9 जून
सूबे के एक मंत्रीजी का लेटरहेड इन दिनों अधिकारियों के लिए मुसीबत का सबब बन गया है। दस्तखत के नाम पर हिन्दी के बमुश्किल तीन अक्षर लिखने वाले मंत्रीजी से उनके कुछ समर्थकों ने कोरे लेटरहेड पर साइन करा लिए हैं और अब उसका बेजा इस्तेमाल की शिकायतें मिल रही हैं। बस्तर संभाग के कई कलेक्टर्स, एसपी के पास ऐसे अनुशंसा वाले लेटर पहुंचे हैं। कुछ कलेक्टरों ने इसकी पुष्टि भी की है। सवाल उठता है, अधिकारी आखिर कितने लेटरहेड का मंत्रीजी से फोन कर पुष्टि करेंगे। वैसे भी सुकमा के पुलिस कप्तान जितेंद्र शुक्ला की जब से छुट्टी हुई है, मंत्रीजी का अफसरों पर कुछ ज्यादा ही रौब गालिब हो गया है। बस्तर संभाग के एक युवा कलेक्टर तो इतने सहमे हैं कि मंत्रीजी मुंह खोले नहीं कि आदेश निकल जाता है। प्रायमरी स्कूल के टीचर को कहा जा रहा, इंचार्ज डीईओ बना दो, कलेक्टर तुरंत आर्डर निकाल देते हैं। जाहिर है, इससे बस्तर के कलेक्टर्स, एसपी की उलझनें बढ़ गई है।
ब्यूरोक्रेट्स और लोकल बोली
डीएफओ कांफ्रेंस में सीएम भूपेश बघेल ने अफसरों से छत्तीसगढी बोली सीखने के लिए कहा। हो सकता है, कुछ अफसरों को यह रास नहीं आया होगा। लेकिन, यह शाश्वत सत्य है, अफसर अगर इलाके के लोगों की बोली, भाषा, उनके इमोशंस को नहीं समझेंगे तब तक उनकी बेहतरी के लिए भला काम कैसे कर पाएंगे। इसकी एक बानगी होंगी पंजाब कैडर की 2006 बैच की आईएएस आनंदिता मित्रा। आनंदिता अपने बिलासपुर की रहने वाली है। आईएएस में आठवां रैंक आया था। महिलाओं में टॉपर थीं। बिलासपुर से पंजाब जाने के बाद वहां की कल्चर में वे एकदम रच-बस गई है। फर्राटेदार पंजाबी बोलती हैं। टोन भी बिल्कुल पंजाबियों जैसा। इसका रिजल्ट यह मिला कि प्रकाश सिंह बादल सरकार में वे कई जिलों की डीसी याने कलेक्टर रहीं तो अमरिंदर सिंह सरकार में नॉन की एमडी के साथ ही डायरेक्टर पब्लिक रिलेशंस भी हैं। पंजाब जैसे अनाज उत्पादक राज्य में नॉन के एमडी का मतलब आप समझ सकते हैं। कहने का आशय यह है कि बेहतर परफारमेंस के लिए उस क्षेत्र के लोगों का विश्वास हासिल करना होगा और बिना भाषा के यह कदापि संभव नहीं है।
आईपीएस की गोंडी
हालांकि, यह अच्छी खबर है कि दंतेवाड़ा के एसपी डा0 अभिषेक पल्लव बस्तर की गोंडी बोली सीख रहे हैं। इसके लिए वे ट्यूटर रख लिए हैं। अपने लोकल स्टाफ को भी गोंडी में बात करने की कोशिश करते हैं। ताकि, भाषा में दक्ष होकर वहां के लोगों से खुलकर बात कर सकें….उन्हें बता सकें कि बस्तर के विकास में नक्सली किस तरह बाधक बन रहे हैं। अभिषेक आठ महीने के छोटे टेन्योर में ही बस्तर में काफी चर्चित हो गए हैं। गोवा से एमबीबीएस और दिल्ली से एमडी करने वाले डा0 अभिषेक आईपीएस तो हैं ही साइकेट्रिक भी हैं।
इनका रुतबा बढ़ा
आईएएस अधिकारियों के ट्रांसफर में जिनका कद बढ़ा है, उनमें एसीएस सीके खेतान, प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ, अंबलगन पी और मोहम्मद कैसर का नाम लिया जा सकता है। खेतान के पास पिछले सरकार के समय से फॉरेस्ट था। नई सरकार में लोगों को उम्मीद थी कि खेतान का इम्पार्टेंस बढ़ेगा। मगर ऐसा हुआ नहीं। इस फेरबदल में उन्हें गृह विभाग की कमान सौंपकर सरकार ने जरूर उनका रुतबा बढ़ा दिया है। आरपी मंडल से गृह विभाग लेकर बदले में उन्हें फॉरेस्ट दिया गया है। याने उनका रुतबा बरकरार रहेगा। पंचायत तो उनके पास रहेगा ही। मनोज पिंगुआ को इंडस्ट्री के साथ-साथ परिवहन सचिव और परिवहन आयुक्त का प्रभार भी मिल गया है। इसी तरह अंबलगन को डायरेक्टर फूड के साथ ही मंत्रालय में माईनिंग जैसे अहम विभाग मिल गया है। इसी तरह मो0 कैसर बिजली वितरण कंपनी के साथ ही अब मार्कफेड भी संभालेंगे। अंबलगन अभी तक मार्कफेड के एमडी थे। करीब 20 हजार करोड़ का सलाना कारोबार करने वाला मार्कफेड छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा बोर्ड है।
एक लिस्ट और
सिकरेट्री लेवल पर एक लिस्ट और निकलेगी। वजह यह कि राज्य निर्वाचन पदाधिकारी सुब्रत साहू को इस लिस्ट में नाम नहीं है। विधानसभा और लोकसभा का चुनाव कराने के बाद जाहिर है, सुब्रत अब सरकार में लौटेंगे। हालांकि, इसके लिए सरकार को चुनाव आयोग से परमिशन लेना होगा। वैसे, आचार संहिता खतम होने के बाद आयोग को इसमें कोई दिक्कत नहीं होती। इसी तरह अतिरिक्त निर्वाचन पदाधिकारी भारतीदासन और संयुक्त निर्वाचन पदाधिकरी समीर विश्नोई को भी इस लिस्ट में जगह नहीं मिली है। इन्हें भी पोस्टिंग देनी होगी। क्योंकि, चुनाव के बाद इनके पास कोई काम रह नहीं गया है। वैसे भी ये दोनों पोस्ट चुनाव के दौरान ही भरे जाते हैं। हालांकि, भारतीदासन को रायपुर कलेक्टर बनाने की चर्चा है। चुनाव आयोग से अनुमति मिलने के बाद उनका आदेश निकल जाएगा, ऐसी कहा जा रहा है।
विभागों का एक्सचेंज
वन विभाग के सिकरेट्री पहले आरपी मंडल थे। पिछले साल सीके खेतान जब डेपुटेशन से लौटे तो रमन सरकार ने मंडल से फॉरेस्ट लेकर खेतान को दे दिया था। और, बस बार की प्रशासनिक सर्जरी में फॉरेस्ट फिर आरपी मंडल के पास चला गया है। और मंडल का गृह विभाग खेतान के पास। खेतान और मंडल में समानता यह है कि दोनों एक ही बैच के आईएएस हैं। 87 बैच। दोनों का होम स्टेट भी एक ही है। बिहार।
कलेक्टर कांफ्रेंस में बिजली
6 जून को कलेक्टर कांफ्रेंस में भी बिजली गुल का मामला उठा। सीएम भूपेश बघेल ने कलेक्टरों से पूछा कि जब बिजली का उत्पादन में कमी नहीं आई है तो बिजली कट की शिकायतें क्यों आ रही? इस पर अधिकांश कलेक्टर निरुत्तर हो गए। कुछ ने कहा, बिजली कंपनियों को मेंटेनेंस पर फोकस करना चाहिए। इस पर सीएम ने कहा कि कलेक्टर बिजली अफसरों क साथ मीटिंग कर बिजली व्यवस्था दुरुस्त करें। इस दौरान सीएम ने कलेक्टर सूरजपुर दीपक सोनी के कामों की तारीफ की। दीपक गोठानों से अगरबत्ती बनवाने की योजना पर काम कर रहे हैं।
अंत में दो सवाल आपसे
1.पुलिस विभाग के एक मीणा निबट गए, दूसरे मीणा कुर्सी बचाने में कैसे कामयाब हो गए?
2.कोरिया कलेक्टर विलास संदीपन मात्र चार महीने में ही पेवेलियन लौट आए, इसकी असली वजह क्या है?
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