संजय के. दीक्षित
तरकश, 17 अप्रैल 2022। आईएएस एसोसियेशन ने पहली बार कांक्लेव में उपयोगी डिबेट का आयोजन किया। देश के वरिष्ठ नौकरशाहों ने अभिभावक की मुद्रा में बताया कि किस तरह आईएएस को एटिट्यूड छोड़ कर लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप काम करना चाहिए। वैद्यनाथन अय्यर ने तो यहां तक कह डाला....कारपोरेट सेक्टर ज्यादा परफार्म कर रहा है। आईएएस के लिए वाकई यह आत्मचिंतन का विषय हो सकता है... देश की राजधानी से लेकर राज्यों की राजधानियों तक कमोवेश एक ही स्थिति है...ब्यूरोक्रेसी का तेजी से पराभाव। आलम यह है कि दिल्ली में ज्वाइंट सिकरेट्री तक के पदों पर दूसरे सेक्टर के लोगों को बिठाया जा रहा है। वहां की देखादेखी दीगर राज्यों में भी इस तरह की चीजें शुरू हो गई हैं। छत्तीसगढ़ भी इससे जुदा नहीं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के आने के बाद नौकरशाही की, हम सरकार चलाते हैं, वाला भ्रम टूटा है। दरअसल, ब्यूरोक्रेसी के बारे में धारणा बनती जा रही कि वे काम कम, रोड़े ज्यादा अटकाती हैं। दूसरा करप्सन। इससे आईएएस की छबि धूमिल हो रही है। आईएएस कांक्लेव में अपने सीनियरों के गुरू ज्ञान को आत्मसात कर छत्तीसगढ़ के आईएएस अधिकारियों को अपनी सर्विस की पुरानी प्रतिष्ठा बहाल करने का प्रयास करना चाहिए।
स्मार्ट अफसर, स्मार्ट पोस्टिंग
2017 बैच के आईएएस मयंक चतुर्वेदी को स्मार्ट सिटी का एमडी बनाया गया है। उनके पास रायपुर जिला पंचायत के सीईओ का चार्ज यथावत रहेगा। याने उनके पास ग्रामीण विकास की जिम्मेदारी होगी और साथ में राजधानी को स्मार्ट बनाने की भी। राज्य बनने के बाद यह पहली दफा होगा, जब किसी यंग आईएएस को इस तरह की अहम जिम्मेदारी मिली हो। उनसे पहिले 2012 बैच के अभिजीत सिंह स्मार्ट सिटी के एमडी थे। मयंक उनसे पांच बरस जूनियर हैं। चूकि, मयंक के बैच के ही चंद्रकांत वर्मा स्मार्ट सिटी में एडिशनल एमडी थे। एक ही बैच के अफसर एमडी, एडिशनल एमडी कैसे होंगे...इसलिए मयंक के आने के बाद चंद्रकांत को रायपुर विकास प्राधिकरण का सीईओ बनाया गया है।
पोस्टिंग किसी और की
छत्तीसगढ़ मेडिकल कारपोरेशन के एमडी कार्तिकेय गोयल को हटाने के लिए लंबे समय से लॉबिंग चल रही थी। सलाना सात-आठ सौ करोड़ के दवा खरीदी वाले कारपोरेशन में सप्लायरों का रैकेट चाहता था कि कार्तिकेय जमाने के हिसाब से काम करें और कार्तिकेय टस-से-मस नहीं हो रहे थे। यही वजह है कि पिछले छह महीने में कई बार उड़ाया गया कि कार्तिकेय बस अब हटने ही वाले हैं। बहरहाल, उनकी जगह पर पहले एनआरडीए के सीईओ अय्याज तंबोली का नाम चल रहा था। मगर आखिर में अभिजीत सिंह का नाम फायनल हुआ। उम्मीद करते हैं, अभिजीत मेडिकल कारपोरेशन में टिकेंगे। वरना, इससे पहिले कोंडागांव कलेक्टरी से छह महीने में रायपुर वापिस हो गए थे। फिर रायपुर विकास प्राधिकरण और स्मार्ट सिटी एमडी। और थोड़े दिन बाद सीजीएमएससी।
सीएस की हाफ सेंचुरी
आईएएस कांक्लेव में चीफ सिकरेट्री अमिताभ जैन ने हाफ सेंचरी मारा। उन्होंने मंजे हुए बैट्समैन की तरह बैटिंग की। बैटिंग की मुद्रा भी गजब की। देव सेनापति के बाद वे दूसरे नम्बर पर रहे, वे दूसरे बल्लेबाज थे, जिन्होंने अर्धशतक मारा। मगर आईएएस में ही चुटकी लेने वाले की कमी नहीं हैं। मैच के बाद कई आईएएस चटखारे ले रहे थे...सीएस साहब को आउट करके उन्हें नाराज थोड़े करता...बॉलर उन्हें धीमी बॉल फेंक रहे थे।
महंत की आखिरी इच्छा
छत्तीसगढ़ से राज्य सभा की दो सीटें खाली होने जा रही है। जल्द ही इसके चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। संख्या बल चूकि कांग्रेस के साथ है, लिहाजा दोनों सीटें कांग्रेस के खाते में जाएगी। यही वजह है कि दोनों सीटों के लिए कांग्रेस के भीतर बेचैनी देखी जा रही। दो सीट में से एक कोई बाहर का नेता नॉमिनेट होगा, दूसरा छत्तीसगढ़ से होगा। याने एक सीट के लिए कांग्रेस पार्टी के भीतर रस्साकशी होनी है। इसमें अनुसूचित जाति वर्ग की तगड़ी लाबिंग चल रही है तो विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत भी दावेदार हैं। पहले तो उन्होंने दबी जुबां में अपनी इच्छा व्यक्त की। मगर अब जब चुनाव नजदीक आ गया है तो उन्होंने इस हफ्ते बिलासपुर दौरे में यह कहते हुए मजबूत दावेदारी जता दी कि राज्य सभा में एक बार जाना मेरी अंतिम इच्छा है। अब कांग्रेसी बोलने में संकोच नहीं करते...भले अपने ही पार्टी के नेता क्यों न हो...कह रहे, महंतजी की एक और अंतिम इच्छा है, उसे वे विधानसभा चुनाव के समय बताएंगे।
आईएएस का ड्रेस कोड
आईएएस कांक्लेव में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आईएएस का ड्रेस कोड याने बंद गले के ब्लैक सूट में पहुंचे। आईएएस एसोसियेशन के प्रेसिडेंट मनोज पिंगुआ ने स्वागत भाषण में इसका खास तौर से जिक्र किया। उन्होंने कहा, सीएम साहब ड्रेस कोड में आकर आपने हमारा मान बढ़ाया है। मगर अफसरों में कुछ ऐसे भी थे, जिन्होंने ड्रेस कोड का फॉलो नहीं किया। अलबत्ता, सीएम ड्रेस कोड में...ऐसे में मुख्यमंत्री के सामने झेंपना लाजिमी था। जाहिर है, आईएएस के पास बंद गले का ब्लैक सूट अवश्य होता है। कलेक्टर 15 अगस्त और 26 जनवरी को इसी सूट में होते हैं। या फिर राष्ट्रपति या प्रधानमन्त्री का विजिट हो। इसलिए, किसी भी आईएएस के पास ये ड्रेस होता है। ऐसे मौके पर वे इसे धारण कर गौरवान्वित महसूस करते है। याद होगा, इसी ड्रेस कोड की अवहेलना करने पर बवाल हो गया था, जब बस्तर कलेक्टर अमित कटारिया कलरफुल ड्रेस और चमकने वाले गागल पहन पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवानी करने पहुंच गए थे।
ऐसी पराजय
खैरागढ़ विधानसभा सीट राज्य बनने के बाद से ही राजपरिवार या लोधी वोट बैंक के इर्द गिर्द ही रही है. खैरागढ़ में राजपरिवार का तिलिस्म भाजपा के कोमल जंघेल ने तोड़ा था. तब से भाजपा ने कोमल जंघेल को ट्रेड मार्क बना लिया. वैसे कोमल जंघेल के बारे में आपको ये बोलने वाले लोग मिल जाएंगे कि छठी-मरनी सबमें कोमल लोगों के घर पहुँच जाते हैं. इसी वजह से भाजपा ने ऐसे समय में भी कोमल पर दांव खेला जब दूसरी और सीएम भूपेश बघेल जैसे आलराउंडर थे. इस बार लेकिन कोमल नहीं चल पाए. सुबह जब काउंटिंग की शुरुआत हुई तब साल्हेवारा की तरफ के बूथ से हुई. तब भाजपा के नेता यह कहते सुने गए कि देखते रहिए अभी कोमल का बूथ आएगा. वैसे पिछले चुनावों में कोमल का रिकॉर्ड रहा है कि लगभग 40 बूथ से कभी नहीं हारे. इस बार 40 तो छोड़िए 4 बूथ से भी कोमल आगे नहीं बढ़ पाए.
मूंछ पर दांव
खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ऐसे नेता थे जिनका जीत पर सबसे ज्यादा भरोसा था. भगत ने अपनी कुर्सी ही दांव पर लगा दी. उनका डेडिकेशन समझिए कि भरी गर्मी में चुनाव प्रचार करते डिहाइड्रेशन के शिकार हो गए. दो दिन बैड रेस्ट पर रहे और फिर पहुँच गए मैदान में. वैसे छत्तीसगढ़ में चुनाव के दौरान दांव लगाने की भी पुरानी परंपरा रही है. कभी दिलीप सिंह जूदेव ने अपनी मूंछें ही दांव पर लगा दी थी. उस समय जीत बीजेपी की ही हुई थी.
अंत में दो सवाल आपसे
1. भाजपा के किन पांच जिला अध्यक्षों पर तलवार लटक रही है?
2. कलेक्टरों की ट्रांसफर लिस्ट पहले निकलेगी या एसपी की?
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