12 जुलाई
छेड़खानी के केस में फंसे पुलिस मुख्यालय के एआईजी की मुश्किलें अब बढ़ती दिख रही है। डीजीपी के निर्देश पर बनी तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने अफसर को दोषी करार दिया है। जांच कमेटी में डीआईजी सोनल मिश्रा एवं नीतू कमल महिला आईपीएस
थी।
इंवेस्टीगेशन में सत्यता पाई गई। एआईजी ने पुराने पुलिस मुख्यालय के लिफ्ट में महिला इंस्पेक्टर को पकड़ लिया था। जांच में कुछ और महिलाओं ने कमेटी के समक्ष शिकायत दर्ज कराई कि उनके साथ भी अफसर ने घृष्टता की थी। मगर लोक लाज के चलते उन्होंने तब शिकायत नहीं की। कमेटी ने जांच रिपोर्ट डीजीपी को सौंपी और डीजीपी ने उसे सीएम को भेज दिया। हालांकि, एआईजी प्रभावशाली हैं। एयरपोर्ट पर एसपीजी टाईप सूट और गागल पहने वीवीआईपी को रिसीव करते आप टीवी में अक्सर देखते होंगे। मगर महिला का मामला है, वो भी छेड़खानी का। सो, सरकार भी अब हेल्पलेस होगी। कार्रवाई के नाम पर कुछ तो करना ही होगा। सुना है, सजा के नाम पर एआईजी का डिमोशन करने का चल रहा है। मगर, जरा सोचिए! लिफ्ट में ही छेड़खानी के आरोप में हाईप्रोफाइल जर्नलिस्ट तरूण तेजपाल को छह महीने से अधिक समय तक जेल में रहना पड़ा था। और, महिला इंस्पेक्टर के मामले में ही अगर कोई आम आदमी होता, तो दो-तीन महीने का जेल काट चूका होता। बट, एआईजी का सिर्फ डिमोशन? पुलिस की यह कैसी न्याय प्रणाली है?
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इंवेस्टीगेशन में सत्यता पाई गई। एआईजी ने पुराने पुलिस मुख्यालय के लिफ्ट में महिला इंस्पेक्टर को पकड़ लिया था। जांच में कुछ और महिलाओं ने कमेटी के समक्ष शिकायत दर्ज कराई कि उनके साथ भी अफसर ने घृष्टता की थी। मगर लोक लाज के चलते उन्होंने तब शिकायत नहीं की। कमेटी ने जांच रिपोर्ट डीजीपी को सौंपी और डीजीपी ने उसे सीएम को भेज दिया। हालांकि, एआईजी प्रभावशाली हैं। एयरपोर्ट पर एसपीजी टाईप सूट और गागल पहने वीवीआईपी को रिसीव करते आप टीवी में अक्सर देखते होंगे। मगर महिला का मामला है, वो भी छेड़खानी का। सो, सरकार भी अब हेल्पलेस होगी। कार्रवाई के नाम पर कुछ तो करना ही होगा। सुना है, सजा के नाम पर एआईजी का डिमोशन करने का चल रहा है। मगर, जरा सोचिए! लिफ्ट में ही छेड़खानी के आरोप में हाईप्रोफाइल जर्नलिस्ट तरूण तेजपाल को छह महीने से अधिक समय तक जेल में रहना पड़ा था। और, महिला इंस्पेक्टर के मामले में ही अगर कोई आम आदमी होता, तो दो-तीन महीने का जेल काट चूका होता। बट, एआईजी का सिर्फ डिमोशन? पुलिस की यह कैसी न्याय प्रणाली है?
आईएफएस भी फंसे
एंटी करप्शन ब्यूरो की इंवेस्टीगेशन में आईएफएस राजेश कुमार चंदेले भी फंस गए है। एसीबी ने पिछले साल फरवरी में उनके जगदलपुर एवं बिलासपुर के कई ठिकानों पर एक साथ छापा मारा था। इसमें करोड़ों की संपत्ति का खुलासा हुआ था। एसीबी ने इसकी जांच पूरी कर ली है। विवेचना में चंदेल के पास तीन करोड़ 68 लाख की संपति पाई गई है। जबकि, उनकी कुल आमदनी 66 लाख है। याने आय से तीन करोड़ अधिक। एसीबी की रिपोर्ट के अनुसार आईएफएस ने अधिकांश संपति अपने पिता, मां और पत्नी के नाम से ली है। बहरहाल, एसीबी ने राज्य सरकार से चालान पेश करने की इजाजत मांगी है। चंदेले आल इंडिया सर्विसेज के अफसर हैं, इसलिए भारत सरकार से भी अनुमति मांगी जाएगी। ऐसे में कह सकते हैं, चंदेले पर एसीबी की तलवार लटक गई है।
भल्ला और नान के नाम
विधानसभा के पावस सत्र में कांग्रेस जिस तरह की स्टे्रट्जी बना रही है, तय है कि यह सत्र भल्ला और नान के नाम दर्ज होगा। हालांकि, प्रबंधन के लोग सक्रिय है मगर सामने भूपेश बघेल हैं। बघेल का प्लस कहें या निगेटिव, वे जल्दी मैनेज नहीं होते। जाहिर है, पावस सत्र में ब्यूरोक्रेसी की भी भद पिटेगी। वैसे भी, राज्य के बाहर भी छत्तीसगढ़ की किरकिरी हो रही है। भल्ला कांड के बाद दिल्ली मीटिंग में जाने वाले अफसरों से पहला सवाल यही दागा जा रहा, ये क्या चल रहा है, आपके स्टेट में। छत्तीसगढ़ में अशोक विजयवर्गीय और पी जाय उम्मेन जैसे चीफ सिकरेट्री रहे हैं। मगर ब्यूरोक्रेसी में ऐसा कभी नहीं हुआ कि आल इंडिया सर्विसेज के तीनो सेवाओं में टकराव के हालत बन जाए। और, आरोप-प्रत्यरोप सीमाओं को लांघते हुए बेडरुम तक पहंुच जाए।
दूसरे आइपीएस
2005 बैच के आईपीएस ध्रुव गुप्ता छत्तीसगढ़ के दूसरे आईपीएस होंगे, जो डेपुटेशन पर दीगर विभाग में पोस्ट किए जाएंगे। आईजी रैंक के हिमांशु गुप्ता फिलहाल, डायरेक्टर, तकनीकी शिक्षा हैं। कोरिया और महासमुंद जिले के एसपी रहे गुप्ता अध्ययन अवकाश पर आईआईटी कानपुर गए थे पीएचडी करने। वहां से लौटने पर उन्हें डिप्टी सिकरेट्री फायनेंस बनाने के लिए नोटशीट चली है। आईएफएस के बाद अब, आईपीएस अफसरों के उनके घर में सेंध लगाने से गुस्से में है आईएएस लाबी।
यादव बटालियन
एमपी के व्यापम सरीखा जानलेवा कांड तो छत्तीसगढ़ में नहीं हुआ है, मगर एकदम अछूता भी नहीं कह सकते। 2003 को पीएससी भर्ती कांड लोग भूले नहीं है। जिसमें डंके की चोट पर गड़बडि़यां की गई। पटवारी नहीं बनने वाले लोग पइसा और पहुंच के बूते डीएसपी और डिप्टी कलेक्टर बन गए। एसीबी की जांच में बड़े-बड़े लोग दोषी भी पाए गए। मगर ऐन-केन-प्रकारेण केस दबा दिया गया। आरटीआई का जो भी कार्यकर्ता तह में जाने की कोशिश करता है, उसे चुप करा दिया जाता है। 2003 बैच के कुछ लोगों ने बकायदा इसके लिए चंदा करके फंड बना रखा है। छत्तीसगढ़ व्यापम के बारे में कुछ बताने की जरूरत नहीं है। पुलिस भरती में भी जमकर धांधली हुई थी। एक कंपनी में तो 100 में से 70 यादव उम्मीदवारों को सलेक्ट कर दिया गया। इनमें से 50 लोग तो फिजिकल भी पास नहीं हुए थे। यही वजह है कि पुलिस महकमे में उसे यादव बटालियन कहा जाता है।
जांजगीर अव्वल
धान के डिस्पोजल में छोटे जिलों ने बड़े जिलों को पछाड़ दिया है। अभी तक धान उठाव में जांजगीर पहले नम्बर पर है। इसके बाद दूसरा है राजनांदगांव जिला। वैसे, नान घोटाले के उजागर होने के बाद कलेक्टर्स अबकी फूंक-फूंक के काम कर रहे हैं। धान खरीदी से लेकर उसका डिस्पोजल, ट्रांसपोर्टिंंग प्रायरिटी से किया जा रहा है।
हफ्ते का व्हाट्सएप
पत्रकार-शिवराजजी, ये व्यापम घोटाले के पीछे किसका हाथ है? शिवराज-ये तो पता नहीं, बस इतना पता है कि जो भी इस बारे में सवाल करता है, वह मर जाता है। हां, तो आप क्या पूछ रहे थे? पत्रकार-जी! जी!! मैं ये…ये….पूछ रहा था कि साधना भाभी बारिश में आलू के पकौड़े बनाते समय रिफाइंड इस्तेमाल करती है या सरसो का तेल।
अंत में दो सवाल आपसे
1. भूपेश बघेल के इफ्तार दावत में अजीत जोगी के जाने से यह माना जाए कि उनके बीच की दरारें पट गई हैं?
2. आईएफएस अनूप भल्ला के कैरियर में अब तक कितनी डीई हुई है?
2. आईएफएस अनूप भल्ला के कैरियर में अब तक कितनी डीई हुई है?
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