संजय कुमार दीक्षित
26 अप्रैल 2020
कोरोना के लॉकाआउट में सूबे के एक मंत्रीजी सिस्टम को डॉज देकर राजधानी से ढाई सौ किलोमीटर दूर एक उद्योग नगरी पहुंच गए। वहां उन्होंने अफसरों से कहा, पर्सनल काम से आया हूं…किसी को बताना नहीं है…मीडिया को तो बिल्कुल नहीं। लेकिन, गुलदस्ता, माला और कार्यकर्ताओं का हुजूम नहीं तो फिर मंत्री होने का मतलब क्या….आखिर उनसे रहा नहीं गया तो खुद ही अपने समर्थकों को फोन कर बताने लगे, मैं फलां जगह हूं। जाहिर है, सोशल मीडिया के युग में मंत्रीजी का प्रवास कैसे छुपता। व्हाट्सएप पर फोटो लगी वायरल होने। नियम-कायदों और लॉकडाउन का सम्मान करने वाले ऐसे-ऐसे तो मंत्री हैं अपने प्रदेश में।
26 अप्रैल 2020
कोरोना के लॉकाआउट में सूबे के एक मंत्रीजी सिस्टम को डॉज देकर राजधानी से ढाई सौ किलोमीटर दूर एक उद्योग नगरी पहुंच गए। वहां उन्होंने अफसरों से कहा, पर्सनल काम से आया हूं…किसी को बताना नहीं है…मीडिया को तो बिल्कुल नहीं। लेकिन, गुलदस्ता, माला और कार्यकर्ताओं का हुजूम नहीं तो फिर मंत्री होने का मतलब क्या….आखिर उनसे रहा नहीं गया तो खुद ही अपने समर्थकों को फोन कर बताने लगे, मैं फलां जगह हूं। जाहिर है, सोशल मीडिया के युग में मंत्रीजी का प्रवास कैसे छुपता। व्हाट्सएप पर फोटो लगी वायरल होने। नियम-कायदों और लॉकडाउन का सम्मान करने वाले ऐसे-ऐसे तो मंत्री हैं अपने प्रदेश में।
फार्म हाउस
दुर्ग संभाग से जुड़े एक मंत्री का राजनांदगांव के बार्डर पर आलीशान फार्म हाउस तैयार हो रहा है। 30 एकड़ से अधिक जमीन को चारों ओर से घेर दिया गया है। अंदर में एक भव्य बंगला का निर्माण भी युद्धस्तर पर जारी है। ठीक भी है। 15 साल बाद सत्ता आई है। बेटे, नाती, पोते के लिए जितना हो जाए, इंतजाम कर देना चाहिए। कोरोना-वोरोना तो बाद में देखा जाएगा।
कोरोना और सीएम
कोरोना के लॉकडाउन में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का ग्राफ बढ़ा है। कृषि गतिविधियों में फास्ट ग्रोथ के लिए आरबीआई गवर्नर ने छत्तीसगढ़ की तारीफ की है, उसके पीछे नरवा, गरूवा…बाड़ी योजना की भूमिका रही। बाड़ी को बढ़ावा देने का ही परिणाम हुआ कि लॉकडाउन में जब पूरा देश लॉक था तो 21 मार्च से 16 अप्रैल के बीच छत्तीसगढ़ में दो लाख 14 हजार क्विंटल सब्जी और फलों की खरीदी-बिक्री हुई। अधिकांश सब्जियां छोटे-छोटे किसानों ने पैदा की। फिर, प्रदेश में लॉकडाउन का कड़ाई से पालन कराने में भी सीएम ने कड़ाई बरती। एक महीने में चार बार टीवी पर आकर उन्होंने सूबे के लोगों का हौसला बढ़ाया। वे इस बात पर भी नजर रखे रहे कि लॉकडाउन की आड़ में प्रदेश में कहीं कालाबाजारी शुरू न हो जाए।
साहू और भगत
आईएफएस अनिल साहू की संचालक संस्कृति से वन विभाग में वापसी हो गई है। वे नई सरकार आने के बाद ताम्रध्वज साहू के कोटे से डेपुटेशन पर डायरेक्टर कल्चर बने थे। लेकिन, बाद में संस्कृति विभाग मंत्री अमरजीत भगत को मिल गया। जाहिर है, साहू और भगत में फर्क तो होगा ही। सुनते हैं, कुछ दिनों से अमरजीत भगत से अनिल का ठीक-ठाक नहीं चल रहा था। और, लॉकडाउन होने के बाद भी अनिल का संस्कृति से हटाकर मूल विभाग में भेजने का आदेश हो गया। ऐसे में, अमरजीत का प्रभाव तो समझा जा सकता है।
छत्तीसगढ़ियां, सबले बढ़ियां
कोरोना प्रभावित मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और तेलांगना से घिरे होने के बाद भी छत्तीसगढ़ कोरोना से अप्रभावित है तो यहां के लोगों की इम्यूनिटी को भी क्रेडिट देनी चाहिए। छत्तीसगढ़ में कोरोना के कई पॉजिटिव मरीज मिले मगर कटघोरा को छोड़ दें किसी भी केस में फेमिली या कम्यूनिटी संक्रमण की स्थिति पैदा नहीं हुई। यहां तक कि कोरोना पॉजिटिव के घर के लोगों के सेम्पल निगेटिव आ गए। रायपुर, बिलासपुर, भिलाई, दुर्ग, राजनांदगांव…के पॉजिटिव मरीजों के किसी फेमिली मेम्बर में कोरोना के लक्षण नहीं मिले। छत्तीसगढ़ के इस आबोहवा का ये कमाल है।
कलेक्टर्स रिचार्ज
कोरोना में छत्तीसगढ़ के कलेक्टरों ने जिस तरह खौफ के बीच काम किया है, वैसा शायद इससे पहिले कभी नहीं हुआ होगा। खौफ भी एक नहीं, दो-दो। पहला, कोरोना का, और दूसरा ठीक से काम नहीं किए तो कलेक्टरी छीन जाने का। शायद कलेक्टरों की इसी भय रूपी सजगता का कमाल कहें कि कोरोना यहां ज्यादा असर नहीं दिखा पाया। दरअसल, कलेक्टरों को सरकार ने कई लेयर पर टाईट करके रखा। सीएम भूपेश बघेल एक महीने में तीन बार वीडियोकांफें्रसिंग लिए और एक टीम लीडर की भूमिका निभाते हुए उन्होंने कलेक्टरों का हौसला अफजाई किया। प्रशासनिक मुखिया आरपी मंडल अपने ट्रेडिशनल अंदाज में कलेक्टरों की क्लास लेते रहे, सुनो मिस्टर! तुम्हारे लाइफ में काम करके दिखाने का ऐसा अवसर फिर नहीं मिलेगा, जिले को ग्रीन रखना…रेड हुआ तो समझ लेना तुम रेड कर दिए जाओगे। एसीएस टू सीएम सुब्रत साहू कलेक्टरों से दिन में एक बार जरूर अपडेट लेते हैं। बात नहीं तो व्हाट्सएप संदेश तो पहुंच ही जाता है कलेक्टरों के पास। अब सीएम के एसीएस बात करते हैं तो समझिए, सीएम ही बात कर रहे। इसके बाद लेबर सिकरेट्री सोनमणि बोरा का फोन। वे श्रमिकों के संबंध में एक बार कलेक्टरों से बात करते हैं या फिर उनका लेटर चला जाता है। ट्रांसपोर्ट, फूड और जीएडी सिकरेट्री डॉ0 कमलप्रीत सिंह की भी कलेक्टरों से एक बार बात हो जाती है। सोनमणि और कमलप्रीत ने कलेक्टरों से कोआर्डिनेट करके 51 हजार मजदूरों को सूबे के विभिन्न कल-कारखानों में पहुंचा दिया। याने लॉकडाउन में भी इतना काम! चलिये, कलेक्टर्स अब पूरी तरह रिचार्ज हो गए हैं। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि कोरोना में 28 कलेक्टरों में से किसका कितना नम्बर बढ़ा।
महिलाएं और ब्यूटी पार्लर
लॉकडाउन-2 में अब धीरे-धीरे व्यवसायिक गतिविधियां चालू होती जा रही है। सड़कों पर चहल-पहल भी बढ़ गई है। ऐसे में, महिलाएं अधीर हो रहीं हैं…मोदीजी ब्यूटी पार्लर खोलने का कोई संकेत नहीं दे रहे। एक महीने से अधिक हो गए हैं पार्लर बंद हुए। असली-नकली सब अब सामने आने लगे हैं। सबसे अधिक दिक्कत राजनीति और एनजीओ से जुड़ी महिलाओं को हो रही है। लॉकडाउन में मिली ढील के बाद भी वे घरों से बाहर नहीं निकल पा रहीं। मोदीजी को आधी आबादी के बारे में भी सोचना चाहिए।
अंत में दो सवाल आपसे
1. क्या शराब पीने वाले हतोत्साहित न हो जाएं, इसलिए आबकारी विभाग शराब दुकानों को इकठ्ठे 3 मई तक बंद रखने की जगह एक-एक हफ्ते का आर्डर निकाल रहा है?
2. दीगर प्रदेशों की तुलना में छत्तीसगढ़ में लगभग आधे रेट पर पीपीई कीट की खरीदी हुई, इसकी क्या वजह हो सकती है?
2. दीगर प्रदेशों की तुलना में छत्तीसगढ़ में लगभग आधे रेट पर पीपीई कीट की खरीदी हुई, इसकी क्या वजह हो सकती है?
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