दिया।
पारफारमेंस से दुखी
सीएस अजय सिंह ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए हालांकि कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी। काउंटिंग के दिन कांग्रेस के पक्ष़्ा में रूझान मिलते ही उन्होंने कांग्रेस के घोषणा पत्र में शामिल किसानों के कर्जमाफी का प्रासेज शुरू करा दिया था। तब सुनील कूजूर एसीएस कृषि थे। अजय सिंह ने जब उन्हें कर्जमाफी का ब्यौरा जुटाने का निर्देश दिया था तो कुजूर का माथा भी घूम गया था….काउंटिंग अभी कंप्लीट भी नहीं हुई है और सीएस साब हरकत में आ गए हैं। लेकिन, इसके बाद अच्छा नहीं हुआ। अंदर की खबर यह है कि भूपेश उनके पारफारमेंस से संतुष्ट नहीं थे। इस स्तंभकार से बातचीत में सीएम ने सीएस के पारफारमेंस पर कुछ नहीं कहा, लेकिन यह जरूर बोले कि सीएस ने अपने से होकर किसी नई योजना पर कोई सुझाव दिया और न ही कोई अपडेट। जाहिर है, इससे सीएम खुश नहीं रहे होंगे।
गौरव का प्रमोशन
सिकरेट्री टू सीएम बनने के बाद आईएएस गौरव द्विवेदी को अब प्रमोशन के रूप में सरकार से न्यू ईयर गिफ््ट मिल सकता है। गौरव 95 बैच के आईएएस हैं। 94 बैच के आईएएस पिछले साल प्रिंसिपल सिकरेट्री बन चुके हैं। इस चलते जनवरी में 95 बैच का प्रमोशन ड्यू हो गया है। गणेश शंकर मिश्रा के पिछले साल रिटायर होने के कारण पीएस का पद भी खाली है। और फिर इस पोस्ट के लिए और कोई दावेदारी भी नहीं है। गौरव 95 बैच के छत्तीसगढ़ में अकेले आईएएस हैं। सीआर भी आउटस्टैंडिंग है। प्रिंसिपल सिकरेट्री बनाने के लिए डीपीसी में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया से भी कोई अफसर नहीं आता। यहां से सिर्फ अनुमति के लिए लेटर जाता है। वहां से ओके होते ही चीफ सिकरेट्री और एक सीनियर एसीएस की मौजूदगी में किसी भी दिन उनके प्रमोशन पर मुहर लगा दिया जाएगा।
आधी रात का सच!
भूपेश से मीडिया परेशान है। उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद अधिकांश ट्रांसफर आधी रात के बाद हुए हैं। और, मीडिया का वर्किंग कल्चर आजकल बदल गया है। इलेक्ट्रानिक चैनल में रात दस के बुलेटिन के बाद काम लगभग खतम हो जाता है। इसके बाद वैसे खबरों की टीआरपी भी नहीं होती। और प्रिंट और वेब में भी रात 11 बजे तक काम समेटा जाता है। भूपेश जब से सीएम बनें हैं, सिर्फ रिपोर्टरों को ही नहीं बल्कि संपादकों को भी रतजगी करनी पड़ रही है, पता नहीं कौन सी लिस्ट आ जाए। हालांकि, एक शोक मिलन में पहुंचे सीएम से कुछ लोगों ने इस आधी रात की सच के बारे में पूछ ही लिया। भूपेश बोले, सरकार दिन भर काम में व्यस्त रहती है। लिहाजा, सेटअप और ट्रांसफर के लिए दिन में सोचने का वक्त नहीं बचता। सो रात में….। अलबत्ता, उन्होंने खुद भी चुटकी ली, कई पत्रकार रात में सोने से पहिले फोन करते हैं….कोई लिस्ट तो नहीं आ रही।
छप्पड़ फाड़कर
ठीक ही कहा गया है, उपर वाला देता है तो छप्पड़ फाड़कर। आईएएस सुनील कुजूर से बढ़ियां इसे कौन समझ सकता है। कहां दो साल पहले तक वे एसीएस बनने के लिए धक्के खा रहे थे। मगर डीपीसी नहीं हो पा रही थी। वो तो थैंक्स कहें आईपीएस राजीव श्रीवास्तव को, जिनके डीजी बनने के बाद आईएएस एसोसियेशन के चेयरमैन बैजेंद्र कुमार ने कुजूर के लिए हल्ला किया। तब जाकर कुजूर को प्रमोशन मिल सका। इसी साल अक्टूबर में उनका रिटायरमेंट है। इसलिए, वे मान कर चल रहे थे कि एसीएस से ही उन्हें रिटायर हो जाना है। वैसे भी, वे कोई महत्वकांक्षी अफसर नहीं है। बिल्कुल पूर्व डीजीपी एएन उपध्याय की तरह। वे भी कभी नहीं सोचे थे कि डीजीपी बनेंगे। क्योंकि, तीन-तिकड़म उपध्याय का स्वभाव नहीं है। लेकिन, उपर वाले ने ऐसा छप्प़ड़ फाड़कर दिया कि पौने पांच साल पुलिस प्रमुख रहकर देश के दूसरे लंबे कार्यकाल वाले डीजी बन गए। हालांकि, कुजूर के पास समय बहुत कम है। फिर भी, चीफ सिकरेट्री कितने आईएएस बन पाते हैं।
रमन की जीत
डा0 रमन सिंह भले ही पार्टी को चौथी बार सत्ता में लाने में कामयाब नहीं हो सकें लेकिन, धरमलाल कौशिक को नेता प्रतिपक्ष बनवाकर यह संदेश देने में कामयाब रहे हैं कि दिल्ली में उनकी पकड़ बरकरार है। वरना, तो नेता प्रतिपक्ष के लिए पांच-पांच विधायकों ने दावेदारी करके उनकी नींद ही उड़ा दी होगी। जाहिर है, उनके पसंद का कोई विधायक इस पद पर नहीं बैठता तो आगे चलकर उन्हें सियासी नुकसान होता। इसलिए, वे पहले से ही धरमलाल के नाम को आगे कर दिए थे। और, तमाम विरोधों के बाद भी दिल्ली से एक लाइन का मैसेज आ गया, धरम को ओके किया जाए।
सेम बैच
छत्तीसगढ़ बनने के बाद यह पहला मौका होगा, जब चीफ सिकरेट्री और डीजीपी सेम बैच के होंगे। सीएस सुनील कुजूर 86 बैच के आईएएस और डीजीपी डीएम अवस्थी 86 बैच के आईपीएस हैं। इससे पहले एक बार को छोड़कर सीएस हमेशा बैच में डीजीपी से सीनियर रहता था। सिर्फ विश्वरंजन के समय ऐसा हुआ था कि चीफ सिकरेट्री से डीजीपी बैच में सीनियर हो गया है। विश्वरंजन जब डीजीपी थे, तब सीएस पी जाय उम्मेन उनसे पांच बैच जूनियर थे।
पोस्टिंग के मायने
आईपीएस की लिस्ट में सरकार ने तीन रेंज के आईजी समेत पांच आईपीएस अफसरों को बदल दिया। इनमें एडीजी अरुणदेव गौतम दूसरी बार सिकरेट्री होम बनाकर पीएचक्यू से मंत्रालय भेज दिए गए। रमन सरकार में भी वे एक बार सिकरेट्री होम रह चुके हैं। पिछले साल ही वे मंत्रालय से पीएचक्यू लौटे थे। आईपीएस की लिस्ट की सबसे अहम रहा, आईजी एसआरपी कल्लूरी को मेन स्ट्रीम में लाकर आईजी एसीबी-ईओडब्लू बनाना। वैसे, समझदार लोग इस पोस्टिंग के निहितार्थ समझ गए हैं।
अंत में दो सवाल आपसे
1. मंत्री कवासी लकमा को आबकारी, वाणिज्य और उद्योग जैसे विभाग देने के क्या मायने हैं?
2. नए डीजीपी डीएम अवस्थी अगर क्रीज पर जम गए तो कितने अफसरों की उम्मीदों पर पानी फिर जाएगा?
2. नए डीजीपी डीएम अवस्थी अगर क्रीज पर जम गए तो कितने अफसरों की उम्मीदों पर पानी फिर जाएगा?
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