संजय के. दीक्षित
तरकश, 9 अक्टूबर 2022
कलेक्टर-एसपी कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कुछ बातें इस अंदाज में कह दी कि अफसर सकपका गए। उन्होंने कलेक्टर-एसपी की तरफ मुखातिब होते हुए कहा कि अवार्ड लेना, मीडिया में लाइमलाइट लेना, सोशल मीडिया में बने रहने से ज़्यादा ज़रूरी है बेसिक एडमिनिस्ट्रेशन और बेसिक पोलिसिंग पर ध्यान देना। उन्होंने कहा...देखिए, प्रशंसा सबको अच्छी लगती है लेकिन आपका काम ये नहीं है कि अवार्ड बटोरकर सोशल मीडिया में वाहवाही लूटें। सीएम के इतना बोलते ही कई अधिकारी बग़ले झांकने लगे। दरअसल, सूबे के कुछ कलेक्टर एसपी को अवार्ड और सोशल मीडिया का ऐसा रोग लगा है कि वह दूर होने का नाम नहीं ले रहा। सीएम के बोलने के अंदाज से लगा इसको लेकर वे काफी नाराज हैं और अफसर न चेते तो कार्रवाई भी हो सकती है।
सीएम के तेवर
कलेक्टर-एसपी की क्लास में सीएम के तेवर शुरू से कड़े रहे। आलम यह रहा कि उनके सवालों के आगे पुलिस का होमवर्क लड़खड़ा गया। पुलिस ने आंकड़ों के जरिये उन्हें बतानी की कोशिश की...सूबे में अपराध काबू में है। इस पर सीएम ने नाखुशी जताते हुए कहा, अपराध कम हैं तो मीडिया, सोशल मीडिया अपराधों की खबरों से क्यों पटी रहती है। पुलिस ने शराब पीकर गाड़ी चलाने से एक फीसदी मौत बताया गया और 85 फीसदी लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाने से। इस पर सीएम ने पूछा, ये लापरवाही क्या होती है, इसे ब्रीफ कीजिए। चाकूबाजी की बढ़ती घटनाओं पर मुख्यमंत्री खिन्न थे। उन्होंने कहा, आपलोग चाकू चलाने वाले को पकड़ते हो मगर चाकुओं की सप्लाई लाईन को काटने की कोशिश क्यों नहीं करते। अगर आमेजन और फ्लीपकॉर्ट से चाकू आ रहा, तो कार्रवाई कीजिए। सीएम ने रायपुर में एक लड़की ने चाकू से एक युवक की जान ले ली थी, इसका भी जिक्र करते हुए पूछा, लड़की ने कौन सी गोली खाई थी। अफसरों ने बताया, नाईट्रो-10। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस गोली की सप्लाई को रोकी क्यों नहीं जा रही। भिलाई में नौ घंटे तक चक्का जाम होने पर भी सीएम ने चिंता जताई तो बिलासपुर में बढ़ते अपराधों को भी रोकने के निर्देश दिए। नक्सल मोर्चे पर पुलिस की कार्रवाई से सीएम जरूर संतुष्ट लगे। कुल मिलाकर ये साफ हो गया कि सीएम अपडेटेड हैं। सीएम के आज के तेवर ने कलेक्टरों की बैचेनी बढ़ा दी है। कल सुबह से कलेक्टरों की क्लास होनी है। इसमें कलेक्टरों के साथ सभी विभागों के सिकरेट्री भी मौजूद रहेंगे।
बेचारे एसपी!
एसपी कांफ्रेंस में रायपुर, कोरबा और सुकमा के एसपी को बेस्ट पोलिसिंग का अवार्ड मिला। जाहिर है, ये उनका सम्मान है और वे खुश होंगे। मगर बाकी कप्तानों को कॉन्फ्रेंस के तुरंत बाद अपने जिले के लिए निकलना पड़ गया। दरअसल, ऐसे किसी आयोजन में दूरस्थ जिलों के अधिकारियों की कोशिश रहती है, इसी बहाने परिवार के साथ दो-एक दिन रायपुर में रह लेंगे। लेकिन, ईद के चलते ऐसा संभव नहीं था। डीजीपी का आदेश था...देर रात तक सभी कप्तान अपने जिला मुख्यालय पहुंच जाएं। सो, कई एसपी सर्किट हाउस से सीधे रवानगी डाल दिए।
कांग्रेस को नुकसान!
बिलासपुर में सत्ताधारी पार्टी के पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष ने चार अक्टूबर को सुसाइड कर लिया। इस मामले में कांग्रेस से जुड़े भूमाफियाओं की तरफ उंगलिया उठ रही है। परिजनों ने खुलकर आरोप लगाया कि उनकी जमीन हड़पने कुछ कांग्रेस नेताओं की नजरें गड़़ी थी। काफी दिनों से उन्हें धमकी-चमकी दी जा रही थी। वाकई अगर ऐसा है तो सरकार को संज्ञान लेना चाहिए। क्योंकि, बिलासपुर में भूमाफियाओं का आतंक दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस के अधिकांश नेता जमीन के काम में लिप्त हैं और सबका एक ही मोटो है गरीबों, बेसहारा लोगों की जमीन का पता लगाओ और फिर धौंस देकर उसे औने-पौने रेट में उसे अपने नाम करा लो। कांग्रेस के पुराने नेता दबी जुबां से मान रहे हैं कि कांग्रेस को इसका बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। भूपेश बघेल की बदौलत 20 साल बाद बिलासपुर की सीट कांग्रेस के खाते में आई थी। लेकिन, इसके बाद से जो शुरू हुआ, उसके बाद अमर अग्रवाल का ग्राफ बिना कुछ किए बढ़ता जा रहा है।
चुनावी राजनीति
मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा का राजनीति से कभी वास्ता नहीं रहा। मगर जब से उन्हें सरयूपारी ब्राम्हण समाज का संरक्षक बनाया गया है, तब से उनके सक्रिय राजनीति में आने की अटकलें तेज हो गई है। दावा करने वाले तो उनके बिलासपुर जिले की बेलतरा सीट से प्रत्याशी तक घोशित कर डाले हैं। दरअसल, बेलतरा ब्राम्हण बहुल क्षेत्र है। मध्यप्रदेश के समय वहां से लंबे समय तक कांग्रेस के विधायक रहे। मगर कांग्रेस की गुटीय लड़ाई और टिकिट वितरण में गड़बड़ियों के कारण कांग्रेस वहां से कई साल से चुनाव हार रही है। प्रदीप के नाम की चर्चाएं यकबयक शुरू होने के पीछे एक वजह यह भी है, बेलतरा विधानसभा इलाके के रावण दहन कार्यक्रम मे प्रदीप को गेस्ट बनाया गया। इन अटकलों से सबसे ज्यादा परेशान बेलतरा से टिकिट के दावेदार हैं। हालांकि, प्रदीप चुनावी राजनीति में आएंगे, इस पर संशय है। मगर बेलतरा के दावेदारों में डर तो बैठ गया है।
2016 बैच कंप्लीट
30 सितंबर को सरकार ने कुछ कलेक्टरों को चेंज किया। इनमें 2016 बैच के आईएएस रवि मित्तल को जशपुर और विनय कुमार लंगेह को कोरिया का कलेक्टर बनाया गया है। इसके साथ ही 2016 बैच कलेक्टरी में कंप्लीट हो गया है। इस बैच के राहुल देव को पहले ही कलेक्टर बनाया जा चुका है। बहरहाल, अब 2017 बैच के आईएएस अधिकारियों की धड़कनें तेज हो गई होगी...उनका नम्बर कब आता है। दरअसल, कलेक्टर बनना किसी भी आईएएस के लिए बड़ा क्रेजी होता है। 2017 बैच में आकाश छिकारा, चंद्रकांत वर्मा, कुणाल दुदावत, मयंक चतुर्वेदी और रोहित व्यास को मिलाकर पांच आईएएस हैं। इस बैच की खास बात यह है कि तीन आईएएस नगर निगम कमिश्नर हैं। मयंक पहले से रायपुर में और कुणाल तथा रोहित अभी-अभी बिलासपुर, भिलाई के कमिश्नर बने हैं। अफसरों के अभी तक के परफारमेंस के हिसाब से देखें तो ये अच्छा बैच हैं। देखना है, कलेक्टरी में इस बैच का खाता कब खुलता है।
सबसे कम कलेक्टरी
छत्तीसगढ़ में सबसे कम समय की कलेक्टरी में गौरव सिंह का नाम दूसरी बार दर्ज हो गया। गौरव पहले मुंगेली से चार महीने में चेंज किए गए तो बालोद में उनका कार्यकाल मुश्किल से तीन महीने रहा। उनसे पहिले विलास भोस्कर संदीपन और अभिजीत सिंह भी छह महीने के भीतर रायपुर बुला लिए गए थे। हालांकि, संदीपन बाद में बेमेतरा गए और करीब साल भर कलेक्टरी करके लौटे। वैसे, गौरव भी सूरजपुर में करीब डेढ़ साल रहे। लेकिन, उसके बाद पता नही ग्रह-नक्षत्र उनका साथ देना बंद कर दिया।
इकलौता कलेक्टर
छत्तीसगढ़ में इस वक्त कोई ऐसा कलेक्टर नहीं है, जो एक साल से अधिक समय से पिच पर जमा हुआ हो। सिवाय धमतरी कलेक्टर पदुम सिंह एल्मा के। एल्मा डेढ़ साल से धमतरी में पोस्टेड हैं। उनके अलावा छत्तीसगढ़ में जितने भी कलेक्टर हैं, उनका छह महीने, आठ महीने से ज्यादा नहीं हुआ है। जून में निकली लिस्ट में साल भर वाले सभी कलेक्टरों को बदल दिया गया था। वैसे भी, इस सरकार में एक जिले में दो साल की कलेक्टरी वाले आईएएस कम ही हैं। डॉ0 एस. भारतीदासन रायपुर, भीम सिंह रायगढ़, सारांश मित्तर बिलासपुर, संजीव झा अंबिकापुर, दीपक सोनी दंतेवाड़ा, रजत बंसल जगदलपुर करीब-करीब दो साल का कार्यकाल रहा है। वैसे, पंजाब, बिहार, यूपी में भी यही ट्रेंड है...ज्यादा-से-ज्यादा साल भर।
एसपी की लिस्ट!
कलेक्टर-एसपी कांफ्रेंस से पहले एसपी की एक छोटी लिस्ट निकली थी मगर अब सुनने में आ रहा कांफ्रेंस के बाद एक लिस्ट और निकल सकती है। इनमें तीन-चार बड़े जिले भी शामिल हैं। कहने वाले तो ये भी कह रहे कि प्रशांत अग्रवाल रायपुर से एक बार फिर बिलासपुर जाएंगे तो पारुल माथुर बिलासपुर से राजधानी आएंगी। दुर्ग एसपी अभिषेक पल्लव को कोई दूसरा जिला मिल सकता है। हालांकि, अभी ये चर्चाओं में है। पुख्ता कुछ नहीं।
विष और अमृत
बीजेपी का दो दिन का गंगरेल मंथन चर्चा में है। बंद कमरे में हुई चर्चा पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तंज कसा तो खुद भाजपा के नेता भी मजे लेने में पीछे नहीं है। पार्टी के भीतर ही चुटकी ले रहे कि मंथन में अमृत के साथ विष भी निकलता है....अमृत पीना सभी चाह रहे लेकिन, विष पान करने कोई आगे नहीं आ रहा।
अंत में दो सवाल आपसे
1. सूबे में पुलिस का इकबाल कम होने के पीछे मंत्री, विधायक और नेता जिम्मेदार नहीं हैं?
2. कलेक्टर-एसपी कांफ्रेंस के बाद क्या कलेक्टर, एसपी की एक लिस्ट और निकलेगी?
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