संजय के. दीक्षित
तरकश, 27 नवंबर 2022
किराने की दुकान में दवाई
ये कुछ इसी तरह का मामला है कि किराने की दुकान में दवाइयां मिलने लगे। छत्तीसगढ़ में प्रायवेट यूनिवर्सिटी हेल्थ से जुड़े कोर्सेज चलाने लगे हैं। बताते हैं, हायर एजुकेशन मिनिस्टर साब सीधे-साधे हैं। इसका फायदा उठाकर प्रायवेट विवि की लॉबी ने आर्डिनेंस पास करवा कर राजपत्र में प्रकाशित करवा लिया कि निजी विवि बीएएमएस, नर्सिंग, फिजियोथेरेपी से लेकर कई पाठ्यक्रमों का संचालन करेंगे। जाहिर है, वे सिर्फ कोर्स ही नहीं चलाएंगे विवि के नाते प्रायवेट कॉलेजों को एफिलियेट भी करेंगे। उसके बाद सर्वविदित है...क्या होगा। जिस तरह बीएड का खेल हुआ...छत्तीसगढ़ में यहां से अधिक झारखंड, उड़ीसा और वेस्ट बंगाल के लोग बीएड करने आ रहे हैं। रेट भी दो तरह का। रोज क्लास करना है उसका अलग। और एग्जाम के समय आकर अटैंडेंस रजिस्टर में दस्तखत मार देना है तो उसके लिए रेट से 40 हजार और ज्यादा। विधायक के नाम पर फर्जी डिग्री और जेल में रहकर रेगलुर बेसिस पर डिग्री हासिल करने का कारनामा हाल में छत्तीसगढ़ में हुआ है तो समझा जा सकता है कि मेडिकल से रिलेटेड कोर्स में क्या होगा।
एसपी साहबों की मुश्किलें
राज्य सरकार ने रायपुर समेत चार पुलिस रेंज के प्रमुखों को पिछले हफ्ते यकबयक बदल दिया। असल में, लिस्ट कुछ ज्यादा ही चौंकाने वाली रही। रायपुर रेंज को दो हिस्सों में बांट दिया गया तो किसी को ये अंदाजा नहीं था कि बद्री मीणा बिलासपुर चले जाएंगे। हालांकि, डॉ. आनंद छाबड़ा का नाम काफी पहले से दुर्ग के लिए फायनल था। मगर सीबीआई डेपुटेशन से छत्तीसगढ़ लौटे रामगोपाल गर्ग को सरगुजा जाना हैरान किया। बहरहाल, आईपीएस के गलियारों से खबर निकल कर आ रही...नए पुलिस महानिरीक्षकों के कार्यभार संभालने के बाद कई पुलिस अधीक्षकों का कम्फर्टेबल लेवल डाउन हो गया है...कुछ तो बेहद बेचैन हैं। दो-तीन पुलिस अधीक्षकों ने प्रयास भी शुरू कर दिया है...भानुप्रतापपुर उपचुनाव के बाद निकलने वाली लिस्ट में उन्हें कोई ठीक-ठाक जिला मिल जाए।
सबसे बड़ा थानेदार
यूं तो कहा जाता है कि पुलिस महकमे में तीन ही पोस्ट जलवेदार होते हैं। थानेदार, एसपी और डीजीपी। मगर छत्तीसगढ़ में ही कुछ आईजी के कार्यकाल को भी लोगों ने देखा है...जो चाहते थे, वही होता था। अच्छी बात यह है कि इस समय सरकार ने आईजी की फील्ड जमावट अच्छी की है। मगर महत्वपूर्ण यह भी है कि उन्हें और पॉवर देना होगा। अभी पोलिसिंग की स्थिति यह हो गई है कि कई जिलों में थानेदार जिला चला रहे हैं। हम एक वाकया बताते हैं...सरगुजा रेंज के बलरामपुर जिले का। वाड्रफनगर के कामख्या यादव खेती-किसानी करके जीवन यापन करते हैं। उनके इकलौते बेटे ने संदिग्ध परिस्थितियों में ससुराल में सुसाइड कर लिया। इकलौते बेटे की मौत पर टूट चुके कामख्या ने तीन बार सरगुजा इलाके के एक सीनियर पुलिस अधिकारी से दरख्वास्त की। बड़े साहब ने उनके सामने ही एसपी को फोन खड़काया...बोले, कार्रवाई कराओ। लेकिन, सनावल के थानेदार ने आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का मामला तक दर्ज नहीं किया। उल्टे उसने दोनों पक्षों की पंचायत बुलवा लिया। बता दें, सनावल में रेत का बड़ा कारोबार है...बार्डर डिस्ट्रिक्ट भी है। और यह भी...कोई थानेदार अगर कई साल से एक ही थाने में जमा हुआ है, तो कुछ तो खासियत होगी। सनावल तो एक बानगी है। डीजीपी अशोक जुनेजा और खुफिया चीफ अजय यादव को इसे ठीक कर पोलिसिंग की साख को बहाल करने की कवायद करनी चाहिए।
सिर्फ तीन आईएएस
छत्तीसगढ़ को इस बार भी तीन आईएएस मिले हैं। ये कोटा इसलिए कम पड़ गया कि 2019, 20 में जितना कोटा था, उससे अधिक अफसर छत्तीसगढ़ आ गए। दरअसल, यूपीएससी में सलेक्ट होने के बाद कैडर अलाट होने से पहले अफसरों ने शादी कर ली। इस वजह से कैडर की संख्या बढ़ गई। बता दें, इससे पहले 2002 तक छत्तीसगढ़ को तीन या तीन से कम आईएएस मिलते रहे। 2002 में तो दो ही आईएएस थे। डॉ. रोहित यादव और डॉ. कमलप्रीत सिंह। इसके बाद हर साल संख्या बढ़ती गई। बहरहाल, सूबे को तीन आईएएस मिले हैं, उनमें से एक को ही होम कैडर मिला। रोस्टर में एसटी के लिए एक सीट थी। मगर यहां चार में से एसटी और एससी का कोई कंडिडेट नहीं था। सो, ओबीसी कोटे से 102 रैंक होने के बाद भी प्रखर चंद्राकर को छत्तीसगढ़ कैडर मिल गया। 41वें रैंक आने के बाद श्रद्धा शुक्ला को तेलांगना कैडर मिला और 51वें रैंक वाले अक्षय पिल्ले को उड़ीसा कैडर।
कांग्रेस का खुफिया तंत्र
जो स्थिति 2013 में कांग्रेस की अंतागढ़ बाइ इलेक्शन में थी, कमोबेश वही इस समय भानुप्रतापपुर में बीजेपी की है। चुनाव के पहले ही धराशायी जैसी स्थिति। बीजेपी कंपनसेट करने के लिए रेप के मामले में ब्रम्हानंद नेताम का नाम बाद में जोड़ने का आरोप लगा रही मगर इसमें कोई ठोस साक्ष्य अभी तक पेश नहीं कर पाई है। लिहाजा, कांग्रेसी खेमा गदगद। इतना कि मुख्यमंत्री समेत मंत्री, विधायक भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने इंदौर रवाना हो गए हैं। कांग्रेसी मान रहे हैं...2013 का हिसाब चुकता हो गया। याद होगा....2013 में कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी मंतूराम पवार ने आखिरी समय में नाम वापिस लेकर पार्टी की फजीहत करवा दी थी। तब बीजेपी के भोजराज नाग को वाकओवर मिल गया था। बहरहाल, सियासी समीक्षक भी हैरान है...भाजपा जैसी कैडर बेस पार्टी, जिसके पास आईबी है। जाहिर है, आईबी पॉलिटिकल सूचनाओं पर ज्यादा काम करती है। उसके बाद भी भाजपा को भनक तक नहीं लग पाई... उनके प्रत्याशी के खिलाफ झारखंड में कुछ चल रहा है। और कांग्रेस ताक लगाए बैठी रही। भानुप्रतापपुर में जैसे ही नामंकन जमा करने का लास्ट डेट निकला, ऐसा बम फोड़ा कि पहली बार छत्तीसगढ़ पहुंचे बीजेपी प्रभारी ओम माथुर का दौरा भी बेनूर हो गया।
मोस्ट बैचलर
बिलासपुर नगर निगम से एक खास संयोग जुड़ा हुआ है। वहां जो भी बैचलर कमिश्नर अपाइंट हुआ, पदभार संभालने के बाद उसकी शादी हो जाती है। डॉ. एसके राजू के साथ ऐसा ही हुआ और अवनीश शरण के साथ भी। दोनों की शादी बिलासपुर कमिश्नर रहते हुई। अब तीसरे अनमैरिड आईएएस कुणाल दुदावत बिलासपुर के कमिश्नर अपाइंट हुए हैं। कुणाल 2017 बैच के आईएएस अफसर हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि कुणाल पुराने संयोग को आगे बढ़ाते हैं या फिर कलेक्टर बनने के बाद ही सात फेरे लेंगे।
वेटिंग कलेक्टर
आईएएस के 2017 बैच की बात चली तो बता दें यह बैच वेटिंग कलेक्टरों का है। कलेक्टरी में पिछले लिस्ट में 2016 बैच क्लियर हो गया था। लिहाजा, अब नंबर 2017 बैच का है। इस बैच में पांच IAS Akash Chikara, IAS Chandrakant Verma, IAS Kunal Dudawat, IAS Mayank Chaturvedi, IAS Rohit Vyas,। इनमें तीन आईएएस तीन बड़े नगर निगम संभाल रहे हैं। मयंक रायपुर, कुणाल बिलासपुर और रोहित भिलाई। चंद्रकांत अंतागढ़ के एडिशनल कलेक्टर हैं और आकाश छिकारा रायपुर जिला पंचायत के सीईओ। इस बैच की उत्सुकता यह है कि इनमें से कलेक्टरी का खाता कौन खोलता है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. इस खबर में कितनी सत्यता है, आईपीएस रतनलाल डांगी बस्तर के अगले पुलिस महानिरीक्षक होंगे?
2. एक पुराने आईएएस का नाम बताइये, जिसने एक पूर्व मुख्यमंत्री को खुश करने के लिए पुराने मंत्रालय के बगल में एसआईडीसी के गेट का नाम रेणुका द्वार कर दिया था?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें