संजय के. दीक्षित
तरकश, 8 जनवरी 2023
आईपीएस आगे, आईएएस पीछे
2008 के बाद यह पहला मौका होगा, जब प्रमोशन के मामले में आइ्र्रपीएस अधिकारी आईएएस से आगे निकल गए हैं। 2008 में रमन सरकार ने 31 दिसंबर की रात आईपीएस अधिकारियों को प्रमोशन देने के साथ ही नई पोस्टिंग आदेश निकाल दिया था। चूकि तब सोशल मीडिया का दौर नहीं था लिहाजा अफसरों को अगले दिन अखबारों से प्रमोशन और ट्रांसफर की जानकारी मिली। उसके बाद आईपीएस के प्रमोशन लगातार लेट होते गया। 2021 में तो कुछ ज्यादा ही हो गया....नवंबर में जाकर उनका प्रमोशन हो पाया था। सुंदरराज, रतन डांगी और ओपी पाल तब आईजी बने थे। पिछले साल भी डीपीसी फरवरी में हो गई थी मगर आदेश अप्रैल लास्ट में निकल पाया। इसमें दीपांशु काबरा एडीजी बने थे और 2004 बैच आईजी बना था। आश्चर्यजनक ढंग से इस बार सब तड़-फड़ हुआ। 2 जनवरी को डीपीसी हुई और पांच जनवरी को प्रमोशन का आदेश निकल गया। 98 बैच के आईपीएस अमित कुमार का एडीजी प्रमोशन और पहले हो गया था...दिसंबर में ही। अमित सीबीआई में ज्वाइंट डायरेक्टर हैं। आईएएस इस बार जरूर पिछड़ गए। 2007 बैच को सिकरेट्री बनना है। डीओपीटी से क्लियरेंस नहीं मिलने की वजह से उनका मामला लटका हुआ है। जीएडी के अधिकारी उसी का वेट कर रहे हैं। हालांकि, वहां से अनुमति आने के बाद किसी भी दिन डीपीसी के बाद आदेश निकल सकता है। फिर भी आईपीएस से पीछे होने का मलाल तो मन में होगा ही। दरअसल, कई बार आईएएस को टाईम से पहले प्रमोशन मिल जाता था। 87 बैच के सीके खेतान, आरपी मंडल और वीबीआर सुब्रमणियम ड्यू डेट से छह महीने पहले प्रमोशन पाकर प्रमुख सचिव बन गए थे। इस सरकार में भी सुब्रत साहू को ड्यू डेट से एक साल पहले एसीएस का प्रमोशन मिल गया था।
आईपीएस की कोई बॉडी नहीं
प्रमोशन के मामले में आईपीएस अबकी भले ही बाजी मार ले गए हो मगर कैडर की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। आपसी खींचतान में कैडर का बड़ा नुकसान हो रहा है। कई साल से आईपीएस का कांक्लेव नहीं हुआ है। आईएफएस वाले कंक्लेव कराके सीएम को बुला लेते हैं। आईएएस एसोसियेशन फिर इस महीने 13 और 14 जनवरी को कंक्लेव कराने जा रहा है। और, आईपीएस की स्थिति यह है कि उसकी बॉडी तक नहीं बन पाई है। आरके विज के बाद अशोक जुनेजा प्रेसिडेंट बने थे। लेकिन, वे 2021 में डीजीपी बन गए। उसके बाद से आईपीएस एसोसियेशन अपना प्रेसिडेंट चुन नहीं पाया है। एडीजी प्रदीप गुप्ता को प्रेसिडेंट बनाने की तैयारी भी हो गई थी मगर किसी बात को लेकर मामला अटक गया।
आईएफएस से आईएफएस का काम-1
विधानसभा सत्र के आखिरी दिन मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने सदन में मिलेट लंच किया। रागी के पकोड़े, कोदो का वेज पुलाव, बाजरे की रोटी और रागी का हलवा खाकर सीएम से लेकर सभी मंत्री वाह-वाह कर उठे। मिलेट लंच का पूरा क्रेडिट पीसीसीएफ संजय शुक्ला को मिला। दरअसल, ये उन्हीं का आइडिया था और आयोजन भी उन्होंने ही कराया था। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में विपक्ष के नेताओं के साथ मिलेट लंच किया था। सीएम भूपेश बघेल जब पीएम मोदी से दिल्ली में मिले तो मिलेट पर भी बात हुई। प्रधानमंत्री को सीएम भूपेश बघेल से पता चला कि छत्तीसगढ़ में मिलेट पर काफी काम हो रहा है तो उन्होंने कहा, आप रायपुर में मिलेट कैफे चालू करवाइये...मैं देखने के लिए रायपुर आउंगा। इसी से संजय शुक्ला को आइडिया सूझा और विधानसभा में वीवीआईपीज को मिलेट लंच करवा दिया। लजीज लंच लेने के बाद सीएम ने सबके सामने संजय शुक्ला की जमकर तारीफ की...और पिछली सरकार पर तंज भी...हम आईएफएस से आईएफएस का काम करवा रहे हैं...इसलिए अब फॉरेस्ट का काम अच्छा हो रहा है।
आईएफएस से आईएफएस का काम-2
दरअसल, मध्यप्रदेश के समय दिग्विजय सिंह ने आईएफएस अधिकारियों को जिला पंचायतों के सीईओ के साथ ही अन्य विभागों में पोस्टिंग देनी शुरू की थी। बाद में ये छत्तीसगढ़ में भी शुरू हो गया। बीजेपी सरकार में एक समय ऐसा भी था, जब दो दर्जन से अधिक आईएफएस वन विभाग छोड़कर सरकार के दूसरे विभागों में अहम पद संभाल रहे थे। मगर अब इनकी संख्या धीरे-धीरे कम होती जा रही हैं। हाल ही में रिजल्ट देने वाले अधिकारी अनिल राय को लघु वनोपज संघ में एडिशनल एमडी बनाया गया है। अनिल राय लंबे समय से वन विभाग से बाहर थे। उनकी सेवाएं अब वन विभाग को लौटा दी गई है। बहरहाल, अब चार-पांच आईएफएस अधिकारी ही बचे हैं, जो काफी समय से वन विभाग से बाहर हैं। इनमें पहला नाम आलोक कटियार का है। वे रमन सरकार के समय क्रेडा के सीईओ बनें और आज भी इसे संभाल रहे हैं। हाल ही में उन्हें 25 हजार करोड़ के बजट वाले जल जीवन मिशन का दायित्व सौंपा गया है। दूसरे हैं अनिल साहू। अनिल पिछले दस साल से लगभग वन विभाग से बाहर ही हैं। पिछली सरकार में वे लंबे समय तक स्पेशल सिकरेट्री हेल्थ रहे। उसके बाद संस्कृति, बीज विकास निगम, मंडी बोर्ड और फिलहाल पर्यटन बोर्ड के एमडी हैं। खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के एमडी अरुण प्रसाद भी पिछली सरकार में पौल्यूशन बोर्ड के मेम्बर सिकरेट्री बने थे, उसके बाद सीएसआईडीसी के एमडी और अभी खादी बोर्ड में हैं।
आईएफएस की लिस्ट
पीसीसीएफ के दो पदों के लिए भारत सरकार से क्लियरेंस मिल गया है। किसी भी दिन इसके लिए डीपीसी हो सकती है। सब कुछ ठीक रहा तो अगले हफ्ते पीसीसीएफ प्रमोशन के साथ पोस्टिंग की एक लिस्ट निकल सकती है। पीसीसीएफ बनने वालों में 89 बैच के तपेश झा का नाम सबसे उपर है, उनके बाद 90 बैच के अनिल राय का नम्बर है। तपेश वाईल्ड लाइफ में काम कर चुके हैं। वे अचानकमार टाईगर रिजर्व के डायरेक्टर रहे हैं...काम भी उनका अच्छा रहा। विभाग में चर्चा है, प्रमोशन के बाद उन्हें वाईल्डलाइफ की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। इसी तरह अनिल राय को सरकार लघु वनोपज संघ की कमान सौंप सकती है। समझा जाता है इसी मकसद से उन्हें संघ में एडिशनल एमडी बनाया गया है। संघ के एमडी का चार्ज अभी पीसीसीएफ संजय शुक्ला के पास है।
जुआ पर कानून मगर...
सरकार ने जुआ पर सख्ती के लिए विधानसभा में बिल पास कर दिया। अब ऑनलाइन जुआ खिलाने पर पांच साल तक सजा हो सकती है। मगर मिलियन डॉलर का प्रश्न यह है कि इस पर अमल कैसे होगा। असल में, सरकार की मंषा अच्छी है...इससे पहले हुक्का बार कानून भी बनाया गया...मगर रिजल्ट? आज भी सूबे के होटलों में बेरोकटोक हुक्का बार चल रहे हैं। उस पर ये भी....जब कई एसपी ही टेंट-तंबू लगवाकर सट्टा और जुआ खेलवा रहे हों तो फिर सरकार का कानून जुआ को कैसे रोक पाएगा। पिछले हफ्ते ही बेमेतरा के किसी गांव से एक युवक का फोन आया, सर...हमारे गांव में जुआ की वजह से चोरियां बढ़ गई है...जुआ खेलने वाले हारने के बाद धान के बोरे तक उठाकर ले जा रहे हैं। कमोवेश यही हालात लगभग सभी जिलों के हैं। सीएम साहब को एसपी साहब लोगों की एक क्लास और लेनी चाहिए। क्योंकि, पुलिस अगर चाह लें तो इलाके में चोरी, चाकूबाजी और मर्डर तो छोड़ दीजिए, पत्ता नहीं खड़क सकता।
डीजीपी की सख्ती
सुनने में आ रहा...अपराधों और अपराधियों को संरक्षण देने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ पुलिस महकमा अब सख्त कदम उठाने वाला है। सरकार की नोटिस में है और डीजीपी के पास इसके इनपुट्स भी हैं कि कई जिलों में कानून-व्यवस्था की स्थिति लड़खडा रही है...इसका असर चुनाव में पड़ सकता है। कहने के लिए बिलासपुर को न्यायधानी कहा जाता है। डीजीपी अशोक जुनेजा वहां एसपी रह चुके हैं और खुफिया चीफ अजय यादव भी। दोनों न्यायधानी की स्थिति से अनभिज्ञ नहीं हैं। सूबे के दूसरे बडे़ इस शहर में पोलिसिंग का आलम यह है कि वहां का हर दूसरा टीआई पोलिसिंग छोड़ जमीन के धंधा में इंवाल्व हो गया है। आए दिन वहां मर्डर हो रहे, गोलियां चल रही हैं....कानून-व्यवस्था शीर्षासन कर रहा है। जानकारी मिली है, सिस्टम इसको लेकर गंभीर है और जल्द ही आपको इसका प्रभाव दिखेगा।
टाईगर अभी...
भले ही बीजेपी के संगठन प्रभारी से लेकर अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बदल गए मगर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का रुतबा अभी बरकरार है। अभी भी उनके बगैर पार्टी का कोई कार्यक्रम नहीं होता। कल का दिन तो रमन सिंह के लिए और खास रहा। कोरबा दौरे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह रमन की तारीफों के पुल बांध दिए। तो कोरबा जाने के लिए रमन ने राज्य सरकार से हेलीकॉप्टर मांगा तो सरकार ने तुरंत उन्हें मुहैया करा दिया। दरअसल, शाह को पहले रायपुर आना था। यहां से हेलीकॉप्टर से रमन भी उनके साथ कोरबा जाते। लेकिन, सुबह अचानक कार्यक्रम बदल गया। शाह दिल्ली से सीधे कोरबा आ गए। ऐसे में, रमन वहां नहीं पहुंच पाते। किराए के हेलीकॉप्टर के लिए टाइम नहीं था। सो, सरकार के यहां पैगाम भेजा गया। अफसरों ने सीएम भूपेश बघेल से बात की। सीएम ने फौरन सहमति दे दी। सरकारी हेलीकॉप्टर से रमन कोरबा गए और वहां से लौटे भी।
अंत में दो सवाल आपसे
1. क्या छत्तीसगढ़ में बीजेपी इस उम्मीद में हाथ-पर-हाथ धरे बैठी है कि मोदी और अमित शाह हैं न...वे चुनाव जीतवाएंगे?
2. इस यक्ष प्रश्न का उत्तर लोगों को अभी तक क्यों नहीं मिल पाया है कि सबसे सीनियर आईपीएस डीएम अवस्थी को रिटायरमेंट के समय एसीबी चीफ क्यों बनाया गया?
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