संजय कुमार दीक्षित
19 अप्रैल 2020
वो भी एक दौर था, जब ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड देशों के क्रिकेटर इंडिया आना नहीं चाहते थे। ऑस्ट्रेलियन टीम के कप्तान एलन बॉर्डर तो अपने लिए मेलबोर्न से पानी मंगवाते थे ताकि भारत का पानी पीने से उनका पेट खराब न हो जाए। अमरीकियों के नखरे तो और भी अलग थे। लेकिन, कोरोना संक्रमण के दौरान अमेरिका ने जब अपने देश के लोगों को दिल्ली से वापिस बुलाने 800 सीटर प्लेन इंडिया भेजा तो मुश्किल से दस फीसदी लोग वापिस जाने की सहमति दी। 90 परसेंट ने कह दिया, हम इंडिया में सेफ हैं। और यह भी, उसी सुपरपावर अमेरिका को दुनिया ने हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन टेबलेट के लिए भारत से रिरियाते, गुस्साते भी देखा। कोरोना के खौफ और निगेटिविटी के बीच ये घटनाएं लोगों में आशा की किरण जगाते हैं। आखिर, यह मानने वालों की कमी नहीं है कि कोरोना के बाद वर्ल्ड बदलेगा। अमेरिका में अभी ही 30 लाख नौकरियां चली गई हैं। कोरोना में अगर बड़े देशों की बात करें तो सिर्फ इंडिया ही है जो सब से कम प्रभावित हुआ है। कोरोना के बाद जाहिर है, यूरोपीय देश गुस्से में चाइना को बॉय-बॉय कर देंगे। तब भारत दुनिया का एक अहम कारोबारी केंद्र बन सकता है।
19 अप्रैल 2020
वो भी एक दौर था, जब ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड देशों के क्रिकेटर इंडिया आना नहीं चाहते थे। ऑस्ट्रेलियन टीम के कप्तान एलन बॉर्डर तो अपने लिए मेलबोर्न से पानी मंगवाते थे ताकि भारत का पानी पीने से उनका पेट खराब न हो जाए। अमरीकियों के नखरे तो और भी अलग थे। लेकिन, कोरोना संक्रमण के दौरान अमेरिका ने जब अपने देश के लोगों को दिल्ली से वापिस बुलाने 800 सीटर प्लेन इंडिया भेजा तो मुश्किल से दस फीसदी लोग वापिस जाने की सहमति दी। 90 परसेंट ने कह दिया, हम इंडिया में सेफ हैं। और यह भी, उसी सुपरपावर अमेरिका को दुनिया ने हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन टेबलेट के लिए भारत से रिरियाते, गुस्साते भी देखा। कोरोना के खौफ और निगेटिविटी के बीच ये घटनाएं लोगों में आशा की किरण जगाते हैं। आखिर, यह मानने वालों की कमी नहीं है कि कोरोना के बाद वर्ल्ड बदलेगा। अमेरिका में अभी ही 30 लाख नौकरियां चली गई हैं। कोरोना में अगर बड़े देशों की बात करें तो सिर्फ इंडिया ही है जो सब से कम प्रभावित हुआ है। कोरोना के बाद जाहिर है, यूरोपीय देश गुस्से में चाइना को बॉय-बॉय कर देंगे। तब भारत दुनिया का एक अहम कारोबारी केंद्र बन सकता है।
आईएएस और मजदूर
दूसरे राज्यों में फंसे छात्रों और मजदूरों को वापिस बुलाने पर सिर्फ टीवी चैनलों में ही डिबेट नहीं चल रहा। छत्तीसगढ़ के आईएएस अफसरों के सोशल मीडिया ग्रुपों में अफसर अपने-अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं। यूपी गवर्नमेंट के कोटा से छात्रों को वापिस बुलाने पर कुछ अधिकारियों ने वाजिब ठहराया तो कुछ अफसरों ने मजदूरों की हिमायत करते हुए बेबाकी से अपनी राय व्यक्त की। चलिये, अच्छी बात है। अब उच्च स्तर पर मजदूरों की बातें भी होने लगी है। वरना, देश के मजदूर, श्रमिक कभी चर्चा के विषय नहीं रहे। देश के मजदूर सिर्फ वोट और राजनीति के विषय रहे हैं। कोरोना में आए बदलाव का ये असर है….।
चर्चित ब्यूरोक्रेट्स
भारत सरकार में ऐसा कोई नौकरशाह नहीं होगा, जिसे पूरा देश जानता हो। देश-दुनिया की खबर रखने वाले चुनिंदा लोग कैबिनेट सिकरेट्री, होम सिकरेट्री जैसे दो-एक अफसरों के नामों से जरूर वाकिफ होंगे। बाकी आम आदमी नहीं। लेकिन, कोरोना में केंद्र के दो आईएएस अफसरों का चेहरा जनमानस में बैठ गया है। इनमें सबसे उपर हैं स्वास्थ्य मंत्रालय के ज्वाइंट सिकेरट्री लव अग्रवाल। और सेकेंड, गृह मंत्रालय की ज्वाइंट सिकरेट्री पुण्य सलिला श्रीवास्तव। खासकर, लव अग्रवाल का नाम एकदम जाना-पहचाना हो गया है। देश में कोरोना का जब से संक्रमण बढ़ा है, वे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता के तौर पर नियमित शाम को टेलीविजन स्क्रीन पर आते हैं। चूकि, उनके पास देश के विभिन्न राज्यों का अधिकृत आंकड़े होते हैं, लिहाजा लोग उनका वेट करते रहते हैं। आलम तो ये….लोग इन दिनों आपस की चर्चाओं में लव अग्रवल की बात करने लगे हैं….वो लव अग्रवाल ने आज बताया।
मुश्किल में सांसद
कोरोना के लिए सांसद निधि से एक करोड़ रुपए देने की घोषणा कर छत्तीसगढ़ से राज्य सभा सदस्य छाया वर्मा मुश्किल में फंस गईं हैं। कोरोना के मद्देनजर भारत सरकार ने दो साल के लिए सांसद निधि पर बैन लगा दिया है। इससे पहिले छाया वर्मा ने मुख्यमंत्री राहत कोष में एक करोड़ रुपए देने का ऐलान कर दिया है। अब सवाल उठ रहे हैं कि छाया वर्मा एक करोड़ देंगी या….?
नारी शक्ति
यह एक संयोग हो सकता है कि छत्तीसगढ़ की हेल्थ सिकरेट्री निहारिका बारिक सिंह, एनआरएचएम की डायरेक्टर डॉ0 प्रियंका शुक्ला, सर्वाधिक कोरोना प्रभावित जिले की कलेक्टर किरण कौशल और सर्वाधिक कोरोना प्रभावित तहसील की एसडीएम सूर्यमणि अग्रवाल चारों महिला हैं। किन्तु यह सही है कि कोरोना के फ्रंट पर सबसे अधिक यही जूझ रही हैं। इनमें जाहिर तौर पर उपर की तीन महिलाएं आईएएस हैं। कटघोरा की संकरी गलियों में जब सरकारी अमला बिना पीपीई किट के जाने में घबरा रहे था, तब ये महिला अफसर अपनी और अपने छोटे बच्चों की परवाह किए बगैर वहां डटी हुई थीं।
छोटा जिला, बड़ा काम
सूरजपुर बोले तो छोटा जिला….आईएएस अफसरों की फर्स्ट कलेक्टरी वाला। इस जिले के कलेक्टर दीपक सोनी कोरोना के दौरान लोगों को टेलीमेडिसिन सुविधा शुरू करने में सबसे आगे निकल गए हैं। सीएम भूपेश बघेल के निर्देश पर इस योजना की प्लानिंग बनी और दीपक ने अपने जिले में इसे र्स्टाट कर दिया। सूरजपुर में दीपक कई ऐसे अनोखे काम कर रहे हैं, जो दूसरे जिलों के लिए नजीर बन सकते हैं। दीपक 2011 बैच के आईएएस हैं। रायपुर में जिपं सीईओ थे। भूपेश सरकार ने उन्हें पहली कलेक्टर करने सूरजपुर भेजा।
लेटर वार!
छत्तीसगढ़ में कोरोना के पैरेलेल सियासतदानों में लेटर वार भी चल रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह ने कोरोना के प्रबंधन में सरकार के फैसलों पर सवाल उठाए तो सीएम के मीडिया सलाहकार रुचिर गर्ग ने उसका जवाब दिया। इसके बाद एक्स सीएम की ओर से पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी और भाजपा मीडिया सेल के पंकज झा ने कमान संभाली। दोनों ने रुचिर के पत्र का जवाब दिया। सत्ताधारी पार्टी की ओर से ओपी चौधरी के लेटर का जवाब मीडिया सेल के प्रमुख शैलेष नीतिन त्रिवेदी ने दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि लेटर वार यहीं पर एंड हो जाएगा या बीजेपी खेमे से शैलेष के पत्र का जवाब आएगा।
अंत में दो सवाल आपसे
1. क्या लॉकडाउन खुलने के बाद मंत्रालय के कुछ विभागों में सिकरेट्री लेवल पर बदलाव होगा?
2. क्या दिल्ली की तरह छत्तीसगढ़ में मंत्रियों के खटराल पीए पर अब ध्यान रखा जाएगा?
2. क्या दिल्ली की तरह छत्तीसगढ़ में मंत्रियों के खटराल पीए पर अब ध्यान रखा जाएगा?
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