तरकश, 07 सितंबर, 2025
संजय के. दीक्षित
ईडी के राडार पर बड़े अफसर
डीएमएफ के पैसे से कृषि यंत्र खरीदने में गोलमाल करने वाले छह आईएएस अधिकारी समेत 25 सप्लायर ईडी के निशाने पर हैं। इस हफ्ते जिन 19 सप्लायरों के यहां ईडी ने छापा मारा, चर्चा है कि उसमें न केवल 50 खोखा कैश मिला, बल्कि आधा दर्जन आईएएस अधिकारियों से उनके कनेक्शन के एविडेंस मिले हैं। इनमें तीन डायरेक्टर एग्रीकल्चर रहे हैं और तीन विभिन्न जिलों के कलेक्टर की बातें हो रही हैं। हार्टिकल्चर और बीज विकास निगम के तत्कालीन आईएफएस एमडी का नाम भी चर्चाओं में हैं। दरअसल, इन अधिकारियों ने डीएमएफ के पैसे को दोनों हाथों से उड़ाया। डीएमएफ मद से करीब साढ़े पांच सौ करोड़ के कृषि यंत्र जिलों में सप्लाई हुए, उसमें 45 परसेंट पर खेल हुआ। बहती गंगा में हाथ धोने रायपुर के बड़े होटल मालिक, सीए, सराफा कारोबारी, मेडिकल शॉप वाले भी सप्लाई के धंधे में कूद पड़े थे। रायपुर के जिन नामी कारोबारियों ने पैदा होने के बाद कभी खेती-किसानी के यंत्र देखे नहीं होंगे, वे भी मैन्युफैक्चरर बन लगे सप्लाई करने। पता चला है, चाइना से पार्ट्स मंगा यहां एसेंबल किया जाता था और फिर निर्माता बन जिलों में सप्लाई किया गया। इस खेल में 200 करोड़ से अधिक राशि अंदर की गई।
कलेक्टर-एसपी की लड़ाई!
एक जिले के कलेक्टर-एसपी में इस तरह इगो की लड़ाई छिड़ गई है कि बेचारे मंत्रीजी परेशान हो गए हैं। कभी एसपी की शिकायत लेकर कलेक्टर मंत्री के पास पहुंच जाते हैं तो कभी कलेक्टर की शिकायत लेकर एसपी। जिले में न सरकार की योजनाओं पर काम हो रहा और न लॉ एंड आर्डर का। मंत्रीजी की पीड़ा यह है कि वे न किसी पर कोई तोहमत लगा सकते और ना ही जोर से आह भर सकते। दरअसल, उनके शुभचिंतकों ने उन्हें इशारा किया था कि ऐसा मत कीजिए। मगर मंत्रीजी तब कुछ सुनने के लिए तैयार नहीं थे। वे दोनों को अपने च्वाइस से मांगकर ले गए थे। मगर अब पछताने के अलावा कोई चारा नहीं है। मंत्रीजी ने हालांकि, दोनों को बुलाकर समझाइश दी है। उनके निर्देश के बाद प्रशासन और पुलिस की एक समन्वय बैठक हुई। मगर कलेक्टर, एसपी के बॉडी लैंग्वेज से प्रतीत हो रहा था कि खाई अभी पटी नहीं है। जाहिर है, एक बार अगर मन में कोई खुन्नस आ गई तो फिर उसे जाने में टाईम लगता है।
चीफ सिकरेट्री कौन?
दो महीने बाद फिर वही सवाल खड़ा हो गया है...अगला चीफ सिकरेट्री कौन? अमिताभ जैन को फिर एक्सटेंशन या किसी और को मिलेगा मौका? दरअसल, अमिताभ को तीन महीने का एक्सटेंशन मिला था, उसका काउंटडाउन शुरू हो गया है। 22 दिन बाद 30 सितंबर को उनका एक्सटेंशन समाप्त हो जाएगा। चूकि मध्यप्रदेश के चीफ सिकरेट्री अनुराग जैन को हाल ही में एक साल का एक्सटेंशन मिला है, इसलिए एक परसेप्शन बन रहा कि अमिताभ को फिर से एक्सटेंशन मिल जाएगा। खैर, हो तो कुछ भी सकता है। दोनों जैन हैं...एक बैच के भी। दोस्त भी। मगर दोनों केसों में फर्क यह है कि अनुराग जैन को सीएस बने एक साल हुआ था और अमिताभ जैन को पौने पांच साल। अमिताभ ने सीएस के तौर पर पोस्टिंग का ऐसा रिकार्ड बनाया है, जो बिरले ही किसी आईएएस को नसीब होता है। गूगल में सर्च करने पर पौने पांच साल वाला चीफ सिकरेट्री का कोई नाम दिखाई नहीं पड़ता। अगर उन्हें तीन महीने का और सेवा विस्तार मिल गया तब तो वे पांच साल वाले देश के पहले सीएस बन जाएंगे। बहरहाल, उन्हें एक्सटेंशन नहीं मिला तो सवाल उठता है...नया चीफ सिकरेट्री कौन होगा?
अमित अग्रवाल या कोई और?
छत्तीसगढ़ के नए चीफ सिकेरट्री के लिए तीन तरह की संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं। पहला छत्तीसगढ़ में पोस्टेड अफसरों पर अगर केंद्र सहमत नहीं होगा तो फिर दिल्ली से अमित अग्रवाल को चीफ सिकरेट्री बनाकर रायपुर भेज सकता है, जैसा कि कई राज्यों में हुआ है। हालांकि, अमित होम कैडर में लौटने के इच्छुक नहीं होंगे मगर केंद्र अगर ’गो’ बोल देगा, तो उन्हें छत्तीसगढ़ लौटना ही पड़ेगा। दूसरा, भारत सरकार छत्तीसगढ़ में कार्यरत एसीएस रेणु पिल्ले, सुब्रत साहू, ऋचा शर्मा और मनोज पिंगुआ में से किसी नाम पर मुहर लगा दे। और तीसरा...जिस तरह डीजीपी बनाने में पहली बार केंद्र ने अरुणदेव गौतम पर सहमति देने की बजाए अशोक जुनेजा को एक्सटेंशन दे दिया था, और बाद में गौतम को हरी झंडी मिल गई थी। उसी तरह हो सकता है इतिहास दुहराए...राज्य सरकार जिस अफसर को मुख्य सचिव बनाना चाहती हो, और 30 जून को वो हो नहीं पाया, अब उस पर भारत सरकार से सहमति मिल जाए। इन तीनों में पहले की संभावना 20 परसेंट नजर आ रही तो तीसरे प्वाइंट की 80 परसेंट।
पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग
छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक गलियारों में चर्चा इस बात की भी सरगर्म है कि अमिताभ जैन का अगर टेन्योर खतम होगा तो उन्हें रिटायरमेंट उपरांत पोस्टिंग कौन सी मिलेगी। यद्यपि, अमिताभ ने मुख्य सूचना आयुक्त के लिए इंटरव्यू भी दिया है। मगर अब लोगों को लग रहा कि सीआईसी का पद पौने पांच साल प्रोफाइल वाले चीफ सिकरेट्री के लिए कमजोर पड़ेगा। सीआईसी में उन्हें सिर्फ तीन साल का कार्यकाल मिलेगा। काम भी पेचीदा...दिन भर कोर्ट में सुनवाई करो, उसके बाद फैसला लिखवाओ। 36 साल के कैरियर में अमिताभ ने ऐसी कभी पुअर पोस्टिंग की नहीं। सो, ऐसी अटकलें जोर पकड़ रही कि अमिताभ हाल ही में मुख्यमंत्री के साथ विदेश होकर आएं हैं...हो सकता है बदले हालात में उनके लिए कोई और ठीकठाक पद ढूंढा जाए। अगर ऐसा हुआ तो फिर रिटायर डीजीपी अशोक जुनेजा को सीआईसी बनने का रास्ता साफ हो जाएगा। जुनेजा भी इस पद के दावेदार हैं, उन्होंने इंटरव्यू भी दिया है।
रायपुर में गोल्फ भी
यह पहली दफा होगा, जब छत्तीसगढ़ का कोई प्रतिनिधिमंडल इंवेस्टमेंट के लिए फॉरेन गया और उसका इतना क्विक रिजल्ट सामने आया। टीम विष्णुदेव के जापान और साउथ कोरिया के विजिट के बाद गुड न्यूज यह है कि दक्षिण कोरिया से उद्योगपतियों का एक दल 10 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ यह देखने छत्तीसगढ़ आ रहा कि किस तरह की यहां संभावनाएं हैं। बताते हैं, सीएम ने साथ गए अफसरों से कहा था कि प्रयास ऐसा किया जाए कि भले ही छोटे से ही शुरूआत हो मगर छत्तीसगढ़ में कुछ-न-कुछ विदेशी इंवेस्टमेंट का आगाज होना चाहिए। इसी लाइन पर चलते हुए अफसरों ने वहां छत्तीसगढ़ की खासियतों से उद्योगपतियों को अवगत कराया। उन्हें बताया गया कि छत्तीसगढ़ में पर्याप्त लैंड, पानी, बिजली, मैनपावर उपलब्ध है ही, कोई लोकल न्यूसेंस नहीं है...रायपुर में गोल्फ भी खेला जाता है। जाहिर है, नवा रायपुर में जब गोल्फ का मैदान बना था तो इसको लेकर सिस्टम को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। मगर यह सही है कि विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए उनके अनुकूल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना होगा। गुजरात में आखिर नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री रहने के दौरान जापानिज इंवेर्स्टस के लिए क्लब से लेकर उनके बच्चों के लिए जापानी भाषी वाला स्कूल, रेस्टोरेंट बनवाया ताकि वे निवेश करें तो उन्हें रहने में असहज महसूस न करें।
एसपी की लिस्ट
महासमुंद के पुलिस अधीक्षक आशुतोष सिंह सेंट्रल डेपुटेशन पर जा रहे हैं। राज्य सरकार ने उन्हें एनओसी दे दिया है। आशुतोष को वहां पोस्टिंग मिलने के बाद सरकार उनकी जगह किसी आईपीएस अधिकारी को महासमुंद का कप्तान नियुक्त करेगी। हो सकता है इसके साथ कोई नया चेन बन जाए और दो-तीन और पुलिस अधीक्षकों का ट्रांसफर हो जाए। वैसे भी दो-तीन एसपी के बदले जाने की अटकलें पहले से चल रही हैं।
मंत्रालय में बड़ा चेंज
इस महीने के अंत में मंत्रालय में शीर्ष स्तर पर बड़ा बदलाव होने की खबर है। मुख्य सचिव बदले जाने पर कई सचिवों के विभाग बदलेंगे। अगर किसी एसीएस को चीफ सिकरेट्री की जिम्मेदारी दी गई तो उनका विभाग किसी नीचे के अधिकारी को दिया जाएगा। सूबे में प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी सिर्फ दो ही हैं, सुबोध सिंह और सोनमणि बोरा। हो सकता है कि सरकार शहला निगार, डॉ0 रोहित यादव और डॉ0 कमलप्रीत सिंह को प्रमुख सचिव पदोन्नत कर दे। शहला को जनवरी से प्रमोशन ड्यू है। बाकी रोहित और कमलप्रीत को टाईम से पहले प्रमोशन दिया जा सकता है। इससे पहले भी कई बार हुआ है। सीके खेतान और आरपी मंडल टाईम से छह महीने पहले प्रमुख सचिव बन गए थे। इसी तरह सुब्रत साहू को समय से डेढ़ साल पहले एसीएस बनाया गया था। बहरहाल, शहला, रोहित और कमलप्रीत के प्रमोशन के बाद फिर स्टेट में पांच प्रमुख सचिव हो जाएंगे। हो सकता है कि प्रमोशन के बाद विभागों में युक्तियुक्तकरण किया जाए।
कांग्रेस में बदलाव!
कांग्रेस और गुटबाजी में चोली-दामन का संबंध रहा है। मध्यप्रदेश के दौर में भी गुटीय लड़ाई चलती रही और छत्तीसगढ़ बनने के बाद भी। ताजा मामला बड़े नेता रविंद्र चौबे के बयान का आया। चौबे ने कहा था कि अगला चुनाव भूपेश बघेल के नेतृत्व में होगा। इस पर पार्टी में तूफान मच गया। आरोप-प्रत्यारोपों के बीच चौबे राजीव भवन पहुंचे। पीसीसी चीफ दीपक बैज के साथ बंद कमरे में गिला-शिकवा दूर करने के बाद दोनों मीडिया के सामने आकर जो कहा, उसका निहितार्थ यह था कि दीपक बैज सर्वमान्य हैं...और मैंने जो कहा, उसे वापिस लेता हूं। असल में, कांग्रेस में यह पहली बार हुआ कि रविंद्र चौबे जैसे नेता को अपने बयान पर यूटर्न लेना पड़ा। चौबे जब मध्यप्रदेश में मंत्री थे तब दीपक बैज की राजनीति में इंट्री नहीं हुई होगी। मगर अब दीपक पीसीसी के प्रमुख हैं और चौबे को उन्हें बयान को लेकर सफाई देनी पड़ी। लगता है, कांग्रेस में चीजें कुछ बदल रही हैं। वरना, पार्टी में नेतृत्व को लेकर बयानबाजियां पहले भी होती रही हैं, मगर एक दिग्गज नेता को इस तरह सफाई नहीं देनी पड़ी।
अंत में दो सवाल आपसे?
1. क्या राज्योत्सव के मौके पर एक नवंबर को रायपुर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम प्रारंभ हो जाएगा?
2. बस्तर के जंगलों में जिस तरह फोर्स घुस रही है, क्या मार्च 2026 से पहले नक्सलियों का खात्मा कर दिया जाएगा?
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