शनिवार, 28 अप्रैल 2012

तरकश, 29 अप्रैल



ओवर कांफिडेंस

सुकमा के अगवा कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन का ओवर कांफिडेंस सरकार को भारी पड़ गया। मेनन जिस तरह से आदिवासी इलाके में काम कर रहे थे, उन्हें अहसास नहीं था कि उनके साथ कोई हादसा हो सकता है। मेनन को लैटिन अमेरिका के क्रांतिकारी एवं गुरिल्ला नेता सी ग्वेरा से खासा प्रभावित बताया जाता है। उनके बैचमेट तो उन्हें ग्वेरा के अनुयायी तक होने का दावा करते हैं। ग्वेरा ने फिदेल कास्त्रों के साथ मिलकर 1963 में क्यूबा की तख्तापलट में अहम भूमिका निभाई थी। अर्जेंटाइना में जन्में ग्वेरा ने ब्यूनर्स आयर्स विवि से मेडिकल की पढ़ाई की और इसके बाद क्रांति की राह पर चल पड़े। 39 साल जीवित रहे ग्वेरा ने क्यूबा की सरकारी सेना के छक्के छुड़ा दिए थे। मेनन को कांफिडेंस था....ग्वेरा की तरह वे भी अंतिम व्यक्ति के लिए काम कर रहे हैं, इसलिए नक्सली उनका कुछ नहीं बिगाड़ेंगे। ग्राम सुराज ही नहीं, बल्कि सुकमा जाने के बाद से ही वे अंदरुनी इलाकों में धुंआधार दौरा कर रहे थे। यहां तक कि दुर्गम इलाके में मोटर सायकिल से भी। और दंतेवाड़ा के लोग कहते हैं, मेनन जिस अंदाज में वहां काम कर रहे थे, उससे सुकमा में नक्सलियों के पैर उखड़ जाते। ऐसे में माओवादी उन्हें कैसे बर्दाश्त करते।

रिहाई में रोड़ा

नक्सलियों की ओर से वार्ताकार अपाइंट किए गए रिटायर आईएएस अधिकारी बीडी शर्मा की भाजपा से कभी पटी नहीं। बल्कि भाजपा सरकार के समय फजीहत भी खूब हुई है। 1991 में बस्तर में एसएम डायकेम स्टील प्लांट के शिलान्यास के समय क्या नहीं हुआ। तत्कालीन सीएम सुंदरलाल पटवा के शिलान्यास कार्यक्रम का विरोध करने बस्तर पहुंचे शर्मा के साथ भाजपा कार्यकर्ताओं न केवल झूमाझटकी की बल्कि उनके कपड़े भी फाड़ डाले थे। फटे-चीटे कपड़े में वे भोपाल रवाना हुए थे। तीन साल पहले भी, नगरनार प्लांट का विरोध करने पहुंचेे शर्मा को बलीराम कश्यप ने जगदलपुर से आगेे नहीं जाने दिया था। मगर अब मौका शर्मा का है। तभी तो रायपुर आते ही उन्होंने भड़ास निकाला.....नक्सलियों ने गलत नहीं किया है, उनके पास और चारा भी क्या था। वार्ताकारों के मन में जब ऐसी कड़वाहट होगी तो मेनन की जल्द रिहाई की उम्मीद नहीं पालनी चाहिए। शर्मा आखिर अपना रंग तो दिखाएंगे ही।

इगो का चक्कर

सुकमा कलेक्टर मामले मंे आईएएस और आईपीएस अफसरों में तालमेल की कमी भी उजागर हुई है। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय कलेक्टर और एसपी आमतौर पर दौरे में साथ निकलते थे। साथ नहीं भी गए तो एसपी को कलेक्टर के दौरे की जानकारी रहती थी। लेकिन राज्य छोटा होने के बाद अब समन्वय नहीं रहा। सुकमा में आलम यह था, एसपी को जानकारी नहीं थी कि कलेक्टर दौरे मेेें हैं। जबकि, 17 फरवरी 2010 को ओड़िसा के मलकानगिरी के कलेक्टर आर विनल कृष्णा का नक्सलियों ने अपहरण किया था, पुलिस मुख्यालय ने एक आदेश निकाल कर कलेक्टरों से कहा था कि जब भी वे दौर पर जाएं, एसपी को बता दें। मगर आईएएस तो देश चलाते हैं। वे पुलिस को बता कर भला दौरे में क्यों जाएं। पीएचक्यू के आदेश का गलत मतलब निकालकर डस्टबीन में डाल दिया।

परमानेंट मेम्बर

सुकमा कलेक्टर की रिहाई के लिए रिटायर चीफ सिकरेट्री एसके मिश्रा को सरकारी वार्ताकार बनाए जाने पर मंत्रालय में इन दिनों खूब चुटकी ली जा रही है। आईएएस अधिकारी ही कह रहे हैं, सरकार की कोई कमेटी बनें और उसमें अपने मिश्रीजी न हो, ऐसा भला हो सकता है। मिश्राजी को सरकार ने पेटेंट कर लिया है। सरगुजा के विकास के लिए बनी इंफ्रास्ट्रक्चर कमेटी हो या गजेटिर बनाने वाली कमेटी। गुरू घासीदास विवि और सरगुजा विवि की संपत्तियों के बंटवारे के लिए मिश्राजी को ही ही आर्बिटेटर बनाया गया है। और अब वार्ताकार।

अमर का हेल्थ

नगरीय प्रशासन विभाग का स्वास्थ्य ठीक करने के चक्कर में स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल का स्वास्थ्य बिगड़ गया है। बुधवार को रायपुर बैठक में ही बोमेटिंग शुरू हो गई। डाक्टरों को बुलाकर तत्काल उनका चेकअप कराया गया। अग्रवाल के करीबियों की मानंें तो, मंत्रीजी के इस नए विभाग की हालत इतनी खराब है कि उसे दुरुस्त करने के लिए उन्हें लगातार बैठकें लेनी पड़ रही है। दौरे भी खूब कर रहे हंै। दरअसल, नाक का सवाल है। शहरी क्षेत्रों में भाजपा का ग्राफ लगातार गिर रहा है। सरकार ने गड्ढा पाटने की जिम्मेदारी अमर को दी है। सो, कसौटी पर खड़ा उतरने का टेंशन तो रहेगा ही। आप देख ही रहे होंगे, हेल्थ मिनिस्टर का हेल्थ भी पहले से कुछ कम हुआ है।

तुगलकी फरमान

हरकतों और हादसों की वजह से सुर्खियों में रही बिलासपुर पुलिस अब अपने तुगलकी फरमान को लेकर चर्चा में है। राहुल शर्मा की मौत के बाद बिलासपुर की कमान संभाले रतनलाल डांगी ने थाना प्रभारियों को हिदायत दी है, चोरी गए सामानों की रसीद दिखाने पर ही चोरी की रिपोर्ट दर्ज की जाए। यही नहीं, 50 हजार से अधिक की चोरी की सूचना अब आयकर विभाग को दी जाएगी। याने चोरी होने पर रिपोर्ट लिखाने से पहले रसीद का जुगाड़ करों। डांगी रसीद रखते होंगे, आम आदमी तो रखता नहीं। उपर से आयकर का धौंस। कुल मिलाकर यही कि रिपोर्ट मत लिखाओ। असल में, दोष डांगी का नहीं है। बिलासपुर पुलिस पर शनि की साढ़े साती चल रही है। इसलिए, बिलासपुर ज्वाईन करने वाले आईपीएस अफसरों पर शनि सवार हो जा रहे हैं।

असली कमाई

आज के युग में ऐसी बातें कम ही सुनने को मिलती है....आफिस का बास अगर बीमार पड़े तो पूरा स्टाफ उसकी सलामती के लिए दुआ मांगने लगे। सीएसआईडीसी के एमडी देवेंद्र सिंह का स्वास्थ्य खराब है और महीने भर से वे मुंबई में इलाज करवा रहे हैं। उनके आफिस के लोगों ने सिंह के शीघ्र स्वस्थ्य होने के लिए मृत्युंजय यज्ञ करवाया। नवरात्रि में उनके लिए डोंगरगढ़ और रतनपुर में ज्योत जलवाये।

अंत में दो सवाल आपसे

1. सुकमा कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन ने मात्र दो सुरक्षाकर्मियों को साथ लेकर नक्सल इलाके में जाकर बहादुरी दिखाई या आ बैल मुझे मार वाला काम किया?
2. किस आईपीएस अफसर को आजकल सुपर डीजीपी कहा जा रहा है?

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