तरकश, 24 दिसंबर 2023
संजय के. दीक्षित
मंत्रिमंडल में भगवान
इसे संयोग कहें या सरकार का अच्छा योग...छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से लेकर लगभग सभी मंत्रियों के नाम भगवान से जुड़े हुए हैं। राज्य के मुखिया खुद विष्णुदेव। विष्णु को जगत का पालनहार माना जाता है। विष्णु के बाद बृजमोहन। विष्णु के ही रुप हैं मोहन। फिर लक्ष्मी...। लक्ष्मी की कृपा के बिना कुछ संभव नहीं। विष्णु, मोहन और लक्ष्मी के बाद श्यामबिहारी, लखन और केदार भी। श्याम बिहारी भगवान कृष्ण, वहीं लखन याने भगवान राम के सबसे प्रिय छोटे भाई। केदार माने देवों के देव महादेव। टंक में भी राम...रामविचार में राम। ओपी में ओम। अरुण का मतलब प्रातःकालीन सूर्य और बचे विजय...तो जिस मंत्रिमंडल में इतने सारे भगवान हों तो समझा जाना चाहिए कि उसकी विजय होगी ही। अलबत्ता, इन मंत्रियों के समक्ष दोहरी चुनौती होगी...मोदी की गारंटी पर खरा उतरने और नाम के अनुरूप आचरण की भी।
किस्मत की बात
कांग्रेस सरकार के लिए घोषणा पत्र बनाने वाले टीएस सिंहदेव भले ही मुख्यमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंच सके मगर मंत्री के बाद डिप्टी सीएम बन गए। मगर बीजेपी का घोषणा पत्र बनाने वाले तीनों नेताओं का ग्रह दशाओं ने साथ नहीं दिया। घोषणा पत्र कमेटी के संयोजक विजय बघेल और सह संयोजक शिवरतन शर्मा चुनाव नहीं जीत पाए। दूसरे सह संयोजक अमर अग्रवाल पहले की तुलना में दुगुने से ज्यादा मार्जिन से चुनाव जीतने के बाद भी मंत्री नहीं बन सके। अमर ने यहां तक कैलकुलेशन बता दिया था कि लोकलुभावन घोषणाओं से कितने हजार करोड़ का रेवेन्यू जुटाना होगा। खैर किस्मत अजय चंद्राकर की भी अच्छी नहीं कही जा सकती। विधानसभा में पांच साल तक सरकार को अकेला घेरने के बाद भी मंत्री की दौड़ में पिछड़ गए।
एक अनार...
मंत्रिमंडल में एक सीट सुरक्षित रखी गई है। लोकसभा चुनाव में जिसका पारफारमेंस अच्छा रहेगा, उसे ईनाम के तौर पर मंत्री पद मिलेगा। हालांकि, अंदरखाने की खबर ये भी है कि दो-एक मंत्रियों को भी लोकसभा चुनाव में उतारा जा सकता है। सो, हो सकता है कि इलेक्शन के बाद कुछ और मंत्री पद खाली हो जाए। उसके बाद फिर कंप्लीट विष्णुदेव मंत्रिमंडल बनेगा। खैर, एक पद खाली है उसके लिए कतार लंबी है।
देखन में सीधन लगै
तीन दिन के सत्र में एक दिन विधायकों के शपथ में निकल गया और दूसरे दिन राज्यपाल के अभिभाषण में। तीसरे दिन अनुपूरक बजट पर चर्चा हुई। नेता प्रतिपक्ष ने इस अवसर पर आंकड़ों से भरा लंबा-चौड़ा भाषण न देकर नपे-तुले शब्दों में प्वाइंटेड और चुटकी लेते हुए सदन के माहौल का हल्का रखा। उन्होंने साफगोई से कह दिया...इस सरकार को अभी जुम्मा-जुम्मा सात दिन हुए हैं, इनके खिलाफ में क्या बोलूं। बड़ी शालीनता से उन्होंने सरकार पर कटाक्ष की तो चुटकी भी लेने से नहीं चूके। दरअसल, महंत जी 40 साल से संसदीय राजनीति में हैं। अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह के साथ काम करने का तजुर्बा है। तरकश में सियासी तीर भी। सो, सत्ताधारी दल को सतर्क रहना होगा, क्योंकि, सदन में नेता प्रतिपक्ष का टीजर बिहारी के दोहे को चरितार्थ कर रहा है...देखन में सीधन लगै, घाव करे गंभीर।
नाम का चक्कर
लोग बोलते हैं, नाम में क्या रखा है। मगर नाम के फेर में लोग रिटायर आईएएस उमेश अग्रवाल को सीएम विष्णुदेव साय के सचिवालय में पोस्टिंग करा दिए। दरअसल, तीन ओएसडी के साथ एक निज सहायक की पोस्टिंग सीएम सचिवालय में हुई, उसमें एक नाम उमेश अग्रवाल का भी है। ये वाले उमेश पत्थलगांव के रहने वाले हैं। विष्णुदेव साय जब दिल्ली में इस्पात राज्य मंत्री थे, तब निज सहायक बनाकर उन्हें दिल्ली ले गए थे। दिल्ली में वे मंत्रीजी के सियासी और निजी कार्यों को संभालते थे। दिल्ली में रहे हैं, पढ़े-लिखे हैं, अंग्रेजी भी जानते हैं, सो ठीक च्वाइस हो सकता है। बहरहाल, उमेश अग्रवाल का नाम देखते ही लोग एक्स आईएएस समझ बैठे। बता दें, उमेश 2004 बैच के राप्रसे से आईएएस बनें थे। आखिरी पोस्टिंग उनकी राजस्व बोर्ड चेयरमैन की रही। उमेश अग्रवाल को संविदा पोस्टिंग मिलने का सवाल ही पैदा नहीं होता। बाकी आईएएस अधिकारियों के विपरीत उनकी रीढ़ की हड्डी बची हुई थी। जाहिर है, पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग उन्हें ही मिलती है, बैठने बोला जाए तो लेट जाएं।
दिल्ली से आईएएस!
सीएम सचिवालय में पी. दयानंद की बतौर सिकरेट्री फर्स्ट पोस्टिंग हुई है। उनके साथ तीन ओएसडी भी। मगर इससे से काम नहीं चलेगा। सीएम के सचिवालय के पास वर्कलोड काफी रहता है। वैसे भी सीएम सचिवालय में तीन से चार आईएएस होते हैं। रमन सिंह के सचिवालय में एसीएस से लेकर स्पेशल सिकरेट्री तक रहे। बैजेंद्र कुमार, अमन सिंह, सुबोध सिंह, रजत कुमार, मुकेश बंसल, एमके त्यागी। इनके अलावे बतौर एडवाइजर एक्स चीफ सिकरेट्री शिवराज सिंह भी। भूपेश बघेल सचिवालय में भी एसीएस के साथ तीन आईएएस सिकरेट्री रहे। एक रिटायर आईएएस भी। ऐसे में संकेत हैं, विष्णुदेव सचिवालय में आजकल में दो-तीन नियुक्तियां और होंगी। बताते हैं, विष्णुदेव के पिछले दिल्ली दौरे में छत्तीसगढ़ कैडर के एक आईएएस की करीब घंटा भर मुलाकात हुई। हो सकता है कि सीएम सचिवालय में उनकी नियुक्ति हो जाए। उनके अलावे भी दो और आईएएस पोस्ट होंगे और जल्दी होंगे क्योंकि, सीएम के शपथ लिए दसेक दिन से ज्यादा हो गए हैं।
सिकरेट्री बैच
भूपेश बघेल सचिवालय में 2006 बैच के दो आईएएस रहे। अंकित आनंद और डॉ. एस भारतीदासन। इसी बैच के पी दयानंद नए सीएम विष्णुदेव साय के सिकरेट्री बनाए गए हैं। कहने का आशय यह कि पावरफुल सीएम सचिवालय के लिए यह लकी बैच है। इससे पहले 2005 बैच के दो आईएएस रमन सिंह सचिवालय में स्पेशल सिकरेट्री रहे। रजत कुमार और मुकेश बंसल। इसी बैच के राजेश टोप्पो भी सचिवालय के हिस्सा टाईप ही रहे। बहरहाल, 2006 बैच में छह आईएएस हैं। अंकित आनंद, श्रुति सिंह, पी दयानंद, डॉ. एस भारतीदासन, डॉ. सीआर प्रसन्ना, भूवनेश यादव और एलेक्स पाल मेनन। बहरहाल, इस बैच में तीन ही दक्षिण भारतीय अफसर हैं...पी. दयानंद नाम से आप कंफ्यूज मत होइयेगा। वे ठेठ गंगा किनारे वाले हैं। अंदाज भी गंगा किनारे वाला ही।
अफसरों के साथ पूर्वाग्रह?
छत्तीसगढ़ के नए सीएम विष्णुदेव साय ने स्पष्ट किया है कि पूर्वाग्रह से हमारी सरकार कोई फैसला नहीं करेगी। भूपेश बघेल के सचिवालय के अफसरों को हटाने के फैसले में यह बात झलकी। किसी को भी अतिरिक्त प्रभार से नहीं हटाया गया है। हालांकि, ये फाइनल सर्जरी नहीं...टेम्पोरेरी है। मगर फायनल में भी एकाध को ही मुख्य धारा से हटाया जाएगा। बाकी कुछ तो रमन सिंह के सचिवालय में रहे हैं और उपर से काम करने वाले अफसर माने जाते हैं। ऐसे में नहीं लगता कि नई सरकार उन्हें साइडलाइन करेगी।
फंस गई नियुक्ति
कांग्रेस सरकार ने आखिरी दिनों में मुख्य सूचना आयुक्त और आयुक्त का पद भरने का प्रयास किया मगर सरकार बदल जाने की वजह से फाइल राजभवन में रखी रह गई। दरअसल, मुख्यमंत्री की सिफारिश से राजभवन को फाइल भेजी गई थी। राजभवन ने इसमें कुछ क्वेरी निकाली। मगर मंत्रालय से क्वेरी पूरी करने में देरी हो गई। कुछ दिन पहले क्वेरी पूरी कर फाइल राजभवन भेजी गई। तब तक सरकार बदल गई। रिटायर आईएएस एमके राउत और अशोक अग्रवाल के मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त के रिटायर होने से ये दोनों पद 2022 में खाली हुए थे। मगर मंत्रालय को प्रॉसेज करने में लेट हो गया। बरहाल, रिटायर आईएएस टीएस महावर को मुख्य सूचना आयुक्त बनाया जाना था और राजधानी रायपुर के एक मीडियाकर्मी को सूचना आयुक्त। उधर, सहकारी निर्वाचन में एक एक्स चीफ सिकरेट्री को नियुक्त करने के लिए मुख्यमंत्री ने ओके कर दिया था। इस पद के लिए सीएम का अनुमोदन अंतिम होता है। मगर सामान्य प्रशासन विभाग में फाइल दबी रह गई। तब तक चुनाव का ऐलान हो गया। इन दोनों आयोगों में नई सरकार को अपने लोगों को बिठाने का मौका मिल गया।
सबके भईया, मोहन भईया
राजभवन में मंत्रियों के शपथ ग्रहण में रायपुर के बड़े लोग बृजमोहन अग्रवाल को लेकर चुटकी लेते रहे...अपना भईया, मोहन भैया। मोहन भैया को अब सबको ढोना पड़ेगा। दरअसल, मंत्रिमंडल में अधिकांश नए चेहरे हैं, जिनका रायपुर से खास नाता नहीं रहा। रमन सिंह के समय रमन खुद रायपुरिया हो गए थे, उनके अलावा बृजमोहन, राजेश मूणत, गौरीशंकर अग्रवाल जैसे कई पावर सेंटर थे। इनके अलावा कुछ अफसर भी प्रभावशाली थे। सो, कहीं-न-कहीं से काम हो जाता था। इस बार सीएम जशपुर से हैं। दोनों डिप्टी सीएम मुंगेली और कवर्धा से। दयालदास बघेल के बारे में बताने की जरूरत नहीं। रामविचार नेताम पहले मंत्री रहे हैं मगर उनसे वैसी केमेस्ट्री नहीं। नए मंत्रियों में ओपी चौधरी जरूर रायपुर नगर निगम कमिश्नर, डीपीआर और रायपुर कलेक्टर रहे हैं। मगर पहली बार मंत्री बने हैं जाहिर तौर पर उनकी अपनी लक्ष्मण रेखा होगी। ऐसे में, फिर बचते हैं मोहन भैया।
अंत में दो सवाल आपसे
1. कितने ऐसे आईएएस हैं, जो सरकार रिपीट होने की आस में न्यू ईयर में बाहर जाने के लिए अवकाश स्वीकृत करा लिए थे, मगर सरकार पलटते ही अर्जी देकर छुट्टी निरस्त करा लिए?
2. कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पद से सैलजा के हटने से क्या चरणदास महंत की स्थिति कमजोर होगी?
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