शुक्रवार, 28 जून 2019

अर्श से फर्श पर


23 जून 2019
2006 बैच के आईएएस बसव राजू पखवाड़े भर पहिले तक राजधानी रायपुर के कलेक्टर रहे। उन्होंने विधानसभा का चुनाव कराया और लोकसभा का भी। मगर ग्रह-नक्षत्र का खेल देखिए, आज वे कहां हैं, उन्हें खुद को पता नहीं है। सरकार ने उन्हें कलेक्टर से हटाकर राज्य निर्वाचन कार्यालय में भारतीदासन की जगह एडिशनल इलेक्शन आफिसर बनाने का प्रपोजल भारत निर्वाचन आयोग को भेजा था। आयोग ने ओके करके भेज भी दिया। आयोग की हरी झंडी के बाद भारतीदासन निर्वाचन से रिलीव होकर रायपुर की कलेक्टरी संभाल लिए। लेकिन, बसव राजू का निर्वाचन का आदेश नहीं निकल पाया है। हो सकता है, बसव निर्चाचन में जाना नहीं चाह रहे होंगे क्योंकि, फिलहाल वहां कुछ करने के लिए बचा नहीं है। इस वजह से आदेश कहीं अटक गया हो। क्यांंकि, चुनाव आयोग के क्लियरेंस के बाद भी अगर आर्डर नहीं निकला तो कुछ तो बात जरूर होगी। बहरहाल, बेचारे बसव की स्थिति अर्श से फर्श वाली हो गई है। कहां रायपुर के कलेक्टर और कहां अब…..।

गुरू भारतीदासन

विधानसभा चुनाव के सिलसिले में पिछले साल राज्य निर्वाचन कार्यालय में तीन आईएएस अफसरों की पोस्टिंग हुई थी। पहली चीफ इलेक्शन आफिसर सुब्रत साहू की। फिर, ज्वाइंट इलेक्शन आफिसर समीर विश्नोई। सबसे लास्ट में एस भारतीदासन एडिशनल इलेक्शन आफिसर बनकर निर्वाचन में पहुंचे थे….विस चुनाव के ठीक तीन महीने पहिले। लेकिन, दिलचस्प यह रहा कि तीनों में सबसे पहिले भारतीदासन वहां से निकलने में कामयाब हो गए। वो भी सीधे राजधानी का कलेक्टर बनकर। तभी तो ब्यूरोकक्रेसी में लोग उन्हें गुरू बोल रहे हैं। कुछ लोग उस चौखट का भी पता लगा रहे हैं, जहां से वे बाहर निकलकर कलेक्टर बनने में सफल हो गए। हालांकि, भारतीदासन का ट्रेक रिकार्ड भी बढ़ियां रहा है। जांजगीर कलेक्टर के रूप में उन्होंने अच्छा काम किया था। तो मार्कफेड में तो आउटस्टैंडिंग….। धान सूखने के नाम से भारत सरकार ने दो परसेंट का शार्टेज तय किया है। याने धान खरीदने के बाद सूखने या चूहे के खा जाने के बाद धान दो परसेंट कम मान लिया जाता है। मार्कफेड में दस से पंद्रह परसेंट तक शार्टेज शो कर के मार्कफेड के अफसर हर साल करोड़ों के खेल कर जाते थे। फूड सिकरेट्री रीचा शर्मा के नेतृत्व में भारतीदासन ने पहली बार इसे एक परसेंट पर ला दिया। याने काम में भी गुरू हैं भारतीदासन।

मंत्रियों का प्रेशर

कर्मचारियों, अधिकारियों के ट्रांसफर के लिए सरकार पर मंत्रियों का प्रेशर बढ़ता जा रहा है। हर मंत्री के पास पांच सौ से हजार आवेदन पहुंच चुके हैं। बंगले पर भी भीड़ बढ़ती जा रही है। लेकिन, सरकार ताबदले पर से बैन हटाने को लेकर असमंजस में है। दरअसल, सबको पता है कि बैन खुलने के बाद क्या होगा? 15 साल से भाजपा का शासन रहा। अरसे बाद मौका मिलने पर ट्रांसफर का जो कारोबार होगा, उसका असर नगरीय चुनाव पर पड़ेगा ही। हालांकि, कांग्रेस के मंत्री ये नहीं बोल सकते कि पिछली सरकार में उनके लोगों के ट्रांसफर नहीं हो पाते थे। एक भूपेश बघेल को छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस के अधिकांश मंत्रियों एवं नेताओं के काम रमन सरकार में भी प्राथमिकता के साथ होते थे। इसको लेकर भाजपा के नेता ही तंज कसते थे…..हमारी सरकार में हमारे काम नहीं, कांग्रेसियों के काम हो जाते हैं।

मंत्रालय में छोटी लिस्ट

2005 बैच के आईएएस मुकेश बंसल स्टडी लीव से अमेरिका से छत्तीसगढ़ लौट आए हैं। 21 जून को उन्होंने मंत्रालय पहुंच कर सामान्य प्रशासन विभाग में अपनी ज्वाईनिंग दे दी। उधर, महिला बाल विकास विभाग की सिकरेट्री एम गीता हायर स्टडी के लिए राज्य शासन से रिलीव हो गई है। याने महिला बाल विकास खाली हो गया है। सो, मुकेश को नई पोस्टिंग मिलेगी, वहीं गीता की जगह किसी आईएएस को महिला बाल विकास का चार्ज दिया जाएगा। हालांकि, जुलाई फर्स्ट वीक में सोनमणि बोरा भी स्टडी लीव से लौटने वाले हैं। राज्य निर्वाचन आयुक्त सुब्रत साहू भी चुनाव हो जाने के बाद सरकार में लौटेंगे ही, भले एडिशनल पोस्टिंग के तौर पर ही सही। बहरहाल, मुकेश और महिला बाल विकास के लिए छोटी लिस्ट तो निकलेगी ही।

पोस्ट रिटायरमेंट तोहफा

छत्तीसगढ़ के सबसे सीनियर 83 बैच के आईपीएस गिरधारी नायक 30 जून को रिटायर हो जाएंगे। नायक उन अभिशप्त आईपीएस अफसरों में शामिल हैं, जिन लोगों ने राज्य बंटवारे के समय मांगकर छत्तीसगढ़ कैडर लिया, इसके बाद भी यहां डीजीपी नहीं बन पाए। नायक तो छत्तीसगढ़ बनने से पहिले भी बिलासपुर में एसपी रहे। छत्तीसगढ़ बनने के बाद आईजी के रूप में बस्तर में काम किए। नक्सल खुफिया चीफ का दायित्व निभाया। इन सब के बाद भी उनकी कुंडली में डीजीपी बनना नहीं लिखा था। उनसे दो बैच जूनियर एएन उपध्याय पौने पांच साल डीजीपी रह लिए। उपध्याय के बाद नायक से तीन साल जूनियर डीएम अवस्थी छह महीने से डीजीपी हैं। कांग्र्रेस सरकार की नायक से सहानुभूति है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के चलते कुछ कर नहीं पाई। दरअसल, कांग्रेस की सरकार जब आई तो नायक के पास टाईम नहीं बचा था। सुको के अनुसार छह महीने में रिटायर होने वाले आईपीएस को डीजीपी नहीं बनाया जाएगा। और जैसे ही डीएम अवस्थी का आदेश निकला उसके पंद्रह रोज बाद सुप्रीम कोर्ट ने छह महीने वाला क्लॉज हटा दिया। याने बदकिस्मती का मामला रहा। खैर, नायक को इन विश्लेषणों से कोई मतलब नहीं होगा। उनकी इच्छा होगी कि पोस्ट रिटायरमेंट कोई अच्छा पद मिल जाए। पांच साल वाला। वह पद आपदा प्रबंधन का हो सकता है। चर्चा है, नायक को इसका प्रमुख बनाया जा सकता है।

बिना पोस्टिंग का प्रमोशन

सरकार ने तीन आईपीएस अफसरों को एडिशनल डीजी प्रमोट कर दिया। लेकिन, पोस्टिंग नहीं दी। आदेश में लिखा था, एडीजी प्रमोट किया जाता है….जो जहां है, वहीं पर। फिर, आखिरी में यह भी कि पोस्टिंग का आदेश पृथक से निकलेगा। बताते हैं, 30 जून को डीजी गिरधारी नायक रिटायर होंगे। नायक के पास जेल, होमगार्ड के साथ ही सबसे बड़ा नक्सल एसआईबी का चार्ज है। नायक के रिटायरमेंट के रोज आईपीएस की एक लिस्ट निकलेगी, उसमें प्रमोशन पाए एडीजी की भी पोस्टिंग होगी। हालांकि, सबकी नजर वीवीआईपी रेंज दुर्ग के एडीजी हिमांशु गुप्ता पर है। छत्तीसगढ़ रेंज एडीजी की पोस्टिंग कभी रही नहीं। भोपाल में एक बार शिवराज सिंह सरकार ने विजय यादव को जरूर भोपाल रेंज का एडीजी बनाया था। चूकि, सीएम भी दुर्ग से हैं और गृह मंत्री भी। अगर केमेस्ट्री जम गई होगी तो हिमांशु दुर्ग रेंज में कंटीन्यू भी कर सकते हैं। अलबत्ता, उनका कंटीन्यू करना दुर्ग डीआईजी रतनलाल डांगी के लिए झटका से कम नहीं होगा। लोकसभा चुनाव से पहिले डांगी को दुर्ग का प्रभारी आईजी बनाया गया था। चूकि, डांगी आईजी के लिए अभी एलिजिबल नहीं हुए हैं, इसलिए सरकार ने आचार संहिता के पहिले ही उन्हें हटाकर हिमांशु को पोस्ट कर दिया। तब संकेत यही थे कि चुनाव के बाद डांगी को सल्तनत सौंप दी जाएगी। लेकिन, अब वैसा कुछ होता नहीं दिख रहा है।

चार पीसीसीएफ रिटायर

इस महीने 30 जून को चार पीसीसीएफ रिटायर हो रहे हैं। केसी यादव, कौशलेंद्र सिंह, एके द्विवेदी और आरके डे। इनमें से डे डेपुटेशन पर उड़ीसा में पोस्टेड हैं। राज्य बनने के बाद यह पहला मौका होगा, जब एक साथ चार पीसीसीएफ रिटायर होंगे। वैसे, चारों के रिटायर होने से पीसीसीएफ के दावेदारों को ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि, सरकार ने चार में से दो पोस्ट कम कर दिया है। याने चार के रिटायर होने पर दो आईएफएस ही प्रमोट होकर पीसीसीएफ बन पाएंगे। याने अतुल शुक्ला और आरके गोवर्द्धन। अतुल शुक्ला को वाईल्डलाइफ और गोवर्द्धन को लघु वनोपज संघ का प्रमुख बनाने का प्रपोजल सरकार को चला गया है। हो सकता है, पीसीसीएफ बनने से पहिले ही उन्हें प्रभारी बन दिया जाए।

अंत में दो सवाल आपसे

1. डीजी गिरधारी नायक के रिटायर होने से सूबे के तीन डीजी में से सबसे अधिक फायदा किसे होगा?
2. किस मंत्री के बारे में कहा जा रहा है कि उनके साले और साले के साले विभाग चला रहे हैं?

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