मंगलवार, 30 सितंबर 2025

Chhattisgarh Tarkash 2025: नए मुख्य सचिव और चुनौतियां

 Chhattisgarh Tarkash 2025: 28 सितंबर, 2025

संजय के. दीक्षित

नए मुख्य सचिव और चुनौतियां

इस स्तंभ के प्रकाशित होने के 48 घंटे बाद विकास शील छत्तीसगढ़ के नए मुख्य सचिव की जिम्मेदारी संभाल लेंगे। विकास शील के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी की साख बहाल करने की होगी। वे ऐसे समय में प्रशासनिक मुखिया का दायित्व ग्रहण करने जा रहे हैं, जब घपले-घोटालों में सात वर्तमान और रिटायर आईएएस अधिकारी गिरफ्तार हो चुके हैं। डेपुटेशन पर सेवा देने आए इंडियन टेलीकाम सर्विस के दो अधिकारी बहती गंगा में डूबकी लगाने के चक्कर में सलाखों के पीछे पहुंच गए। और दूसरे कई मामलों में चार आईएएस अधिकारी ईडी और एसीबी के राडार पर हैं। इतना छोटा कैडर में दर्जन भर से अधिक अफसर अगर जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं तो समझा जा सकता है स्थिति क्या है। दूसरा, कामकाज को गति देने विकास शील को सिस्टम में अनुशासन और रिजल्ट पर जोर देना होगा। कलेक्टर, एसपी को टाईट कर उनमें समन्वय बिठाने का प्रयास करना चाहिए। बीच में कुछ ऐसा वाकया हुआ, जिसमें पता चला कि जिले के कलेक्टर-एसपी में बातचीत की तो दूर की बात देखादेखी नहीं है। हालांकि, ये अच्छी बात है कि विकास शील के आने से पहले गुड गवर्नेंस की दिशा में अहम काम करते हुए मंत्रालय समेत राजधानी के सभी विभागों में ई-ऑफिस लागू कर दिया गया है। पहले जहां दो फीसदी अफसर भी टाईम पर मंत्रालय नहीं आते थे, वहीं अब 70 प्रतिशत से अधिक अधिकारी 10 बजे मंत्रालय पहुंच जा रहे। मगर बायोमेट्रिक अटेंडेंस अभी भी चालू नहीं हो पाया है। भारत सरकार में चीफ सिकरेट्री रैंक के अफसर बायोमेट्रिक अटेंडेंस लगाते हैं मगर छत्तीसगढ़ में इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना दिया गया है। विकास शील को खुद पहल करते हुए पहले दिन से ही बायोमेट्रिक अटेंडेंस लगाना शुरू कर देना चाहिए। जाहिर है, वे प्रारंभ करेंगे तो फिर बाकी अपने आप शुरू हो जाएंगे। जाहिर है, इस साल एक जनवरी को मुख्यमंत्री ने मंत्रालय में अफसरों की बैठक ली थी, उसमें भी उन्होंने टाईमिंग और अटेंडेंस को लेकर इशारों में अपनी मंशा व्यक्त की थी।

सिस्टम में कैडर जरूरी

मंत्रालय में हालांकि, टाईमिंग फॉलो करने और ई-ऑफिस से काफी चीजें स्मूथ हुई हैं मगर मंत्रालय का सिस्टम कुछ मामलों में अभी भी पुराने ढर्रे पर चल रहा है। राज्य बनने के 25 साल बाद भी मंत्रालयीन अधिकारियों का कोई कैडर नहीं बना। लिहाजा, मैट्रिक पास भृत्य और बाबू आज भी पांच-पांच साल में प्रमोशन पाकर अंडर सिकरेट्री, डिप्टी सिकरेट्री बन रहे हैं। जबकि, दीगर राज्यों में मंत्रालयीन अधिकारियों का अलग कैडर होता है। उनकी अलग से भर्ती होती है...मंत्रालय में काम करने की ट्रेनिंग दी जाती हैं। जाहिर है, मंत्रालय में ही अगर स्किल्ड सिस्टम नहीं होगा तो फिर चीजें फास्ट कैसे होंगी। अलबत्ता, मंत्रालय के बाहर भी हाल जूदा नहीं है। प्रायमरी सेक्टर...हेल्थ और स्कूल एजुकेशन की बात करें...हेल्थ में अंधा बांटे रेवड़ी की तरह किसी को भी सीएमओ बना दिया जा रहा। ऐसे रेवड़ी वाले सीएमओ साहबों से सरकार की योजनाओं को लेकर क्या उम्मीद पाली जा सकती है। कायदे से सीएमओ का एक कैडर बनाना चाहिए। स्कूल शिक्षा में गुरूजी लोग डीईओ और जेडी बन जा रहे। प्रशासनिक अनुभव उन्हें होता नहीं। जोर-जुगाड़ करके वे प्रशासनिक पद पर पहुंच तो जाते हैं मगर उस कार्य में सक्षम नहीं होते। लिहाजा, अनियमितता में लगातार सस्पेंड हो रहे या जांच में घिर रहे। इसी तरह बाकी विभागों में भी वर्किंग सिस्टम बनाने प्रयास करना चाहिए, जो 25 सालों में नहीं हो पाया।

500 से अधिक डिप्टी कलेक्टर

छत्तीसगढ़ सरकार के पास इस समय 500 से अधिक डिप्टी कलेक्टर हो गए हैं। यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। सरकार को विभिन्न विभागों के प्रशासनिक कार्यों में इनका उपयोग करना चाहिए। भूपेश बघेल सरकार ने अपर कलेक्टर रैंक के दो अफसरों को पहली बार डीपीआई में बिठाया था। मगर स्कूल शिक्षा के माफियाओं ने उन्हें साल भर तक कोई प्रभार नहीं देने दिया। हाई कोर्ट में याचिका लगी सो अलग। आखिरकार, दोनों को डीपीआई से हटाना पड़ गया। नए चीफ सिकरेट्री विकास शील को डिप्टी कलेक्टरों के सही उपयोग पर विचार करना चाहिए। संभागीय मुख्यालयों वाले जिलों में डिप्टी कलेक्टरों को जिला शिक्षा अधिकारी बनाने का आईडिया बुरा नहीं। हालांकि, ऐसा नहीं कि डिप्टी कलेक्टरों के आने से गड़बड़ियां रुक जाएंगी। मगर यह सही है कि प्रशासनिक चीजें कुछ दुरूस्त होंगी। शिक्षक बेचारे रैकेट के फेर में पड़ निबट जा रहे, उससे तो बचेंगे।

आईएएस को रजिस्ट्रार

छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी ह्यूमन रिसोर्स को लेकर इतने गंभीर थे कि मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने सूबे के दोनों विश्वविद्यालयों में आईएएस को रजिस्ट्रार बनाया। बिलासपुर विश्वविद्यालय में तीन-तीन आईएएस रजिस्ट्रार रहे। डॉ0 एसके राजू, सोनमणि बोरा और शहला निगार। इसी तरह रायपुर विश्वविद्यालय में भी कई साल तक आईएएस कुलसचिव रहे। मगर इसके बाद रजिस्ट्रार का कैडर ही खतम कर दिया गया। अब रविशंकर विवि हो या फिर बिलासपुर के अटलबिहारी बाजपेयी विवि या दुर्ग, सरगुजा और बस्तर विश्वविद्यालय...सभी जगहों पर शिक्षकों को प्रभारी रजिस्ट्रार बना हायर एजुकेशन के सिस्टम को कबाड़ा किया जा रहा है। नए चीफ सिकरेट्री को हायर एजुकेशन की बेहतरी के लिए रजिस्ट्रार कैडर को फिर से जीवित करने का प्रयास करना चाहिए। आईएएस को न सही, राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को तो जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। यदि यूनिवर्सिटी के सिस्टम में सुधार होगा तो कॉलेजों की स्थिति बदलेगी।

6 दिन पहले आदेश का मतलब

छत्तीसगढ़ के 25 साल में 13 मुख्य सचिवों की नियुक्ति हुई हैं। इनमें पहली दफा अबकी सीएस के रिटायरमेंट के छह दिन पहले नए सीएस का आदेश निकाल दिया गया। इससे पहले अभी तक सीएस के रिटायरमेंट के दिन सुबह या दोपहर आदेश निकलता था। अमिताभ जैन के 30 जून को रिटायरमेंट के दिन भी ऐसा ही हुआ था। 12 बजे से कैबिनेट की बैठक बुलाई गई थी और उसमें अमिताभ जैन की विदाई के बाद आदेश निकालने का प्लान था। कैबिनेट में सारे मंत्री एक-एक कर विदाई भाषण दे चुके थे। इस बीच दिल्ली से फोन आ गया। अमिताभ को तीन महीने का एक्सटेंशन के लिए प्रस्ताव भेजिए। और फिर उन्हें सेवा विस्तार मिल गया। इस बार भी 30 सितंबर को अमिताभ जैन की विदाई के लिए फिर से कैबिनेट बुलाई गई है। बैठक में विदाई भाषण भी होगा। मगर फर्क यह रहेगा कि नए सीएस को लेकर कोई सस्पेंस जैसी स्थिति नहीं रहेगी। सरकार ने छह दिन पहले आदेश जारी कर अपना स्टैंड क्लियर कर दिया और अपना कांफिडेंस भी बता दिया। दरअसल, बाकी राज्यों में भी सीएस की नियुक्ति का ट्रेंड बदल रहा।

फास्ट पोस्टिंग का रिकार्ड

अमिताभ जैन भले ही पौने पांच साल की सीएस की पारी खेलकर विदा हो रहे हैं मगर सबसे फास्ट पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग का आरपी मंडल का रिकार्ड शायद ही कोई तोड़ पाए। नवंबर 2020 में आरपी मंडल जब मुख्य सचिव से रिटायर हुए तो उन्हें अमिताभ जैन के नए सीएस के आदेश निकलने के 20 मिनट के भीतर नया रायपुर विकास प्राधिकरण के चेयरमैन बनाने का आर्डर जारी हो गया था। छत्तीसगढ़ में अभी तक किसी भी मुख्य सचिव को सेवानिवृत्ति के बाद इतनी फास्ट पोस्टिंग नहीं मिली। सुनिल कुमार को भी तीन महीने लग गए थे। हालांकि, यह बताना जरूरी होगा कि छत्तीसगढ़ के 12 मुख्य सचिवों में से प्रॉपर रिटारयमेंट कम का ही हुआ। एसके मिश्रा, एके विजयवर्गीय, शिवराज सिंह और विवेक ढांड ने पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग के लिए समय से पहले वीआरएस ले लिया था। पी0 जॉय उम्मेन ने भी वीआरएस लिया मगर इसके पीछे पद से हटाए जाने की उनकी नाराजगी रही। तीसरे मुख्य सचिव आरपी बगाई की सरकार के साथ रिश्तों की खाई इतनी चौड़ी हो गई थी कि प्रॉपर रिटायरमेंट का सवाल नहीं उठता। विवेक ढांड ने भी वीआरएस लिया था मगर पर्दे के पीछे कुछ और बातें रही। ढांड के बाद अजय सिंह नौंवे मुख्य सचिव बनें। मगर सरकार बदलने पर जनवरी 2019 में उन्हें हटा दिया गया।

रिटायरमेंट का तोहफा

छत्तीसगढ़ में अमिताभ जैन से पहले 11 मुख्य सचिव हुए हैं, उनमें से तीन को छोड़ सभी को सभी को पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग मिली है। उन तीन में प्रथम मुख्य सचिव अरुण कुमार, आरपी बगाई और पी0 जॉय उम्मेन शामिल हैं। बताते हैं, अरुण कुमार पोस्टिंग के इच्छुक नहीं थे, इसलिए वे भोपाल चले गए। आरपी बगाई के सरकार से रिश्ते बिगड़ गए थे। और उम्मेन को रमन सरकार ने बिजली बोर्ड का चेयरमैन कंटिन्यू करने का ऑफर दिया था मगर छुट्टी मनाने के दौरान सरकार द्वारा खो कर दिए जाने से वे इतने नाराज थे कि रिटायरमेंट का तोहफा स्वीकार नहीं किया। इन तीनों के अलावे सभी को सरकारों ने रिटायरमेंट का गिफ्ट दिया। सुनील कुजूर को भले ही थोड़ा छोटा मिला मगर उन्हें भी पिछली सरकार ने सहकारिता निर्वाचन आयुक्त बनाया गया।

अमिताभ को सीआईसी?

चीफ सिकरेट्री अमिताभ जैन 30 सितंबर को रिटायर हो रहे हैं। उनके पास राज्य नीति आयोग के उपाध्यक्ष का पद है मगर अतिरिक्त प्रभार होने की वजह से सीएस से हटते ही यह ओहदा स्वयमेव समाप्त हो जाएगा। अमिताभ को मुख्य सूचना आयुक्त बनाए जाने की अटकलें कई महीने से चल रही हैं। उन्होंने इसके लिए इंटरव्यू भी दिया है। इस बीच विद्युत नियामक आयोग मे ंचेयरमैन का पद खाली हो गया है। इस पद के लिए अमिताभ का दावा प्रबल समझा जा रहा था। मगर सिस्टम के रफ्तार से नहीं लगता कि अमिताभ को पोस्टिंग देने फिलहाल कोई विशेष उत्साह दिखाया जा रहा। चेयरमैन के पद को खाली हुए 10 दिन होने जा रहे मगर उर्जा विभाग ने अभी तक विज्ञापन प्रकाशित नहीं किया है। ऐसे में बहुत संभावना है कि रिटायरमेंट के बाद अमिताभ को मुख्य सूचना आयुक्त बनाया जाए। हालांकि, सीआईसी का मामला हाई कोर्ट में लंबित है। किंतु सुनने में आ रहा, कोर्ट में कुछ हलचल हुआ है। स्टे हटते ही सरकार सूचना आयोग में नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ कर देगी। विद्युत नियामक आयोग में रिस्क इस बात का है कि नेशनल लेवल पर इसका विज्ञापन होना है, कोई बाहर का आदमी बड़ा एप्रोच लेकर आ गया तो फिर जोखिम हो जाएगा।

19 बैच के कलेक्टर?

राज्योत्सव से पहले सूबे में कलेक्टरों का ट्रांसफर किए जाने का सरकार का कोई प्लान नहीं था। मगर राजनांदगांव कलेक्टर डॉ0 सर्वेश्वर भूरे के डेपुटेशन पर जाने की वजह से वहां नए कलेक्टर की पोस्टिंग अब अपरिहार्य हो गई है। सर्वेश्वर ज्वाइंट टेक्सटाइल कमिश्नर बनकर मुंबई जा रहे हैं। समझा जाता है कि अक्टूबर में किसी दिन वे यहां से रिलीव हो जाएंगे। जाहिर है, इससे पहले राजनांदगांव में नए कलेक्टर की पोस्टिंग करनी होगी। कलेक्टर के लिए यंग अफसरों की बात की जाए, तो 2018 बैच कंप्लीट हो गया है, 2019 बैच शुरू होना है। 2019 बैच में पांच आईएएस अफसर हैं। वैसे राजनांदगांव विधानसभा अध्यक्ष और 15 साल के मुख्यमंत्री डॉ0 रमन सिंह का निर्वाचन जिला है। उनकी कोई पसंद अगर सामने आई तो हो सकता है, 2019 बैच से उपर के किसी आईएएस अधिकारी को मौका मिल जाए। हालांकि, अपवादस्वरूप दो-एक बार को छोड़ दें तो राजनांदगांव कभी किसी आईएएस का फर्स्ट डिस्ट्रिक्ट नहीं रहा। राजनांदगांव मुकेश बंसल का तीसरा जिला रहा तो सर्वेश भूरे का चौथा।

बिना मेजर सर्जरी सत्ता बदलाव

30 सितंबर को अमिताभ जैन के रिटायरमेंट से पहले आईएएस की एक ट्रांसफर लिस्ट निकलेगी। जाहिर है, एसीएस रेण पिल्ले और सुब्रत साहू नए मुख्य सचिव विकास शील से सीनियर हैं, इसलिए दोनों को मंत्रालय से शिफ्थ किया जाएगा। हालांकि, दोनों के पास सरकार में कोई खास जिम्मेदारी नहीं है। रेणु के पास साइंस एंड टेक्नालॉजी है और सुब्रत के पास सहकारिता। सहकारिता में वैसे भी सीआर प्रसन्ना सिकरेट्री हैं। ऐसे में, सहकारिता से सुब्रत को हटाया जाएगा तो कोई बड़ा परिवर्तन नहीं होगा। सुब्रत के पास प्रशासन अकादमी है। मगर जहां तक संभावना है अक्टूबर में रेवेन्यू बोर्ड के चेयरमैन का पद खाली हो रहा है। टीपी वर्मा 31 अक्टूबर को रिटायर होंगे। अत्यधिक संभावना है सुब्रत को अक्टूबर एंड में प्रशासन अकादमी के डायरेक्टर जनरल के बदले रेवेन्यू बोर्ड चेयरमैन बना दिया जाए। रही बात रेणु पिल्ले की तो उनके पास इस समय माध्यमिक शिक्षा मंडल और व्यापम चेयरमैन का चार्ज है। साइंस एंड टेक्नालॉजी हटने के बाद उनके पास इन दोनों महत्वपूर्ण परीक्षा एजेंसियों का प्रभार रहेगा। रेणु पिल्ले का साइंस एंड टेक्नालॉजी सरकार किसी और सिकरेट्री को दे देगी। कहने का मतलब यह है कि नए चीफ सिकरेट्री के ज्वाईन करने के बाद सरकार को बहुत ज्यादा उठापटक करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आमतौर पर कई अधिकारियों को सुपरसीड करके जब मुख्य सचिव बनाए जाते हैं तो बड़ी प्रशासनिक सर्जरी होती है। मगर छत्तीसगढ़ में पहले से ही दोनों सीनियर आईएएस अधिकारियों के पास जिम्मेदारी कम कर दी गई थी। दोनों बैचमेट ऋचा शर्मा और मनोज पिंगुआ के विभाग यथावत रहेंगे। लिहाजा, सीएम सचिवालय और जीएडी को ज्यादा झंझट नहीं करना पड़ेगा।

डेपुटेशन का तांता

राजनांदगांव कलेक्टर डॉ0 सर्वेश भूरे प्रतिनियुक्ति पर ज्वाइंट टेक्सटाइल कमिश्नर बनकर मुंबई जा रहे हैं। उनके बाद छत्तीसगढ़ से आईएएस अधिकारियों के डेपुटेशन पर जाने का तांता लगने वाला है। 2006 बैच के एक आईएएस दिवाली के बाद दिल्ली जाएंगे। 2009 बैच की महिला आईएएस के सेंट्रल स्पोर्ट्स में जाने की बात सुनाई पड़ रही है। 2010 बैच के एक, 2011 बैच के तीन आईएएस और लाइन में हैं। 2012 बैच के दो आईएएस का अगले साल दिल्ली जाने का प्लान है। जगदलपुर कलेक्टर हरीश एस0 भी निजी कारणों से सेंट्रल डेपुटेशन पर जाने की चर्चा है। असल में, भारत सरकार ने सेंट्रल डेपुटेशन के लिए डायरेक्टर लेवल की एक पोस्टिंग केंद्र में करना अनिवार्य कर दिया है। इसके बिना केंद्र में कभी पोस्टिंग नहीं मिलेगी। वरना, पहले एक समय था...जब छत्तीसगढ़ से एक या दो आईएएस दिल्ली में होते थे। इस समय सर्वेश भूरे को मिलाकर 17 आईएएस डेपुटेशन पर हैं। अगले साल मई-जून तक ये संख्या 25 से उपर पहुंच जाएगी।

अंत में दो सवाल आपसे

1. छत्तीसगढ़ में मुख्य सचिव की नियुक्ति हो गई, पूर्णकालिक डीजीपी के अप्वाइंटमेंट का अटका पेंच कब तक दूर होगा?

2. किस मंत्री और उनके अधीन बोर्ड के चेयरमैन के बीच मनीराम को लेकर खींचतान बढ़ती जा रही है?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें